बुधवार, 11 मई 2022

साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन का इस्तीफा

साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन का इस्तीफा  

मिनाक्षी लोढी  

कोलकाता। पश्चिम बंगाल से साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन विश्वास ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक विशेष पुरस्कार दिए जाने के विरोध में इसके एक दिन बाद मंगलवार को बंगाली लेखिका और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने राज्य अकादमी को अपना पश्चिमबंगा बांगला अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। यह पुरस्कार इस वर्ष साक्षरता में ममता बनर्जी के योगदान के लिए दिया गया। मुख्यमंत्री बनर्जी को प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सोमवार को इस नए पुरस्कार के लिए चुना गया। वह पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष भी हैं। राज्य सरकार रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती मना रही है। ममता बनर्जी को इस विशेष पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के एक दिन बाद लेखक अनादिरंजन विश्वास ने कल साहित्य अकादमी के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।

अनादिरंजन विश्वास 1982 से अंडमान में रहते हैं और साहित्य अकादमी कोलकाता बंगाली सलाहकार बोर्ड की सदस्य थे। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं सम्मान करता हूँ। गुरुदेव की 161वीं जयंती के अवसर पर नौ मई को कोलकाता में बंगाली कविता का बहुत अपमान हुआ है। इससे पहले लेखिक और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने कल अपने अन्नदा शंकर पुरस्कार वापस करने की घोषणा की, जो उन्हें 2019 में मिला था। रत्ना राज्य सरकार में पूर्व अधिकारी रह चुकी हैं। उन्होंने पश्चिमबंगा बांगला अकादमी को लिखे अपने पत्र में कहा कि उन्हें 2019 में प्राप्त अन्नदा शंकर रे मेमोरियल पुरस्कार को अकादमी को वापस कर देगी।

उन्होंने कहा, “मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि पश्चिमबंगा बांगला अकादमी ने एक नए पुरस्कार की घोषणा की है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सत्य को तोड़ मरोड़ा गया है। मुख्यमंत्री का सम्मान कर अकादमी ने न केवल एक निंदनीय उदाहरण पेश किया है, बल्कि उन सभी लोगों का अपमान भी किया है जो बंगाली साहित्य के प्रति समर्पित हैं। शिक्षा मंत्री बसु ने घोषणा की कि यह पुरस्कार तीन साल में एक बार गैर-साहित्यिक लोगों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ लेखकों की एक टीम ने मुख्यमंत्री को उनकी कविताओं के संग्रह कोबीता बितान के लिए इस पहले पुरस्कार के लिए चुना था।

'भाजपा' शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं

'भाजपा' शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं

कविता गर्ग

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में दलित ‘‘सुरक्षित नहीं’’ हैं। उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में दलित समुदाय की सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी चाहिए। राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख प्रवक्ता महेश तापसे ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव के पूर्व प्रधान की गिरफ्तारी के संदर्भ में यह बयान दिया, जिसने एक व्यक्ति से कथित रूप से घोषणा कराई थी कि यदि दलित समुदाय का कोई व्यक्ति उसके खेत में घुसा, तो उसे 50 जूते मारे जाएंगे और उससे पांच हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा।

पुलिस ने मंगलवार को बताया था कि एक वीडियो में कुंवरपाल चरथावल क्षेत्र के पावती खुर्द गांव में दलितों के मकानों के सामने ढोल पीटते हुए यह घोषणा करता नजर आ रहा है। इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए तापसे ने कहा, भाजपा शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं हैं और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में दलितों की सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शासन में देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं।

    पार्ट्स बनाने की फैक्टरी में लगीं आग, काबू

    पार्ट्स बनाने की फैक्टरी में लगीं आग, काबू  

    अश्वनी उपाध्याय  
    गाजियाबाद। गाजियाबाद के लोनी में ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र की कूलर गीजर के पार्ट्स बनाने की फैक्टरी में आग लग गई। जिसकी सूचना दमकल विभाग को दी गई। दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया।
    गाजियाबाद के लोनी में उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला, जब ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्टरी में आग लग गई। फैक्टरी के अंदर से निकलता धुंआ देख आसपास के लोगों ने दमकल विभाग को इसकी जानकारी दी। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
    जानकारी के मुताबिक कूलर गीजर के पार्ट्स बनाने की फैक्टरी के बाहरी हिस्से में पड़े कूड़े में आग लग गई। इसकी सूचना लोगों ने फैक्टरी के मालिक को दी। जिसके बाद दमकल कर्मियों को बुलाया गया। मौके पर पहुंचकर दमकल विभाग की टीम ने आग पर काबू पाया। जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली। 

    एससी का आदेश, राजद्रोह कानून पर रोक

    एससी का आदेश, राजद्रोह कानून पर रोक 

    अकांशु उपाध्याय     
    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून के मामलें पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया कि विवादास्पद राजद्रोह कानून पर रोक रहेगी। क्योंकि सरकार इसकी समीक्षा करेगी और जेल में बंद लोग जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वहीं आदेश के तुरंत बाद, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वह “अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं”, लेकिन एक “लक्ष्मण रेखा” है जिसे पार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है और अपने पीएम (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी) के इरादे के बारे में अदालत को सूचित किया है हम अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। लेकिन एक ‘लक्ष्मण रेखा’ है। जिसका सम्मान सभी अंगों द्वारा किया जाना चाहिए।
    इसके अलावा केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का भी सम्मान करें। बता दें कि अपनी सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा है कि जो लोग इस कानून की धारा 124 A के तहत जेल में बंद हैं वे जमानत के लिए कोर्ट में जाएं। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार पुलिस को देशद्रोह के प्रावधान के तहत संज्ञेय अपराध दर्ज करने से नहीं रोक सकती, लेकिन एक सक्षम अधिकारी (SP रैंक) की संस्तुति के बाद ही 124A के मामले दर्ज किए जाएं। ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि लंबित राजद्रोह के मामलों की समीक्षा की जा सकती है।124 A के तहत दर्ज मामलों में जल्द से जल्द जमानत देने पर विचार किया जा सकता है।
    सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर तीन अहम बातें कही। पहला फिलहाल कोई मुकदमा इस मामले में दर्ज नहीं होगा। दूसरा पेंडिंग मामलों में जो मुकदमे इस धारा के तहत दर्ज है उन्हे ठंडे बस्ते में रखा जाएगा। ये सारे आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कोर्ट कोई अगला आदेश न दे या फिर सरकार इस पर कोई फैसला न ले ले। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला देते हुए राजद्रोह कानून के तहत कोई नया केस दर्ज करने पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस एनवी रमण की बेंच ने केंद्र सरकार को देशद्रोह कानून धारा 124A पर पुनर्विचार करने की इजाज़त देते हुए कहा कि इस प्रावधान का उपयोग तब तक करना उचित नहीं होगा। जब तक कि इस पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।


    प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

    प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

    1. अंक-215, (वर्ष-05)
    2. बृहस्पतिवार, मई 12, 2022
    3. शक-1944, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी सवंत-2079। 
    4. सूर्योदय प्रातः 05:33, सूर्यास्त: 07:01।
    5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-41+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
    6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
    7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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    मंगलवार, 10 मई 2022

    श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई तक बढ़ाया

    श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई तक बढ़ाया  

    अखिलेश पांडेय         
    कोलंबो। श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई की सुबह, सात बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वहीं, सड़कों पर जारी हिंसक प्रदर्शन को दबाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को शूट ऑन साइट (देखते ही गोली मार देना) का आदेश जारी कर दिया है। सोमवार हो हुई हिंसा में सांसद समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी। मालूम हो कि श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने और हिंसा फैलाने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद उनके समर्थकों ने हिंसा फैलानी शुरू कर दी है।
    राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने ट्विटर पर प्रदर्शनकारियों से अपील कि वे चाहे जिस भी पार्टी हों लेकिन वे शांत रहें और हिंसा रोक दे। नागरिकों के खिलाफ बदले की कार्रवाई न करें।उन्होंने कहा कि संवैधानिक जनादेश और आम सहमति के जरिए राजनीतिक स्थिरता बहाल करने और आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ऐसी कई अफवाहें हैं कि उनके पिता महिंदा राजपक्षे देश छोड़कर नहीं भागने वाले हैं। उन्होंने हम ऐसा नहीं करेंगे। खेल मंत्री रहे नमल ने कहा, "मेरे पिता सुरक्षित हैं, वह सुरक्षित स्थान पर हैं और परिवार से बात कर रहे हैं।" मालूम हो कि महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को बढ़ते दबाव के बीच पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं प्रदर्नशकारियों ने हंबनटोटा में उनके घर को भी जलाकर राख कर दिया है। मालूम हो कि पूरे श्रीलंका में चार दिन पहले ही इमरजेंसी लगा दी गई है।
    श्रीलंका में कर्फ्यू लागू होने के बाद भी हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। भीड़ ने मंगलवार को कोलंबो में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास के पास एक शीर्ष श्रीलंकाई पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की और उनके वाहन में आग लगा दी। वरिष्ठ उप महानिरीक्षक देशबंधु तेनाकून कोलंबो में सर्वोच्च पद के अधिकारी हैं। उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है, उन्हें घर भेज दिया गया है।उन्होंने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अधिकारी ने हवाई फायरिंग की थी।

    गुजरात: बब्बर शेर की आंखों का ऑपरेशन किया

    गुजरात: बब्बर शेर की आंखों का ऑपरेशन किया

    इकबाल अंसारी        
    जूनागढ़। गुजरात के जूनागढ़ में एक बब्बर शेर की आंखों का ऑपरेशन किया गया। उसे लंबे समय से मोतियाबिंद की शिकायत थी। गिर के जामवाली रेंज में वन विभाग द्वारा एक बब्बर शेर की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इस दौरान पता चला कि शेर को देखने में दिक्कत आ रही है। वो सिर्फ आवाज सुनकर ही अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। इसके बाद उसे जूनागढ़ के सक्करबाग चिड़ियाघर लाया गया। 
    जहां आंखों की जांच की गई तो पता चला कि उसकी दोनों आखों में मोतियाबिंद है। शेर की आंख का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर संजय जाविया ने बताया कि जांच में पता चला कि शेर को दोनों आखों से साफ नहीं दिखाई दे रहा था‌।इस वजह से वह शिकार भी नहीं कर पा रहा था। डॉक्टर के मुताबिक जुनागढ़ में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है। डॉक्टर संजय जाविया ने बताया शेर की आंखों के आकार का लेंस उपलब्ध कराना बेहद मुश्किल था। इसके लिए शेर की आंख का मेजरमेंट लिया गया और उसके बाद लेंस तैयार कराया गया।
    फिर एक-एक कर दोनों आखों में ऑपरेशन के जरिए लेंस को फिट किया गया। इसके कुछ दिन बाद फिर से शेर की आंखों का परीक्षण किया गया। इस बार जांच में पाया गया कि उसे साफ दिखाई दे रहा है। वो अलग तरह से प्रतिक्रिया देने लगा। फिलहाल, शेर की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। समय-समय पर उसकी आंख की जांच कराई जाएगी।

    राष्ट्रपति पुतिन ने 'परमाणु नीति' पर हस्ताक्षर किए

    राष्ट्रपति पुतिन ने 'परमाणु नीति' पर हस्ताक्षर किए  अखिलेश पांडेय  मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक अहम फैसले के अंतर...