कोरोना 'महामारी' ने नागरिकों को संकट में डाला
मनोज सिंह ठाकुर
भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर की कड़वी यादों के बीच साल 2021 मध्यप्रदेश में कई अहम घटनाओं के लिए भी याद रखा जाएगा। वर्ष के मध्य में कोरोना के कारण घोर अनिश्चितताओं के दौर से गुजरने के बाद लोगों के साथ ही सरकार ने भी जीवन पटरी पर लाने के लिए भरसक प्रयास किए और इसके असर भी दिखायी दिए, लेकिन वर्ष के जाते जाते तीसरी लहर की आशंका ने एक बार फिर लोगों के मन में अनेक आशंकाओं को जन्म दे दिया है।
अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर ने सभी नागरिकों को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया। देश के विभिन्न हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश में भी एक बड़ी आबादी ऑक्सीजन, दवाओं और इलाज के लिए अस्पतालों में भटकती रही और असहाय नजर आई। इन स्थितियों में अनेक प्रिय लोगों को कोरोना ने छीन लिया।
ऐसे भी कई मामले प्रकाश में आए, जहां परिवार के अनेक सदस्य अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए। साल के अंत तक पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण ज्यादातर मुद्दों पर भारी पड़ गया, हालांकि लंबी राजनीति के बाद राज्य सरकार की ओर से पंचायत चुनाव संबंधित अध्यादेश वापस लेने के बाद एक बार फिर इन त्रिस्तरीय चुनावों का भविष्य अधर में लटक गया। इसके पहले भी सरकारी नौकरियों और अन्य स्थानों में ओबीसी आरक्षण की अनुगूंज सुनायी दी, लेकिन कानूनी झमेलों के कारण इसका लाभ संबंधित वर्ग को नहीं के बराबर मिल पाया।
वर्ष 2021 की शुरूआत में नजर डालें, तो नए वर्ष की शुरूआत लोगों ने इस उम्मीद के साथ की थी कि कोरोना की पहली लहर के बाद अब लोगों को इस महामारी से छुटकारा मिल जाएगा। इसके साथ ही जनवरी माह में कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य भी प्रारंभ हो गया था। फरवरी मार्च माह में जीवन पटरी पर लौटता हुआ दिखने लगा था, लेकिन मार्च माह के अंत में राज्य में कोरोना के केस बढ़ने लगे और इस महामारी की दूसरी लहर देश भर की तरह मध्यप्रदेश पर भी भारी पड़ी।
कोरोना ने एक सांसद और तीन विधायकों को छीन लिया। कोराेना की दूसरी लहर का सबसे पहले शिकार बने खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान। उसके बाद 26 अप्रैल को कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया का कोराेना के चलते देहांत हो गया। दो मई को कांग्रेस विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर और इसके आठ दिन बाद कोविड संक्रमित भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी ने भी दम तोड़ दिया।
बागरी हालांकि कोरोना से उबर गए थे, लेकिन कोविड के बाद अचानक हुए हृदयाघात के चलते उनकी जान नहीं बच सकी। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत शर्मा, पार्टी के उपाध्यक्ष विजेश लूनावत और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा को भी कोरोना की दूसरी लहर लील गई। अनेक चिकित्सक, अस्पताल कर्मचारी, पुलिस अधिकारी कर्मचारी, पत्रकार और मीडिया से जुड़े अनेक कर्मचारी परिवार भी इसकी चपेट में आ गए और वे या परिजन हमारे बीच से चले गए।
अस्पताल में जगह पाने, ऑक्सीजन, दवाइयों, इंजेक्शन और सीटी स्केन कराने के लिए ऐसी जद्दोजहद इस दौर की पीढ़ी ने इसके पहले कभी नहीं देखी। केंद्र सरकार की ओर से सभी को कोरोना के निशुल्क टीके की शुरुआत इस वर्ष की शुरूआत यानी जनवरी माह में ही की गयी थी और साल के अंत तक मध्यप्रदेश में 10 करोड़ 15 लाख से अधिक कोरोना वैक्सीन नागरिकों को दी जा चुकी हैं। पहला डोज लगभग सभी नागरिकों को और 82 प्रतिशत से अधिक को दूसरा डोज भी दिया जा चुका है।
इस बची 21 जून के दिन राज्य ने टीकाकरण का नया कीर्तिमान बनाया। इस दिन करीब 10 लाख टीकाकरण डोज का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन करीब 15 लाख डोज के साथ मध्यप्रदेश ने पूरे देश में एक रिकॉर्ड बनाया। इस दिन को खास बनाने के लिए राज्य सरकार ने इसे महाअभियान का रूप दिया था। स्थान-स्थान पर मतदान की तरह तैयारियां की गईं और प्रभावशाली लोगों को इस अभियान से जोड़ा गया। ग्रीष्मकाल के बाद मानसून के दौरान इस बार ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ ने खूब कहर ढाया। सैकड़ों गांव पानी से घिर गए। बाढ़ का असर राज्य के अन्य स्थानों पर भी रहा।
हालांकि राहत एवं बचाव कार्य और सेना की मदद के कारण जनहानि नहीं के बराबर हुयी। हालाकि फसलों और संपत्ति आदि का काफी नुकसान हुआ। प्रदेश में इस साल अप्रैल में हुए दमोह विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका लगा, जब उसके उम्मीदवार राहुल सिंह कांग्रेस के अजय कुमार टंडन से पराजित हो गए। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल सिंह दमोह से कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन बाद में वे त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए।
उपचुनाव में भाजपा ने राहुल सिंह पर ही दाव खेला, लेकिन वो कथित भितरघात संबंधी खबरों के बीच उल्टा पड़ गया। उपचुनाव के दौरान ही कोरोना के प्रकोप के कारण कई कर्मचारियों और नेताओं को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी। इसके बाद इस वर्ष एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए, जिनमें भाजपा ने लोकसभा और दो विधानसभा सीट अपने खाते में डाल लीं। भाजपा ने खंडवा लोकसभा सीट के अलावा पृथ्वीपुर और जोबट (अनुसूचित जनजाति) जीत ली। ये दोनों ही विधानसभा सीटें कांग्रेस की परंपरागत सीटें रही हैं।
वहीं, भाजपा को सतना जिले की रैगांव (अनुसूचित जाति) सीट पर पराजय झेलना पड़ी। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे ने इस साल पंचायत चुनावों को चर्चाओं में बनाए रखा। लंबे इंतजार के बाद इस साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की घोषणा हुई, लेकिन इस मुद्दे को लेकर कई विवादों के बाद कांग्रेस ने उच्च और बाद में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसला सुनाते हुए पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य में इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी ये मुद्दा जम कर गूंजा। पक्ष-विपक्ष के बीच खासी बहस हुई। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में एक संकल्प लेकर आए, जिसमें कहा गया कि ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में पंचायत चुनाव नहीं होंगे। ये संकल्प सदन में सर्वसम्मति से पारित हुआ।
हालांकि इस पूरे मामले में अंतत: सरकार ने पंचायत चुनाव संबंधित अध्यादेश वापस लेने का फैसला कर लिया। राज्य में इस साल भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की बहुप्रतीक्षित मांग भी पूरी की गयी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर माह में इसकी अचानक घोषणा की और दिसंबर के प्रथम सप्ताह में इसे लागू कर दिया गया। दिसंबर के तीसरे सप्ताह में मध्यप्रदेश की ठंड ने भी देश भर में सुर्खियां बटोरीं। उत्तर भारत की हाड़ कंपा देेने वाली ठंड के बीच सूबे के कई कस्बे और शहर देश के सबसे ठंडे स्थानों में दर्ज हुए। पचमढ़ी में पारा शून्य से नीचे पहुंच गया।
वहीं छतरपुर का नौगांव कस्बा भी कई दिन तक देश के सबसे ठंडे 10 स्थानों में अपनी जगह बनाए रखा। मध्यप्रदेश के इतिहास में ये साल नाम परिवर्तन के लिए भी याद रखा जाएगा। देश के पहले विश्वस्तरीय स्टेशन राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को इस साल भोपाल की रानी ‘रानी कमलापति’ का नाम दिया गया।
वहीं भोपाल के ऐतिहासिक मिंटो हॉल को भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे का नाम दिया गया। मिंटो हॉल का नाम बदले जाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी, जिसके बाद 26 नवंबर को इसी हॉल में हुई भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने इसका नाम बदले जाने की घोषणा की। इसी तरह इंदौर के पातालपानी स्टेशन को आदिवासी जननायक ‘टंट्या मामा’ का नाम दिए जाने की भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की।
इसी साल 15 नवंबर को जनजातीय नायक बिरसा मुंडा जयंती पर राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का भव्य आयोजन हुआ। इस आयोजन में राजधानी भोपाल में करीब ढाई लाख आदिवासियों ने शिरकत की और सरकार की ओर से आदिवासियों के हित में अनेक घोषणाएं की गयीं। वर्ष के दौरान आदिवासियों के हितों को लेकर भी सत्तारूढ़ दल और विपक्षी नेताओं में राजनैतिक बयानबाजी देखी गयी।
इस वर्ष सितंबर अक्टूबर में राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी प्रतिबंध धीरे धीरे हटाने प्रारंभ किए थे और ये पूरी तरह हट भी गए थे, लेकिन दिसंबर माह में कोरोना खासतौर से नए वेरिएंट ओमिक्रोन की उपस्थिति के साथ ही तीसरी लहर की आशंका के चलते प्रतिबंध फिर से लगाना प्रारंभ कर दिए गए हैं। अब नागरिक तीसरी लहर की आशंका के बीच इस वर्ष को विदा करते हुए दिख रहे हैं। हालाकि वैक्सीनेशन के कारण उम्मीद जतायी जा रही है कि अब शायद हमें पूर्व की तरह नुकसान नहीं होगा।
राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार किया
कविता गर्ग मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल के लिए राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार करना अनिवार्य है। उन्होंने यह टिप्पणी तब की है, जब एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के अध्यक्ष पद का चुनाव कराने की अनुमति मांगने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पढ़ते बहुत हैं। लोकतंत्र में बहुत ज्यादा पढ़ना अच्छा नहीं है। मायने यह रखता है कि लोगों की आवाज सुनी जाए। राज्यपाल के लिए मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार करना अनिवार्य है।” राज्य के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे (शिवसेना), राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट (कांग्रेस) और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) ने रविवार की शाम को यहां राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की थी।
बाद में थोराट ने कहा था कि उन्होंने कोश्यारी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का लिखा एक पत्र सौंपा है जिसमें विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करने के लिए उनकी अनुमति मांगी गयी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ”राज्यपाल ने मतदान के बजाय ध्वनि मत से चुनाव कराने को लेकर विधायिका के नियमों में संशोधन की जानकारियां मांगी हैं। उन्होंने कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे, उनसे और अधिक जानकारी लेंगे तथा कल तक अपने फैसले के बारे में बताएंगे।” शिंदे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने की प्रक्रिया में बदलाव नियमों के अनुसार किया गया है और उन्हें विश्वास है कि राज्यपाल जल्द ही अपनी मंजूरी दे देंगे। राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर को शुरू हुआ और यह 28 दिसंबर को खत्म होगा। इस साल फरवरी में नाना पटोले के कांग्रेस प्रमुख का पदभार संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद यह पद खाली पड़ा है।
ब्राह्मण नेताओं ने जेपी नड्डा से मुलाकात की: भाजपा
संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ब्राह्मण नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से सोमवार को मुलाकात की। इससे एक दिन पहले इन नेताओं ने राज्य में इस समुदाय के मतों को अपने पक्ष में करने के लिए विचार-विमर्श किया था। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं। नड्डा के साथ हुई बैठक में इस समुदाय संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। इससे पहले, उत्तर प्रदेश से भाजपा के एक दर्जन से अधिक ब्राह्मण नेताओं ने समुदाय के सदस्यों तक पहुंचने की रणनीति बनाने के लिए राज्य में पार्टी के चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर रविवार को एक बैठक की थी।
10 अफ्रीकी देशों पर लगें प्रतिबंध हटें, सीमा संबंध
अखिलेश पांडेय सिंगापुर। सिंगापुर ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के कारण 10 अफ्रीकी देशों पर लगाए प्रतिबंध हटा दिए हैं। जबकि प्राधिकारियों को आने वाले दिनों में संक्रमण के मामलों के तेजी से दोगुना होने की आशंका है। अब, जो यात्री पिछले 14 दिन में बोत्सवाना, इस्वातिनी, घाना, लेसोथो, मलावी, मोजाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे होते हुए सिंगापुर लौटेंगे, वे रविवार रात 11 बजकर 59 मिनट से देश के ‘श्रेणी चार’ सीमा संबंधी नियमों के दायरे में आएंगे। इन देशों से आने वाले यात्रियों को सिंगापुर के लिए रवाना होने से दो दिन पहले पीसीआर जांच करानी होगी और उनके यहां पहुंचने के बाद भी उनकी पीसीआर जांच की जाएगी। उन्हें 10 दिन पृथक-वास में रहना होगा। पृथक-वास की अवधि पूरी होने के बाद एक बार फिर पीसीआर जांच की जाएगी।
इससे पहले, इन देशों से आने वाले दीर्घावधि के पासधारकों और कम अवधि के लिए आने वाले लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। वहीं, इन देशों से आने वाले सिंगापुर के नागरिकों और स्थायी निवासियों के लिए 10 दिन तक निर्धारित केंद्रों में पृथक रहना अनिवार्य था। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ओमीक्रोन स्वरूप की अधिक संक्रामकता को देखते हुए स्थानीय मामलों के फिर से बढ़ने की आशंका है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘आगामी दिनों और सप्ताहों में, हमें सामुदायिक स्तर पर (स्थानीय) मामले बढ़ने और इनके दोगुने होने की आशंका है।’’
इस बीच, समाचार पत्र ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने कोविड-19 संबंधी कई मंत्रालयों के कार्य बल (एमएमटीएफ) के हवाले से बताया कि सिंगापुर ने कार्य पास, दीर्घकालीन पास और स्थायी निवास के आवेदनों की मंजूरी के लिए टीकाकरण को अगले साल एक फरवरी से अनिवार्य बना दिया है। ‘चैनल न्यूज एशिया’ ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि यदि हर व्यक्ति टीकाकरण कराए, ‘बूस्टर’ खुराक ले, नियमित रूप से अपनी जांच कराए और संक्रमित पाए जाने पर स्वयं पृथक-वास में रहे, तो संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।सिंगापुर में शनिवार तक ओमीक्रोन स्वरूप के 546 मामलों की पुष्टि हुई, जिनमें से 443 लोग विदेशों से आए हैं। सिंगापुर में रविवार को कोविड-19 के 209 नए मामले सामने आए। देश में संक्रमण से अभी तक 822 लोगों की मौत हो चुकी है और कुल 2,77,764 लोग संक्रमित पाए गए हैं।
पाकिस्तानी सियासत में बदलाव, स्क्रिप्ट तैयारी हुईं
सुनील श्रीवास्तव इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर बड़े बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है। खबरों के मुताबिक, नवंबर 2019 से लंदन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नए साल 2022 के पहले महीने में मुल्क लौट रहे हैं। पाकिस्तान में फौज के समर्थन के बिना किसी सरकार का सत्ता में रहना नामुमकिन है। फौज ही तब्दीली के नाम पर इमरान को सत्ता में लाई, लेकिन वो पूरी तरह नाकाम रहे। मुल्क में उनके खिलाफ नफरत पैदा हो चुकी है। इमरान की कारगुजारियों की वजह से फौज की भी फजीहत हो रही थी। लिहाजा, बीच का रास्ता खोजा गया है। तीन साल से चुप पाकिस्तान का मेन मीडिया भी अब खुलकर नवाज की वापसी और इमरान के दिन लदने की खबरें देने लगा है। आइए इस पूरे मामले की तह तक चलते हैं।
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि नवाज का जिक्र अचानक क्यों होने लगा? 3 दिन पहले पाकिस्तान के बड़े और गंभीर पत्रकार सलीम साफी ने एक ट्वीट किया। कहा- नवाज जनवरी 2022 में पाकिस्तान लौट रहे हैं। मुल्क की सियासत में बदलाव का वक्त है। इस ट्वीट को हर किसी ने गंभीरता से लिया, क्योंकि हालात भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे। बाद में एक और सीनियर जर्नलिस्ट नजम सेठी ने कहा- सलीम साफी बिल्कुल सही कह रहे हैं। नवाज के मुल्क लौटने की स्क्रिप्ट पर काम 3 महीने से चल रहा हैं। दुनिया के ज्यादातर मुल्कों में फौज चुनी हुई सरकार के मातहत काम करती है। पाकिस्तान में बिल्कुल उल्टी गंगा बहती है। यहां फौज और आईएसआई सरकार बनाने और गिराने में सबसे अहम रोल प्ले करते हैं। नवाज को फौज के विरोध की वजह से कुर्सी गंवानी पड़ी थी। बदलाव के तौर पर इमरान को लाया गया। उन्हें यूटर्न और सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर कहा जाता है। थक-हारकर फौज को फिर नवाज की तरफ ही देखना पड़ा।
अब इशारे समझें। सिर्फ तीन महीने पहले तक नवाज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवाम से बात करते थे। इस दौरान फौज-ISI के अफसरों का नाम लेकर उनकी कारगुजारियां उजागर करते थे। फौज के सामने दोहरी मुसीबत आ गई। पहली- इमरान हर मोर्चे पर नाकाम हो गए। दूसरा- नवाज सीधा नाम ले-लेकर फौज पर हमले कर रहे थे। मुल्क में आर्मी और आईएसआई विलेन के तौर पर देखे जाने लगे। पाकिस्तान में दो ही बड़ी सियासी पार्टियां हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी। अब इस फेहरिस्त में आप इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को भी गिन सकते हैं। लेकिन, सच्चाई ये है कि इमरान की पार्टी में 80% नेता वही हैं, जो पहले पीपीपी या पीएमएल-एन में रह चुके हैं। पीपीपी को सिर्फ सिंध प्रांत की पार्टी माना जाता है। बाकी सूबों में उसका असर-ओ-रसूख या फिर कहें जनाधार बेहद कम है। बेनजीर भुट्टो जैसा करिश्मा न तो आसिफ अली जरदारी में है और न उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी में। आसिफ अली जरदारी 66 साल के हैं, लेकिन काफी बीमार रहते हैं। बिलावल को मुल्क की सियासत में नौसिखिया समझा जाता है। लिहाजा, मुल्क हैंडल करने के लिहाज से मिसफिट माने जाते हैं।
पीएमएलएन के मुखिया नवाज हैं। भाई शहबाज शरीफ और बेटी मरियम नवाज दोनों पॉलिटिकली मैच्योर और एक्टिव हैं। इमरान और फौज के सामने उन्होंने घुटने नहीं टेके। दोनों के कई केसों में फंसाया भी गया। पाकिस्तान की फौज हो या सियासत, दोनों के बारे में एक बात मशहूर है कि इनमें 80 से 90% लोग पंजाब प्रांत के होते हैं सिर्फ पंजाब ही नहीं, मुल्क के दूसरे हिस्सों में ताकतवर है। नवाज तो आज भी पाकिस्तान के सबसे मशहूर नेता हैं। नजम सेठी के मुताबिक- पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन दो हिस्सों में होगा। मुमकिन है कि इमरान को फरवरी या मार्च तक कुर्सी छोड़ने पर मजबूर किया जाए। बचा हुए कार्यकाल के लिए पीटीआई का ही कोई और चेहरा लाया जाए। ये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी हो सकते हैं। वो फौज के भी लाड़ले हैं। अगले साल वैसे भी जनरल इलेक्शन होने हैं। इसके बाद नवाज, शहबाज या मरियम में से किसी को पीएम बनाया जाए। नवाज का नाम यहां भी सबसे आगे है। इसके लिए वो मुल्क लौटकर कुछ वक्त जेल में गुजारेंगे। फौज और अदालत मिलकर उनके केस खत्म कराएंगे और फिर सत्ता में वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। इमरान को खतरे का अंदाजा है। पिछले हफ्ते के आखिर में इमरान ने कैबिनेट मीटिंग की। इसकी खबरें लीक हो गईं। इनके मुताबिक, मीटिंग में इमरान ने साफ कहा था कि एक करप्ट लीडर को चौथी बार मुल्क का वजीर-ए-आजम बनाने की तैयारियां हो रही हैं।
एक बात और हुई और उसका जिक्र बेहद जरूरी है। दरअसल, पिछले दिनों इमरान और पीटीआई के गढ़ खैबर-पख्तूनख्वा में लोकल बॉडी इलेक्शन हुए। पूरे राज्य में पीटीआई एक मेयर की सीट भी नहीं जीत सकी। हार से गुस्साए इमरान ने कहा- अगली बार मैं खुद कैम्पेन करने जाऊंगा। बहरहाल, सियासी जानकारों ने कहा- मुल्क के हालात इतने खराब हैं कि पीटीआई के वर्कर्स को गांव और गलियों में घुसने तक नहीं दिया जा रहा।
'ओमिक्रोन' के केस में बढ़ोतरी, भय का माहौल: यूएसए
अखिलेश पांडेय वाशिंगटन डीसी। जब से कोरोना के नये वेरिएंट का पता चला है। तब से लोगों के मन में इसे लेकर लगातार भय का माहौल बना ही हुआ है। अमेरिका में लगातार कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट के केस में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। ओमिक्रोन वेरिएंट पर बात करते हुए व्हाइट हाउस ने बताया कि ओमिक्रोन बड़ी संख्या में बच्चों को संक्रमित कर रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में न्यूयॉर्क में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 4 गुना तक बढ़ी है।
इसके साथ ही अमेरिका के हेल्थ विभाग ने बताया कि इन भर्ती होने वाले बच्चों में 5 साल से कम उम्र के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे हैं जिन्हें फिलहाल अमेरिका (America) में वैक्सीन नहीं लगाई जा रहा है। के द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार अमेरिका में करीब 1,90,000 तक रोज नये कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के इस फेस्टिव सीजन में संक्रमण का दर और तेजी से बढ़ सकता है। अमेरिका के महामारी एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फाउचीने कहा कि अमेरिका में टेस्टिंग की रफ्तार कम है जिसे कुछ ही दिनों में कई गुना तक बढ़ा दिया जाएगा। डॉ. एंथनी फाउची ने ओमिक्रोन वेरिएंट पर बात करते हुए कहा कि हमें इस समय बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए हर जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए अमेरिका में कई फ्लाइट्स को कैंसल किया जा रहा है क्योंकि बहुत से फलाइट अटेंडेंट अभी संक्रमित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ओमिक्रोन वेरिएंट को डेल्टा के मुकाबले कम खतरनाक माना जा रहा है। लेकिन इसके फैलने की रफ्तार डेल्टा से कहीं ज्यादा है। अगर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती है तो यह हेल्थ सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव बढ़ाएगा जिससे यह बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।