दिव्यांग आरोपी की जमानत याचिका मंजूर: एससी
कविता गर्ग
मुबंई। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) और नशीले पदार्थ विरोधी कानून के तहत दर्ज एक मामले के दिव्यांग आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। शीर्ष अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के जुलाई 2021 के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर इस सप्ताह की शुरुआत में आदेश पारित किया। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि यदि आरोपी नशीले पदार्थों के व्यापार में संलिप्त पाया जाता है या किसी अन्य अपराध में शामिल पाया जाता है, तो अभियोजन को निचली अदालत से जमानत रद्द करने का अनुरोध करने की छूट होगी।
शीर्ष अदालत ने आरोपी के वकील के इस अभिवेदन पर गौर किया कि याचिकाकर्ता एक दिव्यांग व्यक्ति है और कृत्रिम पैर ‘जयपुर फुट’ का इस्तेमाल करता है तथा हिरासत में उसका 12 किलोग्राम वजन कम हो गया है। उसने कहा कि याचिकाकर्ता का जयपुर फुट भी उसके नाप के अनुसार भी नहीं है। वकील ने कहा कि कि याचिकाकर्ता को जनवरी 2018 में स्वापक नियंत्रण एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम और मकोका के प्रावधानों के तहत पुणे में दर्ज मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। शीर्ष अदालत ने एक आदेश में कहा, ‘उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों और इस तथ्य को देखते हुए कि मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है, जबकि याचिकाकर्ता चार साल से हिरासत में है, हिरासत में बंद रखे जाने की अवधि उस गिरोह से उसके संबंध पर तार्किक रूप से विराम लगा देगी, जिसका प्रमुख हिरासत में है। निचली अदालत जिन नियम एवं शर्तों को संतोषजनक मानती है, उनके पालन की शर्त पर हम याचिकाकर्ता को जमानत देने के इच्छुक हैं।
पीठ ने कहा कि राज्य के वकील ने मकोका के प्रावधानों को लागू किए जाने के आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया और याचिकाकर्ता का एक अन्य आरोपी के गिरोह से संबंध पाया गया, जो हिरासत में है। शीर्ष अदालत ने जमानत याचिका मंजूर करते हुए शर्त रखी कि याचिकाकर्ता हर वैकल्पिक सोमवार को पूर्वाह्न में स्थानीय पुलिस थाने में पेश होगा। दक्षिण मुंबई में अफ्रीकी मूल के नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसने के लिए अब पुलिस ने बार-बार पकड़े जाने वाले आरोपियों के खिलाफ संगठित अपराध विरोधी कानून मकोका के तहत एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है। डोंगरी और जेजे मार्ग पुलिस ने साल 2018 में नशीले पदार्थों के 628 मामलों में कार्रवाई की।