'सीरियल ब्लास्ट' मामलें में 38 दोषियों को फांसी
मोमीन अहमद
गांधीनगर। अहमदाबाद में साल 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामलें में विशेष अदालत ने शुक्रवार को 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। जबकि 11 को उम्रकैद हुई है। 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। 26 जुलाई 2008 में हुए धमाके में 56 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, 200 से लोग ज्यादा घायल हो गए थे। अदालत ने करीब 13 साल तक चले मुकदमे के बाद हाल ही में 49 लोगों को इस बम कांड में दोषी करार दिया था। न्यायाधीश एआर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए 21 सिलसिलेवार धमाकों केआरोप में जिन लोगों को दोषी करार दिया है। उनमें सफदर नागोरी, जावेद अहमद और अतीकुर रहमान भी शामिल हैं।
अदालत ने इस मामले में 77 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। अदालत ने 49 अभियुक्तों को गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा-16, जो आतंकवाद से जुड़ा है और अन्य प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या), धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी करार दिया है। इस मामले में कोर्ट में 547 अरोप पत्र दाखिल किए गए और 1,163 गवाहों को पेश किया गया।
उन्होंने कहा, ‘अदालत ने 28 अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। बरी किए गए अभियुक्तों में मोहम्म्द इरफान, नासिर अहमद और शकील अहमद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान अभियुक्तों को विभिन्न कारागारों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश किया गया। पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं.पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी।