सोमवार, 22 नवंबर 2021
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
रविवार, 21 नवंबर 2021
शराब के खिलाफ अभियान, लहन नष्ट कराया
अश्वनी उपाध्याय गाज़ियाबाद। जिलें में जीटी रोड पर भाटिया मोड़ के पास चल रहा एक कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालक उन लोगों से लाखों रुपए ठग कर फरार हो गया। जो भविष्य में आईएएस और आईपीएस बनने के सपने देख रहा था। आर्यभट्ट गुरुकुल के नाम से चल रहे इस संस्थान में पढ़ रहे छात्रों का कहना है कि यह लूट 20 लाख रुपए से ज्यादा की है। छात्रों ने लगभग 1 महीना इंतज़ार करने के बाद अब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। आर्यभट्ट कोचिंग इंस्टीट्यूट, नोएडा के अट्टा में रहने वाले सुरेश नागर चलाते हैं। लॉकडाउन से पहले यहाँ 300 छात्र थे लेकिन फिलहाल, इस इंस्टीट्यूट में 163 छात्र पढ़ रहे थे। ऐसे ही एक छात्र वंश यादव ने बताया कि पिछले साल उन्होंने आर्यभट्ट गुरुकुल में एडमिशन लिया था। इस कोचिंग में सिविल सेवाओं और बैंकिंग सहित सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है।
एक अन्य छात्र रोहित चंदेला ने बताया कि दो महीने पहले एनडीए की तैयारी के लिए उन्होंने साढ़े सात हजार रुपये दिए थे। अचानक, 20 अक्टूबर 2021 को इंस्टीट्यूट की रात वाट्सएप ग्रुप से सभी छात्रों को निकाल दिया गया। एसएससी की तैयारी कर रहे आतिश ने बताया कि उन्होंने अपनी बहनों के साथ तीन माह पूर्व 24 हजार रुपये फीस दी थी। वाट्सएप ग्रुप से निकाले जाने के बाद अगले दिन वह अन्य छात्रों के साथ वह इंस्टीट्यूट पहुंचे तो यहां ताला लगा था। बैनर आदि फटे थे। सुरेश नागर को काल की तो फोन स्विच आफ था।मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच कर मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है। मोबाइल नंबर और पते के आधार पर सुरेश नागर को ट्रेस करने का प्रयास कर रहे हैं। छानबीन कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
कोरोना: डेल्टा वेरिएंट के 60 फीसदी मरीज मिलें
इनकी रिपोर्ट अब विभाग को मिली है। विभाग के सूत्रों ने बताया कि इन चार सौ सैंपलों में से 250में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माने गए डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मिले हैं। जबकि अन्य 40 प्रतिशत सैंपलों में सामान्य कोरोना वायरस के साथ ही वायरए के नए म्यूटेशन एवाई सीरीज का संक्रमण मिला है। विदित है कि कोरोना वायरस में बहुत तेजी से म्यूटेशन हो रहे हैं। ए वाई सीरीज के भी अभी तक 39 बदलाव सामने आ चुके हैं।
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मैच: भारतीय टीम ने 2-0 की अजेय बढ़त बनाईं
मैच: भारतीय टीम ने 2-0 की अजेय बढ़त बनाईं
मोमिन मलिक वेलिंग्टन। टीम इंडिया अपने ही घर में न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 टी-20 की सीरीज खेल रही है। इसमें भारतीय टीम ने शुरुआती दो मैच जीतकर 2-0 की अजेय बढ़त बना ली है। तीसरा और आखिरी मैच रविवार (21 नवंबर) को कोलकाता में खेला जाएगा। यदि इस मुकाबले में टीम इंडिया जीत दर्ज करती है, तो एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगी। दरअसल, न्यूजीलैंड के खिलाफ कोलकाता मैच जीतते ही टीम इंडिया कीवी टीम को सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर देगी। ऐसे में यह लगातार दूसरी टी-20 सीरीज होगी, जिसमें टीम इंडिया इस न्यूजीलैंड टीम को क्लीन स्वीप करेगी। इससे ठीक पहले वाली द्विपक्षीय सीरीज में भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को उसी के घर में 5-0 से हराया था।
पिछली सीरीज जनवरी 2020 में खेली गई थी। टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड दौरे पर 5 टी-20 की सीरीज में क्लीन स्वीप किया था। तब शुरुआती 4 मैचों में भारतीय कप्तान विराट कोहली थे। जबकि आखिरी मुकाबले में रोहित शर्मा ने कमान संभाली थी।
ऐसा लगता है कि हम गलत जानकारियों के दौर में जी रहे हैं। कई प्रसारणकर्ता और सोशल मीडिया सेलिब्रिटी विज्ञान एवं डेटा के बारे में सार्वजनिक तौर पर अपने दर्शकों को गलत तथ्य या गलत व्याख्या बताते हैं। इनमें से कई दर्शक, जो सुनना चाहते हैं, यदि वह उन्हें बताया जा रहा हो तो उन्हें इस बात की परवाह तक नहीं होती कि उन्हें दी जा रही जानकारी सही है या गलत। गलत सूचनाओं का प्रसार लोगों के अपने ज्ञान और फैसले पर अत्यधिक भरोसे के कारण होता है। कई मामलों में यह स्वहित से जुड़ा होता में से कई लोगों की विरोधाभासी मान्यताएं होती हैं।
हो सकता है कि हम ऐसा विश्वास करते हों कि मौत की सजा से अपराध पर लगाम लगती है या न्यूनतम वेतन बढ़ाने से बेरोजगारी कम होती हो या कारोबारी कर बढ़ाने से नवोम्नेष में कमी आती हो। हो सकता है कि हम सोचते हों कि महिलाओं का गणित पुरूषों के मुकाबले कम अच्छा होता है या फिर कोई यह भी मान सकता है कि धरती चपटी है। इनमें से कई मान्यताओं पर हम बहुत ही मजबूती से भरोसा करते हैं लेकिन जब भी हम इन मान्यताओं को तार्किक रूप से सही साबित करने की कोशिश करते हैं तो पाते हैं कि हमारे पास इसके पक्ष में साक्ष्य तो हैं ही नहीं।
इस तरह के लोगों के बारे में कहा जाता है कि उन पर ‘डनिंग-क्रुगर’ प्रभाव है। इसका मुख्य रूप से मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को किसी बात पर बहुत अधिक भरोसा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह सही ही है। अत्यधिक आत्मविश्वास से भरे लेकिन इसे लेकर गलत लोगों में यह आत्मविश्वास उनकी अनभिज्ञता के कारण नहीं होता बल्कि इसलिए होता है क्योंकि वे हर चीज के बारे में स्वाभाविक रूप से आश्वस्त होते हैं। कुछ अनुसंधानकर्ता इसे उनका अहंकार बताते हैं।
विकल्प मौजूद होने की स्थिति में हमारी मान्यताएं किस तरह तय होती हैं? वैज्ञानिक साक्ष्य इसमें मददगार हो सकते हैं लेकिन फिर भी हम उसी बात पर विश्वास करते हैं जिस पर हम विश्वास करना चाहते हैं। कई बार जब हमें यह पता चलता है कि किसी मान्यता विशेष का समर्थन ‘हमारी’ ओर का व्यक्ति कर रहा है तो उस मान्यता को समर्थन देने के लिए यही पर्याप्त होता है। ऐसे कई ताजा विवादों में यह बात सामने आई है।
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