एक मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जायेगी। परम्परानुसार केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख के साथ ही समय का निर्धारण भी किया जायेगा। केदारनाथ मंदिर के रावल भीमा शंकर लिंग द्वारा बदरी-केदार मंदिर समिति के वेदपाठी, आचार्य, हक-हकूकधारी एवं स्थानीय लोगों की मौजूदगी में इस शुभ मुहूर्त की घोषणा की जाएगी। इसके बाद केदारनाथ धाम की यात्रा से जुड़े लोग यात्रा की तैयारियों में जुट जायेंगे। साथ ही प्रशासन, पुलिस, बीकेटीसी और यात्रा से जुड़े तमाम विभाग अपने-अपने कार्याे की तैयारी में लगते हैं और यात्रा शुरू होने तक सभी व्यवस्थाओं को चाक-चैबंद करने का काम करते हैं। इसकेे अलावा होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे और दुकान से जुड़े लोग भी रंग-रोगन से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने में लग जाते हैं।
शनिवार, 26 फ़रवरी 2022
'केदारनाथ' के कपाट खुलने की तिथि घोषित होगीं
एक मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जायेगी। परम्परानुसार केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख के साथ ही समय का निर्धारण भी किया जायेगा। केदारनाथ मंदिर के रावल भीमा शंकर लिंग द्वारा बदरी-केदार मंदिर समिति के वेदपाठी, आचार्य, हक-हकूकधारी एवं स्थानीय लोगों की मौजूदगी में इस शुभ मुहूर्त की घोषणा की जाएगी। इसके बाद केदारनाथ धाम की यात्रा से जुड़े लोग यात्रा की तैयारियों में जुट जायेंगे। साथ ही प्रशासन, पुलिस, बीकेटीसी और यात्रा से जुड़े तमाम विभाग अपने-अपने कार्याे की तैयारी में लगते हैं और यात्रा शुरू होने तक सभी व्यवस्थाओं को चाक-चैबंद करने का काम करते हैं। इसकेे अलावा होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे और दुकान से जुड़े लोग भी रंग-रोगन से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने में लग जाते हैं।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने भाजपा सरकार पर हमला बोला
हिम्मत: यूक्रेन के आम नागरिकों ने भी हथियार उठायें
अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया: भारती
अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया: भारती
मनोज सिंह ठाकुर
भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मगर वे चुनाव कहां से लड़ेंगी इस पर उन्होंने अभी सस्पेंस रखा है। उनके इस ऐलान से तीन लोकसभा सीटों पर कशमकश की स्थिति पैदा होने की संभावना है। भारती की पसंदीदा और राजनीतिक समीकरण में फिट बैठने वाली ये तीन सीटें भोपाल, खजुराहो और झांसी हैं। इससे कई नेताओं की सांस अटक गई है। भाजपा नेता उमा भारती ने 2019 में चुनाव नहीं लड़ने के अपने ऐलान पर अमल करते हुए दूरी बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने 2024 चुनाव में उतरने की मंशा जाहिर कर दी है।
उमा की चुनाव लड़ने की मंशा से सबसे ज्यादा संकट की स्थिति खजुराहो और भोपाल लोकसभा सीट के मौजूदा सांसदों के लिए पैदा हो सकती है। क्योंकि खजुराहो भारती का पसंदीदा क्षेत्र है तो भोपाल से भी वो 1999 में सांसद रह चुकी हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भोपाल में प्रज्ञासिंह को कट्टरवादी छवि के लिए दिग्विजय सिंह के सामने उतारा गया था। अब केन-बेतवा लिंक परियोजना की मन्नत पूरी होने पर छतरपुर के गंज गांव के एक हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद पूर्व सीएम भारती ने खुलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह ऐलान उनका वैसा ही है जैसा उन्होंने 2019 चुनाव के एक साल पहले चुनाव नहीं लड़ने का किया था। उमा भारती के चुनाव लड़ने के ऐलान से खजुराहो सीट पर ज्यादा असर पड़ेगा। भारती यहां से लगातार चार बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वैसे भी मौजूदा सांसद विष्णुदत्त शर्मा को यहां अभी तक बाहरी माना जाता है। शर्मा मुरैना के रहने वाले हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर भारती अपने प्रयासों के बारे में बुंदेलखंड के लोगों को कई बार बता चुकी हैं। खासकर वे छतरपुर-खजुराहो में यह बातें खुलकर कहती रही हैं।
पीएम ने 'मेडिकल' में निवेश करने का आह्वान किया
पीएम ने 'मेडिकल' में निवेश करने का आह्वान किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। यूक्रेन संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में प्राइवेट सेक्टर से मेडिकल शिक्षा में निवेश करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, “क्या हमारे प्राइवेट सेक्टर बहुत बड़ी मात्रा में इस फील्ड में नहीं आ सकते, क्या हमारी राज्य सरकारें इस प्रकार के काम के लिए जमीन देने में उम्दा नीतियां नहीं बना सकते। ताकि अधिकतम डॉक्टर और पैरामेडिक्स हमारे यहां तैयार हों। इतना ही नहीं हम दुनिया की मांग पूरा कर सकते हैं।आम बजट-2022 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आयोजित एक वेबिनार का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार का प्रयास आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के हर व्यक्ति तक किफायती इलाज पहुंचाने का है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य पर तो है ही, इसके साथ ही उसकी कोशिश आयुष जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में शोध को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में उसकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी है। उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के हर व्यक्ति, हर हिस्से तक बेहतर और किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। हमारा प्रयास है कि गंभीर बीमारियों के इलाज की स्वास्थ्य सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर हों, जिला स्तर पर हों, गांवों के नजदीक हों।” उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं से जुड़ी अवसंरचना की देखभाल और समय-समय पर उसमें सुधार भी जरूरी है और इसके लिए निजी और दूसरे क्षेत्र को भी ज्यादा ऊर्जा के साथ आगे आना होगा।
देश की रक्षा, यूक्रेनी सैनिक ने खुद को बम से उड़ाया
देश की रक्षा, यूक्रेनी सैनिक ने खुद को बम से उड़ाया
सुनील श्रीवास्तव
कीव/मास्को। रूस लगातार यूक्रेन की सेना पर हमला कर रहा है। हालात कमजोर होने के बावजूद यूक्रेन की सेना रुसी सैनिकों से जमकर मुकाबला कर रही है। इस बीच यूक्रेन के एक युवा सैनिक की बहादुरी खूब चर्चा बटोर रही है। एक रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार यूक्रेन का यह सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए अपने जान की परवाह किये बिना खुद को बम से उड़ा लिया। दरअसल युद्ध में अपनी जान न्योछावर करने वाले इस यूक्रेनी सैनिक का नाम विटाली शाकुन है। यूक्रेन की सेना ने विटाली को हीरो बताते हुए, सोशल मीडिया पर उनकी कहानी साझा की है।
बता दें रूस की सेना लगातार यूक्रेन पर हमले किये जा रही है। इसके साथ ही यूक्रेन की सेना भी इसका बहादुरी से जवाब दे रही है। इस दौरान क्रीमिया के पास खेरसॉन क्षेत्र से खबर मिली की वहां बने पुलों को पार कर रूसी सेना तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसे में उन्हें रोकने के लिए यूक्रेनी आर्मी अलर्ट हो गई। एक रिपोर्ट के अनुसार, खेरसॉन क्षेत्र में तैनात यूक्रेनी सैनिक विटाली शाकुन ने आगे बढ़कर सेना का मोर्चा संभाला और पुल के साथ खुद को भी धमाके में उड़ा लिया। बता दें विटाली शाकुन ने ऐसा इसलिए किया ताकि रूसी सैनिक शहर में प्रवेश ना कर पाएं। जिस पुल को सैनिक वीटाली ने ध्वस्त किया वो रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को यूक्रेन से जोड़ता है। विटाली शाकुन इस पुल का प्रबंधन कर रहे थे।
विटाली शाकुन की बहादुरी को यूक्रेन की आर्मी ने सैल्यूट करते हुए कहा कि “रूस से मुकाबले के लिए वहां स्पेशल मरीन बटालियन तैनात थी। इस बटालियन के इंजीनियर विटाली शाकुन ने क्रीमिया के पास बने पर रूसी सेना के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा था। रूसी टैंक को राजधानी की ओर बढ़ने से रोकने के लिए पुल को उड़ाने का फैसला लिया गया था। पुल को उड़ाने के लिए विटाली शाकुन को बुलाया गया। पुल को इस तरह उड़ाना था कि रूसी सेना आगे न बढ़ सके। विटाली ने अपनी जान पर खेलकर मिशन को अंतिम सांस तक अंजाम दिया। लेकिन वे वहां से निकल नहीं सके। पुल को उड़ाने के लिए उन्होंने जो धमाका किया उस दौरान इस जांबाज सैनिक (विटाली शाकुन) की मौत हो गई।
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