मंगलवार, 3 मई 2022

वायरस: चीन के 26 शहरों में अभी लॉकडाउन

वायरस: चीन के 26 शहरों में अभी लॉकडाउन  
सुनील श्रीवास्तव 
बीजिंग। पिछले दो-ढाई साल से लगातार कोशिशों के बावजूद चीन में कोरोना वायरस रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालात कुछ यूं हैं कि चीन के 26 शहरों में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है। लगभग 21 करोड़ लोग अभी भी अपने-अपने घरों में कैद हैं। यही कारण रहा कि 73 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि चीन में 1 मई को मजदूर दिवस नहीं मनाया गया। कोविड की वजह से देश की आर्थिक राजधानी शंघाई और वास्तविक राजधानी बीजिंग में सख्त लॉकडाउन है। खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग  इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। शी जिनपिंग ने शंघाई के लोगों के नाम अपना संबोधन भी नहीं दिया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शी जिनपिंग जान-बूझकर इस तरह की चीजों से बच रहे हैं। उनका मानना है कि लॉकडाउन की पाबंदियों और कोरोना रोकने में नाकामी की वजह से लोगों के गुस्से को शी जिनपिंग समझ रहे हैं, इसीलिए वह कोई बयान नहीं दे रहे हैं।
लंबे समय से लॉकडाउन की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था बेहाल है। 26 शहरों में लॉकडाउन के कारण चीन की 22 फीसदी जीडीपी पर असर पड़ रहा है। यही वजह है कि चीन की 1126 लाख करोड़ में से 247 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन भी सबसे कम रहा है।
कम पड़ गए सरकारी कर्मचारी, सड़क पर उतरे कम्युनिस्ट कार्यकर्ता
लॉकडाउन के चलते चीन में हालात बुरे हैं। लोगों को खाने-पीने और जरूरी चीजों के लिए तरसना पड़ रहा है। पहले 75 लाख सरकारी कर्मचारियों को राहत सामग्री बांटने और दूसरे कामों में लगाया था, लेकिन समस्या बरकरार रहने कारण लोगों की कमी पड़ गई। अब कम्युनिस्ट पार्टी के लगभग 50 लाख कार्यकर्ताओं को काम पर लगा दिया गया है।
दो महीने से स्कूल बंद
चीन के आठ राज्यों में लगभग दो महीने से स्कूल बंद हैं। ओमिक्रॉन वायरस के कारण संक्रमण बढ़ रहा है और केस बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी वजह से स्कूल बंद हैं। अब इन राज्यों में सरकार ने आदेश दिया है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों का भी कोरोना टेस्ट किया जाए। इस वजह से बच्चों को घर से लाकर उनका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है।
5 मई तक छुट्टी का आदेश
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन की सरकार ने 5 मई तक छुट्टी कर दी है। साथ ही, लोगों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने घर पर ही खाना बनाएं। इस दौरान, होटल और रेस्तरां बंद रहेंगे। फिलहाल, चीन में हर दिन 15 हजार कोरोना केस रोज आ रहे हैं। आने वाले समय में चीन के बीजिंग शहर में 15 हजार टेस्टिंग सेंटर पर लगभग 2.1 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किए जाने की तैयारी है।

बम ने जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया

बम ने जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया
अखिलेश पांडेय  
वॉशिंगटन डीसी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अमेरिका की वायुसेना ने युद्धपोतों को तबाह करने वाले नए स्‍मार्ट बम का परीक्षण किया है। यूएस एयरफोर्स ने एक वीडियो जारी करके दिखाया है कि किस तरह से 900 किलो के नए GBU-31/B ज्‍वाइंट डायरेक्‍ट अटैक बम ने एक जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया। इस बम नए बम को ‘क्विकसिंक’ प्रोग्राम के तहत बनाया गया है। इस बम का परीक्षण मैक्सिको की खाड़ी में किया गया है।
इस वीडियो में नजर आ रहा है कि अज्ञात जहाज पानी के अंदर हिल रहा है और संभवत: धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी एयरफोर्स की शोध प्रयोगशाला इस ‘क्विक सिंक’ प्रोग्राम को चला रही है। प्रयोगशाला ने द वार जोन को बताया कि यह जहाज एक पुराना कार्गोशिप था लेकिन उसके बारे में और ज्‍यादा डिटेल नहीं दिया। इस जहाज पर एक अमेरिकी वायुसेना अपने 900 किलो के GBU-31/B बम को गिराती है। बम के गिरते ही समुद्र में भूचाल सा आ जाता है और जलस्‍तर काफी बढ़ जाता है।
हर मौसम में सटीक हमला करने में सक्षम।
इस बम का असर इतना जोरदार होता है कि जहाज दो टुकड़े में बंट जाता है और देखते ही देखते तेजी से डूब जाता है। यूएस एयरफोर्स ने इस अभ्‍यास के दौरान पर्यावरण का ध्‍यान रखा। इस जहाज पर जब बम गिरता है तो ऐसा लगता है कि यह जहाज पर किसी भारी टारपीडो ने हमला किया। अमेरिकी वायुसेना ने पिछले साल सार्वजनिक रूप से क्विक सिंक प्रोग्राम का ऐलान किया था। अमेरिकी वायुसेना चाहती थी कि उसे ऐसा बम मिले जिसमें टारपीडो की तरह से युद्धपोत को डूबोने की ताकत हो।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का क्विकसिंक बम एक मोडिफाइड GBU-31/B बम है जो जीपीएस से लैस है। इस बम अगले हिस्‍से पर एक सीकर लगा है जो उसे लक्ष्‍य की पहचान करने में मदद करता है। यह सीकर उसे हर मौसम में सटीक हमला करने में मदद करता है। इस बम की प्रभावी मारक क्षमता 24 किमी है। माना जा रहा है कि जब दुश्‍मन का एयर डिफेंस सिस्‍टम तबाह हो जाएगा तब इस बम का इस्‍तेमाल अमेरिकी वायुसेना दुश्‍मन के युद्धपोत को डूबोने के लिए करेगी।

फूट डालो राज करो की नीति ठीक नहीं: ममता

फूट डालो राज करो की नीति ठीक नहीं: ममता
मीनाक्षी लोढी 
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को ईद पर एक कार्यक्रम में कहा कि आज देश में जो फूट डालो राज करो की नीति चल रही है, वो ठीक नहीं है। अलगाव की राजनीति चल रही है, वो ठीक नहीं है। ईद के अवसर पर कोलकाता की रेड रोड पर करीब 14 हजार लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि कुछ लोग हिंदू-मुसलमान को अलग करने की बात करते हैं, उनकी बात मत सुनिए।
सीएम ममता बनर्जी ने बारिश के पानी से भीगी रेड रोड पर ईद-उल-फ़ितर की नमाज के बाद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अच्छे दिन आएंगे, लेकिन ये झूठे वाले अच्छे दिन नहीं होंगे। अच्छे दिन आएंगे, सबके साथ आएंगे। सबको एक साथ में रहना है, एक साथ काम करना है। जो लोग गुमराह करने की बात करते हैं, हिंदू-मुसलमान को अलग करने की बात करते हैं, उनकी बात मत सुनिए। ममता बनर्जी ने वहां एकत्रित लोगों से भयभीत ना होने और बेहतर भविष्य के लिए एकजुट होने का आग्रह किया।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता ने इस मौके पर कहा कि देश में स्थिति सही नहीं है। फूट डालो और राज करो की नीति और देश में चल रही अलगाव की राजनीति सही नहीं है। लेकिन भयभीत न हों और लड़ाई जारी रखें। ममता ने आश्वासन दिया कि न तो मैं, न मेरी पार्टी और न ही मेरी सरकार ऐसा कुछ भी करेगी जिससे आप दुखी हों।
ममता बनर्जी ने आगे कहा कि हमें ऐसे लोग बहुत गालियां देते हैं।
बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। मुझे कामयाबी और लड़ने की शक्ति आप लोगों ने दी है। ये इंसाफ की शक्ति है। अमन की शक्ति है। खुदा की शक्ति है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया देखती है कि बंगाल में जैसी एकजुटता है, वैसी पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। इससे वो लोग जलते हैं। इसी वजह से मेरी बेइज्जती करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्हें करने दो। हम उनसे डरते नहीं हैं। हम डरपोक नहीं हैं। हम लड़ते हैं और लड़ना जानते हैं।
अपने संबोधन से पहले ममता बनर्जी ने ट्वीट करके ईद की मुबारकबाद दी। उन्होंने लिखा है कि सभी के लिए ढेर सारी खुशियां, शांति, संपन्नता और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूं। प्रार्थना करें कि हमारी एकता और सद्भाव का बंधन और मजबूत हों। अल्लाह सबको नेमत बख्शे।

खोज: 40 लाख साल पहले का जीवाश्म मिला

खोज: 40 लाख साल पहले का जीवाश्म मिला
सुनील श्रीवास्तव 
जकार्ता। वैज्ञानिकों ने बोर्नियो द्वीप पर पत्ते के जीवाश्म की खोज की है। ये जीवाश्म द्वीप पर प्रमुख रूप से पाए जाने वाले वृक्ष डिप्टरोकार्प्स के हैं। लेकिन खास बात ये है कि वैज्ञानिकों को जो जीवाश्म मिला है, वह 40 लाख साल पहले का है। इससे वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला है कि लगभग 40 लाख सालों से डिप्टरोकार्प्स ने वर्षावनों को घेर रखा है। ये पेड़ 60 मीटर तक लंबे हो सकते हैं। करीब 40-50 मीटर की ऊंचाई तक इनमें कोई शाखा नहीं होती है। अगर इन पेड़ों के होने तक डॉनासोर जिंदा होते तो सबसे बड़ा डायनासोर जिराफैटिटान जो 12 मीटर का होता था, वह भी उसकी पत्तियों तक न पहुंच पाता।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में एक अतंरराष्ट्री रिसर्च टीम ने पाया की द्वीप पर जिस तरह का लैंडस्केप आज है। उसी तरह 26 लाख से 53 लाख साल पहले प्लियोसीन युग के दौरान भी था। शोधकर्ता मानते हैं कि उनका निष्कर्ष गंभीर रूप से लुप्त हुई प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए और अधिक औचित्य जोड़ते हैं, जिनका ये कभी घर हुआ करता था।

एशिया के टापुओं पर थे डिप्टरोकार्प्स...
पेन स्टेट कॉलेज अर्थ एंड मिनरल साइंसेज में भूविज्ञान के प्रोफेसर पीटर विल्फ ने कहा, ‘ये पहली बार है जब पता चलता है कि बोर्नियों समेत एशिया के अन्य समुद्र तटीय क्षेत्रों में डिप्टरोकार्प्स के पेड़ मौजूद थे, बल्कि प्रभावशाली भी थे। हमें किसी भी अन्य पौधों के समूह की जगह डिप्टरोकार्प्स के जीवाश्म मिले हैं।’

पत्तियों से मिले बड़ी जानकारी...
इससे पहले शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च को बोर्नियो में पराग (Pollen) के जीवाश्म की रिसर्च तक सीमित कर रखा था। इस पराग के जरिए शोधकर्ता बोर्नियो के जंगल जीवन के बारे में रिसर्च कर रहे थे। लेकिन पराग उनके लिए उतना अच्छा विकल्प नहीं रहा, क्योंकि ये बेहद तेजी से गलते हैं। लेकिन पत्तियों के मिलने से पूरी इनफॉर्मेशन मिल सकती है।

सपा द्वारा असंतोष दूर करने की कोशिश: राजनीति

सपा द्वारा असंतोष दूर करने की कोशिश: राजनीति
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक किसके साथ रहेगा। क्या समाजवादी पार्टी का एम+वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण बिखर जाएगा। अगर मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी से छिटका तो उनका दूसरा ठिकाना कौन बनेगा? इन तमाम सवालों के बीच रमजान का महीना गुजर गया। ईद के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई बदलावों की चर्चा की कानाफूसी हो रही है। इन कानाफूसी के बीच प्रदेश की राजनीति किस किनारे लगेगी, यह भविष्य बताएगा। 
फिलहाल, हर तरफ से अपने वोट बैंक को बचाने और खोए वोट बैंक को पाने की खींचतान चल रही है। उत्तर प्रदेश में भले ही चुनाव आने में करीब दो साल का समय हो, लेकिन अखिलेश यादव की बड़ी परीक्षा अगले कुछ माह में होने वाली है। आजम खान की नाराजगी के बहाने अल्पसंख्यक वोट बैंक में उपजे असंतोष को तमाम गैर-भाजपा राजनीतिक दल हवा देकर माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं, अखिलेश यादव रोजा-इफ्तार पार्टियों के जरिए असंतोष को दूर करने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
आजम के मुद्दे ने बढ़ाया है प्रदेश का राजनीतिक तापमान
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक तापमान को आजम खान के मुद्दे ने काफी बढ़ा दिया है। अल्पसंख्यक समाज के भीतर अखिलेश यादव के रवैये पर एक नाराजगी साफ दिख रही थी। चाहे केंद्र हो या राज्य की भाजपा सरकार, उनकी नीतियों के खिलाफ अखिलेश ने उस प्रकार का विरोध नहीं दर्ज कराया, जिसकी उम्मीद यह समाज कर रहा था। नाहिद हसन हों या शहजिल इस्लाम, दोनों के ठिकानों पर बुलडोजर चला तो अखिलेश खुलकर सामने आकर विरोध नहीं कर पाए। कानून व्यवस्था के मसले पर होने वाली कार्रवाई के मामलों में भी अखिलेश का विरोध लोग सतही मानने लगे हैं। ऐसे में आजम खान के प्रवक्ता की ओर से उनके पार्टी और पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ नाराजगी का मामला सामने आया तो समाज को एक आवाज मिल गई। सुर में सुर मिले तो लखनऊ तक हिल गया।
अखिलेश ने लगातार रोजा-इफतार कार्यक्रमों में हुए हैं शामिल।
रोजा-इफ्तार के जरिए वोट बैंक का साधने की कोशिश
रमजान के महीने में राजधानी और अन्य स्थानों पर रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों में अखिलेश यादव ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पिछले दिनों में उन्हें दो से तीन ऐसे कार्यक्रमों में शिरकत करते देखा गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की नाराजगी के साथ बढ़ रहे अल्पसंख्यक समुदाय के आक्रोश को कम करने के लिए इस प्रकार की कवायद की गई। इस दरम्यान प्रदेश के अन्य नेताओं की आवक इन कार्यक्रमों में नहीं दिखी। संकेतों में अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस नेताओं पर तंज कसते रहे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी चुनाव परिणाम के बाद से लखनऊ की राजनीति में दिख ही नहीं रही हैं। ऐसे में अखिलेश अपने नाराज वोट बैंक को मनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। वे जानते हैं कि अभी उनकी जगह को भरने वाला कोई दिख नहीं रहा।
इफ्तार कार्यक्रमों में पहले अखिलेश दिखता था अलग लुक
इफ्तार कार्यक्रमों में पहले अखिलेश दिखता था अलग लुक
टोपी-रुमाल का भी उठ रहा मुद्दा
अखिलेश यादव भले ही रोजा-इफ्तार में जमकर भागीदारी कर रहे हों, लेकिन उनके पहनावे का मुद्दा भी खासा जोर पकड़ रहा है। अखिलेश यादव की पुरानी रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों की तस्वीरें देखेंगे तो उसमें वे सफेद टोपी और कंधे पर गमछा लिए दिख जाएंगे। इस बार वह लुक बदला हुआ दिखा। अखिलेश यादव पार्टी की टोपी यानी लाल टोपी में ही रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों में नजर आए। इस पर भी मुस्लिम समाज में चर्चा का बाजार गर्म है कि अखिलेश यादव को भी हिंदू वोट बैंक की चिंता सताने लगी है। अगर उन्होंने लुक बदला तो इसे अलग रूप में पेश किया जाएगा। इसलिए, वे उनकी तरह नहीं दिखना चाहते हैं।
अखिलेश के पहले के लुक और बदले लुक की हो रही चर्चा
अखिलेश के पहले के लुक और बदले लुक की हो रही चर्चा
ईद के दिन आजम खान ने अपनी नाराजगी व्यक्त कर साफ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी अब उनकी प्राथमिकता में नहीं है। पार्टी को उनकी चिंता नहीं है। ऐसे में आगे सुप्रीम कोर्ट में होने वाली जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें बेल मिलती है। वे बाहर आते हैं तो उनके अगले कदम पर हर किसी की नजर होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीनियर वकील एस. फरमान नकवी के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को नया विकल्प बनाना होगा। मतलब साफ है कि मुस्लिमों में अब सपा के विकल्प की तलाश होने लगी है। ऐसे में अगर आजम खान एक अलग राह पकड़ते हैं तो यह वर्ग उनके साथ जाता दिखाई दे सकता है।
लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में है और विधानसभा चुनाव वर्ष 2027 में। फिर अभी अखिलेश यादव की नाराजगी क्यों बढ़ी हुई है। इसको ऐसे समझिए, अगले कुछ माह में अखिलेश की बड़ी परीक्षा होने वाली है। इसमें अल्पसंख्यक वोट बैंक सबसे महत्वपूर्ण होगा। वह परीक्षा है आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा उप चुनाव। आजमगढ़ से अखिलेश यादव सांसद थे। वहीं, रामपुर से आजम खान। दोनों ने यूपी चुनाव 2022 के परिणाम के बाद अपनी सांसदी छोड़ दी। अब उप चुनाव में अगर अल्पसंख्यक वोट बैंक का बिखराव होता है।
अखिलेश यादव के खिलाफ यह वर्ग नाराज रहता है तो समाजवादी पार्टी की परंपरागत दोनों सीटों पर चुनाव परिणाम बदल सकता है। यह अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर देगा। इसलिए, अखिलेश अभी इस वर्ग को किसी और पाले में जाने देने के मूड में नहीं है। वैसे, उन्हें लगता है कि वक्त के साथ नाराजगी भी दूर हो ही जाएगी, लेकिन तत्कालिक नाराजगी अगर बनी रही तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

1. अंक-207, (वर्ष-05)
2. बुधवार, मई 4, 2022
3. शक-1984, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्थी, विक्रमी सवंत-2078‌‌। 
4. सूर्योदय प्रातः 07:04, सूर्यास्त: 06:24।
5. न्‍यूनतम तापमान- 28 डी.सै., अधिकतम-39+ डी सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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सोमवार, 2 मई 2022

तृतीया तिथि को मनाईं जाएंगी 'परशुराम जयंती'

तृतीया तिथि को मनाईं जाएंगी 'परशुराम जयंती'  

सरस्वती उपाध्याय         
परशुराम भगवान विष्णु को छठवें अवतार माने जाते हैं। उनके पिता का जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम के चार बड़े भाई थे। परशुराम को न्याय देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल-पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस दिन को लोग अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं। इस साल अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 3 मई, मंगलवार को है। 
प्रभु परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। इसके बावजूद उन्होंने अपने पिता के कहने पर अपनी माता की गर्दन काट दी थी।
ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी थी कि वो अपनी मां का वध कर दें। भगवान परशुराम आज्ञाकारी पुत्र थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए तुरंत अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अपने पुत्र को आज्ञा का पालन करते हुए देखकर भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि बेहद प्रसन्न हुए। पिता को प्रसन्न देखकर उन्होंने अपनी मां को दोबारा जीवित करने का आग्रह किया।

पिता से भगवान परशुराम ने मांगे तीन वरदान...

परशुराम ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे थे। पहले वरदान में माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और दूसरा चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। तीसरे वरदान में उन्होंने कभी पराजय का सामना न करना पड़ा और लंबी आयु का वरदान मांगा था।

'पीएम' मोदी ने जिनपिंग के साथ बातचीत की

'पीएम' मोदी ने जिनपिंग के साथ बातचीत की  अखिलेश पांडेय  मॉस्को। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स समिट से इतर चीन के रा...