सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

चतुर्दशी को मनाया जाएगा 'महाशिवरात्रि' पर्व, जानिए

चतुर्दशी को मनाया जाएगा 'महाशिवरात्रि' पर्व, जानिए   

सरस्वती उपाध्याय           
'महाशिवरात्रि' भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ कृष्ण-पक्ष त्रयोदशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इस बार कृष्ण-पक्ष की तिथि चतुर्दशी को 'महाशिवरात्रि' पर्व मनाया जाएगा। यानी कि 1 मार्च को 'महाशिवरात्रि' पर्व मनाया जाएगा।
माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी कहा जाता हैं।

महाशिवरात्रि से सम्बन्धित कई पौराणिक कथाएँ है।

समुद्र मंथन: समुद्र मंथन अमर अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित था, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ था। हलाहल विष में ब्रह्माण्ड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कण्ठ में रख लिया था। जहर इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव बहुत दर्द से पीड़ित हो उठे थे और उनका गला बहुत नीला हो गया था। इस कारण से भगवान शिव 'नीलकंठ' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उपचार के लिए, चिकित्सकों ने देवताओं को भगवान शिव को रात भर जागते रहने की सलाह दी। इस प्रकार, भगवान भगवान शिव के चिन्तन में एक सतर्कता रखी। शिव का आनन्द लेने और जागने के लिए, देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाने। जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया। तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है।

शिकारी कथा: एक बार पार्वती ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?' उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।'

शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो विल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।

पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुँची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूँ। शीघ्र ही प्रसव करूँगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊँगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।

कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूँ। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूँ। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊँगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिन्ता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊँगी। इस समय मुझे शिकारी हँसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरन्त लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ।

मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्षपर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृगविनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलम्ब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूँ। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊँगा।

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएँगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।

थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किन्तु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवम् सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवम् दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए।

अनुष्ठान: गेंदे के फूलों की अनेक प्रकार की मालायें, जो शिव को चढ़ाई जाती हैं। इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्‍धाभिषेक : दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मन्दिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारम्परिक शिवलिंग पूजा करने के लिए जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिन्दू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मन्दिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मन्दिरों में घण्टी और "शंकर जी की जय" ध्वनि गूँजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं। हालाकि, इन सभी अनुष्ठान का वर्णन हमारे पवित्र शास्त्रों में कहीं पर भी नही है, जिससे यह शास्त्रानुकूल साधना नही है।शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए।

शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक। बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की सन्तुष्टि को दर्शाते हैं।
जलती धूप, धन, उपज (अनाज)।
दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है;
और पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ सन्तोष अंकन करते हैं।
अभिषेक में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है।
केतकी के फूल।

भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा...
ज्योतिर्लिंग: बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केन्द्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"। बारह स्‍थानों पर बारह ज्‍योर्तिलिंग स्‍थापित हैं।

1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।

2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।

3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहाँ शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।

4. ॐ कारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।

5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।

6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।

7. भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।

8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।

9. घृष्णेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गाँव में स्थापित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग।

10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।

11. काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।

12. रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

1. अंक-143, (वर्ष-05)
2. मंगलवार, मार्च 1, 2022
3. शक-1984, फाल्गुन, कृष्ण-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 07:04, सूर्यास्त: 06:24।
5. न्‍यूनतम तापमान- 12 डी.सै., अधिकतम-22+ डी सै.। बर्फबारी, उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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रविवार, 27 फ़रवरी 2022

यूपी: 12 जिलें, 61 सीट, 53.98 प्रतिशत मतदान

यूपी: 12 जिलें, 61 सीट, 53.98 प्रतिशत मतदान    

संदीप मिश्र        

लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव के पांचवें चरण का मतदान खत्म हो चुका है। सुबह 7 बजे से शुरू मतदान शाम 6 बजे समाप्त हो गया। यूपी चुनाव 2022 के पांचवें में 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ। जबकि, 61 सीटों पर 692 उम्मीदवार मैदान में है। इस चरण में जिन बड़े चेहरों की किस्मत दांव पर है। उनमें यूपी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, योगी सरकार में मंत्री मोती सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, सिद्धार्थ नाथ सिंह, रमापति शास्त्री, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय की किस्मत दांव पर है। 
कांग्रेस की आराधना मिश्रा मोना और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के साथ ही अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल की किस्मत का फैसला होना है।यूपी चुनाव के पांचवे चरण में शाम 5 बजे तक 53.98% मतदान हुआ है। फिलहाल, हर जगह शांतिपूर्ण चुनाव की खबर है। कहीं से कोई भी अप्रिय घटना सामने नहीं आई है।

रूस को 'संयुक्त एनएससी' से बाहर कर देना चाहिए

रूस को 'संयुक्त एनएससी' से बाहर कर देना चाहिए    

अखिलेश पांडेय       
वाशिंगटन डीसी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि उनके देश पर आक्रमण के चलते रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर कर दिया जाना चाहिए। जेलेंस्की ने रविवार को एक वीडियो संदेश में कहा कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण नरसंहार की दिशा में उठा गया कदम है। उन्होंने कहा, ”रूस ने बुराई का रास्ता चुना है और दुनिया को उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर कर देना चाहिए।” 
रूस सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है, जिसके चलते उसके पास प्रस्तावों को वीटो करने की शक्ति है। जेलेंस्की ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अधिकरण को यूक्रेन के शहरों पर रूस के हमलों की जांच करनी चाहिए। उन्होंने रूसी आक्रमण को ”राज्य प्रायोजित आतंकवाद” करार दिया। उन्होंने रूस के इन दावों को झूठा बताया कि वह आम आबादी वाले इलाकों को निशाना नहीं बना रहा।

छठवें चरण के लिए विपक्षी दलों ने पूरी ताकत झोंकी

छठवें चरण के लिए विपक्षी दलों ने पूरी ताकत झोंकी   

संदीप मिश्र        

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठवें चरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर में विपक्षी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। यहां तीन मार्च को मतदान होगा। सीएम योगी पहली बार यहां से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री के गढ़ में रविवार को आल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा को सम्बोधित करते हुए हुये कहा " मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, राम-श्याम की जोडी हैं। इनका मकसद प्रदेश को जाति, धर्म और नफरत की राजनीति में झोंककर अपना हित साधते रहना है। हम गरीब, मजलूम अरौर अनुसूचितों के हक की लडायी लड रहे हैं।"

उन्होंने कहा "यह फैसले की घडी है। गलत फैसले पर पांच साल पछताना होगा, इसलिए मतदान करते समय आने वाली पीढियों का ध्यान में रखे और मजबूत उत्तर प्रदेश तथा मजबूत भारत के लिए मतदान करें।" दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का रोड-शा शुरू हुआ जो स्थानीय सूरज कुंड से प्रस्थान कर विभिन्न मोहल्लों से होता हुआ सर्किट हाउस पर जाकर समाप्त हुआ। इस अवसर पर अखिलेश ने कहा कि पूरे प्रदेश में परिवर्तन की लहर चल रही है। उन्होने कहा कि जब नौजवान शिक्षक भर्ती के लिए लखनऊ में अपने हक की मांग कर रहे थे तो पुलिस उन पर डन्डे बरसा रही थी।उन्होंने कहा कि उस पीडा को याद रखियेगा और आगामी तीन मार्च को मतदान के दिन बटन दबाकर जवाब दिजिएगा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मौजूद लोगों से सवाल भी किया कि किसानों की आय कहां दोगुनी हो गयी। सरकारी भर्तियां तीन साल से बन्द पडी हैं, लोगों को कौन सा रोजगार मिला ?

पुतिन को फेडरेशन के अध्यक्ष पद से निलंबित किया

पुतिन को फेडरेशन के अध्यक्ष पद से निलंबित किया     

सुनील श्रीवास्तव         

कीव/मास्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक बड़ा झटका लगा है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद लगातार दुनिया के कई देश और अंतर्राष्ट्रीय संगठन रूस के खिलाफ होते जा रहे हैं। इसी बीच इंटरनेशनल जूडो फेडरेशन ने व्लादिमीर पुतिन को फेडरेशन के अध्यक्ष पद से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही इस संस्था के एंबेसेडर भी थे। जूडो फेडरेशन ने बयान जारी कर पुतिन को दोनों पदों से सस्पेंड कर दिया है। यह फैसला फेडरेशन के द्वारा पुतिन के यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ने के विरोध में लिया गया है। इस युध्द के कारण अब पुतिन जुडो फेडरेशन के सदस्य भी नही रह पाएंगे।

यह बहुत कम लोग जानते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जुडो में ब्लैक बेल्ट हैं। व्लादिमीर पुतिन राजनिति के अलावा खेल में भी दिलचस्पी रखते है। 69 साल की उम्र में भी कमाल की फिटनेस रखने वाले पुतिन जूडो, बॉक्सिंग, फुटबॉल, घुड़सवारी, डाइविंग, हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेलों का जबरदस्त शौक रखते है। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खेल जगत से बाहर हो गए हैं उन्हें और उनके देश को एक और नया झटका मिला। पहले चैम्पियंस लीग के फाइनल की मेजबानी रूस से छीन ली गई, अब इंटरनेशनल जूडो फेडरेशन ने एक तगड़ा झटका दिया है।

यूके: कोरोना संक्रमितों की संख्या-982 तक पहुंचीं

यूके: कोरोना संक्रमितों की संख्या-982 तक पहुंचीं    

पंकज कपूर         
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है। रविवार को राज्य में पिछले दो माह में सबसे कम, केवल 3,262 लोगों की जांचों के साथ पिछले दो माह में सबसे कम मात्र 66 नए मामले आए हैं। जबकि 25 संक्रमित हुए, एक संक्रमित की मौत भी। इसके साथ संक्रमितों की संख्या कुछ बढ़कर 982 व मौतों की संख्या 262 हो गई है।
स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, रविवार को देहरादून जिले में सर्वाधिक 31, चमोली में 9, हरिद्वार में 8, उत्तरकाशी में 5, रुद्रप्रयाग में 3, पिथौरागढ़ में 2, टिहरी व नैनीताल में 1-1 नए संक्रमित आए। जबकि दून मेडिकल कॉलेज में एक संक्रमित की मौत हुई।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...