बुधवार, 11 मई 2022
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नड्डा ने राज्य में 'सत्ता परिवर्तन' का आह्वान किया
नड्डा ने राज्य में 'सत्ता परिवर्तन' का आह्वान किया
नरेश राघानी
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्य में सत्ता परिवर्तन का आह्वान करते हुए बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें राज्य में डबल इंजन वाली सरकार चाहिए। नड्डा ने राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि इसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। नड्डा सीमावर्ती हनुमानगढ़ शहर में पार्टी के जिला कार्यालय के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्य में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। नड्डा ने कहा,‘‘मैं कार्यालय के उद्घाटन के लिए आया हूं, लेकिन मैं आपसे निवेदन करने भी आया हूं कि मुझे राजस्थान में डबल इंजन की सरकार चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी जनविरोधी सरकार बैठी है जिसका जनता से कोई लेना देना नहीं, जो जनता के मर्म, जनता के विषयों को नहीं समझती है। नड्डा ने कहा कि जब भी चुनाव हो तो प्रजातांत्रिक तरीके से ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकना है।
राज्य की महिलाओं, दलितों और जनजातियों पर अत्याचार की घटनाओं का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि राजस्थान संस्कार, संतोष, विकास और शांति के लिए जाना जाता था, लेकिन मौजूदा अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान की आबरू और मान सम्मान को गहरी चोट पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा दुष्कर्म के मामले राजस्थान में हो रहे हैं और गहलोत जी को कोई पीड़ा नहीं होती, उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। नड्डा के अनुसार हाल ही में जोधपुर में जिस दिन उपद्रव की घटना हो रही थी उस दिन मुख्यमंत्री गहलोत जयपुर में अपना जन्मदिन मना रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वे मिशन से काम करें और यहां अशोक गहलोत सरकार कमीशन में लगी रहे। वे लोगों की सेवा के लिए काम करें और यहां गहलोत सरकार मेवा खाने में लगी रहे। वे लोगों की तस्वीर बदलने के लिए काम करें और यहां पर घोटाले हों। ऐसी सरकार को चलने का कोई अधिकार नहीं है। ’’नड्डा ने हनुमानगढ़ सहित 10 जगहों पर पार्टी के कार्यालयों का वर्चुअल (आभासी) माध्यम से उद्धाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने चार जगहों पर पार्टी कार्यालयों का शिलान्यास भी किया। उन्होंने कहा कि कार्यालय संस्कार और ऊर्जा का केंद्र होता है।
साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन का इस्तीफा
साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन का इस्तीफा
मिनाक्षी लोढी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल से साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन विश्वास ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक विशेष पुरस्कार दिए जाने के विरोध में इसके एक दिन बाद मंगलवार को बंगाली लेखिका और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने राज्य अकादमी को अपना पश्चिमबंगा बांगला अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। यह पुरस्कार इस वर्ष साक्षरता में ममता बनर्जी के योगदान के लिए दिया गया। मुख्यमंत्री बनर्जी को प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सोमवार को इस नए पुरस्कार के लिए चुना गया। वह पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष भी हैं। राज्य सरकार रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती मना रही है। ममता बनर्जी को इस विशेष पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के एक दिन बाद लेखक अनादिरंजन विश्वास ने कल साहित्य अकादमी के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।
अनादिरंजन विश्वास 1982 से अंडमान में रहते हैं और साहित्य अकादमी कोलकाता बंगाली सलाहकार बोर्ड की सदस्य थे। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं सम्मान करता हूँ। गुरुदेव की 161वीं जयंती के अवसर पर नौ मई को कोलकाता में बंगाली कविता का बहुत अपमान हुआ है। इससे पहले लेखिक और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने कल अपने अन्नदा शंकर पुरस्कार वापस करने की घोषणा की, जो उन्हें 2019 में मिला था। रत्ना राज्य सरकार में पूर्व अधिकारी रह चुकी हैं। उन्होंने पश्चिमबंगा बांगला अकादमी को लिखे अपने पत्र में कहा कि उन्हें 2019 में प्राप्त अन्नदा शंकर रे मेमोरियल पुरस्कार को अकादमी को वापस कर देगी।
उन्होंने कहा, “मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि पश्चिमबंगा बांगला अकादमी ने एक नए पुरस्कार की घोषणा की है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सत्य को तोड़ मरोड़ा गया है। मुख्यमंत्री का सम्मान कर अकादमी ने न केवल एक निंदनीय उदाहरण पेश किया है, बल्कि उन सभी लोगों का अपमान भी किया है जो बंगाली साहित्य के प्रति समर्पित हैं। शिक्षा मंत्री बसु ने घोषणा की कि यह पुरस्कार तीन साल में एक बार गैर-साहित्यिक लोगों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ लेखकों की एक टीम ने मुख्यमंत्री को उनकी कविताओं के संग्रह कोबीता बितान के लिए इस पहले पुरस्कार के लिए चुना था।
'भाजपा' शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं
'भाजपा' शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं
कविता गर्ग
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में दलित ‘‘सुरक्षित नहीं’’ हैं। उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में दलित समुदाय की सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी चाहिए। राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख प्रवक्ता महेश तापसे ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव के पूर्व प्रधान की गिरफ्तारी के संदर्भ में यह बयान दिया, जिसने एक व्यक्ति से कथित रूप से घोषणा कराई थी कि यदि दलित समुदाय का कोई व्यक्ति उसके खेत में घुसा, तो उसे 50 जूते मारे जाएंगे और उससे पांच हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा।
पुलिस ने मंगलवार को बताया था कि एक वीडियो में कुंवरपाल चरथावल क्षेत्र के पावती खुर्द गांव में दलितों के मकानों के सामने ढोल पीटते हुए यह घोषणा करता नजर आ रहा है। इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए तापसे ने कहा, भाजपा शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं हैं और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में दलितों की सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शासन में देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं।
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