गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

विश्वविद्यालय: 'सीयूसीईटी' के माध्यम से होंगे दाखिले

विश्वविद्यालय: 'सीयूसीईटी' के माध्यम से होंगे दाखिले  

अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अंबेडकर विश्वविद्यालय ने बृहस्पतिवार को घोषणा की, कि संस्थान में सभी स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए अब ‘संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा’ (सीयूसीईटी) के माध्यम से दाखिले होंगे। कुलपति अनु सिंह लाठेर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विश्वविद्यालय में प्रवेश सीयूसीईटी के माध्यम से होगा।
उन्होंने कहा कि सभी अभ्यर्थियों के लिए सीयूसीईटी, 2022 में उपस्थित होना अनिवार्य है, जिसमें वे अभ्यर्थी भी शामिल हैं जो अतिरिक्त सीट पर दाखिला चाहते हैं। पात्रता मानदंड, सीयूसीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर तय किए जाएंगे। अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कार्तिक दवे (डीन प्लानिंग) ने कहा कि अभ्यर्थी सीयूसीईटी में केवल उन्हीं विषयों के सवालों के जवाब दे सकेंगे, जो उन्होंने 12वीं कक्षा में पढ़े थे। किसी भी विषय के छात्रों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
छात्र सेवाओं के डीन सुरेश प्रभु ने कहा कि सीयूसीईटी छात्रों को एक समान अवसर प्रदान करेगा। कुलपति अनु सिंह लाठेर ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शुरू होने वाले नए पाठ्यक्रमों की भी घोषणा की। ये क्रिमिनोलॉजी और फिलॉसफी में ‘मास्टर ऑफ आर्ट्स’ और पॉलिटिकल साइंस में ‘बैचलर ऑफ आर्ट्स’ हैं।

महंगाई: सीएनजी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी

महंगाई: सीएनजी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी   

अकांशु उपाध्याय                 

नई दिल्ली। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड की ओर से लगातार की जा रही सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी से इसके दाम डीजल-पेट्रोल के आसपास पहुंचते जा रहे हैं। लगातार दूसरे दिन यानी केवल 24 घंटे के अंतराल पर आईजीएल द्वारा सीएनजी की कीमतों में 2 रूपये 50 पैसे प्रति किलोग्राम का इजाफा कर दिया गया है। सीएनजी की बढ़ाई गई कीमतें आज से ही लागू कर दी गई है। जिसके चलते राजधानी दिल्ली में अब सीएनजी के दाम 69 रुपए 11 पैसे प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं।

बृहस्पतिवार को एक बार फिर से सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी गई है। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में सीएनजी की नई कीमत 71.67 रुपये प्रति किलोग्राम, मुजफ्फरनगर, मेरठ और शामली में सीएनजी की नई कीमत 76.34 रुपये प्रति किलोग्राम और गुड़गांव में 77.44 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। इसके अलावा आज सुबह 6 बजे से रेवाड़ी में सीएनजी 79.57 रुपये प्रति किलोग्राम और करनाल तथा कैथल में सीएनजी 77.77 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर उपभोक्ताओं को मिल रहा है। दिल्ली और एनसीआर अलावा जिन अन्य शहरों में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड द्वारा सीएनजी की सप्लाई की जाती है, वहां भी इसकी कीमत में बढ़ोतरी कर दी गई है। आज की बढ़ोतरी के बाद कानपुर, हमीरपुर और फतेहपुर में सीएनजी 80.90 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है, जबकि अजमेर, पाली और राजसमंद में सीएनजी की कीमत बढ़कर 79.38 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

अप्रैल के शुरुआती 7 दिनों में सीएनजी की कीमत में अभी तक 4 बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। वही पिछले महीने की शुरुआत से अभी तक की ये नौवीं बढ़ोतरी है। मौजूदा महीने में 1 अप्रैल को सीएनजी की कीमत में प्रति किलोग्राम 80 पैसे की बढ़ोतरी की गई थी। इसके बाद 4 अप्रैल को सीएनजी की कीमत में प्रति किलोग्राम 2.50 रुपये की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद कल 6 अप्रैल को और आज 7 अप्रैल को सीएनजी की कीमत में प्रति किलोग्राम 2.50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इस तरह से राजधानी दिल्ली में अप्रैल के महीने में ही अभी तक सीएनजी की कीमत में प्रति किलोग्राम 8.30 रुपये की बढ़ोतरी की जा चुकी है।

दुकान एवं प्रतिष्ठानों के लिए मराठी साइनबोर्ड अनिवार्य

दुकान एवं प्रतिष्ठानों के लिए मराठी साइनबोर्ड अनिवार्य    

कविता गर्ग                        
मुंबई। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की तानाशाही जारी है। दरअसल, बीएमसी ने एक आदेश जारी कर कहा है कि मुंबई में अब दुकानों और प्रतिष्ठानों के लिए मराठी साइनबोर्ड लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही सर्कुलर के अनुसार, शराब की दुकानों और बार का नाम किलों, गणमान्य व्यक्तियों और मूर्तियों के नाम पर नहीं रखना है। आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नगर निकाय ने कहा कि इन नियमों के उल्लंघन के मामले में संबंधित दुकान और प्रतिष्ठान मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 17 मार्च, 2022 को मराठी नेमप्लेट के लिए महाराष्ट्र दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन किया था। बीएमसी ने उसी के संबंध में एक परिपत्र प्रकाशित किया है। बीएमसी के अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। बीएमसी की रिकॉर्ड के अनुसार, मुंबई में कुल 5,08,897 दुकानें और प्रतिष्ठान हैं। 
पुराने दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत भी मराठी नेम प्लेट लगाना अनिवार्य था। लेकिन 2017 में, राज्य सरकार ने कानून में संशोधन किया, जिसके तहत नौ से कम कर्मचारियों वाली दुकानों और प्रतिष्ठानों को मराठी नेमप्लेट प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं थी। अब, नए संशोधन के अनुसार, सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों, कर्मचारियों की संख्या के बावजूद, दुकान का नाम मराठी में अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना होगा।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

1. अंक-181, (वर्ष-05)
2. शुक्रवार, अप्रैल 8, 2022
3. शक-1984, चैत्र, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2078।     
4. सूर्योदय प्रातः 07:04, सूर्यास्त: 06:24।
5. न्‍यूनतम तापमान- 24 डी.सै., अधिकतम-39+ डी सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
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बुधवार, 6 अप्रैल 2022

जलवायु-परिवर्तन 'संपादकीय'

जलवायु-परिवर्तन      'संपादकीय'      

शुद्ध-शाकाहारी जीवन सनातन सभ्यता का उद्बोधन हैं। शाकाहार सनातन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह केवल सनातन संस्कृति की प्रवृति के अनुसार ही लागू होता है‌। यदि, कोई भी व्यक्ति शाकाहार जीवन यापन करने की प्रक्रिया में भागीदारी कर ले, तो संपूर्ण मानव जाति जलवायु-परिवर्तन से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं। इस निर्णय में राष्ट्र एवं व्यक्तिगत संबंधों से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं होना चाहिए। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न एक समस्या से संबंधित विषय है। यह विषय प्रत्येक धरतीवासी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जलवायु-परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक और वैश्विक पहल आगे कदम बढ़ा रही थी।  
दरअसल, वैश्विक स्तर पर उद्योगों को कार्बन मुक्त करने के एक कार्यक्रम की सालाना बैठक से पहले, भारत में इस कार्यक्रम की प्रारम्भिक सभा का आयोजन हो रहा है। क्लीन एनेर्जी मिनिस्टीरियल (CEM) का इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बोनाइजेशन इनिशिएटिव (IDDI) सार्वजनिक और निजी संगठनों का एक वैश्विक गठबंधन है। जो उद्योगों में कम कार्बन सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करने के लिए काम करता है। देश की राजधानी, नई दिल्ली, में IDDI की महत्वपूर्ण बैठकों का दौर जारी है। भारत में हो रही यह बैठक सितंबर में अमेरिका के पिट्सबर्ग, में आयोजित होने वाले सीईएम13 बैठक के लिए एक प्रारंभिक सभा है, जहां सरकारें उद्योगों को कार्बन मुक्त करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं की घोषणा करेंगी। इनमें हरित सार्वजनिक खरीद नीति प्रतिबद्धताएं और खरीद लक्ष्य निर्धारित करना शामिल है। जो प्रमुख उद्योगों द्वारा तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद कर सकते हैं। 
वैश्विक स्तर पर कुल ग्रीनहाउस गैस (GHG) एमिशन का लगभग तीन-चौथाई बिजली क्षेत्र से आता है। भारी उद्योग से कार्बन एमिशन लगभग 20 से 25 फीसद होता है। विज्ञान कहता है कि जलवायु-परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए, हमें 2030 तक नेट ज़ीरो एमिशन तक पहुंचना होगा। इसके लिए उद्योग सहित सभी क्षेत्रों से गहन डीकार्बोनाइजेशन की आवश्यकता होती है। IDDI की यह बैठक इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की उस मिटिगेशन रिपोर्ट के ठीक बाद आती है। जिसमें उद्योगों के लिए डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।   
उदाहरण के लिए, स्टील उद्योग को तेजी से डीकार्बोनाइज करने की जरूरत है। अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है। वार्षिक वैश्विक इस्पात उत्पादन लगभग 2बीएमटी है और कुल जीएचजी में 7 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। स्टील क्षेत्र के उत्सर्जन में 2030 तक कम से कम 50% और 2050 तक 95% तक 2030 के स्तर पर गिरने की आवश्यकता है। ताकि 1.5 डिग्री ग्लोबल वार्मिंग मार्ग के साथ संरेखित किया जा सके। हालांकि, वर्तमान भविष्यवाणियां बताती हैं कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में उस वृद्धि के बहुमत के साथ 2050 तक स्टील की मांग सालाना 2.5 बीएमटी से अधिक हो जाएगी। ध्यान रहे कि भारत जैसे देशों में, विकास की जरूरतें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इनसे समझौता नहीं किया जा सकता है। 
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है और भारत में उत्पादित अधिकांश इस्पात का उपयोग घरेलू स्तर पर किया जाता है। आईईए के अनुसार, 2050 तक विश्व स्तर पर उत्पादित स्टील का लगभग पांचवां हिस्सा भारत से आने की उम्मीद है, जबकि आज यह लगभग 5% है। भारत के लगभग 80 प्रतिशत बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाना बाकी है, जिसका अर्थ है कि स्टील जैसे कठिन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि भारत को अपने 2030 और न्यूजीलैंड के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके। भारत पहले से ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है और उम्मीद है कि 2019 में यूरोपीय संघ के कुल उत्पादन के दोगुने के बराबर राशि से 2050 तक अपने वार्षिक उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होगी। कोविड -19 संकट देश के इस्पात उद्योग को प्रभावित कर रहा है।  
चूंकि इस्पात निर्माण, मोटर वाहन और यहां तक कि नवीकरणीय क्षेत्रों के लिए रीढ़ की हड्डी है, इसलिए उद्योग को कार्बन मुक्त करना उत्सर्जन को कम करने की कुंजी है। भारत यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है कि उसका स्टील उद्योग एक स्थायी भविष्य के लिए ट्रैक पर है। जो भारत को आईडीडीआई के तहत स्टील सार्वजनिक खरीद लक्ष्यों को 30-50% तक कम करके अपने शुद्ध शून्य लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है। 
महिंद्रा ग्रुप के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, अनिर्बान घोष कहते हैं, “अगर हमें नेट जीरो लक्ष्यों को पूरा करना है तो स्टील डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक मार्ग को सुरक्षित करने की जरूरत है। ऑटो उद्योग के लिए, ग्रीन स्टील भारत के लिए शून्य कार्बन गतिशीलता समाधान बनाने में उत्प्रेरक हो सकता है। हम नेट ज़ीरो भविष्य बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं और हमें विश्वास है कि CEM-IDDI में भारत का नेतृत्व हमें प्रतिबद्धता का सम्मान करने में मदद करेगा।” 
यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) जैसे वैश्विक व्यापार नियम यूरोपीय बाजार में कार्बन सघन स्टील को और अधिक महंगा बना देंगे। इसी तरह, अमेरिका के प्रेसिडेंट बाइडेन की बाय क्लीन टास्क फोर्स यह सुनिश्चित करेगी कि अमेरिकी बाजार में ग्रीन स्टील अधिक प्रतिस्पर्धी हो और इसके परिणामस्वरूप भारतीय स्टील कम प्रतिस्पर्धी हो। 
इस क्रम में प्रार्थना बोरा, निदेशक, सीडीपी-इंडिया, ने कहा, “इस क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करने के लिए तकनीकी व्यवहार्यता और समाधानों के संदर्भ में चुनौतियाँ ज़रूर हैं और उनके बारे में स्टील कंपनियां भी अवगत हैं। लेकिन भारतीय स्टील कंपनियों को अब एक साथ काम करना शुरू करना चाहिए और बेस्ट प्रेक्टिसेज़ को साझा करना चाहिए। क्योंकि, अब यह समय की मांग है।"

चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र' 

गाजियाबाद: ईडी ने सीए के फ्लैट पर छापेमारी की

गाजियाबाद: ईडी ने सीए के फ्लैट पर छापेमारी की    

अश्वनी उपाध्याय         
गाजियाबाद। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को गाजियाबाद में एक चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) के फ्लैट पर छापेमारी की है। यह फ्लैट इंदिरापुरम थाना क्षेत्र की शिप्रा रिगलिया हाइट्स में आठवें फ्लोर पर है। ईडी के पहुंचने से पहले ही इस फ्लैट पर ताला लगा हुआ है। फ्लैट मालिक संजय त्रेहान हैं, जिनका एक बेटा कनाडा में है और दूसरा बेटा समर त्रेहान सीए है। 
जानकारी के अनुसार, समर त्रेहान इसी फ्लैट से अपना सारा काम संभालते हैं। उनके पास कई धनाढय लोगों और बड़ी फर्मों के खाते हैं। सूत्रों के अनुसार, ईडी को जांच में एक ऐसी फर्म मिली, जिसने अपना करोड़ों रुपया ब्लैक से व्हाइट किया था और जांच पड़ताल करने पर सीए समर त्रेहान का नाम सामने आया। जिसके बाद ईडी की एक टीम बुधवार सवेरे गाजियाबाद में समर त्रेहान के फ्लैट पर पहुंची है। बताया जा रहा है कि ईडी को फ्लैट पर ताला लगा हुआ मिला है। 
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सीए और उसके परिवार को ईडी टीम के आने की भनक पहले ही लग गई थी। फिलहाल ईडी टीम मौके पर है। ऐसा भी हो सकता है कि फ्लैट का ताला तोड़कर छानबीन शुरू की जाए। स्थानीय लोगों ने बताया कि दो दिन पहले तक समर त्रेहान को इसी फ्लैट पर देखा गया था। फिलहाल इस पूरे मामले में ईडी ने कोई अधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया है।

लाइसेेस-पंजीकरण कराने हेतु सभागार में बैठक

लाइसेेस-पंजीकरण कराने हेतु सभागार में बैठक    

संदीप मिश्र         

कुशीनगर। बुधवार को अपर जिलाधिकारी देवी दयाल वर्मा की अध्यक्षता में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग तथा जिला बेसिक शिक्षा विभाग के बीच खाद्य सुरक्षा के दृष्टिगत विद्यालय में दिये जाने वाले मध्यान्ह् भोजन (एम.डी.एम.) के लाइसेेस/पंजीकरण कराने हेतु कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक की गई। सहायक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया कि जनपद में कुल-2845 विद्यालय संचालित है परिषदीय विद्यालय-2628, समाज कल्याण विद्यालय-26, इण्टर कालेज, 55, वित्त पोषित-54 मदरसा-25 जनपद में संचालित है, जिसमें मिड डे मील. कार्यक्रम के अन्तर्गत भोजन का वितरण किया जाता है। उक्त विद्यालयों का खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकरण किया जाना अनिवार्य है।

बैठक में यह बात प्रकाश में आई कि अभी तक कुल-149 विद्यालय पंजीकरण से आच्छादित है। उक्त पंजीकरण की कमजोर प्रगति को अपर जिलाधिकारी महोदय द्वारा खेद जनक बताया गया। एवं यह निर्देशित किया गया कि दिनांक 07.04.2022 एवं दिनांक 12.04.2022 विकास खण्डों पर स्थित ब्लाक संसाधन केन्द्र पर कैम्प आयोजित कर उक्त पंजीकरण कार्य को युद्ध स्तर पर संचालित किया जाय ताकि पंजीकरण कार्यक्रम दिनांक 25.04.2022 तक शत्प्रतिशत सम्पन्न किया जा सकें।

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...