एमएलसी: सपा-बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला
संदीप मिश्र
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय की 27 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मतगणना मंगलवार को चल रही है। सूबे की 27 सीटों पर 95 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से ज्यादातर सीटों पर सपा और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है। कुछ सीटों पर बाहुबली नेताओं की साख दांव पर है। सभी की निगाहें कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) और माफिया बृजेश सिंह पर भी हैं। राजा भैया की साख एमएलसी चुनाव में प्रतापगढ़ में दांव पर लगीं है, जहां उनके करीबी व रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह चुनाव में जनसत्ता पार्टी से उम्मीदवार हैं। वहीं, माफिया व एमएलसी बृजेश सिंह की प्रतिष्ठा वाराणसी में दांव पर है, जहां से उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी और सपा के उम्मीदवार भी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन जिसका भी मुकाबला होना है वो इन्हीं दोनों प्रत्याशियों से है।
प्रतापगढ़ की स्थानीय निकाय विधान परिषद सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना रहा है। बीजेपी से पूर्व विधायक हरिप्रताप सिंह मैदान में हैं तो सपा से विजय बहादुर यादव और अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल भैया ने जनसत्ता पार्टी से ताल ठोक रखी है। अक्षय प्रताप बाहुबली नेता व कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के रिश्तेदार हैं। राजा भैया ने इस सीट पर अक्षय प्रताप को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे बीजेपी के लिए प्रतापगढ़ सीट पर अपने एमएलसी को बनाने की चुनौती खड़ी हो गई है। राजा भैया के समर्थन से अक्षय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ सीट से लगातार पांच बार से एमएलसी बनते आ रहे हैं। तीन बार से वो सपा के टिकट पर एमएलसी बन रहे हैं और 2016 में निर्विरोध चुने गए थे। 2018 में राजा भैया के अखिलेश यादव के साथ रिश्ते बिगड़ने के बाद अक्षय प्रताप सिंह सपा छोड़कर जनसत्ता पार्टी में शामिल हो गए थे और अब एमएलसी चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं।सूबे में योगी सरकार के आने के बाद तमाम बाहुबली नेताओं पर नकेल कसी गई है, लेकिन राजा भैया के सियासी वर्चस्व को बीजेपी प्रतापगढ़ में तोड़ नहीं पाई। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी ने सूबे भर में एकतरफा जीत दर्ज की थी, लेकिन प्रतापगढ़ सीट पर राजा भैया के समर्थित प्रत्याशी से बीजेपी को करारी मात मिली थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में कुंडा सीट पर राजा भैया के सामने बीजेपी प्रत्याशी की जमानत तक नहीं बची। राजा भैया कुंडा सीट पर खुद जीते और बाबागंज सीट पर अपनी पार्टी के विनोद सरोज को जिताने में कामयाब रहे। ऐसे में अब देखना है कि एमएलसी चुनाव में वो अपना सियासी वर्चस्व बचाए रख पाते हैं कि नही। वाराणसी-चंदौली-भदोही क्षेत्र की एमएलसी सीट पर माफिया बृजेश सिंह के परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह चुनाव लड़ रही हैं, जो माफिया और मौजूदा एमएलसी बृजेश सिंह की पत्नी हैं।बीजेपी से डॉ. सुदामा पटेल मैदान में हैं, जिनके सामने सपा से उमेश यादव किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा।
आमतौर पर माना जाता है कि जो पार्टी सत्ता में होती है, एमएलसी चुनाव में विजय पताका भी वही पार्टी फहराया करती है, लेकिन वाराणसी में बृजेश सिंह की पत्नी के उतरने से मुकाबला रोचक हो गया। पिछले दो दशक से वाराणसी एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा है। पिछली बार 2016 के एमएलसी चुनाव में निर्दलीय बृजेश सिंह खुद मैदान में उतरे थे, जिन्हें बीजेपी ने वॉकओवर देते हुए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था।बीजेपी ने इस बार सत्ता में होने के चलते सुदामा पटेल पर दांव लगाया, लेकिन उनके लिए वाराणसी की जेल में बंद बृजेश सिंह चुनौती बन गए हैं। सूबे की सत्ता पर काबिज रहने के चलते बीजेपी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है तो बृजेश सिंह की भी साख दांव पर है। वाराणसी विधान परिषद सीट पर दो बार बृजेश सिंह के भाई बीजेपी के टिकट पर जीत चुके हैं तो एक बार उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह 2010 में बसपा के टिकट पर एमएलसी रही हैं जबकि एक बार खुद बृजेश सिंह निर्दलीय जीते हैं। इस तरह से पिछले 24 सालों से उन्हीं के परिवार के पास यह सीट है।
इसी तरह के हालात आजमगढ़-मऊ सीट पर भी हैं। यहां बीजेपी ने सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत पर दांव लगाया है। उनके सामने बीजेपी एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी यशवंत सिंह को पहले ही छह साल के लिए पार्टी से निकाल चुकी है। गाजीपुर सीट पर सीएम योगी के करीबी बीजेपी के विशाल सिंह चंचल चुनाव लड़ रहे हैं, जहां पर निर्दलीय प्रत्याशी मदन यादव को सपा के समर्थन देने से मुकाबला रोचक हो गया है। गोरखपुर महाराजगंज सीट पर बीजेपी ने सपा छोड़कर आए एमएलसी सीपी चंद हैं, जिनका मुकाबला सपा के रजनीश यादव से है।