सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

मणिपुर: 38 सीटों के लिए 27.34 प्रतिशत मतदान

मणिपुर: 38 सीटों के लिए 27.34 प्रतिशत मतदान    

इकबाल अंसारी       

इम्फाल। मणिपुर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 38 सीटों के लिए सोमवार सुबह 11 बजे तक 27.34 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं 9 बजे तक 12.09 लाख मतदाताओं में से 9.9 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। पुलिस ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के सुदूर इलाके में दो राजनीतिक दलों के बीच झड़प में एक व्यक्ति घायल हो गया। बता दें मणिपुर विधानसभा के लिए सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ था। कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, कड़ी सुरक्षा के बीच पांच जिलों की 38 सीटों के लिए मतदान हो रहा है। इस चुनाव में पांच महिलाओं सहत कुल 173 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मतदान शुरू होने के करीब आधे घंटे के भीतर राज्यपाल ला गणेशन और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाला।

इम्फाल वेस्ट जिले के सगोलबंद निर्वाचन क्षेत्र में टीजी उच्च माध्यमिक विद्यालय में बने मतदान केन्द्र में वोट डालने के बाद राज्यपाल गणेशन ने मणिपुर के सभी पात्र मतदाताओं से अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करने की अपील की। मुख्यमंत्री सिंह और उनकी पत्नी ने इम्फाल ईस्ट जिले के हिंगांग निर्वाचन क्षेत्र में एक ‘मॉडल’ मतदान केन्द्र में वोट डाला। मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष वाई खेमचंद सिंह, उपमुख्यमंत्री एवं एनपीपी उम्मीदवार युमनाम जॉयकुमार और मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष एन लोकेश सिंह शामिल हैं। कुल 38 सीटों में से, 10 निर्वाचन क्षेत्र इंफाल ईस्ट में, 13 इंफाल वेस्ट में, बिष्णुपुर और चुराचांदपुर में छह-छह और कांगपोकपी जिले में तीन सीटें हैं। नौ सीटें अनुसूचित जनजाति और एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजेश अग्रवाल ने कहा था कि कुल 173 उम्मीदवारों में से 39 का आपराधिक इतिहास रहा है।

भारतीय छात्रों को रेलवे स्टेशन पहुंचने की सलाह दीं

भारतीय छात्रों को रेलवे स्टेशन पहुंचने की सलाह दीं   

अखिलेश पांडेय        

कीव/मास्को। यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने सोमवार को कीव में फंसे सभी भारतीय छात्रों को यूक्रेन की राजधानी में रेलवे स्टेशन पहुंचने की सलाह दी। ताकि युद्धग्रस्त देश के पश्चिमी हिस्सों तक आगे की यात्रा कर सके। दूतावास ने कहा कि कीव में सप्ताहांत कर्फ्यू हटा लिया गया है और वे शहर से बाहर निकलने के लिए रेलवे स्टेशन जा सकते हैं। दूतावास ने ट्वीट किया कि कीव में सप्ताहांत कर्फ्यू हटा लिया गया है। सभी छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे पश्चिमी भागों तक जाने के लिए रेलवे स्टेशन जाएं। यूक्रेन रेलवे लोगों की निकासी के लिए विशेष ट्रेनें चला रहा है। इस बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया कि भारत के लोगों को निकालने के मिशन ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत छठी उड़ान बुडापेस्ट से दिल्ली के लिए रवाना हुई जिसमें 240 भारतीय नागरिक शामिल हैं।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को कहा कि भारत के लिए मुख्य चिंता कीव सहित उन क्षेत्रों में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जहां भीषण लड़ाई चल रही है। उन्होंने कहा कि कीव में करीब दो हज़ार भारतीय हैं। श्रृंगला ने बताया कि भारत ने यूक्रेन से अपने करीब 2,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है और उनमें से 1,000 लोगों को हंगरी और रोमानिया के रास्ते चार्टर्ड विमानों से घर लाया जा चुका है।

सामाजिक सुरक्षा मुहैया, कानून बनाने की मांग की

सामाजिक सुरक्षा मुहैया, कानून बनाने की मांग की     

नरेश राघानी           

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कानून बनाने की मांग की है। गहलोत ने कहा कि, देशवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए। केंद्र को लोगों, चाहे वे बेसहारा हो, अकेली महिलाएं हों, बुजुर्ग हों या मजदूर हों, को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए।अशोक गहलोत ने कहा कि चाहे शिक्षा का अधिकार हो, सूचना का अधिकार हो, मनरेगा हो या खाद्य सुरक्षा अधिनियम हो। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने लोगों को अधिकार देने के युग की शुरुआत की थी और देश की जनता को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, “मशीनों का अपना महत्व है लेकिन मानव श्रम बहुत महत्वपूर्ण है और यह सरकारों का कर्तव्य है कि वे उनकी देखभाल करें। जब वे बुजुर्ग हो जाते हैं और काम करने में सक्षम नहीं रहते तो उन्हें समस्या होती है। यहीं पर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

उन्होंने कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण के साथ कई पहल की हैं जिनमें राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की बजट घोषणा, सभी सरकारी अस्पतालों में आईपीडी और ओपीडी में मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा के तहत बीमा राशि को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये करना शामिल है।

मुख्यमंत्री ने बजट 2022-23 में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों की तरह शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद परिवारों को भी 100 दिन का रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि, चाहे स्वास्थ्य हो, रोजगार या कृषि क्षेत्र। राज्य सरकार पिछले तीन साल से नियमित कदम उठा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, हमने तुंरत बेसहारा परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पहल की। इसके तहत लॉकडाउन के दौरान 33 लाख असहाय परिवारों को 5500 रुपये किस्तों में दिए गए जिस पर करीब 1800 करोड़ रुपये व्यय हुए।

दिल्ली हाईकोर्ट के 4 नए जजों ने पद की शपथ ली

दिल्ली हाईकोर्ट के 4 नए जजों ने पद की शपथ ली     

अकांशु उपाध्याय      

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के चार नए न्यायाधीशों ने सोमवार को पद की शपथ ली। अब उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 हो गई है। इस अदालत में अधिकतम 60 न्यायाधीशों की नियुक्त की जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता और न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन को पद की शपथ दिलाई। इन्हें 25 फरवरी को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की घोषणा की गई थी।

शपथ ग्रहण समारोह मुख्य न्यायाधीश की अदालत में हुआ। इस समारोह में अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, शपथ ग्रहण करने वाले न्यायाधीश और वकीलों के परिवार उपस्थित हुए। न्यायमूर्ति कृष्णा यहां साकेत जिला न्यायालय में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थीं। वहीं, न्यायमूर्ति शर्मा पटियाला हाउस अदालत के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे और इससे पहले वह दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल भी रह चुके हैं।

न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता कानून मंत्रालय में केन्द्रीय विधि सचिव थे। ऐसा पहली बार है, जब एक केन्द्रीय विधि सचिव को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति जैन राउज एवेन्यू कोर्ट के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश के पद पर तैनात थे। उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने एक फरवरी, 2022 को हुई बैठक में दिल्ली उच्च न्यायालय में छह न्यायिक अधिकारियों को न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। केन्द्र ने छह में से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत होने वाले चार न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी दे दी है।

हवा में मार करने वाली मिसाइलें देने का फैसला किया

हवा में मार करने वाली मिसाइलें देने का फैसला किया   

सुनील श्रीवास्तव         

बर्लिन। जर्मनी ने दुनिया को स्तब्ध करते हुए, यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें देने का फैसला किया है। इसके साथ ही उसने युद्धग्रस्त क्षेत्र में हथियार का निर्यात नहीं करने की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से चली आ रही अपनी विदेश नीति में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने रविवार को संसद के विशेष सत्र में दिए भाषण में कहा कि यह नयी वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मनी द्वारा नाटकीय रूप से पहले की तुलना में अलग प्रतिक्रिया की जरूरत है। बुंडस्टाग (जर्मन संसद) में शॉल्त्स ने कहा कि राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन द्वारा गत बृहस्पतिवार को यूक्रेन पर किए गए हमले ने नयी वास्तविकता उत्पन्न कर दी है और यह वास्तविकता स्पष्ट उत्तर की मांग करती है, हमने एक उत्तर दिया है।

उन्होंने कहा कि जर्मनी यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भेज रहा है। जर्मन चांसलर ने कहा कि देश(जर्मनी) अपने सैन्य बलों के लिए 100 अरब यूरो का विशेष कोष बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है और वह रक्षा पर खर्च बढ़ाकर जीडीपी का दो प्रतिशत करेगा।

चतुर्दशी को मनाया जाएगा 'महाशिवरात्रि' पर्व, जानिए

चतुर्दशी को मनाया जाएगा 'महाशिवरात्रि' पर्व, जानिए   

सरस्वती उपाध्याय           
'महाशिवरात्रि' भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ कृष्ण-पक्ष त्रयोदशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इस बार कृष्ण-पक्ष की तिथि चतुर्दशी को 'महाशिवरात्रि' पर्व मनाया जाएगा। यानी कि 1 मार्च को 'महाशिवरात्रि' पर्व मनाया जाएगा।
माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी कहा जाता हैं।

महाशिवरात्रि से सम्बन्धित कई पौराणिक कथाएँ है।

समुद्र मंथन: समुद्र मंथन अमर अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित था, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ था। हलाहल विष में ब्रह्माण्ड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कण्ठ में रख लिया था। जहर इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव बहुत दर्द से पीड़ित हो उठे थे और उनका गला बहुत नीला हो गया था। इस कारण से भगवान शिव 'नीलकंठ' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उपचार के लिए, चिकित्सकों ने देवताओं को भगवान शिव को रात भर जागते रहने की सलाह दी। इस प्रकार, भगवान भगवान शिव के चिन्तन में एक सतर्कता रखी। शिव का आनन्द लेने और जागने के लिए, देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाने। जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया। तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है।

शिकारी कथा: एक बार पार्वती ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?' उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।'

शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो विल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।

पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुँची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूँ। शीघ्र ही प्रसव करूँगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊँगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।

कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूँ। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूँ। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊँगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिन्ता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊँगी। इस समय मुझे शिकारी हँसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरन्त लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ।

मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्षपर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृगविनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलम्ब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूँ। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊँगा।

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएँगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।

थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किन्तु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवम् सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवम् दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए।

अनुष्ठान: गेंदे के फूलों की अनेक प्रकार की मालायें, जो शिव को चढ़ाई जाती हैं। इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्‍धाभिषेक : दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मन्दिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारम्परिक शिवलिंग पूजा करने के लिए जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिन्दू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मन्दिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मन्दिरों में घण्टी और "शंकर जी की जय" ध्वनि गूँजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं। हालाकि, इन सभी अनुष्ठान का वर्णन हमारे पवित्र शास्त्रों में कहीं पर भी नही है, जिससे यह शास्त्रानुकूल साधना नही है।शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए।

शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक। बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की सन्तुष्टि को दर्शाते हैं।
जलती धूप, धन, उपज (अनाज)।
दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है;
और पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ सन्तोष अंकन करते हैं।
अभिषेक में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है।
केतकी के फूल।

भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा...
ज्योतिर्लिंग: बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केन्द्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"। बारह स्‍थानों पर बारह ज्‍योर्तिलिंग स्‍थापित हैं।

1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।

2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।

3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहाँ शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।

4. ॐ कारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।

5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।

6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।

7. भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।

8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।

9. घृष्णेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गाँव में स्थापित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग।

10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।

11. काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।

12. रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

1. अंक-143, (वर्ष-05)
2. मंगलवार, मार्च 1, 2022
3. शक-1984, फाल्गुन, कृष्ण-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 07:04, सूर्यास्त: 06:24।
5. न्‍यूनतम तापमान- 12 डी.सै., अधिकतम-22+ डी सै.। बर्फबारी, उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9.पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...