पॉलिटिकल व मिलिट्री कंट्रोल स्थापित किया जाए
अखिलेश पांडेय
कीव/मॉस्को। यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग के 10 हफ्ते बीत चुके हैं। लेकिन अब तक रूस को यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में ही बड़ी कामयाबी मिली है। जबकि पश्चिम के क्षेत्र में घुसने के लिए सेना मुश्किल का सामना कर रही है। लेकिन इस बीच रूस ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। रूस की तैयारी है कि पश्चिमी यूक्रेन के हिस्सों पर कब्जा जमाने की बजाय, पूर्वी क्षेत्र के जिन इलाकों को कंट्रोल कर लिया गया है, उन पर पूरी तरह से पॉलिटिकल और मिलिट्री कंट्रोल स्थापित किया जाए। क्रेमलिन की कोशिश है कि स्थानीय प्रशासन में अपने लोगों को स्थापित किया जाए। इसके अलावा स्थानीय लोगों से ट्रांजेक्शन में रूबल का इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है। यह ठीक वैसी ही पॉलिसी होगी।
जैसी उसने 2014 में क्रीमिया को शामिल करते वक्त अपनाई थी। की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि रूस इन इलाकों में रेफरेंडम भी करा रहा है ताकि इनके विलय के लिए एक आधार तैयार किया जा सके। इसके अलावा व्लादिमीर चाहते हैं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को पद से हटाकर उनके स्थान पर अपने समर्थक किसी व्यक्ति को लाया जाए। यही नहीं स्थानीय सरकारों में भी रूस समर्थक लोगों को लाने की रणनीति पर व्लादिमीर पुतिन काम कर रहे हैं। दरअसल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था, लेकिन तब से अब तक जेलेंस्की ने हथियार डालने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा बातचीत से भी कोई समाधान नहीं निकल सका है। का कहना है कि उन्हें अब भी भरोसा है कि रूसी सेनाएं यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने में सफल होंगी। इसके अलावा डोनेत्सक और लुहान्सक क्षेत्रों पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने की तैयारी है। यही नहीं यूक्रेन के दक्षिणी हिस्सों खेरसोन और जैपोरिझझिया क्षेत्रों के भी एक हिस्से पर रूसी सेनाओं ने नियंत्रण कर लिया है। ये दोनों क्षेत्र क्रीमिया से सटे हुए हैं, जिन्हें रूस ने 2014 में अपने में मिला लिया था। यही वजह है कि रूस को इन क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने में आसानी हुई है। इसकी एक वजह यह भी है कि यहां रूसी संस्कृति को मानने वाले लोगों की बड़ी संख्या है। ऐसे में सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी रूस को इन क्षेत्रों का विलय करने में आसानी होगी। अलावा रूस ने परसेप्शन के लेवल पर भी बड़ी तैयारी की है। 9 मई को दूसरे विश्व युद्ध के विजय दिवस के तौर पर रूस आयोजन करता रहा है।
इस दिन यूक्रेन को लेकर भी कुछ ऐलान किया जा सकता है। इस दिन रूस में मिलिट्री परेड भी निकाली जाती रही है। गौरतलब है कि पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से में रूस समर्थक लोगों की भारी संख्या है। इसके अलावा पश्चिमी क्षेत्र में नाटो और यूरोप समर्थक लोगों की आबादी अधिक है। ऐसे में रूस की भी कोशिश यही है कि पूर्वी हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित कर यूक्रेन को दो टुकड़ों में बांट दिया जाए।