कारोबारियों के मुताबिक, कोविड महामारी के बाद 18 देशों से कॉटन यार्न और कपड़ों के पहले से ज्यादा ऑर्डर आ रहे हैं। यूरोप, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका इसमें शामिल है। भीलवाड़ा से इन देशों को करीब ढाई लाख टन कॉटन यार्न का निर्यात होता है, जो कि कुल उत्पादन का 65% है। दूसरी ओर, इस साल देश में कॉटन का उत्पादन 10% कम हुआ है।
कपड़े/यार्न फरवरी-20 फरवरी-21 फरवरी-22।
पॉलिस्टर विस्कॉस 45-90 55-100 115-150।
टेक्सचराज 45-90 55-100 70-110।
कॉटन 135-145 160-175 160-250।
डेनिम 180-240 210-270 210-280।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि इस साल देश में कुल उत्पादन 315 लाख गांठ रहेगा, जबकि उत्पादन 350 लाख गांठ का रहता है। एक गांठ में 170 किलो कॉटन होता है। इसके अलावा ब्राजील, चीन और अर्जेंटीना में भी कॉटन का उत्पादन घटा है। ऐसे में कॉटन 15-30% महंगा हो गया है और कॉटन के कपड़ों के दाम 25-30% बढ़ गए हैं।
जनवरी से अप्रैल के पहले पखवाड़े तक देश में कॉटन के भाव 30% तक बढ़ गए हैं। ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जीएम तरुण तत्संगी ने कहा, ‘कॉटन हमारे लक्ष्य 45,000 रुपए के करीब है। यह 48,000 रुपए तक जा सकता है।’