गुरुवार, 31 मार्च 2022
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टाटा को 'भारत रत्न' की याचिका पर विचार से इनकार
टाटा को 'भारत रत्न' की याचिका पर विचार से इनकार
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता की मांग पर नाराज़गी जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति विपिन चावला की खंडपीठ ने सवाल किया , “क्या अदालत का यह काम है कि वह सरकार को किसी व्यक्ति को भारत रत्न पुरस्कार देने का निर्देश दे? यह किस तरह की याचिका है?”
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि अगर वह याचिका वापस नहीं लेता है तो अदालत उससे लागत वसूल करेगा। यह सुनने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया।याचिका में अदालत के समक्ष तर्क दिया गया था कि रतन टाटा का जीवन बेदाग है और वह भारत रत्न से सम्मानित होने के योग्य हैं। क्योंकि वह राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। वकील ने कहा कि रतन टाटा ने एक अनुकरणीय जीवन व्यतीत किया है, दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है और एक उत्कृष्ट नेता साबित हुए हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि केंद्र सरकार को उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
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ड्रेसकोड का पालन न करने वाले विद्यार्थी देश छोड़ दें
ड्रेसकोड का पालन न करने वाले विद्यार्थी देश छोड़ दें
इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। कर्नाटक के भीतर चल रहे हिजाब विवाद को लेकर चल रहे जुबानी तीर थमते हुए नहीं लग रहे हैं। हिजाब विवाद में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता ने कूदते हुए यूनिवर्सिटी के भीतर आयोजित किए गए कार्यक्रम में कहा है कि शिक्षा संस्थाओं में ड्रेसकोड का पालन नहीं करने वाले विद्यार्थी तुरंत देश छोड़ दें। उनकी इस टिप्पणी को लेकर छात्र संघों ने अपना विरोध जाहिर किया है। दरअसल मंगलौर विश्वविद्यालय के मंगल गंगोत्री परिसर में स्नातकोत्तर छात्र परिषद की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसके उद्घाटन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता कल्लाडका भट को आमंत्रित किया गया था। परिषद का उद्घाटन करने के बाद हुई सभा को संबोधित करते हुए आरएसएस नेता कल्लाडका भट ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश है। यह शांति और सद्भाव की भूमि है। शिक्षा संस्थानों द्वारा निर्धारित की गई ड्रेस को पहनने से इंकार करने वाले विद्यार्थियों की आलोचना करते हुए आरएसएस नेता ने कहा कि अगर वह यहां के नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं तो उन्हें देश छोड़कर चले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का समृद्ध इतिहास है और मुगल राजा उस इतिहास का हिस्सा नहीं है। उन्होंने मुगल राजा अकबर को लेकर भी कुछ विवादित बातें कही हैं।
उधर आरएसएस नेता कल्लाडका भट की बातों का केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया एवं स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से विरोध किया गया है। इन संगठनों ने आरएसएस नेता को छात्र परिषद के कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए बुलाने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन की आलोचना की है।
प्राचार्य की अध्यक्षता में शिविर का आयोजन किया
प्राचार्य की अध्यक्षता में शिविर का आयोजन किया
संदीप मिश्र
मुजफ्फरनगर। चौधरी छोटू राम महाविद्यालय मुजफ्फरनगर में प्राचार्य डॉ. नरेश कुमार मलिक की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सेवा योजना की चतुर्थ एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें प्राचार्यजी ने अपने उद्बोधन में स्वयंसेवक एवं सेविकाओं से राष्ट्रीय सेवा योजना का सामाजिक जागरूकता में क्या योगदान हो सकता है तथा युवा ऊर्जा को किस तरह से सही दिशा में लगाया जाए के विषय पर भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रथम यूनिट के कार्यक्रम अधिकारी अभिषेक सिंह ने किया जिन्होंने ने अपने उद्बोधन में सात दिवसीय शिविर मे हुए सामाजिक जागरूकता, साफ सफाई आदि कार्य जो आवंटित बस्तियों में किए गए का फीडबैक स्वयंसेवक एवं सेविकाओं से लिया। द्वितीय यूनिट के कार्यक्रम अधिकारी डॉ आई.डी. शर्मा एनएसएस के माध्यम से किस तरह से हम राष्ट्र का विकास कर सकते हैं पर अपने विचार रखे I वही तृतीय यूनिट के कार्यक्रम अधिकारी डॉ जॉनी कुमार ने राष्ट्रीय सेवा योजना के इतिहास तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम के दूसरे सत्र में स्वयंसेवक एवं सेविकाओं ने आंशिक श्रमदान किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षणेत्तर कर्मचारी ओमपाल कृष्णपाल तथा सभी स्वयंसेवक एवं सेविकाओं का विशेष योगदान रहा।
अधिनियम, अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला
अधिनियम, अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है। यह जानकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर दी है। उन्होंने कहा एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला लिया है।एएफएसपीए के तहत क्षेत्रों में कमी सुरक्षा की स्थिति में सुधार और प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर पूर्व में स्थायी शांति लाने और उग्रवाद को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासों और कई समझौतों के कारण तेजी से विकास का परिणाम है। साथ ही अमित शाह ने कहा इसको लेकर पीएम मोदी को धन्यवाद।
पीएम मोदी की अटूट प्रतिबद्धता, हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।
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