शनिवार, 20 नवंबर 2021
एटीपी फाइनल्स के सेमीफाइनल में प्रवेश किया
किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना चाहिए
कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया
वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
शुक्रवार, 19 नवंबर 2021
कृषि कानूनों की वापसी, घोषणा का स्वागत किया
कृषि कानूनों की वापसी, घोषणा का स्वागत किया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान संघर्ष समन्वय समिति से संबद्ध 25 से ज्यादा किसान संगठनों के संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार द्वारा काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा का स्वागत किया है। लेकिन वापसी के लिए संसदीय प्रक्रिया के पूर्ण होने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनने और बिजली कानून में प्रस्तावित संशोधन वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा है कि काले किसान विरोधी कानूनों की वापसी के लिए संसद का विशेष अधिवेशन बुलाया जाना चाहिए।
लेकिन इसके साथ ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का कानून बनाने और बिजली संशोधन बिल को वापस लेने के बारे में भी अपना रुख साफ करना चाहिए, क्योंकि देशव्यापी किसान आंदोलन की यह प्रमुख मांग है। किसान नेताओं ने कहा है कि काले कानूनों की वापसी की घोषणा इस देश के किसानों के अहिंसक सत्याग्रह और लोकतंत्र की जीत है। जिसे संघी गिरोह अपने फासीवादी षड़यंत्रों से कुचलना चाहता है। ये कानून संसदीय प्रक्रिया का उल्लंघन करके और लोकतांत्रिक मान-मर्यादा को कुचलकर बनाये गए थे और इसलिए इन कानूनों के पीछे देश की बहुमत जनता का बल नहीं था।
ई-पेंशन प्रणाली को पूरी तरह लागू करेंगी सरकार
संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकारी सेवा से रिटायर होने वाले पेंशनर्स के लिए ई-पेंशन प्रणाली को पूरी तरह लागू करने जा रही है। इस व्यवस्था के तहत सेवा के अंतिम 6 माह के अंदर ही कार्मिक से उससे संबंधित विवरण ऑनलाइन मांग ली जाएगी। इसके बाद संबंधित जिम्मेदार अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि रिटायर होने वाले कार्मिक को पेंशन आदेश जारी होने तक की प्रक्रिया को निर्धारित समय सीमा में पूरा करें। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2022 से राज्य में लागू होगी। नई व्यवस्था से राज्य के करीब 14.82 लाख पेंशनर्स जोड़े जाएंगे। 1 अप्रैल से पहले चरण में नए रिटायर होने वाले कर्मचारियों को इस सुविधा के तहत सेवाएं दी जाएंगी। बाद में पुराने पेंशनर्स का भी डेटा ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ा जाएगा। यह जानकारी सचिव वित्त संजय कुमार ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दी।
उन्होंने उन्होंने बताया कि पेंशनर्स को अब उनके पेंशन निर्धारण तथा अन्य समस्याओं से संबंधित सूचनाएं मोबाइल मैसेज के माध्यम से जाएगा। मैसेज के साथ एक लिंक भी होगा जिसे खोलकर वह संबंधित सूचना दे देगा। पेंशन से संबंधित सभी अलर्ट हर 15 दिन पर मोबाइल मैसेज के माध्यम से अलर्ट के रूप में भेजी जाएगी। सेवानिवृत्ति के दो माह के अंदर ही पेंशनर्स का पेंशन प्रमाण पत्र (पीपीओ) जेनरेट हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि पेंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन के साथ ही पीपीओ जारी करने तक की समय सारिणी निर्धारित होगी। ई-पेंशन के तहत आनलाइन विवरण देने के बाद कर्मचारी की भागदौड़ पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इसके पश्चात संबंधित आहरण वितरण अधिकारी द्वारा पेंशन प्रपत्रों का सत्यापन किया जाएगा।संजय कुमार ने बताया कि पेंशन प्रपत्र आनलाइन ही सिस्टम पर अपलोड कर दिया जाएगा। जिसके बाद पीपीओ जारी करने वाले अधिकारी पेंशन के भुगतान से संबंधित आदेश आनलाइन ही जारी करेंगे। इसके लिए साफ्टवेयर में जरूरी बदलाव करने का काम अंतिम चरण में है। पेंशन प्रकरणों के निस्तारण की समीक्षा शासन स्तर पर ऑनलाइन होगा।
बदलते रुख पर विश्वास करना मुश्किल: प्रियंका
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद शुक्रवार को कहा कि चुनाव में आसन्न हार को देखते हुए प्रधानमंत्री को सच्चाई समझ आने लगी है। लेकिन उनकी नीयत एवं बदलते रुख पर विश्वास करना मुश्किल है।
उन्होंने ट्वीट किया, ”600 से अधिक किसानों की शहादत 350 से अधिक दिन का संघर्ष, नरेंद्र मोदी जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला।”
केंद्र सरकार के अहंकार की हार बताया: सीएम
नरेश राघानी जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा को लोकतंत्र की जीत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अहंकार को हार बताया। गहलोत ने कहा कि यह आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के बलिदान की जीत है।
गहलोत ने ट्वीट किया, ”तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है।” गहलोत ने कहा, ”देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।”
इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान पिछले साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। बनर्जी ने ट्वीट किया, ”हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए। यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया।”
कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की सरकार की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि इनके विरूद्ध प्रदर्शन करते हुए जान गंवाने वाले किसानों की ”शहादत” अमर रहेगी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषणा की कि केंद्र ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है।
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ”आज प्रकाश दिवस पर कितनी बड़ी खुशखबरी मिली। तीनों कानून रद्द। 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।”
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