साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन का इस्तीफा
मिनाक्षी लोढी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल से साहित्य अकादमी के सदस्य अनादिरंजन विश्वास ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक विशेष पुरस्कार दिए जाने के विरोध में इसके एक दिन बाद मंगलवार को बंगाली लेखिका और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने राज्य अकादमी को अपना पश्चिमबंगा बांगला अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। यह पुरस्कार इस वर्ष साक्षरता में ममता बनर्जी के योगदान के लिए दिया गया। मुख्यमंत्री बनर्जी को प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सोमवार को इस नए पुरस्कार के लिए चुना गया। वह पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष भी हैं। राज्य सरकार रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती मना रही है। ममता बनर्जी को इस विशेष पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के एक दिन बाद लेखक अनादिरंजन विश्वास ने कल साहित्य अकादमी के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।
अनादिरंजन विश्वास 1982 से अंडमान में रहते हैं और साहित्य अकादमी कोलकाता बंगाली सलाहकार बोर्ड की सदस्य थे। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं सम्मान करता हूँ। गुरुदेव की 161वीं जयंती के अवसर पर नौ मई को कोलकाता में बंगाली कविता का बहुत अपमान हुआ है। इससे पहले लेखिक और शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने कल अपने अन्नदा शंकर पुरस्कार वापस करने की घोषणा की, जो उन्हें 2019 में मिला था। रत्ना राज्य सरकार में पूर्व अधिकारी रह चुकी हैं। उन्होंने पश्चिमबंगा बांगला अकादमी को लिखे अपने पत्र में कहा कि उन्हें 2019 में प्राप्त अन्नदा शंकर रे मेमोरियल पुरस्कार को अकादमी को वापस कर देगी।
उन्होंने कहा, “मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि पश्चिमबंगा बांगला अकादमी ने एक नए पुरस्कार की घोषणा की है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सत्य को तोड़ मरोड़ा गया है। मुख्यमंत्री का सम्मान कर अकादमी ने न केवल एक निंदनीय उदाहरण पेश किया है, बल्कि उन सभी लोगों का अपमान भी किया है जो बंगाली साहित्य के प्रति समर्पित हैं। शिक्षा मंत्री बसु ने घोषणा की कि यह पुरस्कार तीन साल में एक बार गैर-साहित्यिक लोगों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ लेखकों की एक टीम ने मुख्यमंत्री को उनकी कविताओं के संग्रह कोबीता बितान के लिए इस पहले पुरस्कार के लिए चुना था।