सोमवार, 31 जनवरी 2022
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हलफनामा दाखिल करने का 'एक और अवसर' दिया
हलफनामा दाखिल करने का 'एक और अवसर' दिया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इस बात पर नाराजगी जाहिर कि केंद्र ने अभी तक उस याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी गई है। न्यायालय ने सरकार को 7,500 रुपये का अर्थदंड जमा करने की सूरत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का “एक और अवसर” दिया है।
वैकल्पिक रूप में, याचिका में केंद्र को राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक की पहचान के लिए दिशा-निर्देश देने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने सात जनवरी को केंद्र को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का “अंतिम अवसर” दिया था। न्यायालय ने कहा था कि सरकार को इस मुद्दे पर “एक रुख” अपनाना होगा। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को सोमवार को सूचित किया गया कि केंद्र ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध के साथ एक पत्र प्रसारित किया है। याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें केंद्र द्वारा केवल सीमित उद्देश्य के लिए प्रसारित पत्र पर आपत्ति है क्योंकि मामले में सरकार का रुख महत्वपूर्ण होगा और उन्हें कम से कम इसमें तेजी लानी चाहिए।
पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा, “आपने एक पत्र प्रसारित किया है लेकिन आप केवल पत्र प्रसारित कर रहे हैं। बाकी सब कुछ हो रहा है। आपको एक रुख अपनाना होगा।” एएसजी ने कोविड-19 की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि सरकार इसपर कोई फैसला लेगी। पीठ ने कहा कि याचिका पर 28 अगस्त 2020 को नोटिस जारी किया गया था। न्यायालय ने कहा कि ऐसे बहाने मत बनाइए जिन्हें स्वीकार करना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो। पीठ ने कहा कि यह “अनुचित” है कि केंद्र ने अभी तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। पीठ ने कहा, “हम याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के अनुरोध के अनुसार एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) अधिवक्ता कल्याणा निधि में 7,500 रुपये की रकम जमा करने पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का एक और अवसर प्रदान करते हैं।” इस मामले में अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी।
आग्नेयास्त्र की तस्करी, गिरोह का भंडाफोड़ किया
आग्नेयास्त्र की तस्करी, गिरोह का भंडाफोड़ किया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने हथियारों (आग्नेयास्त्र) की तस्करी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर 60 वर्षीय तस्कर को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि तस्कर के पास से 10 अत्याधुनिक पिस्तौल और 20 जिंदा कारतूस जब्त किए गए हैं।
पुलिस के मुताबिक आरोपी की पहचान कासिम अली के रूप में की गयी है और वह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर का रहने वाला है। कासिम मध्य प्रदेश से हथियार और गोला-बारूद मंगवाता था और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आगे उनकी तस्करी करता था। पुलिस के मुताबिक कासिम ने पिछले तीन वर्षों के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 500 से अधिक आग्नेयास्त्रों की आपूर्ति की है।
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के उपायुक्त जसमीत सिंह ने कहा कि पुलिस की टीम को सूचना मिली थी कि कासिम अपने सहयोगियों की मदद से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हथियारों की तस्करी करने का काम करता था। उसके और गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पुलिस ने निगरानी शुरू की। इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए गुप्त सूत्रों को तैनात किया गया था। पुलिस उपायुक्त के मुताबिक आरोपी कासिम को शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात यहां पुल प्रह्लादपुर के पास एमबी रोड से गिरफ्तार किया गया। कासिम इस काम में पिछले 15 वर्षों से शामिल था।
खुदकुशी मामलें से जुड़ी जांच सीबीआई को सौंपीं
खुदकुशी मामलें से जुड़ी जांच सीबीआई को सौंपीं
इकबाल अंसारी मद्रास। मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ ने सोमवार को 17 वर्षीय लड़की के खुदकुशी मामलें से जुड़ी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया। आरोप है कि लड़की को कथित रूप से धर्म परिवर्तित करके ईसाई बनने के लिए बाध्य किया गया था। न्यामूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता, लड़की के पिता और स्कूल प्रबंधन की दलीलों के मद्देनजर जांच हस्तांतरित करने का आदेश दिया।
आदेश में कहा गया है कि लड़की को मरणोपरांत न्याय दिलाना अदालत का कर्तव्य है, लेकिन अब तक के हालात से ऐसा लग रहा है कि जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा कि ‘मैं सीबीआई निदेशक, नई दिल्ली को निर्देश देता हूं कि वह राज्य पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें। सीबीआई स्वतंत्र जांच करेगी और इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी को ध्यान में नहीं रखेगी।
तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी, जिसने कुछ दिन पहले कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी। छात्रावास में रह रही इस लड़की को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था। इस संबंध में वीडियो भी वायरल हुआ था। हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज करते हुए इस ममाले में स्वार्थ तलाशने वाले तत्वों को दोषी ठहराया है। इस मामले में पीड़िता के पिता ने पहले सीबी-सीआईडी की मांग की थी, लेकिन अंतिम सुनवाई के दौरान उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की।
कोविड डैशबोर्ड पर भारत का गलत नक्शा दिखाया
कोविड डैशबोर्ड पर भारत का गलत नक्शा दिखाया
अखिलेश पांडेय वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड डैशबोर्ड पर भारत का गलत नक्शा दिखाया गया है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने नरेंद्र मोदी सरकार से इस पर सख्त रुख अपनाने को कहा है। नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा और गलती को लेकर रविवार को ट्वीट भी किया। उन्होंने पीएम मोदी को लिखे खत में कहा, 'जब मैंने डबल्यूएचओ की साइट पर क्लिक किया, तो दुनिया का नक्शा मेरे सामने आया। जब मैंने उसे भारत के हिस्से को लेकर जूम किया तो एक नीला नक्शा मेरे सामने आया और जम्मू-कश्मीर के लिए दो अलग-अलग रंग दिखाई पड़े। सेन ने कहा कि जब उन्होंने नीले हिस्से पर क्लिक किया, तो नक्शा उन्हें भारत का डेटा दिखा रहा था, लेकिन दूसरा हिस्सा पाकिस्तान का कोविड-19 डेटा दिखा रहा था। तृणमूल कांग्रेस सांसद ने यह भी दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश राज्य के एक हिस्से का अलग से सीमांकन किया गया था।
इसे एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए टीएमसी सांसद ने कहा कि भारत सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए थी और इस मुद्दे को बहुत पहले ही उठाना चाहिए था। सेन ने यह भी कहा कि भारत के लोगों को सूचित किया जाना चाहिए कि इतनी बड़ी गलती को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा है। 2021 में, ट्विटर ने भारत के नक्शे को गलत तरीके से पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर को एक अलग देश और लद्दाख के बड़े हिस्से को चीन के रूप में दर्शाया गया। ठीक दस महीने पहले, अक्टूबर 2020 में, ट्विटर ने लेह को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हिस्से के रूप में जियो-टैग किया था, जिसे लेकर भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अजय साहनी ने ट्विटर के संस्थापक और वैश्विक प्रमुख जैक डोर्सी को एक खत भी लिखा था। सरकार ने खत में कहा कि ट्विटर की ओर से भारत की संप्रभुता और अखंडता का अनादर करने का कोई भी प्रयास गैरकानूनी और पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, ट्विटर ने गलत नक्शा हटा दिया, जो पहले ट्विटर वेबसाइट के करियर सेक्शन में 'ट्वीप लाइफ' टाइटल के तहत नजर आ रहा था।
मणिपुर में बीजेपी प्रत्याशियों की घोषणा, बवाल
बीजेपी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के अधिकांश वफादारों को पार्टी का टिकट मिला है। तीन महिलाएं कांगपोकपी की नेमचा किपगेन, चंदेल की एसएस ओलिश और नौरिया पखंगलकपा की सोराइसम केबी देवी हैं। बीजेपी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन पूर्व अधिकारियों को भी मैदान में उतारा है। ये हैं - नुंगबा से डिंगंगलुंग गंगमेई, काकचिंग से येंगखोम सुरचंद्र सिंह और उरीपोक से रघुमणि सिंह। बीजेपी के मणिपुर चुनाव प्रभारी भूपेंद्र ने कहा, "बीजेपी सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी। मोदी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि मणिपुर को एक स्थिर सरकार मिले और वह क्षेत्र के विकास और शांति को सुनिश्चित करना जारी रखेगी।" मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत में है। इसमें बीजेपी के 30 विधायक, नेशनल पीपुल्स पार्टी के तीन विधायक, नगा पीपुल्स फ्रंट के चार और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
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