शनिवार, 5 मार्च 2022

सीएम योगी ने 'बीजेपी' की बंपर जीत का दावा किया

सीएम योगी ने 'बीजेपी' की बंपर जीत का दावा किया   

संदीप मिश्र     

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव व आखिरी चरण की ओर है। जिसमें 7 मार्च को वोटिंग होनी है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में परचम फहराने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए अपने विकास कार्य का गुणगान कर रही है तो विपक्ष दल बेरोजारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। बड़े नेता 6 चरणों के चुनाव को लेकर अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी जीत को लेकर बड़ा बयान दिया है। योगी आदित्यनाथ ने चंदौली में चुनाव प्रचार में कहा कि बीजेपी की बंपर जीत का दावा किया। दरअसल, उन्होंने कहा कि रुझान बताते हैं कि बीजेपी का स्कोर पौने 300 पार कर चुका है। उन्होंने चंदौली में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि 10 मार्च को जब चुनाव परिणाम आएंगे तब पूर प्रदेश में सिर्फ बीजेपी ही दिखाई देगी और इस भय से एसपी-बीएसपी के कई नेताओं ने अभी से विदेश भागने के लिए अपनी बुकिंग करनी शुरू कर दी है।

सीएम योगी ने कहा कि डबल इंजन बीजेपी सरकार ने चारों ओर शिक्षा-कौशल का विकास किया है। चंदौली के चकिया में दो राजकीय आईटीआई व सैयदराजा में महामाया पॉलीटेक्निक और राजकीय महिला महाविद्यालय की स्थापना से युवाओं को तकनीकी व उच्च शिक्षा से जुड़ने का आसान माध्यम मिला है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर समाज हमारी प्राथमिकता है। चंदौली में बाढ़ की समस्या पर को लेकर सीएम ने कहा कि भाजपा सरकार सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बाढ़ परियोजनाओं के विकास हेतु संकल्पबद्ध है। हमने चंदौली जनपद के चकिया क्षेत्र में नौगढ़ बांध का पुनरुद्धार कर इसी संकल्प को और सशक्त किया है। जन-जन की खुशहाली हेतु हम लगातार काम कर रहे हैं। चंदौली के ‘ब्लैक राइस’ के बारे में सीएम ने कहा कि इसे वैश्विक पटल पर नई पहचान दिलाने हेतु भाजपा सरकार ने अनेक सराहनीय प्रयास किये हैं। इससे ब्लैक राइस की खेती कर रहे चंदौली के किसानों की आय में वृद्धि हुई है और उनका जीवन सुगम हुआ है। उन्होने कहा कि ‘किसान-कल्याण’ हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।

स्वदेश लौटने वाले छात्रों को बड़ी राहत देने की तैयारी

स्वदेश लौटने वाले छात्रों को बड़ी राहत देने की तैयारी   

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। भारत सरकार ऑपरेशन गंगा के तहत रूस-यूक्रेन के जंग के मैदान से जान बचाकर स्वदेश लौटने वाले मेडिकल छात्रों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिंग एक्ट में बड़े बदलाव करने का फैसला किया है, ताकि यूक्रेन से लौटे बच्चों का भविष्य खराब न हो और समय भी बेकार न जाए। केंद्र सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन और नीति आयोग को एफएमजीएल एक्ट-2021 में राहत और मदद देने की संभावनाएं तलाशने को कहा है।

इसके साथ ही यह भी पता लगाना होगा कि यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों के लिए देश और विदेश के प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने की क्या व्यवस्था की जा सकती है? सूत्रों के अनुसार, इसका समाधान खोजने के लिए जल्द ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन और नीति आयोग के अधिकारी एक बैठक कर विकल्पों पर चर्चा करेंगे और मानवीय आधार पर राहत देने के लिए जमीनी स्तर पर संभावनाएं तलाशेंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन के एफएमजीएल एक्ट 2021 के प्रावधानों के अनुसार पूरे पाठ्यक्रम के दौरान पूरी पढ़ाई, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप या क्लर्कशिप आदि सभी भारत के बाहर एक ही विदेशी संस्थान, विश्वविद्यालय या कॉलेज में किए जाने चाहिए। इसके साथ ही प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में या उस देश जहां से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता यानी ग्रेजुएट स्तर की पढ़ाई पूरी की गई है, के अलावा किसी अन्य देश में नहीं किया जा सकता है।

आधिकारिक सूत्र ने बताया कि वर्तमान में मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों के तहत ऐसा कोई मानदंड और नियम नहीं हैं, जो विदेश में पढ़ रहे छात्रों को अकादमिक सत्र के बीच में भारतीय मेडिकल कॉलेजों या संस्थानों में समायोजित करने की अनुमित देता हो। हालांकि, ऐसी असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी और सहानुभूतिपूर्वक राहत देने की संभावना तलाशी जाएगी।यूक्रेन से लौट रहे और पूर्व में चीन से लौटे छात्रों के भविष्य को लेकर अधिकारियों को माथापच्ची करनी पड़ेगी, तब कहीं जाकर समाधान की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। एनएमसी के प्रावधानों में छूट की संभावना का पता लगाने या ऐसे छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेजों में अपना पाठ्यक्रम पूरा करने या दूसरे देशों में कॉलेजों में स्थानांतरण की छूट देना भी आसान नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेन में छह साल का एमबीबीएस कोर्स और दो साल का इंटर्नशिप प्रोग्राम है और यह भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी किफायती है।

2,000 से अधिक भारतीयों को निकालने की उम्मीद

2,000 से अधिक भारतीयों को निकालने की उम्मीद  

अकांशु उपाध्याय     
नई दिल्ली। ऑपरेशन गंगा के तहत शनिवार को 2,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाले जाने की उम्मीद है। केंद्र ने उन भारतीयों को निकालने के लिए एक एयरलिफ्ट अभियान शुरू किया है। जो युद्धग्रस्त यूक्रेन के पड़ोसी देशों में अपना रास्ता खोज चुके हैं। नागरिकों को वापस लाने के लिए कई विशेष चार्टर के साथ-साथ भारतीय वायु सेना की उड़ानें भी तैनात की हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, “कल, 11 विशेष नागरिक उड़ानों के 2,200 से अधिक भारतीयों को वापस लाने की उम्मीद है, जिसमें 10 नई दिल्ली और एक मुंबई में उतरेगी।
“पांच उड़ानें बुडापेस्ट से, 2 रेजजो से और 4 सुसेवा से शुरू होंगी। चार सी -17 विमान रोमानिया, पोलैंड और स्लोवाकिया के लिए हवाई हैं, जिनके कल देर रात और सुबह जल्दी पहुंचने की।
शुक्रवार को यूक्रेन के पड़ोसी देशों से 17 विशेष उड़ानें भारत वापस आईं, जिनमें 14 नागरिक उड़ानें और तीन सी-17 आईएएफ उड़ानें शामिल हैं। “नागरिक उड़ानों में 3,142 लोग थे, सी -17 उड़ानों ने 630 यात्रियों को निकाला।”
बयान के अनुसार, अब तक 43 विशेष नागरिक उड़ानों द्वारा 9,364 से अधिक भारतीयों को निकाला गया है। “सी-17 की सात उड़ानों ने अब तक 1,428 यात्रियों को निकाला है और 9.7 टन राहत सामग्री पहुंचाई है। नागरिक उड़ानों में बुखारेस्ट से 4, कोसिसे से 2, बुडापेस्ट से 4, रेजजो से 3 और सुसेवा से 2 उड़ानें शामिल हैं, जबकि आईएएफ ने बुखारेस्ट से 2 और बुडापेस्ट से 1 उड़ानें भरीं। केंद्र ने चार केंद्रीय मंत्रियों- हरदीप सिंह पुरी, किरेन रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) – यूक्रेन से सटे देशों को चल रहे निकासी कार्यों का समर्थन और पर्यवेक्षण करने के लिए पहुंचे हैं।

3 पदाधिकारियों को 6 साल तक निष्कासित किया

3 पदाधिकारियों को 6 साल तक निष्कासित किया    

पंकज कपूर      

हल्द्वानी। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में कम ही दिन बाकी हैं। लेकिन उससे पहले कांग्रेस ने पार्टी में बगावत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।कांग्रेस ने तीन पदाधिकारियों को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। जिन के ऊपर पार्टी अनुशासन के खिलाफ कार्य करने का आरोप लगा है।कांग्रेस कमेटी की ओर से पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं विधानसभा चुनाव में पार्टी अनुशासन के खिलाफ कार्य करने वालों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है। गौरतलब है कि, कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं से मैदान में हैं।

जहां चुनाव प्रचार में हरीश रावत के खिलाफ दुष्प्रचार करने पर कांग्रेस ने तीन पदाधिकारियों को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कांग्रेस के नैनीताल जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल के आदेश पर जिला उपाध्यक्ष कांग्रेस भूपाल सिंह सम्मल, जिला संगठन मंत्री मनोज पौडियाल और न्याय पंचायत क्षेत्र अध्यक्ष भगवान सिंह सम्मल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

नागरिकों को निकालने के लिए युद्धविराम की घोषणा

नागरिकों को निकालने के लिए युद्धविराम की घोषणा   

अखिलेश पांडेय         

कीव/मास्को। रूस ने मानवीय गलियारे के जरिये नागरिकों को निकालने के लिए युद्धविराम की घोषणा कर दी है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग 10वें दिन तक आते-आते बहुत खतरनाक होती जा रही है। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो रहा है। इस बीच यूक्रेन में तबाही का मंजर साफ देखा जा सकता है। यही नहीं, दोनों देशों में हो रही जंग के कारण आमजन को काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में रूसी मीडिया स्पुतनिक की ओर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। समाचार एजेंसी एएनआई ने स्पुतनिक के हवाले से बताया कि रूस ने नागरिकों के लिए मानवीय गलियारे खोलने के लिए यूक्रेन में 07:00 जीएमटी (ग्रीनविच मीन टाइम जोन) से युद्धविराम की घोषणा की है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूस ने यूक्रेनी शहरों मारियुपोल और वोल्नोवाखा से लोगों को बाहर निकालने के लिए मानवीय गलियार बनाने की अनुमति देने के लिए शनिवार को आंशिक संघर्ष विराम की घोषणा की है। वहीं, एएनआई ने यूक्रेन के द कीव इंडिपेंडेंट के हवाले से बताया है कि मानवीय गलियारों को स्थापित करने के लिए मारियुपोल और वोल्नोवाखा में अस्थायी युद्धविराम शुरू हो गया है। गलियारे के जरिये नागरिकों को निकालने और दुनिया से कटे हुये शहरों में भोजन और दवा पहुंचाने का काम करेंगे।

कंपनी मदर डेयरी ने दूध में 2 रुपये तक वृद्धि की

कंपनी मदर डेयरी ने दूध में 2 रुपये तक वृद्धि की    

अकांशु उपाध्याय    

नई दिल्ली। अमूल के बाद अब दूध कंपनी मदर डेयरी ने भी दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। मदर डेयरी के अलग-अलग दूध के वैरिएंट में 2 रुपये तक वृद्धि हुई है। अब मदर डेयरी का दूध खरीदने पर ग्राहकों को दो रुपये और ज्यादा देने होंगे नई दरें 6 मार्च, 2022 से लागू हो रही हैं।

मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर में दूध की कीमतों में दो रुपये तक की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। दिल्ली-एनसीआर में दूध की सबसे ज्यादा सप्लाई करने वाली डेयरी कंपनी मदर डेयरी ने बताया कि लागत में इजाफा होने के चलते दूध की कीमतों में इजाफा किया जा रहा है।

भारत सरकार ने तटस्थ भूमिका का निर्वाहन किया

भारत सरकार ने तटस्थ भूमिका का निर्वाहन किया   

सुनील श्रीवास्तव    
कीव/ मास्को/नई दिल्ली। शनिवार को हर जगह केवल रूस-यूक्रेन संकट की चर्चा है और साथ ही पूरी दुनिया की निगाहें इस संकट पर भारत की भूमिका पर हैं। भारत सरकार ने अभी तक इस प्रकरण पर बहुत ही संतुलित व तटस्थ भूमिका का निर्वाहन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित जिन मंचों पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव या अन्य जितने भी प्रस्ताव पास हुए हैं। उन सभी में मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित ही रहा है। यह पंक्तियाँ लिखे जाने तक भारत के रूख से रूस और अमेरिका सहित विश्व के सभी देश खुश हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और विदेश के बड़े नेताओं के साथ उनकही मैत्री का ही परिणाम है कि जंग के खतरनाक दौर में भी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन जहां उनसे फोन पर बात कर रहे हैं और भरतीय छात्रों की सकुशल वापसी के लिए सुरक्षित मार्ग दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यूक्रेन भी भारत की ओर देख रहा है और नरेंद्र मोदी से मदद की अपील कर रहा है। ताकि युद्ध को रोका जा सके, यूक्रेन के पड़ोसी देश भारतीय छात्रों की वापसी में सहयोग कर रहे हैं।

आज भारत ने जो तटस्थ नीति अपनायी है जहां उसकी जहाँ पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है वहीं मोदी विरोधी मीडिया इस बात पर भी अपना नकारात्मक प्रवचन चला रहा हैं। पष्चिमी जगत के मीडिया की नकल करने वाला मीडिया का एक वर्ग यह भी कह रहा है कि भारत को इस युद्ध में रूस के निंदा प्रस्ताव में रूसी कार्यवाही के विरोध में अपना मत देना चाहिए था , आखिर क्यों ? भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी जो भूमिका निभायी है उसके कारण भारत के दो धुर विरोधी चीन और पाकिस्तान भी हैरान हो रहे हैं तथा वहां के टीवी चैनलों पर बड़ी बहसें हो रही हैं कि आखिर मोदी जी के दिमाग में चल क्या रहा है।

भारत की वर्तमान रणनीति की पृष्ठभूमि पर हम सभी को नजर डालनी होगी और अपना विस्मृत ज्ञान का भंडार फिर से ताजा करना होगा क्योंकि यूक्रेन एक ऐसा देश रहा है जिसने कभी भी किसी भी संकट में भारत का साथ नहीं दिया है और वह सदा ही भारत विरोध का रवैया अपानाता रहा है।। यूक्रेन की सरकार ने न तो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के कार्यकाल में परमाणु परीक्षण के मुददे पर भारत का साथ दिया और नहीं आतंकवाद के मुददे पर। यूक्रेन सदा पाकिस्तान व चीन के साथ खड़ा रहा है।

अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश भारत पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वह रूस के खिलाफ मतदान करे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन देशों ने आज तक आतंकवाद के मुददे पर भारत को कोई सहयोग कभी नहीं दिया। इतिहास गवाह है कि अमेरिका व ब्रिटेन जैसे देश पाकिस्तान के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर व पाक अधिकत कश्मीर को मिलाकर एक स्वतंत्र देश बनाने का सपना देख रहे हैं और कई बार उनकी यह साजिशें उन देशों के नेताओं की जुबान पर आ भी जाती हैं। जब गलवान में चीन ने सोची समझी साजिश के तहत हमला किया तब भी ये देश भारत के पक्ष में नहीं बोले तो आज भारत इन देशों का साथ क्यों दे ?
भारत में बैठे पश्चिमी मीडिया के पिछलग्गू बुद्धिजीवि सरकार से यह आशा कर रहे है कि वह यूक्रेन का साथ दे तो उनकी बुद्धि पर तरस ही आता है । वर्ष 1998 में जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था उस समय संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव आया था इस प्रस्ताव को दुनिया के जिन 25 देशों ने प्रस्तुत किया था उसमें यूक्रेन प्रमुख था। भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिये यूक्रेन ने पाकिस्तान का साथ दिया था।
सबसे खतरनाक पहलू यह है कि पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान को हथियार बेचने वाला सबसे बड़ा देश यूक्रेन बना हुआ है। पाकिस्तान को हथियारों की जरूरत यूक्रेन ही पूरा करता है और वह अब तक पाकिस्तान को 12 हजार करोड़ रूपये के हथियार बेच चुका है आज पाकिस्तान के पास जो 400 टैंक हैं वो यूक्रेन के द्वारा ही बेचे गये हैं। यूक्रेन पाकिस्तान की सेना को मजबूत करने में लगातार सहयोग कर रहा था और वह भारत के लिये बहुत बड़ा खतरा बन चुका था। यूक्रेन पाकिस्तान को चोरी छिपे परमाणु हथियारो की सप्लाई भी कर रहा था।रूस -यूक्रेन संकट पर यूक्रेन के प्रति सहानुभूति दिखा रहे लोगों को यह याद रखना चाहिए कि यूक्रेन का रवैया हमेशा भारत का विरोध ही रहा है और वह कभी नहीं सुधरेगा। आज जब आपरेशन गंगा को सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है तब उस समय भी यूक्रेन की ओर से ही बाधा खड़ी की जा रही है।

अब अमेरिका की पृष्ठभूमि पर भी नजर डालते हैं। इतिहास गवाह है कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी जगत कभी नहीं चाहता कि भारत एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर देश बन जाये । यह सभी देश भारत को एक बाजार के नजरिये से ही देखते हैं और यही कारण है कि वह समय -समय पर भारत को धमकियां देते रहे हैं और भारत के आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप करने का प्रयास करते रहते हैं। भारत के खिलाफ विषवमन करते रहते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के अखबारों में भारत विरोधी लेख लिखे जाते हैं उन्हीं के आधार पर भारत के विरोधी दल सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाने का प्रयास करते रहते हैं।
जरा याद करें जब 1971 के युद्ध में अमेरिका ने भारत को युद्ध रोकने की धमकी दी थी और तब पाकिस्तान की हार आसान लग रही थी उस समय किसिंजर ने पूर्व राष्ट्रपति निक्सन को बंगाल की खाड़ी में परमाणु संचालित विमानवाहक पोत यूएसएस इंटरप्राइज के नेतृत्व में यूएस 7वी फ्लीट भेजने के लिए प्रेरित किया था। उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत समुद्र की सतह पर चलता फिरता एक राक्षस था जबकि भारतीय नौसेना के बेड़े का नेतृत्व 20,000 टन के विमानवाहक पोत विक्रांत जिसके पास 20 हल्के लड़ाकू विमान थे ने किया था और उस समय रूस की पनडुब्बियों ने ही 1971 की जंग में अमेरिका के विरूद्ध ढाल बनकर भारतीय नौसेना की रक्षा की थी।
रूस ने हर कदम -कदम पर भारत का भरपूर सहयोग किया है जब पूर्व सोवियत संघ था तब भी और आज के समय में जब पूर्व सोवियत संघ खंड- खंड हो चुका है उस समय भी रूस भारत के साथ खड़ा दिखाई देता रहा हैं। जम्मू -कश्मीर के मुददे पर तो रूस ने सदा हर मंच पर भारत का ही साथ दिया है और वह कई बार पाकिस्तान को कड़ी फटकार भी लगाता रहा है। पूर्व सोवियत संघ ने भारत के परमाणु परीक्षण के समय भी भारत का खुलकर विरोध नहीं किया था। अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर भी वह भारत के ही साथ रहा है। आज अगर रूस यूक्रेन को कमजोर कर रहा है और उसकी सेना की कमर को ध्वस्त कर रहा है तो फिर परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ताकत को भी कमजोर कर रहा है। वैसे भी पाकिस्तान की हालत बहुत दयनीय हो चुकी है और वह बहुत दबाव में है तथा खिसियाहट में वह भी कोई बड़ी गलती करने का दुस्साहस कर सकता है ।
उन सभी लोगों को जो लोग आज यह कह रहे हैं कि भारत को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए अगर कल को भारत की ओर से पाकिस्तान की धरती पर चल रहे भारत विरोधी आतंकी ठिकानों पर कार्यवाही करनी पड़ जाये तब यह सभी देश क्या करेंगे? अभी भारत को पाक अधिकृत कश्मीर भी आजाद कराना है जबकि पाकिस्तान कश्मीर का राग अलाप रहा है और चीन की नजर अरूणांचल व लददाख में लगी हुयी है तथा वह कई बार सीमा का उल्लघन भी कर चुका है यह तो बहुत अच्छा है कि इस समय एक देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार चल रही है और देशहित में बड़े फैसले कर रही है।

रूस- यूक्रेन विवाद के बीच एक बड़ी खबर यह भी आ गयी कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने रूस की निंदा वाले प्रस्ताव से एक बार फिर दूरी बनाकर सभी को चौका दिया है । यह प्रस्ताव रूस की सैन्य कार्रवाइयों में मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में लाया गया था। यहां पर 32 सदस्यों ने रूस के निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया और भारत सहित 13 देशों ने हिस्सा नहीं लिया। वहीं दो देषों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। इसी के साथ मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन पर मुहर लग गयी। यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र के अलग अलग निकाय रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव ला चुके हैं।
जबकि वास्तविकता यह है कि मानवाधिकार परिषद कई मामलों में चुप्पी साध जाती है। यह वही मानवाधिकर परिषद है जिसमें आज तक कश्मीर में आतंकवाद पर चर्चा नहीं की गयी और नहीं कश्मीर पंडितो पर हुए अत्याचारों की जांच के लिए कभी कोई किसी प्रकार की पहल की गयी। हां, अगर भारत में किसी अल्पसंख्यक पर कोई आंच आती है तो यह सदस्य सक्रिय हो जाते हैं। मानवाधिकार परिषद ने आज तक पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में वहां की सेना जो अत्याचार कर रही है और पाकिस्तान व बांग्लादेश में जिस प्रकार से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं तथा उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है उस पर यह सभी संस्थायें मौन हो जाती हैं।
यही कारण है कि आज भारत रूस- यूक्रेन संकट पर तटस्थ रणनीति अपना रहा है और यह अब तक कि सबसे सफल रणनीति मानी जायेगी वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बहुत मजबूत स्थिति में खड़ा है जबकि चीन और पाकिस्तान सहित भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले लोग हैरान और परेशान है। यही कारण है कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।

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