शरणार्थियों के कैंप में आग, 1200 घर जलकर खाक
सुनील श्रीवास्तव ढाका। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में स्थित रोहिंग्या शरणार्थियों के कैंप में भीषण आग लगने की सूचना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आग में करीब 1200 रोहिंग्या शरणार्थियों के घर जलकर खाक हो गए। यह सब तब हुआ जब यहां स्थित कैंप16 शरणार्थी शिविर के काटा इलाके में रविवार को अचानक आग लग गई।आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। दअरसल, रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पुलिस बटालियन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कामरान हुसैन ने बताया कि आग रविवार शाम करीब पांच बजे लगी है। उन्होंने कहा कि आग तेजी से फैली और लगभग 1200 रोहिंग्या शरणार्थी घरों को नष्ट कर दिया। कॉक्स बाजार में उखिया फायर स्टेशन के स्टेशन अधिकारी ने बताया कि आग को रात तक बुझाया गया।
जानकारी के मुताबिक, शाम करीब 4.50 बजे आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की चार इकाइयां कॉक्स बाजार में मौके पर पहुंचे। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम करीब पांच बजे उन्होंने कैंप के ऊपर घना धुंआ उठते देखा। स्थानीय निवाली सद्दाम हुसैन ने बताया कि उन्होंने अचानक देखा कि आग में सैकड़ों घर जल रहे हैं।
इसे काबू करने में अग्निशमन सेवा और अन्य सरकारी एजेंसियों ने कड़ी मेहनत की। यह पहली बार नहीं है। जब रोहिंग्या शिविरों में आग लगी है। कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शिविरों में आग लगने की घटनाएं आम हो गई हैं। संबंधित अधिकारियों ने अक्सर ही गैस सिलेंडर को आग लगने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन इस बार रोहिंग्या शिविरों के कुछ लोगों ने दावा किया है कि आग आगजनी का परिणाम है।
चीन के कर्ज को कम करने की अपील: श्रीलंकाअखिलेश पांडेय कोलंबो। चीन के भारी-भरकम कर्ज के बोझ में दब चुके श्रीलंका ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से रहम की गुहार लगाई है। श्रीलंका ने चायनीज विदेश मंत्री वांग यी से श्रीलंका की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए भारी कर्ज के बोझ को कुछ कम करने की अपील की है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि, 'राष्ट्रपति ने कहा कि अगर महामारी के बाद आर्थिकसंकट को देखते हुए कर्ज भुगतान को पुनर्निर्धारित किया जा सकता है तो यह एक बड़ी राहत होगी।'आपको बता दें कि, श्रीलंका आर्थिक दिवालिएपन की कगार पर खड़ा हो चुका है और इस बीच चीनके विदेश मंत्री श्रीलंका के दौरे पर पहुंचे हैं और विश्लेषकों का मानना है कि, चीन के विदेश मंत्रीश्रीलंका पर और ज्यादा प्रेशर बनाने के लिए पहुंचे हैं।श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय चेतावनी को दरकिनार करते हुए चीन से जी-भरकर कर्ज लिया है और अब स्थिति ये है कि, चीन, श्रीलंका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता है और चायनीज विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की चेतावनी के बाद हुई है, कि श्रीलंका की राजपक्षे की सरकार डिफॉल्ट के कगार पर हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि, श्रीलंकी की सत्ता पर पिछले कई सालों से काबिज राजपक्षे परिवार ने देश की आर्थिक हालात को बर्बाद करके रख दिया है और इस साल के अंत तक श्रीलंका दिवालिया हो सकता है। वहीं, पर्यटन पर निर्भर रहने वाले श्रीलंका की स्थिति कोविड महामारी ने और भी ज्यादा बर्बाद कर दी है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है, वहीं, श्रीलंका के बाजारों में खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएं भी खत्म हो चुकी हैं और महंगाई काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
श्रीलंका की सरकार ने देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के नाम पर चीन से भारी-भरकम कर्ज उधार लिया है और कर्ज का एक बड़ा हिस्सा उन प्रोजेक्ट्स में खत्म हो चुके हैं, जो श्रीलंका के लिए सफेद हाथी पालने जैसा है। यानि, उन प्रोजेक्ट्स से सिर्फ चीन को ही फायदा होना है और श्रीलंका को कुछ नहीं मिलने वाला। चीन यही काम पाकिस्तान में भी कर रहा है, लेकिन इस वक्त पाकिस्तान को भी आटे-दाल की कीमत समझ नहीं आ रही है। श्रीलंकन सरकार की रिपोर्ट के मुकाबिक, दक्षिणी श्रीलंका में एक बंदरगाह निर्माण के लिए श्रीलंका ने चीन ने 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है, लेकिन अब वो इस कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है। वही, चीन साल 2017 में श्रीलंका से कोबंलो में बनाया गया हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए छीन चुका है और हंबनटोटा बंदरगाह निर्माण के लिए भी श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया था और उसे भी चुकाने में असमर्थ हो गया था। भारत और अमेरिका ने श्रीलंका को कई बार चायनीज कर्ज को लेकर चेतावनी दी थी हंबनटोटा पोर्ट के लिए श्रीलंका चीन के साथ सौदा नहीं करे, क्योंकि इससे चीन को सीधे तौर पर हिंद महासागर में एंट्री मिल जाएगी, लेकिन चीन के प्रेम में पड़े श्रीलंका की सरकार ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और फिर बाद में हंबनटोटा पोर्ट हाथ से गंवा दिया।श्रीलंकन सरकार की रिपोर्ट के मुकाबिक, दक्षिणी श्रीलंका में एक बंदरगाह निर्माण के लिए श्रीलंका ने चीन ने 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है।
श्रीलंका की सरकार ने देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के नाम पर चीन से भारी-भरकम कर्ज उधार लिया है और कर्ज का एक बड़ा हिस्सा उन प्रोजेक्ट्स में खत्म हो चुके हैं, जो श्रीलंका के लिए सफेद हाथी पालने जैसा है। यानि, उन प्रोजेक्ट्स से सिर्फ चीन को ही फायदा होना है और श्रीलंका को कुछ नहीं मिलने वाला। चीन यही काम पाकिस्तान में भी कर रहा है, लेकिन इस वक्त पाकिस्तान को भी आटे-दाल की कीमत समझ नहीं आ रही है। श्रीलंकन सरकार की रिपोर्ट के मुकाबिक, दक्षिणी श्रीलंका में एक बंदरगाह निर्माण के लिए श्रीलंका ने चीन ने 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है, लेकिन अब वो इस कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है। वही, चीन साल 2017 में श्रीलंका से कोबंलो में बनाया गया हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए छीन चुका है और हंबनटोटा बंदरगाह निर्माण के लिए भी श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया था और उसे भी चुकाने में असमर्थ हो गया था। भारत और अमेरिका ने श्रीलंका को कई बार चायनीज कर्ज को लेकर चेतावनी दी थी हंबनटोटा पोर्ट के लिए श्रीलंका चीन के साथ सौदा नहीं करे, क्योंकि इससे चीन को सीधे तौर पर हिंद महासागर में एंट्री मिल जाएगी, लेकिन चीन के प्रेम में पड़े श्रीलंका की सरकार ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और फिर बाद में हंबनटोटा पोर्ट हाथ से गंवा दिया।श्रीलंकन सरकार की रिपोर्ट के मुकाबिक, दक्षिणी श्रीलंका में एक बंदरगाह निर्माण के लिए श्रीलंका ने चीन ने 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है।
लेकिन अब वो इस कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है। वही, चीन साल 2017 में श्रीलंका से कोबंलो में बनाया गया हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए छीन चुका है और हंबनटोटा बंदरगाह निर्माण के लिए भी श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया था और उसे भी चुकाने में असमर्थ हो गया था। भारत और अमेरिका ने श्रीलंका को कई बार चायनीज कर्ज को लेकर चेतावनी दी थी हंबनटोटा पोर्ट के लिए श्रीलंका चीन के साथ सौदा नहीं करे, क्योंकि इससे चीन को सीधे तौर पर हिंद महासागर में एंट्री मिल जाएगी, लेकिन चीन के प्रेम में पड़े श्रीलंका की सरकार ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और फिर बाद में हंबनटोटा पोर्ट हाथ से गंवा दिया।
लेकिन अब वो इस कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है। वही, चीन साल 2017 में श्रीलंका से कोबंलो में बनाया गया हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए छीन चुका है और हंबनटोटा बंदरगाह निर्माण के लिए भी श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया था और उसे भी चुकाने में असमर्थ हो गया था। भारत और अमेरिका ने श्रीलंका को कई बार चायनीज कर्ज को लेकर चेतावनी दी थी हंबनटोटा पोर्ट के लिए श्रीलंका चीन के साथ सौदा नहीं करे, क्योंकि इससे चीन को सीधे तौर पर हिंद महासागर में एंट्री मिल जाएगी, लेकिन चीन के प्रेम में पड़े श्रीलंका की सरकार ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और फिर बाद में हंबनटोटा पोर्ट हाथ से गंवा दिया।
वहीं, श्रीलंका के विपक्षी सांसद और अर्थशास्त्री हर्षा डी सिल्वा ने हाल ही में संसद को बताया कि जनवरी 2022 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार माइनस 43.7 करोड़ डॉलर होगा, जबकि फरवरी से अक्टूबर 2022 तक देश को कुल 4.8 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। उन्होंने देश की संसद में कहा कि, 'श्रीलंका पूरी तरह से दिवालिया हो जाएगा'। वहीं, सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड काबराल ने सार्वजनिक आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपने कर्ज को धीरे धीरे चुकाने में सक्षम हो सकता है, लेकिन श्रीलंका के रिजर्व बैंक के पूर्व उप-गवर्नर विजेवर्धने ने कहा कि श्रीलंका के ऊपर डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है और अगर ऐसा होता है, तो इसके अंजाम भयानक होंगे।
वहीं, श्रीलंका के विपक्षी सांसद और अर्थशास्त्री हर्षा डी सिल्वा ने हाल ही में संसद को बताया कि जनवरी 2022 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार माइनस 43.7 करोड़ डॉलर होगा, जबकि फरवरी से अक्टूबर 2022 तक देश को कुल 4.8 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। उन्होंने देश की संसद में कहा कि, 'श्रीलंका पूरी तरह से दिवालिया हो जाएगा'। वहीं, सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड काबराल ने सार्वजनिक आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपने कर्ज को धीरे धीरे चुकाने में सक्षम हो सकता है, लेकिन श्रीलंका के रिजर्व बैंक के पूर्व उप-गवर्नर विजेवर्धने ने कहा कि श्रीलंका के ऊपर डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है और अगर ऐसा होता है, तो इसके अंजाम भयानक होंगे।
वहीं, श्रीलंकन अखबार द संडे मॉर्निंग की रिपोर्ट के मुताबिक, मुश्किल में फंसे श्रीलंका को गंभीर वित्तीय संकट से निकालने के लिए भारत सरकार 1.9 अरब डॉलर की मदद देने के लिए तैयार हो गई है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से 90 करोड़ डॉलर की दो वित्तीय सहायता पैकेज इसी महीने श्रीलंका पहुंचेंगे। भारत सरकार के सूत्रों ने द संडे मॉर्निंग को पुष्टि की है कि, 40 करोड़ डॉलर स्वैप सुविधा के तहत दी जाएगी, जबकि ईंधन के लिए 50 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन श्रीलंका को दी जाएगी। माना जा रहा है कि इनमें से एक सुविधा 10 जनवरी तक श्रीलंका सरकार के खजाने में पहुंच जाएगी। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार इस द्वीप की मदद के लिए तैयार हुई है, जो पहले चीन की तरफ झुकी दिखाई देती थी।
वहीं, श्रीलंकन अखबार द संडे मॉर्निंग की रिपोर्ट के मुताबिक, मुश्किल में फंसे श्रीलंका को गंभीर वित्तीय संकट से निकालने के लिए भारत सरकार 1.9 अरब डॉलर की मदद देने के लिए तैयार हो गई है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से 90 करोड़ डॉलर की दो वित्तीय सहायता पैकेज इसी महीने श्रीलंका पहुंचेंगे। भारत सरकार के सूत्रों ने द संडे मॉर्निंग को पुष्टि की है कि, 40 करोड़ डॉलर स्वैप सुविधा के तहत दी जाएगी, जबकि ईंधन के लिए 50 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन श्रीलंका को दी जाएगी। माना जा रहा है कि इनमें से एक सुविधा 10 जनवरी तक श्रीलंका सरकार के खजाने में पहुंच जाएगी। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार इस द्वीप की मदद के लिए तैयार हुई है, जो पहले चीन की तरफ झुकी दिखाई देती थी।