शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022
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'सीरियल ब्लास्ट' मामलें में 38 दोषियों को फांसी
'सीरियल ब्लास्ट' मामलें में 38 दोषियों को फांसी
मोमीन अहमद
गांधीनगर। अहमदाबाद में साल 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामलें में विशेष अदालत ने शुक्रवार को 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। जबकि 11 को उम्रकैद हुई है। 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। 26 जुलाई 2008 में हुए धमाके में 56 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, 200 से लोग ज्यादा घायल हो गए थे। अदालत ने करीब 13 साल तक चले मुकदमे के बाद हाल ही में 49 लोगों को इस बम कांड में दोषी करार दिया था। न्यायाधीश एआर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए 21 सिलसिलेवार धमाकों केआरोप में जिन लोगों को दोषी करार दिया है। उनमें सफदर नागोरी, जावेद अहमद और अतीकुर रहमान भी शामिल हैं।
अदालत ने इस मामले में 77 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। अदालत ने 49 अभियुक्तों को गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा-16, जो आतंकवाद से जुड़ा है और अन्य प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या), धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी करार दिया है। इस मामले में कोर्ट में 547 अरोप पत्र दाखिल किए गए और 1,163 गवाहों को पेश किया गया।
उन्होंने कहा, ‘अदालत ने 28 अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। बरी किए गए अभियुक्तों में मोहम्म्द इरफान, नासिर अहमद और शकील अहमद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान अभियुक्तों को विभिन्न कारागारों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश किया गया। पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं.पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी।
सरकार ने राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार का गठन किया
सरकार ने राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार का गठन किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार का गठन किया। जो बांधों से जुड़े हादसों की रोकथाम, उनकी सुरक्षा और अंतर राज्यीय मुद्दों के समाधान का कार्य करेगा। बांध सुरक्षा विधेयक को पिछले वर्ष 8 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिली थी।इसमें बांध टूटने से संबंधित आपदाओं की रोकथाम के लिए निर्धारित बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान करता है। इसमें भारतीय बांध सुरक्षा समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण गठित करने तथा बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि, ” केंद्र सरकार एक प्राधिकार का गठन कर रही है। जिसे राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार के नाम से जाना जायेगा। यह कानून के तहत राष्ट्रीय प्राधिकार के रूप में अपनी शक्तियों का उपयोग करेगा और दायित्वों का निर्वाह करेगा।” इसमें कहा गया है कि, ” इसे 18 फरवरी 2022 को नियुक्त किया गया है और यह इस दिन से प्रभाव में आयेगा। ” अधिसूचना के अनुसार, इस प्राधिकार के प्रमुख एक अध्यक्ष होंगे और उनकी सहायता पांच सदस्य करेंगे जो इसकी पांचों इकाइयों का नेतृत्व करेंगे। इनमें नीति एवं शोध, तकनीकी, नियमन, आपदा और प्रशासन एवं वित्त इकाई शामिल है।
कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद जताईं: पायलट
कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद जताईं: पायलट
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पंजाब में अपनी पार्टी को एक बार फिर से सरकार बनाने की उम्मीद जताते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में विपक्ष बिखरा हुआ है और इनमें से कोई दल या गठबंधन बहुमत हासिल करने की स्थिति में नहीं है तथा ऐसे में लोग अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि संवदेनशील सीमावर्ती राज्य पंजाब में शासन करने के लिए कांग्रेस सबसे योग्य है और आम आदमी पार्टी में यह करने की क्षमता का अभाव है। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट ने कहा कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया क्योंकि वह विधायकों का विश्वास खो चुके थे और उनकी नवगठित ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ एवं उनकी सहयोगी भाजपा तथा शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) का इस चुनाव में कोई असर नहीं होगा।
पुस्तकालय खोलने के लिए 'धन संग्रह' की अपील
पुस्तकालय खोलने के लिए 'धन संग्रह' की अपील
अमित शर्मा
बठिंडा। गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लक्खा सिधाना पंजाब के बठिंडा जिले में मौड़ विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं और उन्होंने लोगों से अखबार पढ़ने, पुस्तकालय खोलने के लिए धन संग्रह करने की अपील की है। उनका कहना है कि वह पंजाबी भाषा को बढ़ावा देना चाहते हैं। सिधाना गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में पिछले साल हुई हिंसा के आरोपियों में से एक है और उन्हें विभिन्न किसान संघों के राजनीतिक संगठन संयुक्त समाज मोर्चा ने प्रत्याशी बनाया है।
कई आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे 42 वर्षीय सिधाना केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में काफी सक्रिय थे। सिधाना जब भी चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तो कहते हैं कि ‘मैं निर्भीक व्यक्ति हूं जो अपने लोगों के लिए आवाज उठा सकता है। आप सभी ने किसानों के आंदोलन में मेरे योगदान को देखा है। सिधाना ‘मां बोली पंजाबी’ (पंजाबी भाषा) और पंजाबियत को बढ़ावा देने की आवश्यकता का जिक्र भी करते हैं।
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