2 वर्ष बाद नमाजियों से मस्जिदे गुलजार दिखी
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। देश भर मे मंगलवार को बहुत दिनों बाद एक साथ ईद मनाई गई। सभी मुल्क के लोगों ने पुरे देश मे एक दिन एक साथ तीस रोज़े मुकम्मल होने पर ईदुल फित्र की खुशियाँ मनाईं। दो वर्षों की कोरोना बन्दिशों के बाद इस वर्ष ईद मनाने और नमाज़े ईदुल फित्र अदा करने को ईदगाहों मस्जिदों ,दरगाहों ,इमामबारगाहों व ईबादतखानों मे नमाज़ीयों से मस्जिदें गुलज़ार दिखीं।
जामा मस्जिद मे सड़को पर नमाज़ न होने की वजहा से दो बार अलग अलग समय पर नमाज़ अदा की गई। प्रातः 8 बजे पहली बाजमात नमाज़ को खातिब ए क़ौमो मिल्लत रईस अख्तर अहमद हबीबी व दूसरी बाजमात नमाज़ को सुबहा 9 बजे मौलाना मुजाहिद हुसैन हबीबी की क़यादत में अदा कराई गई। मस्जिद शाह वसीउल्लाह रौशनबाग़ मे मौलाना अहमद मकीन की इमामत मे अदा की गई। दायरा शाह अजमल की छोटी मस्जिद मे मौलाना आबिद हुसैन ने सुबहा 7:30 बजे सबसे पहले नमाज़ ए ईदुल फित्र अदा कराई।दायरा शाह अजमल की खानकाह मस्जिद मे सज्जादानशीन सैय्यद ज़र्रार फाखरी ने नमाज़ से पहले तक़रीर मे ईदुल फित्र को माहे रमज़ान मे रोज़ादारों की इबादत के ऐवज़ मे पाक परवरदिगार की तरफ से तोहफा बताते हुए ढ़ेरों फज़ीलत बयान की।
मौलाना शमशेर आज़म की इमामत मे खानकाह की मस्जिद मे नमाज़े ईद पढ़ाई गई। नायब सज्जादानशीन सैय्यद मोहम्मद अरशद फाखरी ने नमाज़ीयों से मुसाफिया करने के साथ गले लग कर ईद की मुबारकबाद पेश की। चक शिया जामा मस्जिद में मौलाना सैय्यद हसन रज़ा ज़ैदी ,मस्जिद ए खदीजा करैली मे मौलाना ज़ायर हुसैन नक़वी ,मदरसा जमीयतुल अब्बास करैली वीआईपी कालोनी मे मौलाना सैय्यद कल्बे अब्बास रिज़वी ,मस्जिद क़ाज़ी साहब बख्शी बाज़ार मे इमाम ए जमात मौलाना जव्वादुल हैदर रिज़वी ,बैतुस्सलात मिर्ज़ा नक़ी बेग मे मौलाना ज़ीशान हैदर ,मस्जिद इमाम हुसैन दरियाबाद मे मौलाना सज्जाद हुसैन ,मस्जिद दरगाह मौला अली दरियाबाद मे अम्मार ज़ैदी ,मस्जिदे नूर दायरा शाह अजमल मे मौलाना साक़िब हुसैन ,बैतुस्सलात करैली मे हुसनुल हसन ,मस्जिद मोहम्मदी करैली लेबर चौराहा मे मौलाना वसी हैदर ,इमामबाड़ा अरब अली खाँ मे मौलाना फैज़ान रिज़वी की इमामत मे ईद की बाजमात अपने अपने समय पर अदा की गई। मस्जिद गदा हुसैन मस्जीद तहसीलदार ,मस्जिद इमाम रज़ा सहित शहर व ग्रामीण इलाक़ो की सभी छोटी बड़ी मस्जिदों मे मुख्तलिफ वक़्त के मुताबिक़ नमाज़ ईदुल फित्र पर नमाज़ीयों ने शुक्र का सजदा कर माबूदे इलाही की बारगाह में सिदक़े दिल से हाज़री लगा कर मुल्क ए हिन्द मे अमनो अमान ,रोज़ी मे बरकत ,बिमारों को शिफायाब करने बेरोज़गारों को रोज़गार अता करने और दोबारा इस मूज़ी वबा से महफूज़ रखने की दूआ मांगी।
मौलाना जवादुल हैदर ने क़ौमो मिल्लत को बेदार करते हुए अपने खुत्बे में ईदुल फित्र को अल्लाह की तरफ से रोज़ादारों को ईद की शक्ल मे दिया गया खास तोहफा बताते हुए कहा मज़हबी अहकामात मे जहाँ नमाज़ रोज़ा हज ज़कात व खुम्स को हर पर वाजिब अल्लाह द्वारा वाजिब क़रार दिया है उसी तरहा हमारा फरीज़ा है की हम अपने परवरदिगार की बताई बातों पर सिदक़े दिल से अमल करते हुए जो अहकामे शरीयत है उस पर क़ायम और दायम रहें और फित्रे के पैसों को जो मुस्तहेक़ है उन तक पहचाँए ताकि उन ज़रुरतमन्दों की ईद भी खुशगवार बने और अल्लाह भी हमसे राज़ी हो। वहीं यह भी कहा ईद के बाद मस्जिदें वीरान न हो जैसे रमज़ानुल मुबारक के दिनों मे नमाज़ीयों से मुसल्ले गुलज़ार रहा करते थे इसी तरहा साल के बाराह महीने भी मस्जिदों को आबाद रखें।
मुस्तक़िल नमाज़ीयों-मोअज़्ज़िन के साथ मज़हबी खबरों को शाया कराने मे अहम रोल अदा करने पर मस्जिद कमेटी ने किया सम्मानित।
मस्जिद क़ाज़ी साहब बख्शी बाज़ार मे ईदुल फित्र की नमाज़ के बाद मस्जिद के मुतावल्ली शाहरुक़ क़ाज़ी द्वारा हर नमाज़ मे मुस्तक़िल दूर दराज़ से नमाज़ मे पाबन्दी के साथ मौजूद रहने वाले नमाज़ीयों ,मोअज़्ज़िन मस्जिद मे साफ सफाई बिजली व्यवस्था करने वालों के साथ मज़हबी खबरों को अखबारों मे शाया करवाने मे अहम रोल अदा करने वाले सैय्यद मोहम्मद अस्करी को मौलाना जव्वादुल हैदर रिज़वी के हाँथों तोहफा देकर सम्मानित किया गया। वहीं अस्करी अब्बास सफवी ने भी अलग से तोहफा देकर सम्मानित किया।
आपसी भाई चारा और सौहार्दपूर्ण मौक़े ईद पर मस्जिद क़ाज़ी साहब मे पेश इमाम व मस्जिद मे नमाज़ अदा करने वालों के साथ मस्जिद की सुरक्षा में तैनात एस एच ओ शाहगंज ने जहाँ सभी को मुबारकबाद दी वहीं मस्जिद इन्तेज़ामिया कमेटी व मुतावल्ली शाहरुक़ क़ाज़ी की ओर से पेश इमाम व अन्य लोगों के साथ तैनात पुलिस कर्मी ने मस्जिद दीर्घा मे बैठ कर एक साथ तरहा तरहा की सेंवई का सेवन कर आपसी भाईचारे को और प्रगाढ़ किया।
दो साल बाद सामुहिक्ता के साथ मनाई गई ईद पर बड़ो के साथ बच्चों के भी खिले चेहरे।
दो वर्षों तक कोरोना की भेंट चढ़े सभी पर्वों पर ग्रहण लगा था।वहीं सरकारी स्तर पर भीड़ जमा करने पर मुक़दमा क़ायम होने और दो गज़ दूरी मास्क है ज़रुरी के साथ सामुहिक्ता वाले आयोजन प्रतिबन्धित थे।अब जब प्रतिबन्धों को पूरी तरहा समाप्त कर दिया गया है तो अब शादि विवाह के साथ सभी धार्मिक व सामाजिक आयोजन होने लगे।बड़ो को तो तेहवार के मायने मालूम हैं लेकिन जो छोटे बच्चें हैं और दो साल पहले नासमझ थे चन्हे क्या होती है ईद और क्या होती हैं ईद की खुशियाँ यह भी नहीं मालूम था।अब जब मस्जिदों मे खुशगवार माहौल देखा और लोगों से तेहवारी के तौर पर पैसे मिले रंग बिरंगे लिबास पहन कर बड़ो का लाड प्यार मिला तो बच्चे चहक उठे।ईदी के मिले पैसों से कोई ग़ुब्बार खरीदता नज़र आया तो कोई मोहल्ले मोहल्ले लगे झूलों पर झूलने को दौड़ पड़ा तो वहीं कुछ बच्चे आईस्क्रीम और चॉकलेट और चिप्स के लिए मुहल्ले की दूकान पर दौड़ पड़े।