'नवरात्रि' का नौवां दिन, माता सिद्धिदात्री की पूजा
सरस्वती उपाध्याय
नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें मां कमला भी कहा जाता है। देवी सिद्धिदात्री ने मधु और कैटभ नाम के राक्षसों का वध करके दुनिया का कल्याण किया। यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान, कमल के आसन पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा व सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री नाम से ही स्पष्ट है सिद्धियों को देने वाली। माना जाता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति को हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। मार्केण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, कुल आठ सिद्धियां हैं, जो कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं। मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा-पूरी का भोग लगाया जाता है।
सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है। मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा पूरी का भोग लगाया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमीं पर पूजा के दौरान काले चने और पूरियों के साथ सूजी का हलवा खासतौर पर बनाया जाता है।
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है। इस दिन कमल में बैठी देवी का ध्यान करना चाहिए। सुंगधित फूल अर्पित करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ऊं सिद्धिरात्री देव्यै नम:। इस दिन हवन जरूर करें।
माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि...
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
- मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
- माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
- मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
- माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां की आरती भी करें।
- अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
माता सिद्धिदात्री की आरती...
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम।
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में न कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे।
कभी काम उस के रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता।।
माता सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र...
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धिदात्री यशस्वनीम्॥