सीएम ने 7 दिसंबर को अहम बैठक बुलाई: यूके
पंकज कपूर देहरादून। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम पर बड़ा फैसला लेने के बाद प्रदेश सरकार पर भू कानून को लेकर दबाव बन गया है। सबकी निगाहें अब सरकार पर लगी हैं। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की है। उसने सात दिसंबर को देहरादून में एक अहम बैठक बुला ली है।
इस बैठक के बाद समिति उसे अब तक प्राप्त हो चुके 163 सुझावों पर मंथन करेगी। इस दौरान जन सुनवाई के बाद समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकती है। तीर्थ पुरोहितों की तरह ही राज्य में विभिन्न संगठनों के बैनर तले सशक्त भू कानून की मांग को लेकर लोग आंदोलित हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी भू कानून को चुनावी मुद्दा बनाया। आम आदमी पार्टी से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल समेत अन्य सामाजिक संगठन भी सरकार से मजबूत भू कानून बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
चौतरफा मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल के अलावा भाजपा नेता अजेंद्र अजेय सदस्य हैं। समिति ने लोगों से सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सुझाव मांगे थे। अब तक उसके पास 163 सुझाव पहुंच चुके हैं। अब इन सुझावों पर विचार विमर्श के बाद जन सुनवाई होगी। अब भू कानून को लेकर दबाव बढ़ने के आसार हैं।
पंकज कपूर देहरादून। उत्तराखंड राज्य में 2022 के चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपने चुनाव प्रचार को धार देना शुरू कर दिया है। बीजेपी की तैयारियां भी पूरी हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली कराने का निर्णय लिया है। राजधानी देहरादून में (कल) 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही 24 दिसंबर को पीएम मोदी की रैली कुमाऊं में भी आयोजित की जाएगी। बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात चुनावी रैलियां कराए जाने का निर्णय लिया है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले प्रधानमंत्री की एक रैली कुमाऊं और एक रैली गढ़वाल मंडल में आयोजित होगी। इसके बाद चुनाव के दौरान पांचों लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी जनसभाएं कराई जाएंगी। प्रदेशभर में प्रधानमंत्री की चुनावी रैली कराई जाएंगी। गढ़वाल में होने वाली रैली देहरादून में होगी, लेकिन कुमाऊं में होने वाली रैली के लिए जगह तय नहीं हो पाई है। हल्द्वानी या रुद्रपुर मे से किसी एक स्थान पर यह रैली हो सकती है।बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 7 चुनावी रैलियां प्रस्तावित हैं। पीएम मोदी की रैलियों को ऐतिहासिक बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व पूरी तरह से तैयारी में जुट गया है। आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो चुनावी सभाएं करेंगे। इसके साथ ही चुनाव के दौरान अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र, नैनीताल-ऊधमसिंहनगर, टिहरी, गढ़वाल व हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में पांच रैलियां की जाएंगी।
विरोध: सड़क पर उतरे भाजपा के सांसद, राजनीति
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। संसदीय कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में निलंबित किए गए सांसदों के निलंबन के विरोध में गांधी स्मारक के पास धरना दे रहे विपक्षी सांसदों के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी अब सड़क पर उतर आए हैं। गांधी स्मारक के पास इकट्ठा हुए भाजपा सांसद विपक्ष के विरोध में अपने हाथों में विभिन्न नारे लिखी तख्तियां लेकर नारेबाजी कर रहे हैं। सांसदों का कहना है कि विपक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं कर रहा है, जिसके चलते सदन के भीतर विपक्ष का व्यवहार ठीक नहीं है।
शुक्रवार को 12 सांसदों के निलंबन का विरोध कर रहे विपक्ष के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी सड़क पर उतर आए हैं। अपने हाथों में विभिन्न नारे लिखी तख्तियां लेकर गांधी स्मारक के पास इकट्ठा हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसदों द्वारा विपक्ष के विरोध में जोरदार नारेबाजी भी की जा रही है। भाजपा सांसदों के हाथ में मौजूद तख्तियों में मानसून सत्र के दौरान सदन में हुई मारपीट की फोटो भी दिखाई दे रही है। सत्ता पक्ष के सांसद विपक्ष के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आरोप लगा रहे हैं कि विपक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं कर रहा है और सदन के भीतर भी विपक्षियों का व्यवहार ठीक नहीं है।
दरअसल मानसून सत्र के दौरान संसद के भीतर हुए हंगामे और मारपीट के कारण शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही 12 सांसदों के खिलाफ सभापति द्वारा निलंबन की कार्रवाई की गई है। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस एवं शिवसेना के दो-दो तथा सीपीआई और सीपीएम का एक-एक सदस्य शामिल है। विपक्षी पार्टियां दर्जनभर सांसदों के निलंबन का विरोध करते हुए गांधी स्मारक के पास धरना दे रहे हैं।
'इंफोर्समेंट टास्क फोर्स' के गठन को मंजूर किया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण स्तर कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन को शुक्रवार को मंजूर कर लिया। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि प्रदूषण रोकने के उपायों को कड़ाई से लागू करने के सरकार के शपथ पत्र का उन्होंने अध्ययन किया है और उम्मीद है कि उसके मुताबिक कार्रवाई में किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।
शीर्ष न्यायालय ने वायु प्रदूषण कम करने के उपायों को तत्काल लागू करने के लिए केंद्र की ओर से पांच सदस्यीय इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन की जानकारी के साथ ही 40 फ्लाइंग स्क्वायड शीघ्र बनाने के प्रस्ताव को मंजूर करते हुए आज संबंधित सरकारों को पिछले अदालती आदेशों एवं निर्देशों को सख्ती से लागू करने करने को कहा है।
न्यायालय ने कोविड-19 के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन निर्माण से संबंधित लंबित कार्यों को पूरा करने की अनुमति दे दी। अदालती आदेश पर भवन निर्माण संबंधी कार्यों पर रोक लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए पीठ द्वारा दो दिसंबर और उससे पहले दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक हलफनामा दायर कर उच्चतम न्यायालय को बताया था कि प्रदूषण कम करने के लिए वह गंभीर है। अदालत के 02 दिसंबर के निर्देशों के मद्देनजर पांच सदस्यों की एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है । इसके अलावा प्रदूषण रोकने के तमाम ऐतिहासिक उपायों को सख्ती से लागू कराने के लिए 40 उड़न दस्ते बनाए जाएंगे, जिनमें से 17 अगले 24 घंटे में गठित कर दिए जाएंगे। उडन दस्ते अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रतिदिन वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित आयोग को देंगी।
शीर्ष अदालत ने कल केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी और चेतावनी देते हुए उन्हें कहा था कि 24 घंटे में कोई ठोस उपाय किए जाएं, अन्यथा न्यायासलय इस पर आज कोई कठोर आदेश पारित करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चीनी और दुग्ध उद्योगों को प्रदूषण के मद्देनजर औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के आदेश से छूट की गुजारिश शीर्ष अदालत से की। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें (उत्तर प्रदेश सरकार) इस मामले में प्रदूषण के मामले में गठित कमीशन के पास अपनी बात रखनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने मीडिया के एक वर्ग में अदालत से जुड़ी खबरों के प्रति असावधानी को गंभीर बताते हुए संबंधित पक्षों को इस पर गौर करने की नसीहत दी। पीठ ने दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कोविड-19 प्रकोप के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन के लंबित कार्यों के निर्माण की छूट देने की अर्जी स्वीकार कर ली और कहा कि प्रदूषण रोकने के सभी एहतियाती उपाय किए जाएं।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने केंद्र द्वारा टास्क फोर्स और उडन दस्तें के गठन से प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करने पर संदेश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले भी कुछ इसी तरीके के प्रयास किए गए थे जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं।
21वीं 'सेंचुरी अवॉर्ड' के फाइनलिस्ट बनें टिकैत
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध के बाद फसलों के एमएसपी कानून के लिए चलाए जा रहे किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा बन चुके भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत विश्व पटल पर छाते हुए 21वीं सेंचुरी आईकॉन अवॉर्ड के फाइनलिस्ट बन गए हैं। इसी महीने की 10 दिसंबर को लंदन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान विजेताओं की घोषणा की जाएगी। लंबा आंदोलन चलाने और किसान आंदोलन को जीवंत रखने की वजह से राकेश टिकैत का चयन 21वी सेंचुरी आइकन अवार्ड के लिए किया गया है।
दरअसल लंदन की स्क्वेयर्ड वाटरमेलन कंपनी दुनिया के लिए मिसाल बनने वाले व्यक्तियों को प्रत्येक वर्ष आइकॉन अवार्ड से सम्मानित करती है। कंपनी की ओर से 21वी सेंचुरी आइकन अवार्ड के फाइनलिस्ट की घोषणा करते हुए सूची जारी कर दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में सिसौली से निकलकर गाजीपुर बॉर्डर पर धरना देते हुए अपने पैर जमाने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की दुनिया भर में गूंज हुई है। नये कृषि कानूनों के विरोध के बाद अब एमएसपी पर कानून को लेकर गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ अपना डेरा जमाते हुए राकेश टिकैत आंदोलन की राह पर अडिग रहे। इसी साल गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले को लेकर किसानों का आंदोलन सवालों के घेरे में आ गया था।
सरकार की ओर से जब आंदोलन को खत्म कराने के लिए धरना स्थल से किसानों को उठाने की तैयारी की गई तो भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के धरना स्थल पर आंखों से आंसू छलक आए। जिससे आंदोलन में एक बार फिर से जान पड़ गई और किसानों ने रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर पर अपना डेरा डाल दिया था। वाटरमेलन कंपनी की ओर से दिए जा रहे पुरस्कारों के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नामांकन किया गया है। कंपनी की ओर से नामांकन के लिए बाकायदा पहले राकेश टिकैत से सहमति ली गई थी। अब इस महीने की 10 दिसंबर को लंदन में कंपनी द्वारा आइकन अवार्ड के विजेताओं की घोषणा की जाएगी।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर ‘राजनीति’ न करें
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को विपक्षी दलों से कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को लेकर ‘राजनीति’ नहीं करने को कहा और इसके उत्पादन के लिए केंद्र की ओर से किये गये प्रयासों को गिनाया। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मांडविया ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किये और महामारी की दूसरी लहर के दौरान मांग तेजी से बढ़ने पर उत्पादन बढ़ाया। कांग्रेस सांसद सुरेश धनोरकर ने जब इस विषय को सदन में उठाया तो जवाब में मांडविया ने कहा, ”दुख की बात है कि ऐसे हालात में भी कई लोग राजनीति करना नहीं छोड़ रहे। मैं अपील करता हूं कि हमारे ईमानदार प्रयासों को देखें। यह राजनीति का विषय नहीं है।
मांडविया ने दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत के विपक्ष के दावों पर उसे आड़े हाथ लेते हुए कहा कि केंद्र ने इस बाबत राज्यों से आंकड़े मांगे थे और केवल पंजाब सरकार ने जवाब दिया कि इस तरह की मृत्यु के केवल चार संदिग्ध मामले आये और इस मामले में जांच जारी है। मंत्री ने कहा, ”मैं बताना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने मुख्यमंत्रियों की बैठक में कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से मौत के आंकड़ों को छिपाने की जरूरत नहीं है। ये सामने आने चाहिए।” मांडविया के मुताबिक केंद्र ने तीन बार राज्यों को पत्र लिखकर उनसे ऑक्सीजन की कमी की वजह से मारे गये लोगों की संख्या बताने को कहा था।