12 सदस्यों के निलंबन का मुद्दा, आरोप लगाया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को लेकर चल सदन में चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सवालों से डरती है। उन्होंने ट्वीट किया, ”सवालों से डर, सत्य से डर, साहस से डर, जो सरकार डरे, वो अन्याय ही करे। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी उस वक्त की है। जब राज्यसभा में 12 सदस्यों के निलंबन को लेकर पिछले चार दिनों से गतिरोध बना हुआ है। संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि तक के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है। उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
कामकाज ना होने को लेकर चिंता जाहिर की
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से उच्च सदन में अब तक उल्लेखनीय कामकाज न हो पाने को लेकर बृहस्पतिवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा कि संविधान निर्माताओं ने जन प्रतिनिधियों को महती जिम्मेदारी दी है। जिसका निर्वहन किया जाना चाहिए। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ”अशोभनीय आचरण” करने के लिए वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद, उनका निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही है। इन 12 सदस्यों को सोमवार को, शीतकालीन सत्र के पहले दिन निलंबित किया गया। सोमवार को ही सदन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए लाए गए ”कृषि विधि निरसन विधेयक 2021” को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।
इसके अलावा अन्य कामकाज सदन में नहीं हो पाया है।हंगामे की वजह से आज भी उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया। उच्च सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होने को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सभापति ने कहा ”शीतकालीन सत्र में सदन की आज चौथी बैठक है लेकिन अब तक कोई कामकाज नहीं हो पाया है। संविधान निर्माताओं ने जन प्रतिनिधियों को महती जिम्मेदारी दी है जिसका समुचित निर्वहन किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि 12 सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई की वजह भी बताई गई थी।
उन्होंने कहा ”सोमवार को संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में वजह बताते हुए निलंबन का प्रस्ताव रखा था। यह सब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। कुछ माननीय नेताओं और इस सदन के सदस्यों ने निलंबन को अलोकतांत्रिक बताया है। कुछ ने कहा कि ऐसा पहली बार किया गया है।” सभापति ने कहा ”ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी अशोभनीय आचरण के चलते, नियमानुसार निलंबन की कार्रवाई की गई है और सदस्यों के अफसोस जाहिर करने के बाद उनका निलंबन वापस लिया गया है।
लेकिन, सदस्यों ने कोई पछतावा जाहिर नहीं किया है। मनुष्य ही गलतियां करता है और मनुष्य ही गलतियों को सुधारता है। सुधार को न तो कोई अस्वीकार कर सकता है और न ही गलत को लेकर अड़ियल रुख अपनाया जा सकता है।” नायडू ने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि यदि निलंबित सदस्यों को अपनी गलती का एहसास हो तो नेता प्रतिपक्ष और सदन के नेता आपस में चर्चा कर सकते हैं और उनका निलंबन वापस लेने के विपक्ष के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों से यह गतिरोध दूर करने का अनुरोध किया और कहा ”सदन को अपना कामकाज करने दें।” गौरतलब है कि सोमवार को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि तक के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
सरकारी नौकरियों की कमी का मुद्दा उठाया: वरुण
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। किसानों के मुद्दों पर लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने बृहस्पतिवार को सरकारी नौकरियों की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि देश के नौजवान कब तक सब्र करेंगे। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ”पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो।
रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतजार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?” बाद में एक बयान में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सांसद गांधी ने कहा कि ग्रामीण भारत में औसत युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मुख्यत: सरकारी नौकरियों तक ही सीमित रहते हैं, चाहे वह रक्षा क्षेत्र हो या पुलिस, रेलवे या फिर शिक्षा।
उन्होंने कहा, ”प्रत्येक क्षेत्र में पहले के मुकाबले कम सरकारी नौकरियां हैं, लिहाजा युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है। युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का भी कोई तंत्र नहीं है। इसलिए रोजगार संबंधी दिशानिर्देशों और निर्धारित समय-सारणी का पालन किया जाना आवश्यक है।” वरूण गांधी अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के प्रबंधन की भी आलोचना करते रहे हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने अभी तक सीधे केंद्र सरकार को निशाना नहीं बनाया है।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की आवाज में भी वह आवाज मिलाते रहे हैं। तीन कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद भी उन्होंने आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग की थी और आगाह किया था कि राष्ट्रहित में सरकार को ”तत्काल” यह मांग मान लेनी चाहिए अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी कहा था कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती।
पुष्कर ने सीएम शिवराज से 'शिष्टाचार' भेंट की
पंकज कपूर देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से पौधा भेंट किया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिह्न भेंट किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर स्थित शौर्य दीवार पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके पश्चात उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में मौलश्री के पौधे का रोपण भी किया।इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पाण्डया, जिलाधिकारी हरिद्वार श्री विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. योगेन्द्र सिंह रावत उपस्थित थे।
किसानों को मुआवजा देने से भाग रहीं सरकार
अश्वनी उपाध्याय गाजियाबाद। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद एमएसपी पर कानून की मांग करते हुए आंदोलन चला रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार किसानों को मुआवजा देने से भाग रही है। सरकार इस बात को पूरी तरह से झूठ बोल रही है कि उसके पास आंदोलन के दौरान मरे किसानों की मौत के सही आंकड़े नहीं है। सरकार की इस समस्या को हल करने के लिए अब किसी भी किसान की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार गाजीपुर बॉर्डर पर ही किया जाएगा। इसके लिए जगह चिन्हित कर ली गई है।
योगी बृहस्पतिवार को गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की ओर से नारा दिया गया है कि एमएसपी अभी नहीं तो कभी नही बल्कि यही। उन्होंने कहा है कि जब तक एमएसपी पर गारंटी के तौर पर कानून नहीं बनेगा, उस समय तक किसानों का आंदोलन चलता रहेगा। आगामी 4 दिसंबर को गाजीपुर बॉर्डर पर आयोजित होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक की तैयारी चल रही है। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार कह रही है कि उसके पास नये कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान किसानों की मौत के सही आंकड़े नहीं है। इस बात को लेकर सरकार पूरी तरह से झूठ बोल रही है।
सरकार की किसानों की मौत के आंकड़ों की समस्या के निदान के लिए अब किसानों की ओर से रणनीति तैयार कर ली गई है। अब किसी भी किसान की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार गाजीपुर बॉर्डर पर ही किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा जगह भी चिन्हित कर ली गई है। राकेश टिकैत ने कहा है कि सर्द ऋतु का आगमन हो चुका है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान सर्दी से बचाव की तैयारी में जुट गए हैं। बाकायदा बॉर्डर पर टेंट और कंबल मंगाए जा रहे हैं ताकि आंदोलन को नई धार दी जा सके। 4 दिसंबर को बनी रणनीति के बाद आंदोलन की गति निर्धारित की जाएगी।
'महामारी' से निपटने के कार्य को प्राथमिकता नहीं
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को सरकार पर कोविड महामारी से निपटने के कार्य को जरूरी प्राथमिकता नहीं देने का आरोप लगाया और यह स्पष्ट करने की मांग की कि महामारी के दौरान कितने लोगों की मौत हुई, कितने परिवारों की मदद की गई तथा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कब से टीके लगने शुरू होंगे। साथ ही कोविड टीके की बूस्टर या तीसरी खुराक को लेकर उसकी क्या नीति है। लोकसभा में नियम 193 के तहत ‘कोविड से उत्पन्न स्थिति’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों, बूढ़ों सहित समाज के हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है और इसका असर देश की 130 करोड़ आबादी पर देखा जा सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी पर सदन में चर्चा के लिये सरकार को जिस प्रकार की प्राथमिकता दिखानी चाहिए थी, वह नहीं दिखायी गई। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान घरों में बच्चों एवं महिलाओं के शोषण की खबरें आई हैं। इसके कारण 3,620 बच्चों के अनाथ होने तथा 26 हजार बच्चों के माता या पिता में से कम से कम एक को खोने की रिपोर्ट सामने आई है।
गोगोई ने सवाल किया कि ऐसे कितने बच्चों और महिलाओं ने सरकार से हेल्पलाइन पर सम्पर्क किया तथा सरकार ऐसे कितने लोगों तक पहुंची तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सहित अन्य विभागों ने कितने दिव्यांगों की मदद की ? उन्होंने सरकार से जानना चाहा, ” निजी क्षेत्र ने कितने लोगों को कोविड रोधी टीके लगाए। बूस्टर खुराक को लेकर सरकार का क्या रूख और नीति है? 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कब तक टीका लगना शुरू होगा?” कांग्रेस सदस्य ने आरोप लगाया, ”जिस समय सरकार को लोगों से सहानुभूति दिखानी चाहिए थी, उस समय सत्ता पक्ष एक व्यक्ति की छवि बचाने में लगा हुआ है।” गोगोई ने कहा कि ऐसे समय में जब सरकार को लोगों से सतर्क रहने की गुजारिश करनी चाहिए, उस समय सरकार के लोग प्रधानमंत्री की तारीफ करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल, अमेरिका जैसे देशों में 80 प्रतिशत लोगों को टीके की दो खुराक लगा चुकी है, लेकिन वहां भी खतरा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय लोगों को सरकारी अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि नहीं मिल रहे थे और विदेशों से वेंटिलेटर मंगाने पड़े थे। ऐसे में सरकार की क्या तैयारी थी ? कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी नेता राहुल गांधी ने समय-समय पर महामारी से सतर्कता, टीके एवं अन्य विषयों पर सरकार को सावधान करने का प्रयास किया लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इस दौरान सदन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उपस्थित थीं। गोगोई ने कहा कि आज बेरोजगार बढ़ गया है, व्यापार पर गंभीर असर पड़ा, लोगों की आमदनी घटी लेकिन महामारी के बाद सरकार ने ईंधन एवं अन्य चीजों की कीमतों को बढ़ाने का काम किया। गोगोई ने कहा कि सरकार के पास सेंट्रल विस्टा के लिये पैसे हैं लेकिन गरीबों के लिये पैसे नहीं है।
सड़क सुरक्षा का मुद्दा, बहुआयामी रणनीति तैयार
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं को रोकने और सड़क सुरक्षा के मुद्दे के समाधान के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में संगम लाल गुप्ता और सी पी जोशी के प्रश्नों के लिखित उत्तर में कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटना का प्रमुख कारण वाहन का डिजाइन, सड़क इंजीनियरिंग, अधिक रफ्तार, नशे में गाड़ी चलाना, गलत दिशा में वाहन चलाना, लाल बत्ती पार करना और मोबाइल फोन का उपयोग करना आदि शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने शिक्षा, इंजीनियरिंग (सड़कों और वाहनों दोनों की), प्रवर्तन और आपात देखभाल के आधार पर सड़क सुरक्षा के मुद्दे के समाधान के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है। गडकरी ने कहा कि इनमें जागरुकता पैदा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, एनजीओ आदि के माध्यम से सड़क सुरक्षा पर प्रचार उपाय करना, सड़क सुरक्षा ऑडिटर्स के लिए एक प्रमाणन पाठ्यक्रम शुरू करना और राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित स्थानों) की पहचान और सुधार करना आदि शामिल हैं। मंत्री के उत्तर के अनुसार इनमें ऑटोमोबाइल के लिए सुरक्षा मानकों में सुधार करना, सभी वाहनों में गति सीमा उपकरण लगाने की अधिसूचना जारी करना आदि शामिल हैं।
केजरीवाल ने कहा कि अब सभी को अच्छी शिक्षा मिलेगी। अगर पंजाब में हमारी सरकार बनेगी तो हमारी जिम्मेदारी होगी कि यहां पर जो भी बच्चा पैदा होगा। उसको अच्छी शिक्षा और मुफ्त में शिक्षा दी जाए। बीते दो महीने में यह अरविंद केजरीवाल का चौथा पंजाब दौरा है। अरविंद केजरीवाल पंजाब के अपने हर एक दौरे पर बड़ा चुनावी वादा कर रहे हैं। अपने बीते तीन दौरों में अरविंद केजरीवाल किसानों, व्यापारियों को महिला वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर चुके हैं।
केजरीवाल राज्य में आप की सरकार बनने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली, 24 घंटे बिजली की आपूर्ति, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और दवाएं और महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति महीना देने का पहले ही वादा कर चुके हैं।