राज्य के कई वित्तीय मामलों पर चर्चा की: भूपेश
दुष्यंत टीकम
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से केंद्रीय वित्तमंत्री डॉ. निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित देश के सभी राज्यो के मुख्यमंत्रियों की बैठक में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से राज्य के कई वित्तीय मामलों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रथम एवं द्वितीय तिमाही में निर्धारित पूंजीगत व्यय के 35 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य धान का कटोरा कहा जाता है, यहां विपुल मात्रा में धान का उत्पादन होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते दो-तीन वर्षों से राज्य सरकार द्वारा धान से बॉयो एथेनॉल निर्माण की अनुमति देने का आग्रह किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि यदि केन्द्र सरकार अनुमति दे दे तो राज्य सरकार सरप्लस धान का उपयोग एथेनॉल बनाने में कर सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य को और किसानों को लाभ होने के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर भारत सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
जनता की समस्याओं का निपटारा, निर्देश दियें
श्रीराम मौर्य धर्मशाला। उपायुक्त ने आज यहां जानकारी देते हुए बताया कि जिला में राजस्व कार्यों के तुरंत निपटारे हेतु 145 पटवारियों के पद भरे गये हैं। उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों के उपरांत जिला में लोगों को अपने राजस्व सम्बन्धी कार्यों को करवाने में सुविधा मिलेगी। उन्होंने बताया कि जिला राजस्व सम्बन्धी अधिकारियों को जनता की समस्याओं के तुरंत निपटान के निर्देश दिये गये हैं।
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि अधिकारी पटवार सर्किलों के निरीक्षण तथा फील्ड में जाकर लोगों की समस्याओं का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करें तथा भू-संबंधी लंबित मामलों को त्वरित निपटाने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं ताकि लोगों को बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ें।
'एससीएफ' के एक-दूसरे हिस्से की शुरुआत की
हरिओम उपाध्याय लखनऊ। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास में संलग्न शीर्ष वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने स्वावलंबन चैलेंज फंड (एससीएफ) के एक-दूसरे हिस्से की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य लाभ का लक्ष्य न रखने वाले संगठनों , शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक स्टार्टअप को विकास कार्यों के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान करना है।
इसके माध्यम से हरित/स्वच्छ/कुशल जलवायु परिवर्तन को समर्थन देने वाली नवीन परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्थायी आजीविका, वित्तीय समावेशन व वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना इस पहल के अन्य कारक हैं।