सोमवार, 2 मई 2022

कॉमन सिविल कोड लागू करना, पागल सरकार

कॉमन सिविल कोड लागू करना, पागल सरकार

हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने 2 दिसंबर 1948 को संविधान सभा में कहा था कि कॉमन सिविल कोड लागू करने के बारे में सोचने वाली सरकार एक पागल सरकार ही कही जाएगी। कॉमन सिविल कोड को तो राज्य सरकार बना ही नहीं सकती। फिर भी भाजपा सरकार के मंत्री और नेता अफवाह और अनिश्चितता का माहौल बनाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं।
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने फेसबुक लाइव के माध्यम से होने वाले स्पीक अप कार्यक्रम के 44 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान सभा में अर्टिकल 44 के सूत्रिकरण पर अपने संबोधन डॉ अंबेडकर ने कॉमन सिविल कोड को वांछनीय तो बताया था। लेकिन साथ ही इसे ऐक्षिक बताया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी लॉ कमिशन के समक्ष 12 पेज का हलफनामा दिया था। जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकारों को कॉमन सिविल कोड बनाने का अधिकार नहीं है। यह सिर्फ संसद कर सकती है। वहीं 2018 में लॉ कमिशन ने भी कहा था कि पर्सनल लॉ के साथ छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए। जिसके बाद मोदी सरकार ने 22 वें लॉ कमिशन के अध्यक्ष के पद पर किसी को नियुक्त ही नहीं किया। 2018 से ही यह पद खाली है। जबकि ऐसे गंभीर मसलों पर राय देने के लिए ही उसका गठन हुआ था।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें जानती हैं कि कॉमन सिविल कोड का सबसे ज़्यादा विरोध बहुसंख्यक समुदाय से आयेगा, क्योंकि वहां विविधता ज़्यादा है। जबकि ईसाई और मुस्लिम जैसे अल्पसंख्यक समुदायों में पूरे देश में शादी, तलाक़, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के कानून एक समान हैं। इसीलिये केंद्र सरकार कॉमन सिविल कोड का कोई मसौदा संसद या मीडिया के सामने नहीं रख रही है जिससे उस पर बहस हो सके। सरकार की कोशिश बहुसंख्यक समुदाय को अंधेरे में रख कर उनके बीच इसे मुस्लिम विरोधी प्रचारित कर उनको सांप्रदायिक बनाये रखना है।

बुलडोजर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, एससी का रुख

बुलडोजर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, एससी का रुख

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल, एक संगठन। जिसने जहांगीरपुरी दिल्ली में बुलडोजर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सोमवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में जहांगीरपुरी का दौरा किया और वहां के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।
जमीयत ने उनमें 500 ईद किट भी बांटे। एक किट में 22 घरेलू सामान होते हैं।
तब प्रतिनिधिमंडल ने उच्च पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की और निर्दोष व्यक्तियों की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की। इसने शिकायत की कि "पत्थरबाज" शब्द का उपयोग करके एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, विशेष रूप से मीडिया के गैर-जिम्मेदार वर्गों ने, जिन्होंने विशेष समुदाय को निशाना बनाने में एक मिनट भी नहीं छोड़ा। इसलिए ऐसी स्थिति में पुलिस विभाग और उसके वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार भूमिका निभाएं और किसी खास समुदाय को निशाना बनाने की प्रथा को बंद करें। गरीब और जरूरतमंद लोगों को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने का मौका दिया जाना चाहिए। दूसरी ओर, प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की कि पुलिस प्रशासन को निवासियों में व्याप्त भय और चिंता को दूर करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से स्थानीय स्तर पर छह सदस्यीय स्थानीय राहत समिति का गठन भी किया गया था ताकि वहां के जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सके।
जेयूएच प्रतिनिधिमंडल में जमीयत उलमा-ए-हिंद के जनरल और जमीयत उलमा-ए-हिंद के वरिष्ठ आयोजक मौलाना गयूर अहमद कासमी, मौलाना मुहम्मद यासीन जाहज़ी, मरकज़ दावत इस्लाम के अधिकारी जमीयत उलमा-ए-हिंद और मौलाना मुहम्मद जाकिर कासमी शामिल थे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के आयोजन
प्रतिनिधिमंडल के मुखिया मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि वह भारत सरकार के संबंधित मंत्री के लगातार संपर्क में हैं और कई बार उनसे इस मामले पर चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उलमा-ए-हिंद पहले दिन से ही प्रभावित लोगों की हर संभव मदद कर रहा है। हम मौलाना महमूद मदनी साहब के नेतृत्व में शीर्ष अदालत में बुलडोजर के इस्तेमाल के खिलाफ याचिका दायर करने वाले थे।

रिहायशी इलाके में आग लगने से 8 की मौंत

रिहायशी इलाके में आग लगने से 8 की मौंत  

सुनील श्रीवास्तव
मनीला। फिलीपींस की राजधानी मनीला में सोमवार तड़के स्टेट यूनिवर्सिटी परिसर के एक रिहायशी इलाके में आग लगने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई।
स्थानीय डीजेडबीबी रेडियो ने फायर प्रोटेक्शन ब्यूरो के अधिकारियों के हवाले से बताया कि क्यूज़ोन सिटी उपनगर में फिलीपींस विश्वविद्यालय परिसर के अंदर स्थानीय समयानुसार सुबह करीब पांच बजे आग लगने पीड़ित घरों में फंस गए थे। एक घर में बच्चों समेत छह की मौत हुई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार आग में करीब 80 घर जल गए तथा 250 परिवार प्रभावित हुए है। आग से बचने के प्रयास में घरों से बाहर कूदने से कुछ निवासी घायल हुए हैं।

3 नए प्री-पेड रिचार्ज प्लान पेश कियें: वीआई

3 नए प्री-पेड रिचार्ज प्लान पेश कियें: वीआई 

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। वोडाफोन-आइडिया (वीआई) की तरफ से भारत में तीन नए प्री-पेड रिचार्ज प्लान पेश कियें गए हैं। यह प्लान 98 रुपये, 195 रुपये और 319 रुपये में आते हैं। इन तीनों प्लान में अलग-अलग डेटा की सुविधा दी जा रही है। Vi का 98 रुपये वाला प्लान 15 दिनों की वैधता के साथ आता है। जबकि Vi के बाकी दो 319 रुपये और 195 रुपये वाले रिचार्ज प्लान में 31 दिनों की वैधता दी जा रही है। साथ ही कई बंडल और Vi मूवी और टीवी सब्सक्रिप्शन दिया जा रहा है।
Vi का 319 रुपये वाले प्लान में Binge ऑल नाइट बेनेफिट्स दिए जा रहे हैं, जो यूजर्स को रात 12 बजे से सुबर 6 बजे के दौरान स्ट्रीम, डेटा यूज की इजाजत देता है। इसके अतिरिक्त Vi की तरफ से 29 रुपये और 39 रुपये में चुनिंदा शहरों के लिए 4G डेटा वॉउचर निकाला गया है। Vi की वेबसाइट के मुताबिक नया 98 रुपये वाला प्री-पेड प्लान 200MB डेटा के साथ अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग के साथ 15 दिनों की वैधता ऑफर की जाती है। लेकिन इस सस्ते प्लान में SMS की सुविधा नहीं मिलेगा।
Vi का नया 195 रुपये वाला प्री-पेड प्लान अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग, 300 SMS और कुल 2GB डेटा की सुविधा मिलेगी। Vi के नए 319 रुपये वाले प्री-पेड प्लान में यूजर्स को अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग की सुविधा मिलेगी। साथ ही डेली 100 SMS की सुविधा मिलेगी। इस प्लान में डेली 2GB डेटा ऑफर किया जा रहा है। इसके अलावा 195 रुपये और 319 रुपये वाले प्लान में 31 दिनों की वैधता ऑफर की जा रही है। Vi का नया 319 रुपये वाले प्लान में Binge ऑल नाइट प्लान दिया जा रहा है। इस प्लान में रात 12 बजे से सुबर 6 बजे तक अनलिमिटेड डेटा की सुविधा दी जा रही है। साथ ही इस प्लान में वीकेंड डेटा रोलओवर की सुविधा मिलेगी, जो यूजर्स को वीकली अनयूज्ड डेटा इस्तेमाल करने की छूट देता है। इस डेटा को शनिवार और रविवार के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए अलग से कोई चार्ज नहीं देना होता है।
इसके अतिरिक्त Vi की तरफ से 29 रुपये और 39 रुपये में दो 4G डेटा वाउचर जारी किए गए हैं। इन डेटा वाउचर में 2GB और 3GB डेटा दिया जा रहा है। 29 रुपये वाले प्लान की वैधता दो दिन है। जबकि 39 रुपये वाला प्लान 7 दिनों की वैधता के साथ आता है।

टीकाकरण: किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता

टीकाकरण: किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड टीकाकरण को लेकर सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि किसी को टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने टीकाकरण के दुष्प्रभाव का ब्योरा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया।
कुछ राज्य सरकारों व संगठनों द्वारा वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों पर सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश को लेकर लगाई गई शर्तें आनुपातिक नहीं हैं। मौजूदा परिस्थितियों में इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।शीर्ष कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को टीकाकरण के लिए विवश नहीं किया जा सकता। वह इस बात से भी संतुष्ट है कि मौजूदा टीकाकरण नीति को अनुचित व मनमानी भी नहीं कहा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार व्यापक जन हित में नीति बना सकती है और कुछ शर्तें थोप सकती है। केंद्र को कोविड-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभावों संबंधी डाटा को सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में कोविड टीकाकरण की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान यह टिप्पणी की गई।

विश्वास को राहत, गिरफ्तारी पर रोक लगाईं

विश्वास को राहत, गिरफ्तारी पर रोक लगाईं  

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत       
नई दिल्ली। कवि कुमार विश्वास को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह राहत उन्हें अंतरिम तौर पर दी गई है‌। केस खारिज करने की सुनवाई जारी रहेगी। गौरतलब है कि चुनावों से पहले कुमार विश्वास ने आप सुप्रीमो और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देकर केजरीवाल की पोल खोलने का दावा किया था और उनपर काफी संगीन आरोप लगाए थे। इस बयान को लेकर रोपड़ में आप के एक समर्थक द्वारा कुमार विश्वास के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी और उसी शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर एफआईआर की गई थी। जिसको रद्द किए जाने की याचिका कुमार विश्वास ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी।
पंजाब में रूपनगर के सदर थाने में 12 अप्रैल को विश्वास के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। विश्वास ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल पर अलगाववादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया था, पंजाब पुलिस 20 अप्रैल को गाजियाबाद स्थित विश्वास के घर पहुंची थी और उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया था, पुलिस ने बताया कि आप के एक समर्थक ने उन्हें दी शिकायत में कहा कि विश्वास ने अलगाववादी तत्वों के साथ संबंधों का आरोप लगाते हुए समाचार चैनलों और सोशल मीडिया मंच पर केजरीवाल के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए।


17 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम, पोषण

17 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम, पोषण
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। देश में 17 प्रतिशत बच्चों का वजन जन्म के समय सामान्य से कम होता है। यह देश के लिए चिंता का विषय है। सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स, कोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के शोधकर्ताओं द्वारा सैम ह्यूस्टन विश्वविद्यालय और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज द्वारा किए गए अध्ययन में  यह सामने आई है।
सैम हाउस्टन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संतोष कुमार ने बताया कि यह भारत के लिए चिंता का विषय है। इसका असर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। हमने अध्ययन में देखा कि प्राइमरी स्कूल में पढ़ने में कुशलता और एकाग्रता का असर वजन कम होना है। वजन कम होने से कॉग्नेटिव लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
इस शोध में वजन के असर का आकलन उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर भी किया गया। अध्ययन में जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में टेस्ट स्कोर में कम अंक मिले थे, जो दर्शाता है कि बच्चों में जन्म के समय शारीरिक विकास पूरी तरह न हो पाने का असर उनकी बौद्धिक क्षमता पर भी पड़ता है। जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके अनुसार जन्म के समय बच्चे के वजन में आई सिर्फ 10 फीसदी की वृद्धि, 5 से 8 वर्ष की आयु में उसके संज्ञानात्मक परीक्षण स्कोर में 0.11 अंक की वृद्धि कर सकती है।
खराब पोषण और डाइट है वजह
संतोष कुमार कहते हैं कि भारत में बच्चों के वजन कम होने की वजह गर्भधारण के समय खराब पोषण और डाइट का होना है। गर्भावस्था के दौरान पोषण बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आपके शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। बच्चे की ग्रोथ और विकास के लिए यह काफी अहम होता है। फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन का जोखिम काफी होता है। दुनिया भर में इसकी वजह से एक चौथाई बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। खराब पोषण की वजह से बच्चे समुचित वजह हासिल नहीं कर पाते हैं। वहीं कुछ मामलों में इसकी वजह से बच्चों का कागनेटिव विकास नहीं हो पाता है।
स्वस्थ खान-पान के लिए करें काउंसलिंग
सैम हाउस्टन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संतोष कुमार कहते हैं कि गांव स्तर के आंगनवाड़ी केंद्रों को गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त पोषण पहुंचाने के लिहाज से सशक्त किया जाए। उनके इस बात की सलाह दी जाए कि निकट के प्राइमरी केंद्र पर चार बार जांच के लिए जरूर जाएं क्योंकि शुरुआती स्तर पर पता लगने से उपचार संभव है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरियंटोलजी और रिप्रॉडक्टिव बायोलॉजी की सेक्रेटरी जनरल डॉ. मीना सामंत कहती है कि स्वस्थ खान-पान के लिए काउंसलिंग करें। बैलेंस्ड एनर्जी और प्रोटीन डाइटरी सप्लीमेंट्स लें। फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन पहले ट्राइमिस्टर में लें। आयरन और फोलिक एसिड दूसरी तिमाही में रोजाना लें।
कैल्शियम सप्लीमेंट्स दूसरी तिमाही में रोजाना लें। कैफीन का सेवन कम करें। पास्चुराइज दूध ही लें। बिना पका और कम पका खाना न लें। बिना पका मीट भी न लें। किसी भी फल-सब्जी को धोकर खाएं। खाना खाने से पहले हाथ धोएं। बागवानी करते समय दास्ताने पहने और हाथों को अच्छी तरह धोएं। प्रेग्नेंसी में अतिरिक्त ऊर्जा 350 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में पोषित स्नैक्स जरूरी है। कम वजन वाली प्रेग्नेंट महिलाएं एक अतिरिक्त स्नैक्स लें। अधिक वजन वाली महिलाएं पूरे दिन में छोटे-छोटे मील लें।
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