10 करोड़ रंगों को पहचान सकती हैं एंटिको, रिसर्च
अखिलेश पांंडेय सिडनी। ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली कॉन्सेहटा एंटिको की आंखें खास हैं। इनकी आंखें 10 करोड़ रंगों को पहचान सकती हैं। कॉन्सेेटा कहना है, बचपन से ही मुझे इसका असर दिखाई देने लगा था। मुझे हर चीज के कई रंग दिखाई देते थे और मैं उन्हें अपनी पेंटिंग में उतार देती थी। लेकिन यह मालूम नहीं था कि मेरे आंखें इतनी खास हैं। यह जानकारी एक रिसर्च के बाद मिली। दुनिया में ऐसे मात्र 1 फीसदी लोग ही होते हैं।
एक की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्से टा की आंख टेट्राक्रोमेट हैं। आसान भाषा में समझें तो आम लोगों की आंखों में तीन कोन (शंकु) होते हैं, पर इनकी आंख में 4 कोन हैं। आमतौर पर एक कोन में 10 लाख से अधिक रंगों को पहचानने की क्षमता होती है। वैज्ञानिकों का कहना है, 4 कोन वाली टेट्राक्रोमेट आंखों में 10 करोड़ रंगों को पहचानने की पावर होती है।
टेट्राक्रोमेट आंखों के कारण कॉन्सेटा को हर चीज के ऑरिजनल रंग दिखते हैं, जबकि आम इंसान को इतने रंग नहीं दिखते। वह कहती हैं, पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अमेरिका के सैन डिएगो आ गईं। 2012 के बाद टेट्राक्रोमेट आंखों को लेकर न्यूकरोलॉजी के एक छात्र ने स्टएडी की। रिसर्च में सामने आया कि ऐसी आंखों वाली महिला की बेटी में कलर ब्लानइंडनेस होने का खतरा रहता है।
रिसर्च के परिणाम सामने आने से कुछ समय पहले ही एंटिको की बेटी में कलर ब्लायइंडनेस का पता चला था। इस तरह इन्हें अपनी आंखों की जानकारी मिली। एंटिको अब कलर ब्लाटइंडनेस से जूझने वाले लोगों की मदद कर रही हैं। उनका मानना है कि अगर मरीज में समय से कलर ब्लाेइंडनेस का पता चल जाए तो कुछ हद तक इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
इंसान में टेट्राकोमेट आंखें क्यो होती हैं, इस कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की किंबर्ले जेम्सोन कहती है, 15 फीसदी महिलाओं में ऐसा जीन पाया जाता है जो इस तरह की आंखों के लिए जिम्मे दार होता है। इस तरह की आंखों के मामले सिर्फ महिलाओं में ही सामने आते हैं क्योंकि वह जीन एक्स क्रोमोसोम को प्रभावित करता है। जीन के म्यूलटेशन के कारण ही चौथा कोन बनता है और ऐसा सिर्फ 1 फीसदी लोगों में होता है।