एक दीया 'काव्य'
बिन बाती और तेल के,प्रियतम मैंने दिल तुझें दिया। एक दीया। रहा की रात का,
नई नवेली दुल्हन की सुहागरात का।
पूरे बरस जो नहीं बोला, उस पपीहे की बात का। आज मन में उस बात का, अजर-उजर मेरे मन की बात का, जो जल गया है पटाखों के बारूद में, उस प्रदूषण और इस संविधान का। क्या बताऊं दोस्तों, महंगाई के इस दौर में, बेरूखे मन में खाया उस पान का,गला भी दुखने लगा हैं सांस लेने में, जो बीमार हैं फेफडों केउनका इलाज होगा किस दुकान से।वो बत्तमीज लड़की मुझे आज तक मिलीं नहीं। जिसे मैं धीरें से कह सकूं, 'आई लव यू' आराम से।अजीब दोस्ती हैं, दोस्तों मेरीं, तुम्हारे इस मुकाम से।सही मानो तो गफलत हैं, इसी लिए वो दूर हैं, अब तक मेरीं जुबान से।
कृति- चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'
खेल: टी-20 विश्वकप का सबसे बड़ा स्कोर बना
मोहम्मद रियाज दुबई। भारत का नियंत्रण किस्मत पर तो नहीं है। लेकिन अगले दो मुक़ाबलों में उन्हें बड़ी जीत की ओर जरूर जाना होगा। ताकि उनका नेट रन रेट और भी बेहतर हो सके। स्कॉटलैंड अब क्वालीफ़ाई तो नहीं कर सकता।लेकिन वह इस बड़ी और चहेती टीम को टक्कर देते हुए सुर्ख़ियां बटोरने और सभी की नज़रों में आना चाहेगा।बुधवार को भी स्कॉटलैंड ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ प्रभावशाली प्रदर्शन किया था और मैच को बेहद क़रीब ले गए थे, जहां उन्हें सिर्फ़ 16 रन से हार मिली थी। अगर कोई एक बड़ी साझेदारी हो गई होती, या डेथ ओवर्स में एक और अच्छा ओवर हो जाता, तो फिर ये टीम आज करोड़ों भारतीयों की चहेती बन जाती। लेकिन अगर अब भारत के ख़िलाफ़ भी वह वैसा ही प्रदर्शन करे तो फिर टीम इंडिया के लिए मुश्किल हो सकती है।
अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ भारतीय बल्लेबाज़ों ने एक साथ कमाल का प्रदर्शन किया और पूरी पारी में लगातार आक्रामक रुख़ अख़्तियार किया था, जिस चीज़ की दरकार उनसे पहले दो मैचों में थी और तब वह कर नहीं पाए थे। स्कॉटलैंड के ख़िलाफ़ भारत की नज़र बल्लेबाज़ी के साथ-साथ गेंदबाज़ी में और पैनापन हासिल करने पर होगी।
हार्दिक पांड्या का भविष्य इस बात पर निर्भर है कि वह लगातार गेंदबाज़ी कर सकते हैं या नहीं, फिर चाहे वह निचले क्रम में बल्लेबाज़ी में कितनी भी गहराई क्यों न देते हों। अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ उन्होंने गेंदबाज़ी तो की लेकिन वह लय में नहीं दिखे और उनके दो ओवर महंगे रहे। लेकिन बल्ले से जिस तरह उन्होंने 13 गेंदों पर 35 रनों की नाबाद पारी खेली, उसके दम पर भारत ने टी-20 विश्वकप 2021 का सबसे बड़ा स्कोर भी बना डाला। क्या गेंद से भी वह जल्द ही ऐसा करिश्मा कर पाएंगे?
भैया दूज का पर्व, भाई-बहन के प्यार का प्रतीक
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भैया दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भैया दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।
भैया दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं।जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है। फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है। चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है। फिर शुभ मुहूर्त में बहन भाई को तिलक लगाती हैं। तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है। फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी। उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भैया दूज पर्व की शुरुआत हुई।