मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

पीएम को विकास कार्य पर ध्यान देना चाहिए: सीएम

पीएम को विकास कार्य पर ध्यान देना चाहिए: सीएम  
नरेश राघानी      
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि देश में अघोषित ‘आपातकाल’ है और कोई नहीं जानता की देश किस दिशा में जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ’70 साल की कमियां सामने लाने के बजाय विकास कार्य पर ध्यान देना चाहिए।’
कांग्रेस को लेकर ‘आपातकाल लगाने वाले लोकतंत्र की बात कर रहे हैं’ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा,”आज अघोषित आपातकाल है।(लालकृष्ण) आडवाणी ने खुद सरकार बनते ही संकेत दिया था। दबाव पड़ा आरएसएस का उन पर, उनको चुप होना पड़ा … देश जानता है।
‘गहलोत ने कहा, कि ‘ वह आपातकाल लगा, एक फैसला हुआ दुनिया को मालूम है। उसके बाद हमारी सरकार चली गई उसको गिनाने का क्या तुक है। सब जानते हैं कि आपातकाल लगा था, किन कारणों से लगा, क्यूं लगा था, क्या हुआ आपातकाल में … क्या खमियां क्या उपलब्धियां रही यह तो अनुसंधान का विषय हो सकता है।
‘ गहलोत के अनुसार, ‘ लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर यह बात कहें .. जैसे उन्होंने इंडिया गेट पर कहा कि हम 70 साल की कमियों को डंके की चोट पर सामने लाएंगे …. आप कमियां ही बताते रहेंगे या अपना खुद का इतिहास बनाएंगे। कमियों को एक्सपोज करते-करते समय निकल जाएगा, आपका … आप विकास की बात करें तो समझ में आता है।
कांग्रेस पर मजदूरों को भड़काने के प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य पर मुख्यमंत्री ने कहा,”देश में क्या हो रहा है, देश किस दिशा में जा रहा है किसी को नहीं मालूम… देश में हिंसा, अशांति, अविश्वास व तनाव का माहौल है… यह हमारे आरोप हैं राजग, भाजपा व आरएसएस पर और प्रधानमंत्री मोदी उलटा हमें कह रहे हैं हम लोगों को भड़का रहे हैं।

बम धमाकों के मामलें में 49 को दोषी करार दिया

बम धमाकों के मामलें में 49 को दोषी करार दिया 
इकबाल अंसारी      
अहमदाबाद। अहमदाबाद में वर्ष 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामलें में यहां की विशेष अदालत ने मंगलवार को 49 लोगों को दोषी करार दिया। इन धमाकों में कुल 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य लोग घायल हुए थे। न्यायाधीश एआर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए 21 सिलसिलेवार धमाकों में आरोपी 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 
अदालत ने कहा कि दोषियों की सजा की अवधि पर सुनवाई बुधवार को शुरू होगी। अदालत ने जिन लोगों को दोषी करार दिया है। उनमें सफदर नागोरी, जावेद अहमद और अतीकुर रहमान भी शामिल हैं। निचली अदालत ने धमाकों के करीब 13 साल बाद फैसला सुनाया है और मामले में 77 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी।
विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने बताया कि अदालत ने 49 अभियुक्तों को गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा-16, जो आतंकवाद से जुड़ा है और अन्य प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या), धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी करार दिया है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जोर दिया कि यह आतंकवादी गतिविधि है और अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान 547 अरोप पत्र दाखिल किए गए और 1,163 गवाहों को पेश किया गया।
उन्होंने कहा कि ‘अदालत ने 28 अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। फैसले को पढ़ने के बाद विस्तृत जानकारी मिलेगी जिसे उन्होंने अबतक नहीं देखा है।” पटेल ने बताया कि बरी किए गए अभियुक्तों में मोहम्म्द इरफान, नासिर अहमद और शकील अहमद शामिल हैं। मंगलवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान अभियुक्तों को विभिन्न कारागारों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश किया गया।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि सजा पर सुनवाई होने के दौरान भी अभियुक्त वीडियो कांफ्रेस के जरिये अदालत की कार्रवाई में शामिल होंगे। अहमदाबाद में हुए धमाकों के तार प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (आईएम)से जुड़े हुए थे और दिसंबर 2009 में कुल 78 लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी। बाद में एक आरोपी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद कुल अभियुक्तों की संख्या 77 रह गई।
वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि चार आरोपियों की गिरफ्तारी बाद में हुई थी और उनके मामलों की सुनवाई अब भी पूरी होनी बाकी है। उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई 2008 में 70 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में कुल 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी। अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद पुलिस को सूरत के विभिन्न इलाकों में बम मिले थे जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने के बाद मामले की सुनवाई हुई।

एचसी ने जनहित याचिका पर जवाब दाखिल किया

एचसी ने जनहित याचिका पर जवाब दाखिल किया
कविता गर्ग    
मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को उस जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया।जिसमें तीनों सत्तारूढ़ दलों द्वारा अक्तूबर 2021 में राज्य में आयोजित एक दिवसीय बंद को चुनौती दी गई है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर तीनों दल अपना हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो इसके ‘नतीजे सामने आएंगे।
जनहित याचिका (पीआईएल) मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो सहित चार वरिष्ठ नागरिकों ने की है। इसमें उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के विरोध में 11 अक्टूबर 2021 को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के तीन घटकों द्वारा बुलाए गए एक दिवसीय बंद को चुनौती दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि तीनों दल चाहें तो तीन हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘अगर नहीं तो अदालत उनके जवाब के बगैर ही याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी। अगर वे (राजनीतिक दल) अपना हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो इसके परिणाम सामने आएंगे।’
याचिका के मुताबिक, लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के खिलाफ और कृषि कानूनों पर अब खत्म हो चुके किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता दर्शाने के लिए तीन अक्टूबर को बुलाए गए बंद से सरकारी खजाने को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2021 में राज्य सरकार और तीनों दलों को अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
मंगलवार को अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय और मांगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता आरडी सोनी ने अदालत को बताया कि अभी तक किसी भी प्रतिवादी राजनीतिक दल ने कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया है।
याचिका में उच्च न्यायालय से बंद को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने के साथ ही तीनों राजनीतिक दलों को प्रभावित नागरिकों को मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई है। अदालत ने मंगलवार को प्रतिवादियों को अपना हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई पांच सप्ताह के बाद निर्धारित कर दी।

शांतिश्री पंडित की नियुक्ति, कड़ी आलोचना की

शांतिश्री पंडित की नियुक्ति, कड़ी आलोचना की  

अकांशु उपाध्याय    

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति (वीसी) के रूप में शांतिश्री धूलिपुडी पंडित की नियुक्ति की मंगलवार को कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की ‘औसत दर्जे की नियुक्तियां हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुकसान पहुंचाती हैं।

‘ विश्वविद्यालय की कुलपति का पदभार संभालने के बाद पंडित द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को वरूण ने ट्विटर पर साझा किया और कहा कि यह ‘निरक्षरता’ का प्रदर्शन है। भाजपा सांसद ने कहा कि ‘जेएनयू की नयी वीसी की यह प्रेस विज्ञप्ति ‘निरक्षरता’ का प्रदर्शन है, जिसमें व्याकरण संबंधी अशुद्धियों की भरमार है। इस तरह की औसत दर्जे की नियुक्तियां हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुकसान पहुंचाती हैं।


शिवसेना के 8 कार्यकर्ताओं ने 'आत्मसमर्पण' किया

शिवसेना के 8 कार्यकर्ताओं ने 'आत्मसमर्पण' किया   

कविता गर्ग    

मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया पर हुए कथित हमले के मामले में शिवसेना के आठ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पुणे पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि सोमैया ने दावा किया था कि शनिवार को पुणे नगर निगम कार्यालय के परिसर में ”शिवसेना के गुंडो” ने उनपर उस वक्त हमला कर दिया। 

जब वह विशाल कोविड-19 अस्पताल को संचालित करने के अनुबंधों में अनियमितता के आरोपों के सिलसिले में वहां गये थे।स्थानीय भाजपा नेताओं की शिकायत पर पुलिस ने 60 से 70 लोगों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने, दंगा करने, गलत तरीके से रोकने, नुकसान पहुंचाने, मानव जीवन को खतरे में डालने सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया है। पुलिस निरीक्षक (अपराध) अनिता मोरे ने बताया कि शिवसेना की पुणे शहर इकाई के अध्यक्ष संजय मोरे और सात अन्य ने मंगलवार को शिवाजीनगर पुलिस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया।

इस बीच, घटना का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें सोमैया लोगों द्वारा घेरे हुए दिख रहे हैं और सुरक्षा कर्मियों द्वारा उन्हें कार में ले जाने से पहले वह पुणे नगर निगम परिसर में सीढ़ियों पर गिरते नजर आ रहे हैं। घटना के बाद सोमैया को शहर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने कहा कि वह पीठ के बल गिरे थे और उनकी कलाई में भी चोट आई है।

रक्षामंत्री ने सीएम पुष्कर की जमकर तारीफ की

रक्षामंत्री ने सीएम पुष्कर की जमकर तारीफ की 


अकांशु उपाध्याय            

नई दिल्ली। देश में इन दिनों पुष्पा फ़िल्म के डायलॉग की काफी चर्चा है। क्या नेता क्या अभिनेता सभी की जुबान पर डायलॉग चढ़ता जा रहा हैं ? ऐसे में अब देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस फ़िल्म का डायलॉग बोला और सीएम पुष्कर सिंह धामी की जमकर तारीफ कर डाली।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि बुधवार को फिल्म पुष्पा का नाम काफी चर्चा में है और हमारे सीएम का नाम पुष्कर है, लेकिन यह क सुनकर कांग्रेस के लोग समझते हैं कि ये पुष्कर तो फ्लॉवर है, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अपना पुष्कर फ्लॉवर भी है और फायर भी। हमारा पुष्कर ना कभी झुकेगा, ना कभी रूकेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। कुछ दिन पहले  सीएम के पुष्पा अवतार के विडिओ के भी  सोशल मीडिया में जमकर चढ़ते हुए। वहीं इससे पहले भी कई बार केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सीएम पुष्कर सिंह धामी की जमकर तारीफ कर चुके हैं।

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27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा

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