गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

पीएम मोदी द्वारा किया गया 'संग्रहालय' का उद्घाटन

पीएम मोदी द्वारा किया गया 'संग्रहालय' का उद्घाटन 

अकांशु उपाध्याय          

नई दिल्ली। देश के अब तक के प्रधानमंत्रियों के 'जीवन दर्शन' के संग्रहालय का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। यह संग्रहालय दिल्ली के नेहरू स्मारक म्यूज़ियम में तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संग्रहालय का पहला टिकट ख़रीदा गया। इस संग्रहालय में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन दर्शन को विस्तार से संग्रहित किया गया है।

इस संग्रहालय की लागत करीब 271 करोड़ रुपये आई है। इसे 2018 में मंजूरी मिली थी और चार साल के भीतर ये बनकर तैयार हो गया। ये संग्रहालय नेहरू म्यूजियम में करीब 10 हजार वर्ग मीटर की जमीन पर बना है। भारत के संविधान को भी प्रधानमंत्री संग्रहालय में जगह दी गई है।संग्रहालय के लिए सूचना प्रसार भारती, दूरदर्शन, फिल्म प्रभाग, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय, मीडिया घरानों (भारतीय और विदेशी) और विदेशी समाचार एजेंसियों जैसे संस्थानों के साथ संसाधनों और रिपॉजिटरी के माध्यम से एकत्र की गई थी। यहां कुल 43 गैलरी हैं। इसमें स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के निर्माण पर प्रदर्शन से शुरू होकर, संग्रहालय यह बताता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों के माध्यम से देश को नेविगेट किया और देश की सर्वांगीण प्रगति सुनिश्चित की।

पीएमओ ने किया ट्वीट: पीएमओ ने ट्वीट कर कहा- “देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष सृजन को जानेंगे”।

6 एयरबैग की अनिवार्यता, महंगी होंगी पैसेंजर कार

6 एयरबैग की अनिवार्यता, महंगी होंगी पैसेंजर कार     

अकांशु उपाध्याय              

नई दिल्ली। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि पैसेंजर कारों में 6 एयरबैग की अनिवार्यता उन्हें और ज्यादा महंगा बना देगी। इससे वाहन निर्माताओं की बिक्री पर असर होगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से उन कंपनियों पर और दबाव पड़ेगा जो पहले से ही कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत से वाहन की कीमतों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। केंद्र सरकार ने जनवरी में एक प्रस्ताव जारी किया था। जिसमें 1 अक्टूबर से निर्मित सभी यात्री कारों में छह एयर बैग अनिवार्य कर दिए थे। सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम सड़क सुरक्षा बढ़ाने की उपायों में से एक है। फिलहाल इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

महामारी के कारण छोटी कारों की बिक्री में पहले से ही काफी गिरावट चल रही है। 6 एयरबैग का नियम आने से उनकी लागत में बढ़ोतरी होगी, इससे उनकी बिक्री को और नुकसान होगा। इसका सबसे बड़ा असर छोटी कार बाजार पर होगा। ग्राहक अधिक महंगी कारों का खर्च नहीं उठा सकते।

इतनी महंगी हो जाएगी कारें...

देश में बनने वाली सभी कारों में ड्राइवर और फ्रंट पैसेंजर एयरबैग देना पहले से ही अनिवार्य है। ऑटो मार्केट डेटा प्रदाता JATO डायनेमिक्स के अनुसार, चार और एयरबैग के जुड़ने से लागत में 17,600 रुपये की वृद्धि होगी। जाटो इंडिया के अध्यक्ष रवि भाटिया ने कहा कि कुछ मामलों में लागत और भी अधिक हो सकती है, क्योंकि कंपनियों को कार की संरचना में इंजीनियरिंग में बदलाव करने की आवश्यकता होगी।

मेघालय के राज्यपाल ने सरकार पर साधा निशाना

मेघालय के राज्यपाल ने सरकार पर साधा निशाना 

इकबाल अंसारी      

शिलोंग। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए करोड़ो की रिश्वत ऑफर पर जब सीबीआई  पूछेगी तो मैं उनका नाम बता  दूंगा।   मलिक ने कहा कि जब मैंने यह बात पीएम नरेंद्र मोदी को बताई तो उन्होंने मेरा समर्थन  किया। पीएम ने कहा कि भ्रष्ट्राचार से कोई समझौता नहीं करेंगे। सत्यपाल मलिक ने हनुमानगढ़ जिले के संगरिया में एक कार्यक्रम में यह बात कही। मलिक ने कहा कि यूपी में भाजपा को बसपा की वजह से जीत मिली है। बसपा ने परदे के पीछे समर्थन दिया। इसकी वजह से भाजपा को जीत मिली। 

मलिक बोले- गेहूं क्या पीएम मोदी का है ?

मलिक ने किसानों के मामले पर केंद्र सरकार पर फिर से निशाना साधा। मलिक ने कहा कि पीएम मोदी गेहूं निर्यात की बात करते हैं। गेहूं क्या पीएम मोदी का है। मलिक ने  अडाणी- अंबानी को मोदी का दोस्त बताया। मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन फिर से होगा। बड़े स्तर पर होगा। एमएसपी किसानों की लाइफलाइन है। सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। उल्लेखनीय है कि हाल में पीएम मोदी ने गेहूं निर्यात करने की बात कही थी। 

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल व मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि जब वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे तब उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी। यह पेशकश 'अंबानी' और 'आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति' की दो फाइलों को मंजूरी देने के एवज में दी जाना थी, लेकिन उन्होंने यह डील निरस्त कर दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वह भ्रष्टाचार से कोई समझौता ना करें।

हत्या के झूठे मुक़दमे से बरी होने में 16 साल लगें

हत्या के झूठे मुक़दमे से बरी होने में 16 साल लगें  


भानु प्रताप उपाध्याय               

मुजफ्फनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर में 70 साल के एक बुजुर्ग को ट्रक ड्राईवर की हत्या के एक झूठे मुक़दमे से बरी होने में 16 साल लग गए। इस दौरान इस बुजुर्ग ट्रक ड्राईवर को तक़रीबन डेढ़ साल तक जेल में भी रहना पड़ा, जिसके चलते जहां इनकी पत्नी को पैरालाइज हो गया तो वहीं इनके इकलौते बेटे की नौकरी भी छूट गई।

दरअसल, 19 जनवरी 2006 को मुज़फ्फरनगर जनपद की इंद्रा कॉलोनी निवासी शरमानंद शर्मा ने थाना सिविल लाइन को सूचना दी थी कि उनके ट्रक का ड्राइवर राकेश ट्रक में मृत पड़ा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल करते हुए राकेश की मौत को एक्सीडेंटल मानते हुए अपनी आगे की कार्यवाही शुरू कर दी थी। हालांकि, बाद में मृतक राकेश के भाई विनोद ने ट्रक मालिक शरमानंद शर्मा और उनके बेटे अमित पर पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया था।

पुलिस ने फिर मामले की जांच के दौरान इसमें शरमानंद के दूसरे ड्राइवर भोपाल शर्मा को भी आरोपी बना दिया था। भोपाल शर्मा को ट्रक की जमानत कराने के लिए ट्रक मालिक शरमानंद शर्मा सामने लाया था। वहीं जांच के दौरान पुलिस द्वारा 2009 में मुकदमे को हत्या की धाराओं में तब्दील कर दिया गया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी शरमानंद शर्मा की मौत हो गई थी, जिसके चलते तारीख पर न जाने से दूसरे आरोपी भोपाल सिंह के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लू) जारी कर दिए गए थे।

काफी दिनों तक कोर्ट में पेश न होने पर पुलिस ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था, जिसके बाद पुलिस ने 24 जनवरी, 2021 को भोपाल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया‌। तक़रीबन डेढ़ साल तक जेल में रहने के बाद एडीजे-10 कमलावती की कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई, जिसमें गवाह के पक्षद्रोही होने पर साक्ष्य के आभाव में भोपाल शर्मा को 8 अप्रैल 2022 को बरी कर दिया था।

मानवता को सत्य-अपरिग्रह की शिक्षा दीं: राष्ट्रपति

मानवता को सत्य-अपरिग्रह की शिक्षा दीं: राष्ट्रपति   

अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को महावीर जयंती के अवसर पर देशावासियों को शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई, कि लोग उनके सिद्धांतों पर चलते हुए वैश्विक शांति तथा पारस्परिक सद्भाव के लिए कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रपति कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘ सभी देशवासियों, विशेषकर जैन समुदाय के लोगों को महावीर जयंती की शुभकामनाएं। भगवान महावीर अहिंसा की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।

उन्होंने मानवता को सत्य और अपरिग्रह की शिक्षा दी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी कामना है कि उनके सिद्धांतों पर चलते हुए, हम वैश्विक शांति तथा पारस्परिक सद्भाव के लिए कार्य करें।’’

महावीर जयंती 24वें और अंतिम जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस के अवसर पर मनाई जाती है।

राष्ट्रपति ने वैशाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब बर्ष, वैशाखड़ी और पुतान् दु पिरापु पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा, ‘‘ देश के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन् न तौर-तरीकों से मनाए जाने वाले ये त् योहार हमारी विविधता और बहुलता को दर्शाते हैं। मेरी मंगल कामना है कि ये पर्व सभी के जीवन में खुशहाली लाएं।

नेताओं ने अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया

नेताओं ने अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया   

दुष्यंत टीकम          
रायपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर की बृहस्पतिवार को 131वीं जयंती है। इस अवसर पर बीजेपी के नेताओं ने राजधानी रायपुर के अंबेडकर चौक पर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
इस दौरान भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह और सांसद सुनील सोनी भी मौजूद रहे। पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा कि डॉ. अंबेडकर सामाजिक समरसता के अग्रदूत रहे हैं। जिन्होंने न केवल भारत के संविधान की स्थापना की, बल्कि ऐसा मार्ग बताया जो भारत की संस्कृति और संस्कार से जुड़ा हुआ है। बाबा साहेब भारत के विभाजन के घोर विरोधी थे। उन्होंने 370 जैसी अनुपयोगी धारा को नहीं लगाने का विरोध किया था, उनके बनाए हुए संविधान के भरोसे भारत की एकता और अखंडता की मजबूत हुई है। उनकी सोच काफी मजबूत थी। उन्होंने इस देश के लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम किया।
इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर बाबा साहेब को नमन किया। उन्होंने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर समतामूलक समाज के प्रणेता और आधुनिक भारत के स्वप्नदृष्टा थे, उन्होंने वंचितों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने समानता और सामाजिक समरसता की देश को दिशा दिखाई है। 

कार्बन एमिशन की तीव्रता, वैश्विक स्तर पर कार्य

कार्बन एमिशन की तीव्रता, वैश्विक स्तर पर कार्य   

सरस्वती उपाध्याय       
पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप, भारत 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्बन एमिशन की तीव्रता को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर लगातार काम कर रहा है।  
भारत में बिजली उत्पादन के स्त्रोतों पर नज़र डालें तो यह क्षेत्र वैसे तो दुनिया भर का सबसे विविध बिजली उत्पादन क्षेत्रों में से एक है‌। लेकिन भारत में कोयले द्वारा तापीय विद्युत उत्पादन कुल उत्पादन क्षमता का लगभग 62% है। ऐसे में पारंपरिक बिजली से स्वच्छ ईंधन-आधारित ऊर्जा उत्पादन में ट्रांज़िशन के लिए, एक समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से, कोयला खदान श्रमिकों के हितों की रक्षा करना बेहद ज़रूरी है। एनेर्जी ट्रांज़िशन के नाम पर उन लोगों और उनसे जुड़े परिवारों को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जिनका जीवन और एक लिहाज से अस्तित्व कोयला खदानों से जुड़ा है।  
उनकी आर्थिक मजबूरीयों को दूर करने के लिए एक कौशल विकास कार्य योजना तैयार करनी होगी। साथ ही, उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए, उनको किसी नए रोजगार के लिए प्रशिक्षित करने का मजबूत ढांचा भी तैयार करना होगा। 
रिपोर्ट के लॉन्च पर बोलते हुए, ईवाई में पार्टनर और लीडर (पावर एंड यूटिलिटीज) जीपीएस, सोमेश कुमार ने कहा, “पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं को देखते हुए, देश अब कोयला आधारित ऊर्जा से रीन्यूब्ल एनेर्जी में ट्रांज़िशन के लिए कमर कस रहा है। फ़िलहाल भारत में जस्ट ट्रांज़िशन या न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन एक उभरता हुआ विषय है, लेकिन अब वक़्त है इसके रणनीतिबद्ध तरीके से सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का। ऐसा इसलिए ज़रूरी है क्यों की कोयला आधारित बिजली उत्पादन की पूरी मूल्य शृंखला में अनगिनत परिवार जुड़े हैं। और इस ट्रांज़िशन के न्यायसंगत होने के लिए उन परिवारों के हितों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। यह जरूरी है कि कोयला श्रमिकों को कोयला क्षेत्र से बाहर निकलने में मदद दी जाए और उन्हें दूसरे वैकल्पिक रोजगारों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान किया जाए।” 
आगे, जीपीएस के पार्टनर और लीडर (सोशल एंड स्किल्स सेक्टर) अमित वात्स्यायन कहते हैं, “कोयला खदान श्रमिकों के कौशल और उद्यमिता विकास पर ही जस्ट ट्रांज़िशन की सफलता और प्रासंगिकता टिकी हुई है। ऐसा करना कोयले पर निर्भर क्षेत्रों के आर्थिक विविधीकरण को सुनिश्चित करेगा और इन क्षेत्रों में निवेश को भी आकर्षित करेगा। यह रिपोर्ट एक ऐसे ट्रांज़िशन ढांचे के विकास पर केंद्रित है जिसका उपयोग जिलों या राज्यों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि न सिर्फ़ प्रभावित कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका में व्यवधान कम से कम हो, उन्हें पर्याप्त अवसर भी प्रदान किए जाएं। इस ट्रांज़िशन को जस्ट या न्यायसंगत तब ही कहा जा सकता है जब सबसे गरीब और सबसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के हितों की रक्षा की जाती है।” 
एक न्यायपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देते हुए , विपुल तुली, अध्यक्ष, फिक्की पावर कमेटी और सीईओ-दक्षिण एशिया, सेम्बकॉर्प इंडस्ट्रीज ने कहा, "कोयले से दूर होने से देश पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। यह पूरी कार्य योजना, इसकी लागत, पुनर्नियोजन और इससे जुड़े तमाम पक्ष राष्ट्रीय और बहुपक्षीय स्तर पर महत्व रखता है। "  

रिपोर्ट की मुख्य बातें...

जैसे-जैसे ऊर्जा क्षेत्र में थर्मल से नवीकरणीय स्रोत की ओर झुकाव बढ़ेगा, ऊर्जा की मांग भी बढ़ेगी जिससे कोयले पर निर्भरता भी आने वाले वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए, भारत के सामने एक दोहरी चुनौती है - अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और थर्मल क्षेत्र से जुड़े कार्यबल का सही प्रबंधन करना। भारत में लगभग 50% खदानें अत्यधिक लाभहीन हैं और जल्द ही बंद हो सकती हैं जिससे उन खदानों में श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। 
कार्यबल पर बदलाव का प्रभाव 
कोयला खदानों से 7.25 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होते हैं। पुराने कोयला संयंत्रों के बंद होने और खदानों के बंद होने से पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में हजारों कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका में व्यवधान का खतरा है। उनमें से ज्यादातर ब्लू-कॉलर कार्यकर्ता हैं। जिन्हें समय के नए कौशल के साथ कुशल बनाने की आवश्यकता है। प्रत्यक्ष श्रमिकों के अलावा, खनन जिलों की पूरी अर्थव्यवस्था कोयले से संबंधित गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती है, और समुदायों ने पीढ़ियों से इस पर भरोसा किया है। 
'जस्ट ट्रांजिशन' की अवधारणा 
'जस्ट ट्रांजिशन' कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका के संभावित नुकसान के कारण आर्थिक कमजोरियों को संबोधित करता है। वैकल्पिक उद्योगों में खनिकों के पुन: एकीकरण के लिए आर्थिक विविधीकरण और आजीविका को बढ़ावा देने की सुविधा पर जोर देना महत्वपूर्ण है। विभिन्न रीस्किलिंग कार्यक्रम प्रभावित खनिकों को कोयला खनन उद्योग से बाहर निकलने के लिए नए कौशल और संसाधन हासिल करने में सक्षम बनाएंगे। उद्यमिता विकास और एमएसएमई को बढ़ावा देना कोयला पर निर्भर उद्योग कस्बों की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने में प्रमुख कारक होंगे। 
राज्य कौशल कार्य योजना 
रिपोर्ट में कौशल कार्य योजनाओं की रूपरेखा दी गई है। जो परिवर्तनशील खनिकों के लिए उद्योग-प्रासंगिक कौशल और आजीविका संवर्धन हस्तक्षेपों को डिजाइन करने में मदद करने के लिए कार्यों के खाके/ढांचे के रूप में कार्य करेगी। ये योजनाएं राज्यों को श्रमिकों की संक्रमण संबंधी जरूरतों को पूरा करने की रणनीति के साथ नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएंगी। कौशल कार्य योजना के घटकों में निम्नलिखित शामिल हैं‌, 
संभावित नौकरी के नुकसान का अनुमान लगाते हुए भौगोलिक समूहों की पहचान...
लक्षित जनसंख्या का आकलन - खनिक।
प्रमुख उद्योग चालकों और अनिवार्यताओं की पहचान 
चल रहे कौशल वृद्धि और आजीविका सहायता कार्यक्रमों में तालमेल बनाना।
वित्त पोषण और कार्यक्रम वितरण सहायता के लिए सहयोग और संस्थागत सुदृढ़ीकरण।
अभिसरण कार्यक्रम वितरण को साकार करने के लिए पदाधिकारियों की क्षमता निर्माण 
खनिकों को कार्यक्रमों के लाभों का आकलन करने के लिए निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन।
ज्ञान प्रबंधन-रेडी रेकनर्स, वैश्विक और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं आदि का भंडार।

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...