बुधवार, 2 मार्च 2022

छटवें चरण की मतगणना, गड़बड़ी होने की आशंका

छटवें चरण की मतगणना, गड़बड़ी होने की आशंका     

गोपीचंद      

बागपत। उत्तर प्रदेश में ब्रहस्पतिवार को छठवें चरण का मतदान होना है। लेकिन, उससे पहले ही मतगणना में गड़बड़ी होने की आशंका जताई जाने लगी है। यह आशंका भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जाहिर की है। बागपत में बुधवार को राकेश टिकैत ने कहा कि चुनाव मतगणना में गड़बड़ी हो सकती है।बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लोगों से अपील करते हुए कहा, '9 तारीख को मतगणना स्थल पर ट्रैक्टर लेकर जनता पहुंचे और अपने मतों की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि जनता विरोध में है और इनका काफी नुकसान हो रहा है।

यूक्रेन और रूस युद्ध पर बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार युद्ध में भी वोट तलाश कर रही है, ऑपरेशन गंगा का नाम देकर सरकार युद्ध में भी वोट तलाश कर रही है। गौरतलब है कि राकेश टिकैत बुधवार को बागपत के बड़ौत में पहुंचे थे, जहां उन्होंने मतगणना से पहले बड़ा बयान दिया और मतगणना में गड़बड़ी की आशंका जाहिर।
राकेश टिकैत ने जनता से अपने वोटों की सुरक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बीजेपी का जनता में विरोध है और चुनाव में उनको नुकसान हो रहा है, इस कारण यह लोग बेईमानी करेंगे, इसको रोकने के लिए जनता को 9 तारीख को ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर मतगणना स्थल पहुंचना है।
साथ ही राकेश टिकैत ने यूक्रेन और रूस युद्ध से भारतीय बच्चों को निकालने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन गंगा का नाम देकर युद्ध में भी वोट तलाश किए जा रहे हैं। राकेश टिकैत ने कृषि कानून वापसी समझौते और अन्य मुद्दों को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए।

पूर्व सांसद के आवास से 4 लोगों का अपहरण किया

पूर्व सांसद के आवास से 4 लोगों का अपहरण किया     

अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में तेलंगाना के पूर्व सांसद एपी जितेंद्र रेड्डी के आवास से चार लोगों का अपहरण कर लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नलवा ने आईएएनएस को बताया कि साउथ एवेन्यू पुलिस स्टेशन में शिकायत मिली थी कि एमपी के फ्लैट नंबर 105 साउथ एवेन्यू में रह रहे चार लोगों को कुछ अज्ञात लोग उठा ले गए।
नलवा ने कहा कि चार में से तीन पूर्व सांसद के मेहमान थे, जो अब भाजपा में हैं और चौथा व्यक्ति, जिसकी पहचान तिलक थापा के रूप में हुई, वह उनका ड्राइवर था।
पीआरओ ने कहा, इस शिकायत की प्राप्ति पर दक्षिण एवेन्यू पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (गुप्त रूप से और गलत तरीके से व्यक्ति को अपहरण या अपहरण) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामला प्रगति पर है।
इस बीच तेलंगाना के पूर्व सांसद ने भी सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी कि उनके निजी ड्राइवर थापा और सामाजिक कार्यकर्ता रवि मुन्नूर का सोमवार रात अपहरण कर लिया गया है।

रंगदारी मामलें में देशमुख का बयान, अनुमति मिलीं

रंगदारी मामलें में देशमुख का बयान, अनुमति मिलीं    

कविता गर्ग         

मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी परम बीर सिंह से जुड़े 100 करोड़ रुपये की रंगदारी के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख का बयान दर्ज करने के लिए एक विशेष अदालत से अनुमति मिल गई है। सीबीआई ने हाल ही में विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर देशमुख के बयान दर्ज करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। सीबीआई को उनका बयान दर्ज करने के लिए आर्थर रोड जेल का दौरा करना होगा। देशमुख फिलहाल वहीं ठहरे हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक, संघीय जांच एजेंसी लगातार तीन दिन- 3 मार्च, 4 और 5 मार्च को उनका बयान दर्ज करेगी। सीबीआई इस मामले में अब तक सात लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। एक सूत्र ने बताया कि जिन सात लोगों के बयान दर्ज किए गए, वे पुलिस के थे। उन्हें कथित तौर पर अनिल देशमुख की सुरक्षा में तैनात किया गया था। सिंह ने देशमुख पर पद से चूकने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि देशमुख ही उन्हें मुंबई में बार और रेस्तरां से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली के लिए मजबूर कर रहे थे।

ये आरोप उन्होंने तब लगाए थे, जब उन्हें पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया गया था। देशमुख ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का खंडन किया है। सीबीआई ने 21 अप्रैल, 2021 को देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और जांच शुरू की थी। इस एफआईआर के सिलसिले में छापेमारी की जा रही है।


पश्चिमी देशों का संकट, 'ओलिगार्क' की फिर से चर्चा

पश्चिमी देशों का संकट, 'ओलिगार्क' की फिर से चर्चा   

सुनील श्रीवास्तव     

मास्को/कीव। रूस, यूक्रेन और पश्चिमी देशों के बीच का संकट बढ़ने के बाद ओलिगार्क की फिर से चर्चा हो रही है। जो रूस के बेहद रईस और रसूख़दार लोग हैं। पश्चिमी देशों की मीडिया में अक्सर ऐसे लोगों को पुतिन के 'क्रोनीज़' यानी जिगरी दोस्त, कहा जाता रहा है। यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की लगाई पाबंदियों का एक निशाना ये ओलिगार्क भी हैं। ओलिगार्क शब्द का इतिहास बहुत लंबा है। हालांकि आज के वक़्त में इसका एक ख़ास मतलब हो गया है। पारंपरिक परिभाषा या मान्यता के अनुसार ओलिगार्क वो लोग हैं। जो कुलीन तंत्र के सदस्य या समर्थक होते हैं। यानी एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा होते हैं। अब इस शब्द का ज़्यादातर इस्तेमाल रूस के बहुत बड़े धनी लोगों के एक समूह के लिए होता है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वहां ओलिगार्क तेज़ी से उभरकर सामने आए। ओलिगार्क शब्द ग्रीक शब्द ओलिगोई से निकला है, जिसका अर्थ 'कुछ' होता है। वहीं आर्क़िन शब्द का अर्थ 'शासन करना' होता है। ओलिगार्की इस तरह राजशाही (किसी एक व्यक्ति का शासन यानी मोनोस) या लोकतंत्र (लोगों का शासन या डेमोस) से अलग होती है।

ऐसे में एक ओलिगार्क का धर्म, रिश्तेदार, सम्मान, आ​र्थिक दर्जा और भाषा जो भी हो, वो उसी धर्म, भाषा-भाषी समूह के बाक़ी लोगों से अलग होते हैं। और वो शासन करने वाले गुट का हिस्सा होते हैं। ऐसे लोग अपने हितों को ध्यान में रखते हुए शासन करते हैं और इनके सा​धन अक्सर संदेह के दायरे में होते हैं। आजकल किसी ओलिगार्क का अर्थ अक्सर बहुत अमीर शख़्स के रूप में लिया जाता है। ऐसे इंसान ने शासन के सहयोग से कारोबार करके अकूत दौलत बनाई होती है। दुनिया में रूस के सबसे मशहूर ओलिगार्क में से एक ब्रिटेन के रोमन अब्रामोविच हैं, जो चेल्सी फुटबॉल क्लब के मालिक है। अनुमान है कि उनके पास इस समय 14.3 अरब डॉलर की संपत्ति है। उन्होंने सोवियत संघ के पतन के बाद रूस की जिन सरकारी संपत्तियों को खरीदा था, उसे बेच दौलत बनाई है। वहीं, ब्रिटेन के और ओलिगार्क एलेक्जेंडर लेबेदेव हैं, जो केजीबी के पूर्व अधिकारी और बैंकर हैं। उनके बेटे एवगेनी लेबेदेव लंदन से निकलने वाले बड़े अख़बार - इवनिंग स्टैंडर्ड -के मालिक हैं। एवगेनी ब्रिटेन के नागरिक हैं और उन्हें हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स का सदस्य भी बनाया गया है। ऐसा नहीं है कि ये ओलिगार्क केवल रूस में ही हैं। दुनिया के दूसरे देशों में भी कुलीन वर्ग मौजूद हैं। 'यूक्रेन की बदहाली के ज़िम्मेदार हैं ये ओलिगार्क'।

कीएव की एक स्वतंत्र संस्था 'यूक्रेनियन इंस्टीट्यूट फ़ॉर द फ़्यूचर' (यूआईएफ़) का मानना है कि वहां की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, समाज, उद्योग और राजनीति के ज़िम्मेदार ओलिगार्क ही हैं। अपनी एक रिपोर्ट में यूआईएफ ने कहा कि सोवियत संघ के पतन के बाद लियोनिद कुचमा के राष्ट्रपति रहने के दौरान देश के 'पुराने ओलिगार्क' काफ़ी फले-फूले। उसका कहना है, "यूक्रेन के ओलिगार्क ने अपनी अधिकांश संपत्ति अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके और ग़ैर-पारदर्शी निजीकरण के ज़रिए कमाई। और तभी से अपने कारोबार को बचाने के लिए राजनीति पर नियंत्रण रखना, उनके लिए काफ़ी अहम बना हुआ है। इस बारे में यूक्रेन की संस्था यूआईएफ़ के कार्यकारी निदेशक विक्टर एंड्रुसिव ने वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान 2019 में कहा कि ओलिगार्क 'ख़ास वर्ग' के लोग हैं, जो 'ख़ास तरीक़े से कारोबार' करते हैं। उनके पास 'जीने और लोगों को प्रभावित करने का ख़ास तरीक़ा' भी होता है। एंड्रूसिव ने कहा, "वास्तव में वे कारोबारी नहीं हैं। वे अमीर बने हैं, पर जिस तरह से वे अमीर बने, वो किसी पूंजीवादी देश की तरह का मामला नहीं होता। उन्होंने कारोबार नहीं खड़ा किया, बल्कि देश के सहारे कारोबार पर क़ब्ज़ा कर लिया।

सोवियत संघ के ख़त्म होते वक़्त दिसंबर 1991 में मिख़ाइल गोर्बाचेव (बाएं) ने इस्तीफ़ा दे दिया। उसके बाद बोरिस येल्तसिन (दाएं) देश के नए राष्ट्रपति बने।आज लोग रूस के ओलिगार्क के बारे में इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो कुछ हुआ, वो इनके लिए अहम था। 1991 में क्रिसमस के दिन राष्ट्रपति मिख़ाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति से इस्तीफ़ा देकर बोरिस येल्तसिन को सत्ता सौंप दी। हालांकि जब वहां कम्युनिस्ट शासन था, तब कोई निजी संपत्ति नहीं होती थी। लेकिन उसके बाद रूस की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के दौरान देश में बड़े पैमाने पर निजीकरण हुआ। ख़ासकर औद्योगिक, ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में। इसका नतीज़ा ये हुआ कि 90 के दशक के शुरू में हुए निजीकरण के दौरान बहुत से लोग यूं ही अमीर बन गए।

यदि उनके अच्छे संपर्क होते थे, तो अपने संपर्कों के दम पर वे रूसी उद्योग के बड़े हिस्से का अधिग्रहण कर सकते थे। ऐसे लोग अक्सर कच्चे मालों की आपूर्ति वाले, खनिज या गैस और तेल उद्योग में सक्रिय थे, क्योंकि इन चीज़ों की दुनिया भर में मांग थी। उसके बाद इस काम में मदद करने वाले अधिकारियों को उन्होंने पुरस्कृत किया और उन्हें डायरेक्टर जैसे पद से नवाज़ा। ओलिगार्क के पास मीडिया, तेल कुएं, इस्पात के कारखाने, इंजीनियरी कंपनियां आदि हो गईं। अक्सर वे अपने कारोबार के लिए बहुत कम कर का ही भुगतान करते थे। ऐसे ही लोगों ने बोरिस येल्तसिन को अपना समर्थन दिया और 1996 के उनके राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्हें पैसे से मदद दी। व्लादिमीर पुतिन जब बोरिस येल्तसिन के उत्तराधिकारी बने, तो उन्होंने ओलिगार्कों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया। हालांकि, जो ओलिगार्क उनके साथ जुड़े रहे वे और कामयाब होते गए। बैंकर बोरिस बेरेज़ोव्स्की जैसे पहले के कुछ कुलीन लोगों ने उनके साथ आने से इनकार कर दिया, तो उन्हें देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा। कभी रूस के सबसे अमीर शख़्स माने जाने वाले मिख़ाइल ख़ोदोरकोव्स्की भी अब लंदन में रहते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर व्लादिमीर पुतिन ने 2019 में फ़ाइनेंशियल टाइम्स से कहा था, "अब हमारे यहां कोई ओलिगार्क नहीं है।

हालांकि, जिन लोगों के पुतिन के साथ क़रीबी संबंध थे, वे उनके शासन में अपना व्यापारिक साम्राज्य बनाने में कामयाब रहे। ऐसे लोगों में, बोरिस रोटेनबर्ग हैं। वे दोनों बचपन में एक ही जूडो क्लब में खेलते थे। ब्रिटेन की सरकार ने रोटेनबर्ग को पुतिन के साथ नजदीकी और निजी रिश्ते रखने वाला एक अहम कारोबारी क़रार दिया है। फ़ोर्ब्स मैगज़ीन के अनुसार, रोटेनबर्ग की संपत्ति क़रीब 1.2 अरब डॉलर है। इसलिए जब पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्सक और लुहान्स्क के दो अलगाववादी क्षेत्रों को 'पीपल्स रिपब्लिक' का दर्जा दिया तो, बोरिस और उनके भाई अर्काडी दोनों को ब्रिटेन के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। ब्रिटेन के साथ यूक्रेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी रूस के ओलिगार्क यानी कुलीन वर्गों पर प्रतिबंध लगाए हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तो ये प्रतिबंध और कड़े ही होंगे। 

रूस के हमले की 'निंदा प्रस्ताव' का समर्थन करें पाक

रूस के हमले की 'निंदा प्रस्ताव' का समर्थन करें पाक    

अखिलेश पांडेय       

इस्लामाबाद। यूरोपीय संघ के देशों समेत 22 देशों के शीर्ष राजनयिकों ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वो संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के हमले की निंदा प्रस्ताव का समर्थन करे। बीते सप्ताह रूस की सेना जिस दिन यूक्रेन में दाख़िल हुई तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मॉस्को में थे और उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी।पाकिस्तान ने इस हमले को लेकर चिंता जताई थी लेकिन उसने इसकी निंदा नहीं की थी।

22 देशों के राजनयिकों ने एक साझा बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान में मिशन के प्रमुख होने के नाते हम मांग करते हैं कि रूस की कार्रवाई की निंदा में पाकिस्तान में हमारे साथ आए। इस साझा बयान में यूरोपीय संघ के सदस्य देश फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम समेत ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, नॉर्वे और ब्रिटेन भी शामिल हैं। 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस सप्ताह मॉस्को की कार्रवाई के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इससे पहले शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में पेश किए गए प्रस्ताव के ख़िलाफ़ रूस ने वीटो का प्रयोग किया था।

रूस: एप्पल ने अपने उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाईं

रूस: एप्पल ने अपने उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाईं   

सुनील श्रीवास्तव         

मास्को। एप्पल ने अपने सभी उत्पादों की रूस में बिक्री पर रोक लगा दी है। यूक्रेन पर हमले के कारण ऐसा फ़ैसला लेने वाली एप्पल सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। एप्पल के अलावा ऊर्जा कंपनी एक्सॉनमॉबिल ने भी रूस में अपना काम बंद करने और निवेश रोकने की घोषणा की है। आईफ़ोन निर्माता कंपनी ने कहा है कि वो रूस के हमले से ‘बेहद चिंतित’है और उनके साथ खड़ी है, जो ‘हिंसा से पीड़ित’ हैं। इसके साथ ही रूस में एप्पल पे और एप्पल मैप जैसी सेवाओं को भी सीमित कर दिया गया है।

गूगल ने रूस के सरकारी सहायता प्राप्त मीडिया आरटी को भी अपने फ़ीचर्स से हटा दिया है। समाचार एजेंसी आरआईए के मुताबिक़, रूस के वीटीबी बैंक जैसे ऐप अब एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में रूसी भाषा में नहीं चल पाएंगे। एप्पल ने अपने बयान में बताया है कि उसने यूक्रेन में एप्पल मैप्स में ‘यूक्रेनी नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज़ से’ट्रैफ़िक और लाइव इंसिडेंट्स को डिसेबल्ड कर दिया है।

रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा प्रतिबंध

रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा प्रतिबंध   

सुनील श्रीवास्तव         

मास्को/ कीव/ वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संसद को संबोधित करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि रूस की सभी उड़ानें, अब अमेरिकी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि इन रूसी उड़ानों में सभी प्रकार की कमर्शियल और प्राइवेट उड़ानें शामिल हैं। इसी तरह का क़दम पहले ही यूरोपीय राष्ट्र और कनाडा उठा चुके हैं।बाइडन ने कहा है कि यह प्रतिबंध रूस को और अलग-थलग करेगा और उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा। 

उन्होंने यह भी बताया कि रूसी मुद्रा रूबल और स्टॉक मार्केट पहले ही अपनी वैल्यू 30 से 40 फ़ीसदी गंवा चुके हैं। राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिकियों से यूक्रेनी लोगों से प्रेरणा लेने को भी कहा। उन्होंने कहा,“पुतिन टैंक्स से कीएव को ज़रूर घेर सकते हैं लेकिन वो कभी भी यूक्रेनी लोगों के दिलों को नहीं जीत पाएंगे।

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...