मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

'एमसीएलआर' में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी

'एमसीएलआर' में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। इस कदम से कर्ज लेने वालों के लिए ईएमआई में वृद्धि होगी। इसके साथ ही आने वाले दिनों में दूसरे बैंकों के द्वारा भी उधारी दर में संशोधन किए जाने की संभावना है।
एसबीआई के इस फैसले के बाद जिन लोगों ने एमसीएलआर पर कर्ज लिया है‌। उनकी ईएमआई बढ़ जाएगी। हालांकि, जिन लोगों ने अन्य मानकों के आधार पर ऋण लिया है। उनकी ईएमआई पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। एसबीआई की ईबीएलआर (वाह्य मानक आधारित उधारी दर) 6.65 प्रतिशत है, जबकि रेपो से जुड़ी उधारी दर (आरएलएलआर) 6.25 प्रतिशत है। ये दर एक अप्रैल से प्रभावी है।

राष्ट्रपति राजपक्षे ने नई कैबिनेट का चुनाव किया

राष्ट्रपति राजपक्षे ने नई कैबिनेट का चुनाव किया    

सुनील श्रीवास्तव       
कोलंबो। अगर जनता सत्ता से सवाल पूछना बंद कर देती है, तो उस सत्ता को निरंकुश होने में वक्त नहीं लगता है और श्रीलंका में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। श्रीलंका की जनता ने राजपक्षे परिवार पर आंख मुंदकर विश्वास किया है और राजपक्षे परिवार ने देश को कंगाल कर दिया, लेकिन जब जनता ने सरकार से जवाब मांगना शुरू किया, तो अब देश के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संविधान संशोधन कर विरोध करने का अधिकार भी छीनने की कोशिश करने वाले हैं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में एक बार फिर से अपनी नई कैबिनेट का चुनाव कर लिया है। इसी महीने की शुरूआत में आर्थिक बदहाली से जूझ रहे श्रीलंका में जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, तो देश की सरकार के सभी कैनिबेन सदस्यों ने अपने अपने पद थोड़ दिए थे, लेकिन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जमे हुए हैं। वहीं, मंगलवार को राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने 17 नए कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई है। हालांकि, इस बार जिस कैबिनेट का गठन किया गया है, उसमें राजपक्षे परिवार का कोई सदस्य नहीं है, जबकि, पिछली परिवार में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मिलाकर राजपक्षे परिवार के सात सदस्य सरकार में शामिल थे।
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा बदहाल हो चुकी है और पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से एक अप्रैल को पूरे श्रीलंका में आपातकाल का ऐलान कर दिया गया था। हालांकि, बाद में सरकार ने आपातकाल को हटा लिया। वहीं, 3 अप्रैल को पूरे श्रीलंकाई कैबिनेट ने बड़े पैमाने पर विरोध के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया और वो अपने पद पर अभी भी बने हुए हैं। 1948 में देश को आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका सबसे खराब माने जाने वाले आर्थिक संकट की चपेट में है। ऊर्जा की कमी के कारण, श्रीलंका के कुछ हिस्सों में ब्लैकआउट चल रहा है। श्रीलंका का विदेशी कर्ज 51 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संविधान में संशोधन के लिए कैबिनेट के सामने अपना प्रस्ताव रखेंगे। माना जा रहा है, कि इस प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को कुचलना चाहते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री का कहना है, कि उन्होंने ये फैसला लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेह तय करने बात को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है। सिन्हुआ ने प्रधानमंत्री की मीडिया इकाई के हवाले से बताया कि, प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में बदलाव किया जाएगा। श्रीलंका में इस वक्त जो प्रदर्शन किए जा रहे हैं, उसमें एक डिमांड यह भी है, कि संविधानिक संशोधन के जरिए कार्यपालिका की शक्ति को कम किया जाए।
वहीं, श्रीलंका में आर्थिक स्थिति के जल्द सुधरने के कोई संकेत भी नहीं दिखाई दे रहे हैं, लिहाजा अब सरकार के खिलाफ गुस्सा काफी ज्यादा बढ़ गया है और डर इस बात को लेकर है, कि कहीं देश में गृहयुद्ध ना शुरू हो जाए। प्रदर्शनकारियों और देश के राष्ट्रपति के बीच आरपार की लड़ाई शुरू हो गई है और राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जबकि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से तत्काल इस्तीफे की मांग की है।
वहीं, श्रीलंकाई नागरिकों ने राष्ट्रपति भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सभी प्रदर्शनकारियों को चरमपंथी घोषित कर दिया है और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें एक विश्वविद्यालय के प्रमुख भी हैं। छात्र, किसान और न्यायपालिका के सदस्य सभी राजपक्षे और उनके परिवार के विरोध में शामिल हुए और “अब और राजपक्षे नहीं” के नारे लगाए। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ गुस्से की बाढ़ को देखकर सरकार ने इंटरनेट को ही बंद कर दिया है, जिससे प्रदर्शनकारियों में गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
वहीींं, रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोगों के विरोध प्रदर्शन की डर से राजपक्षे परिवार के कई सदस्य और फाइनेंसर श्रीलंका छोड़कर फरार हो चुके हैं। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, राष्ट्रपति इस्तीफा दें और तत्काल देश में चुनाव करवाएं जाएं और अगर ऐसा नहीं किया गया, तो देश में अराजकता की स्थिति आएगी। वहीं, देश में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए ज्यादातर सांसद सरकार में शामिल नहीं होना चाह रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री संविधान में संशोधन कर लोगों से प्रदर्शन करने का अधिकार ही छीनने की कोशिश करने वाले हैं और अगर प्रधानमंत्री ऐसा करते हैं, तो फिर श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ना तय माना जा रहा है।

संक्रमण के मामलों में वृद्धि, चौथी लहर का संकेत नहीं

संक्रमण के मामलों में वृद्धि, चौथी लहर का संकेत नहीं  

अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने कहा है कि दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बीच अस्पतालों में भर्ती होने संबंधी व्यवस्था पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जो पहले जैसी ही है या फिर इसमें मामूली बदलाव हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि अभी देश में महामारी की चौथी लहर का संकेत नहीं है।
विशेषज्ञों ने कहा कि राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि का कारण कोविड रोधी प्रतिबंध हटाए जाने, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि तथा स्कूलों के फिर से खुलने जैसी चीजें हो सकती हैं। चिकित्सक एवं महामारी विज्ञानी चंद्रकांत लहरिया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कोविड-19 रोधी सभी प्रतिबंधों को हटाए हुए दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है।
यह छुट्टी का समय है और लोग आपस में घुल-मिल रहे हैं। यह सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक गतिविधियों में भी परिलक्षित होता है जो महामारी से पहले के समय से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि केवल मामलों की गिनती का कोई मतलब नहीं है । हालांकि दिल्ली में मामले बढ़ रहे हैं, अस्पताल में भर्ती होने संबंधी व्यवस्था अपरिवर्तित है या मामूली रूप से बदली है।
लहरिया ने कहा कि महामारी विज्ञान और वैज्ञानिक साक्ष्यों को देखते हुए दिल्ली में मामलों में मौजूदा वृद्धि चौथी लहर की शुरुआत नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्स कोव-2 लंबे समय तक हमारे साथ रहने वाला है और इसलिए ऐसा कोई समय नहीं आने वाला है जब नए मामले शून्य होंगे।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में संक्रमण दर सोमवार को 501 नए मामलों के साथ बढ़कर 7.72 प्रतिशत हो गई। अधिकारियों ने कहा कि पिछली बार शहर में संक्रमण दर सात प्रतिशत से अधिक 29 जनवरी (7.4 प्रतिशत) और 28 जनवरी (8.6 प्रतिशत) को थी।
यह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को दर्ज की गई भारत की समग्र संक्रमण दर 0.31 प्रतिशत के ठीक विपरीत है जब कोरोना वायरस संक्रमण के 1,247 नए मामले सामने आए। अमेरिका की संक्रामक रोग विशेषज्ञ अमिता गुप्ता ने कहा कि दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में मामलों में वृद्धि प्रतिबंधों में ढील, महामारी रोधी नियमों का पालन करते-करते हुई ऊब तथा वायरस की उच्च संचरण क्षमता का परिणाम हो सकती है।
जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोग विभाग की प्रमुख और मेडिसिन की प्रोफेसर गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि इससे अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता वाले गंभीर मामलों में बड़ी वृद्धि नहीं होगी।’’ उन्होंने कहा, “इससे वास्तव में मदद मिली है कि भारत ने अपनी आबादी का टीकाकरण करने में एक अविश्वसनीय काम किया है और अब इसे जारी रखना तथा योग्य लोगों को बूस्टर खुराक देना महत्वपूर्ण है।
महामारी की शुरुआत से ही भारत में कोविड-19 के मामलों में उतार-चढ़ाव पर नजर रख रहे मनिंद्र अग्रवाल ने इस बात से सहमति व्यक्त की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के प्रोफेसर अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि, एहतियात बरतने में कमी और मास्क पहनने की अनिवार्यता को खत्म करना कोविड के मामलों में वृद्धि के संभावित कारण हैं।
अग्रवाल ने कहा, “अभी चौथी लहर का भी कोई संकेत नहीं है। इसके लिए कोई नया उत्परिवर्तित स्वरूप चाहिए।” महामारी विज्ञानी रामनन लक्ष्मीनारायण ने कहा कि जैसा कि परीक्षण दर में गिरावट आई है, इसलिए यह ज्ञात नहीं है कि बताए जा रहे मामले स्थिति का सही संकेत हैं या नहीं।
वाशिंगटन और नयी दिल्ली में सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक लक्ष्मीनारायण ने कहा परीक्षण दर कम हो गई है और हम संभावित रूप से मामलों का पता करने से चूक रहे हैं लेकिन जहां हम महामारी की स्थिति में हैं, वहां मामलों की संख्या के बजाय मैं अस्पताल में भर्ती होने संबंधी व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करूंगा।
लहरिया ने कहा कि दुनिया में अभी भी महामारी खत्म नहीं हुई है और यह अनुमान लगाना कठिन है कि नए स्वरूप कब सामने आएंगे तथा उनकी संक्रामकता इत्यादि कैसी होगी। उन्होंने कहा, “हमें देश में मौजूदा निगरानी नेटवर्क के माध्यम से कोविड के मामलों का जल्द पता लगाने के लिए कड़ी निगरानी जारी रखनी चाहिए और मामले बढ़ने पर मास्क पहनने, भौतिक दूरी के नियम को फिर से शुरू करने के लिए सिफारिश करने के वास्ते तैयार रहना चाहिए।
अग्रवाल ने कहा कि मास्क पहनने के निर्देश को वापस लाना एक अच्छा कदम होगा, लेकिन अभी डेटा यह अनुमान जताने के लिए अपर्याप्त है कि भविष्य में देश में कोविड-19 महामारी के मामलों की स्थिति क्या होगी।

इंडस्ट्री में एंट्री के लिए तैयार, एक्ट्रेस श्वेता की बेटी

इंडस्ट्री में एंट्री के लिए तैयार, एक्ट्रेस श्वेता की बेटी 

कविता गर्ग              
मुंबई। टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी के बाद अब उनकी बेटी पलक तिवारी इंडस्ट्री में एंट्री करने के लिए तैयार हैं। पलक का म्यूजिक वीडियो बिजली बिजली रिलीज हुआ, था, उसके बाद से वह हर जगह छाई हुई हैं।
अब उनका नया म्यूजिक वीडियो आदित्य सील के आने वाला है। 
पलक तिवारी की फोटोज आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। हाल ही में पलक ने अपनी बोल्ड फोटो शेयर की है।

अपनी उपासना पद्धति को मानने की पूरी 'स्वतंत्रता'

अपनी उपासना पद्धति को मानने की पूरी 'स्वतंत्रता'   

संदीप मिश्र              
लखनऊ। राजधानी दिल्ली के जहांगीर पूरी इलाके में हुई हिंसा की घटना के बाद उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी करते हुए योगी सरकार ने बिना अनुमति के धार्मिक जुलूस अथवा शोभायात्रा के साथ ही माईक की आवाज को उसके परिसर के भीतर तक ही रखने का आदेश जारी कर दिया है। इतना ही नहीं सीएम की ओर से जारी किए गए आदेशों में कहा गया है कि नए स्थलों पर माइक लगाने की कतई अनुमति नहीं दी जाए। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से कहा गया है कि अपनी धार्मिक विचारधारा के अनुसार सभी को अपनी उपासना पद्धति को मानने की पूरी स्वतंत्रता है। माइक का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि माइक की आवाज संबंधित धार्मिक परिसर से बाहर नहीं आनी चाहिए ताकि अन्य लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी अथवा असुविधा नहीं हो। 
मुख्यमंत्री ने अपने आदेशों में कहा है कि नए स्थलों पर माइक लगाने की अनुमति अब कतई नहीं दी जाए। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व एवं त्योहार नागरिकों द्वारा मनाए जाएंगे। मौजूदा समय में रमजान का महीना चल रहा है और अगले दिनों में ईद का त्योहार तथा अक्षय तृतीया का पर्व एक ही दिन होना संभावित है। ऐसे हालातों में वर्तमान परिवेश को देखते हुए पुलिस को अतिरिक्त संवेदनशील बनकर रहना होगा। थाना अध्यक्ष से लेकर पुलिस के एडीजी तक अगले 24 घंटों के भीतर अपने अपने क्षेत्र के धर्मगुरुओं तथा समाज के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ सतत संवाद अवश्य बनाएं।

3 आईएएस अफसरों को पीएम अवार्ड के लिए चुना

3 आईएएस अफसरों को पीएम अवार्ड के लिए चुना     

संदीप मिश्र           
लखनऊ। शासन की ओर से नया प्रयोग करने वाले 3 आईएएस अफसरों को प्रधानमंत्री अवार्ड के लिए चुना गया है। चयनित किए गए तीनों ही अफसर अब प्रधानमंत्री पुरस्कार-2019 से सम्मानित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 21 अप्रैल को चयनित किए गए तीनों आईएएस अफसरों को सम्मानित करेंगे। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के 3 आईएएस अफसरों को प्रधानमंत्री अवार्ड-2019 के लिए चयनित किया गया है। आईएएस अफसर अनिल ढींगरा को प्रधानमंत्री अवार्ड दिया जाएगा। मेरठ का डीएम रहते आईएएस अफसर अनिल ढींगरा ने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया और एमएसएमई सेक्टर में देश में उन्होंने सर्वाेच्च प्रदर्शन किया। 
इनके अलावा सिद्धार्थनगर के डीएम आईएएस दीपक मीणा भी प्रधानमंत्री अवार्ड से सम्मानित किए जाएंगे। मथुरा के जिला अधिकारी नवनीत सिंह चहल को भी काला नमक की खेती को बढ़ावा देने के पुरस्कार के तौर पर प्रधानमंत्री अवार्ड से नवाजा जाएगा। आगामी 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इन तीनों ही आईएएस अफसरों अपने हाथों से प्रधानमंत्री अवार्ड-2019 से सम्मानित करेंगे। आईएएस अफसरों से प्रधानमंत्री पुरस्कार 2019 के लिए पिछले दिनों ब्यौरा मांगा गया था। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव प्रशासनिक सुधार एसएन शुक्ला की ओर से सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव तथा डीएम को ब्यौरा देने के निर्देश दिए गए थे। 
अपर मुख्य सचिव प्रशासनिक सुधार ने इस संबंध में अपने निर्देशों में कहा था कि नए प्रयोगों के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए केंद्र सरकार द्वारा आयोजित सिविल सर्विस डे-2019 को प्रधानमंत्री पुरस्कार दिया जाना है। प्रधानमंत्री पुरस्कार 2019 को लेकर खास बात यह है कि इस वर्ष विभागों एवं जनपदों द्वारा पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, जल संरक्षण, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग में किए गए नए प्रयोगों में से बेस्ट प्रयोग के लिए यह प्रधानमंत्री पुरस्कार किए जा रहे हैं।

राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग, ज्ञापन

राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग, ज्ञापन   

संदीप मिश्र           
लखनऊ। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज कर देश भर में रामनवमी का जुलूस निकालने के बहाने मुस्लिम समुदाय के इबादतगाहों पर हमला करने वाले संघी गुंडों के खिलाफ़ कार्यवाही करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग की है। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में बताया कि विभिन्न ज़िला इकाइयों ने ज़िला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा और मस्जिदों और मज़ारों पर भगवा झण्डा फहराने और पथराव करने वाले संघ परिवार और भाजपा से जुड़े गुंडों के खिलाफ़ सख़्त क़ानूनी कार्यवाई करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग की क्योंकि भाजपा शासित राज्य सरकारें और यहाँ तक की दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार भी क़ानून सम्मत कार्य नहीं कर रही है। 
वो पीड़ित मुस्लिमों के ही घर तुड़वा रही हैं, उन्हें गिरफ्तार कर प्रताड़ित कर रही हैं और संघ से जुड़े गुंडों के खिलाफ़ कार्यवाई न कर उन्हें आगे भी ऐसी हिंसा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि राष्ट्रपति महोदय अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी को समझते हुए राज्य सरकारों को दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाई करने के लिए निर्देशित करें। 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अराजकता का यह देशव्यापी माहौल एक सुनियोजित साज़िश के तहत बनाया जा रहा है जिसका मकसद मुसलमानों के लिए एक स्थाई भय का माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यचकित करने वाला है कि ऐसी घटनाओं पर न तो अदालतें ही स्वतः संज्ञान ले रही हैं और ना तो राष्ट्रपति ही कुछ बोल रहे हैं। हत्या करने की खुलेआम धमकी देने वाले भाजपा के गुंडों के खिलाफ़ अदालतें यह कह कर कार्यवाई करने से मना कर दे रही हैं कि हत्या की धमकी हँसते हुए दी गयी थी इसलिए ऐसा करना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले सुनाने वाले जजों के कारण संघ और भाजपा से जुड़े गुंडों का हौसला बढ़ रहा है और वो मुसलमानों के ऊपर और हमले करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के एक हिस्से द्वारा अपराधियों का मनोबल बढ़ाने का ऐसा उदाहरण शायद ही किसी देश में देखने को मिलता हो। 
शाहनवाज़ आलम ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय को याद दिलाया गया है कि देश के बिगड़ते आंतरिक स्थितियों पर पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों के सार्थक हस्तक्षेप की समृद्ध परंपरा रही है और उन्हें भी इस गौरवमयी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि मोदी सरकार चाहती है कि संवैधानिक संस्थाओं का इस हद तक मुसलमानों के खिलाफ़ इस्तेमाल किया जाए कि मुसलमान वहाँ जाने को व्यर्थ समझने लगें और इन संस्थाओं की जवाबदेही अपने आप खत्म हो जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना सरकार के ट्रैप में फंसने जैसा होगा। इसलिए न्यायपालिका, राष्ट्रपति, कार्यपालिका, पुलिस हर संवैधानिक संस्थान पर कानून सम्मत काम करने के लिए दबाव डालते रहना लोकतंत्र को बचाने के लिए ज़रूरी है।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...