‘स्वास्थ्य योगदान’ के तहत कर भुगतान, नियम बनाया
सुनील श्रीवास्तव ओटावा। कनाडा के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत क्यूबेक में कोरोना का टीका नहीं लगाने वालों के लिए एक पहले के तौर पर नया नियम लागू किया गया है। जिसमें कोरोना की डोज नहीं लेने वाले व्यक्ति को जुर्माने के तौर पर कर (टैक्स) देना होगा। प्रांत में व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में एक बहस में यह नयी पहल की गयी। जिसमें कोविड-19 टीकाकरण से इनकार करने वाले लोगों को ‘स्वास्थ्य योगदान’ के तहत कर भुगतान करने के लिए नियम बनाया गया है।
प्रांत के प्रीमियर फ्रांस्वा लेगॉल्ट ने कहा, “करीब 10 फीसदी नागरिकों ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ अभी तक नहीं लगवाई है, ये स्वास्थ्य नेटवर्क पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं और अन्य नागरिकों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।” इसके साथ ही क्यूबेक पहला ऐसा स्थान बन गया है जहां कोरोना वैक्सीन की डोज नहीं लेने वाले को कर देना होगा। श्री लेगॉल्ट ने कहा, “कोरोना के खिलाफ जंग में टीके की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए हम ऐसे पर कर लगाना चाहते है जो बिना किसी चिकित्सा कारण के टीके की डोज लगवाने से इनकार कर रहे है। ऐसे लोग अन्य लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाडा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि प्रांत में 90 फीसद लाेगों को कोराना की डोज लग चुकी है। उन्होंने कहा कि आने वाले हफ्ते में गैर-टीकाकृत लोगों को टीका न लगवाने के एवज में 100 डॉलर से अधिक राशि कर के तौर पर देनी होगी।
अमेरिका: 40 सालों में तेज गति से बढ़ाईं महंगाई
अखिलेश पांडेय वाशिंगटन डीसी। अमेरिका महंगाई के दौरा से गुजर रहा है। अमेरिका में महंगाई पिछले महीने करीब 40 सालों की अपनी सबसे तेज गति से बढ़ी है। एक साल पहले की तुलना में महंगाई में 7 फीसदी की वृद्धि हुई है। घरेलू खर्च बढ़ गए हैं। साल 2021 के दौरान कारों, गैस, भोजन और फर्नीचर की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। इस दौरान महामारी की मंदी से बाहर आते हुए जैसे-जैसे अमेरिकियों ने खर्च बढ़ाया, श्रमिकों और कच्चे माल की कमी तथा इस बढ़े हुए मूल्य दबाव से आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव बना।श्रम विभाग ने बुधवार को बताया कि महंगाई का एक पैमाना, जिसमें अस्थिर भोजन और गैस की कीमतों को शामिल नहीं किया गया है।
दिसंबर में 5.5% उछल गया, जो दशकों में सबसे अधिक है। नवंबर के मुकाबले कुल महंगाई 0.5% बढ़ी है। आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के साथ मूल्य वृद्धि धीमी हो सकता है, लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई जल्द पूर्व-महामारी के स्तर पर वापस नहीं आएगी। वित्तीय सेवा कंपनी आईएनजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री जेम्स नाइटली ने कहा, "अमेरिकी महंगाई दबाव कम होने के कोई संकेत नहीं दिखा रहे हैं। थैचर और रीगन के दिनों से यह इतनी ज्यादा नहीं रही है। हम शिखर के करीब हो सकते हैं, लेकिन जोखिम यह है कि मुद्रास्फीति अधिक समय तक बनी रहती है।"संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1980 के दशक की शुरुआत से ऐसा कुछ नहीं देखा है। तब ब्याज दरें दर्दनाक स्तरों पर थीं। बैंकों के सर्वश्रेष्ठ ग्राहकों के लिए प्रमुख दर 1980 में 20% तक पहुंच गई थी और अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी का सामना करना पड़ा था। लेकिन, अमेरिका ने फिर मुद्रास्फीति पर काबू पाया था।
उच्च मुद्रास्फीति ने राष्ट्रपति जो बिडेन को रक्षात्मक मुद्रा में धकेल दिया है। मुद्रास्फीति के लिए बिडेन और कुछ कांग्रेसी डेमोक्रेट्स नेताओं ने बड़े निगमों को दोष देना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि मांस उत्पादक और अन्य उद्योग कीमतों और मुनाफे को बढ़ाने के लिए महामारी से प्रेरित कमी का फायदा उठा रहे हैं।उच्च मुद्रास्फीति न केवल अमेरिका के लिए एक समस्या है बल्कि यूरो मुद्रा का उपयोग करने वाले 19 यूरोपीय देशों में मुद्रास्फीति एक साल पहले की तुलना में दिसंबर में 5% बढ़ी है। यह रिकॉर्ड वृद्धि है।
एलएसी से आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटें: नरवणे
अखिलेश पांडेय नई दिल्ली/बीजिंग। भारत और चीन के बीच चल रही कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता के बीच थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एलएसी से आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटे हैं। लेकिन खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है। सेना प्रमुख ने चीन सीमा पर स्थिति के बारे में कहा कि किसी भी विवाद का समाधान निकालने के लिए युद्ध या संघर्ष हमेशा अंतिम उपाय होता है। अगर इस आखिरी विकल्प का भी सहारा लिया गया, तो बहुत विश्वास के साथ आश्वस्त कर सकता हूं कि हम ही विजयी होंगे। अपने कार्यकाल के आखिरी संवाददाता सम्मेलन में एमएम नरवणे ने सिलसिलेवार सेना की उपलब्धियों, थियेटर कमांड प्रक्रिया, आधुनिकीकरण की योजना, सेना में महिलाओं की भागीदारी, पाकिस्तान सीमा पर दुश्मन के छद्म युद्ध जैसे सवालों के बेबाकी से जवाब देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की। अपने 28 माह के कार्यकाल के महज चार माह बचने पर जनरल नरवणे ने कहा कि उनका अब तक का समय चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों से निपटने में बीता। उन्होंने कहा कि बीते साल जनवरी से हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सकारात्मक विकास हुआ है। उत्तरी सीमाओं पर हमने ऑपरेशनल तैयारियों पर फोकस करने के साथ ही बातचीत के माध्यम से चीनी सेना (पीएलए) के साथ वार्ता भी जारी रखी है। अब तक हुईं 13 दौर की वार्ताओं के दौरान एलएसी के कई विवादित इलाकों में आपसी सहमति से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने की प्रक्रिया भी पूरी हुई है।जनरल नरवणे ने आज मोल्डो में हो रही कोर कमांडर स्तर की 14वीं वार्ता के बारे पूछे जाने पर उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में हम इसमें प्रगति देखेंगे।
उन्होंने साफ कहा कि एलएसी से आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटे हैं, लेकिन खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है। सेना प्रमुख ने भारत की उत्तरी सीमा पर स्थिति को लेकर कहा कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सुरक्षा कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने पूर्वी लद्दाख समेत पूरे नॉर्दर्न फ्रंट में फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हथियारों की क्षमता बढ़ाई है। उत्तरी सीमा पर पिछले डेढ़ साल में हमारी क्षमता कई तरह से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पहले विवादित क्षेत्रों से विस्थापन होना है, फिर हम डी-इंडक्शन और वापस जाने की बात कर सकते हैं। पाकिस्तान सीमा के बारे में किये गए सवाल के जवाब में जनरल नरवणे ने स्वीकार किया कि पश्चिमी मोर्चे पर विभिन्न लॉन्च पैड में आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि हुई है और बार-बार नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ के प्रयास किए गए हैं। यह एक बार फिर हमारे पश्चिमी पड़ोसी के नापाक मंसूबों को उजागर करता है। नगालैंड में नागरिक हत्याओं की जांच की स्थिति पर सेना प्रमुख ने बताया कि सेना की जांच अंतिम चरण में है, रिपोर्ट एक या दो दिन में आनी चाहिए। देश का कानून सर्वोपरि है और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। हम ऑपरेशन के दौरान भी अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अरुणाचल प्रदेश में चीन के बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरों पर सेना प्रमुख बोले कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एलएसी अनिर्धारित है, इसलिए दोनों देशों में सीमा को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं कि सीमा वास्तव में कहां है। सीमा के मुद्दे अनसुलझे रहने तक इस तरह के मुद्दे सामने आते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अंतर खत्म करने के लिए इन समस्याओं का दीर्घकालीन समाधान खोजना है। हम अपनी सीमाओं के साथ अच्छी तरह से तैयार हैं और जरा भी संदेह नहीं करना चाहिए कि कोई भी अपनी मनमर्जी से सीमा की यथास्थिति बदल सकता है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि चीन से बातचीत चल रही है और हमेशा उम्मीद है कि हम बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम होंगे। एलएसी को लेकर 01 जनवरी से लागू हुए चीन के नए कानून के बारे में जनरल नरवणे ने कहा कि हम पर वह कोई भी कानून जाहिर तौर पर लागू नहीं हो सकता जो कानूनी रूप से अमान्य और हमारे साथ अतीत में हुए समझौतों के अनुरूप न हो।