2 भाईयों की हिरासत अवधि 11 अप्रैल तक बढ़ाईं
कविता गर्ग
मुंबई। यहां की एक विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने बुधवार को नागपुर के वकील सतीश ऊके और उनके भाई प्रदीप की हिरासत अवधि 11 अप्रैल तक बढ़ा दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन दोनों को धनशोधन मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। नागपुर के पार्वती नगर इलाके में वकील के आवास पर छापेमारी के बाद पिछले हफ्ते पीएमएलए के तहत दोनों भाईयों को गिरफ्तार किया गया था।
आरोपियों को बुधवार को उनकी प्रारंभिक रिमांड अवधि समाप्त होने पर विशेष न्यायाधीश एम. जी. देशपांडे के समक्ष पेश किया गया। मामले की आगे की जांच के लिए दोनों की हिरासत 11 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने दावा किया है कि इन दोनों के खिलाफ धनशोधन का मामला नागपुर में लगभग 1.5 एकड़ जमीन की खरीद से जुड़ा है और जमीन की खरीद के लिए इस्तेमाल किए गए दस्तावेज कथित तौर पर जाली थे।
ईडी ने दावा किया है कि खरीदी गई जमीन भाइयों के नाम पर थी। वकील ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं विशेषकर देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अदालतों में कई याचिकाएं दायर की हैं। अपने एक आवेदन में, ऊके ने अपने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का ‘‘खुलासा नहीं करने’’ के लिए फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का अनुरोध किया था।
वकील ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के न्यायाधीश बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में और असमय मृत्यु की पुलिस जांच का आदेश देने का भी आग्रह किया था। न्यायाधीश लोया, 2014 के सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे।
ऊके, कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले के भी वकील हैं, जिन्होंने (कांग्रेस नेता ने) कथित तौर पर अवैध रूप से अपना फोन टैप किये जाने को लेकर यहां एक दीवानी अदालत में भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी एवं राज्य खुफिया विभाग की पूर्व प्रमुख रश्मि शुक्ला एवं अन्य के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया था।