गैस-सिलेंडर के दाम में 265 रुपये की बढ़ोतरी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिवाली से पहले एलपीजी पर महंगाई बम फूटा है। एलपीजी गैस-सिलेंडर के दाम में 265 रुपये की आज भारी बढ़ोतरी की गई है। राहत की बात ये है कि यह बढ़ोतरी कमर्शियल सिलेंडर में ही हुई है। घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
इस बढ़ोतरी के बाद अब दिल्ली में कमर्शियाल सिलेंडर 2000 रुपये के पार पहुंच गया है। इससे पहले यह 1733 रुपये का था। मुंबई में 1683 रुपये में मिलने वाला 19 किलो का सिलेंडर अब 1950 रुपये में मिलेगा। वहीं, कोलकाता में अब 19 किलो वाला इंडेन गैस सिलेंडर 2073.50 रुपये का हो गया है। चेन्नई में अब 19 किलो वाले सिलेंडर के लिए 2133 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
अगर घरेलू एलपीजी सिलेंडर की बात करें तो आज इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। दिल्ली में 14.2 किलो वाला बिना सब्सिडी का गैस सिलेंडर 899.50 रुपये का ही मिल रहा है। बता दें 6 अक्टूबर को इसके दाम में बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, एक अक्टूबर को केवल 19 किलो वाले कामर्शियल सिलेंडरों के दाम बढ़ाए गए थे। कोलकाता में 926 और चेन्नई में अभी भी 14.2 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर 915.50 रुपये में मिल रहा है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए आशंका जताई जा रही थी कि इस बार एलपीजी सिलेंडर का दाम 1000 रुपये के पार चला जाएगा।
दिल्ली में इस साल जनवरी में एलपीजी सिलेंडर का दाम 694 रुपये था, जिसे फरवरी में बढ़ाकर 719 रुपये प्रति सिलेंडर किया गया। 15 फरवरी को दाम बढ़ाकर 769 रुपये कर दिए गए। इसके बाद 25 फरवरी को एलपीजी सिलेंडर के दाम 794 रुपये कर दिए गए। मार्च में एलपीजी सिलेंडर के दाम को 819 रुपये कर दिया गया। जुलाई में 834.50 का हुआ तो 18 अगस्त को कीमतों में 25 रुपये का इजाफा कर 859.50 रुपये पर पहुंच गया। इसके बाद एक सितंबर को 25 रुपये और बढ़ गया और अक्टूबर में भी 15 रुपये महंगा हो गया।
पेट्रोल में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के उच्च स्तर पर रहने के बीच घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इस महीने के पहले दिन सोमवार को लगातार छठेवें दिन उबाल जारी रहा। सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने इन दोंनों की कीमतों में 35-35 पैसे प्रति लीटर की बढोतरी की। जिसके बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 109.69 रुपये प्रति लीटर और डीजल 98.42 रुपये प्रति लीटर के सर्वकालिक रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर में 31 दिनों में से 24 दिन इन दोनों की कीमतों में बढोतरी हुयी थी और उस दौरान पेट्रोल 7.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल 8.30 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया था। आज को मिलाकर 25 दिनों में पेट्रोन 7.85 रुपये और डीजल 8.65 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। देश में झारखंड में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर समाप्त होने के करीब पहुंच गया है। आज की बढ़त के बाद प्रदेश की राजधानी राँची में पेट्रोल और डीजल के बीच मात्र तीन पैसे का अंतर बचा है। यदि कल फिर इनकी कीमतों में बढोतरी होगी तो डीजल पेट्रोल को पीछे छोड़ सकता है। अभी पेट्रोल 103.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 103.83 रुपये प्रति लीटर पर है। इस बढ़त के बाद मुंबई में पेट्रोल 115.50 रुपये और डीजल 106.62 रुपये प्रति लीटर , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पेट्रोल सबसे महंगा 118.46 रुपये प्रति लीटर और डीजल 107.90 रुपये प्रति लीटर, पटना में पेट्रोल 113.45 रुपये और डीजल 105.07 रुपये प्रति लीटर, बेंगलुरू में पेट्रोल 113.56 रुपये और डीजल 104.50 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। कोलकाता में भी पेट्रोल के 110.15 रुपये प्रति लीटर और डीजल 101.56 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच चुका है।दिल्ली एनसीआर के नोएडा में पेट्रोल 106.85 रुपये और डीजल 99.12 रुपये प्रति लीटर पर है। अभी देश के सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल की कीमत 110 रुपये प्रति लीटर को पार कर चुकी है। अधिकांश शहरों में डीजल भी शतक लगा चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल अभी भी ऊंचे स्तर पर। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को सिंगापुर में कच्चे तेल कारोबार नरमी के साथ शुरू हुआ। ब्रेंट क्रूड 0.35 प्रतिशत टूटकर 83.43 डॉलर प्रति बैरल पर और अमेरिकी क्रूड 0. 47 प्रतिशत गिरकर 83.18 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। लंदन ब्रेंट और अमेरिकी क्रूड में बहुत कम का अंतर रह गया है। तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल 109.69 रुपये प्रति लीटर और डीजल 98.42 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। पेट्रोल-डीजल के मूल्यों की रोजाना समीक्षा होती है और उसके आधार पर हर दिन सुबह छह बजे से नई कीमतें लागू की जाती हैं।
तीन गुना बढ़कर 3,913 इकाई हुईं थोक बिक्री
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। वाहन विनिर्माता निसान इंडिया ने सोमवार को कहा कि अक्टूबर में उसकी घरेलू थोक बिक्री तीन गुना बढ़कर 3,913 इकाई हो गई। जो पिछले साल इसी महीने में 1,105 इकाई थी। कंपनी ने कहा कि उसका निर्यात अक्टूबर 2020 में 75 इकाइयों के मुकाबले पिछले महीने बढ़कर 3,004 इकाई हो गया।
कंपनी ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों और अर्धचालकों की कमी के बावजूद उसकी बिक्री बेहतर रही। निसान मोटर इंडिया के प्रबंध निदेशक राकेश श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा कि कंपनी के लिए मौजूदा त्योहारी सत्र बहुत अच्छा रहा है।
स्कोडा ने बताया कि उसकी बिक्री अक्टूबर 2021 में दोगुने से अधिक बढ़कर 3,065 इकाई हो गई। कंपनी ने बताया कि उसकी नई पेशकश एसयूवी कुशाक को मिली अच्छी प्रतिक्रिया से उसका परिणाम बेहतर रहा, जो अब तक 15,000 से अधिक बुकिंग मिल चुकी है। स्कोडा ऑटो इंडिया ने अक्टूबर 2020 में 1,421 इकाइयों की बिक्री की थी। कृषि मशीनरी और निर्माण उपकरण बनाने वाली कंपनी एस्कॉर्ट्स ने बताया कि अक्टूबर 2021 में ट्रैक्टर की कुल बिक्री 1.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ 13,514 इकाई रही। एस्कॉर्ट्स लिमिटेड ने शेयर बाजार को बताया कि कंपनी ने पिछले साल इसी महीने में कुल 13,664 इकाइयां बेची थीं। कंपनी ने त्योहारी सत्र के दौरान बिक्री में तेजी की उम्मीद जताई।
एमजी मोटर इंडिया ने बताया कि अर्धचालक की कमी से संबंधित उत्पादन चुनौतियों के कारण अक्टूबर 2021 में खुदरा बिक्री में 24 प्रतिशत की गिरावट हुई और यह घटकर 2,863 इकाई रही। कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसने पिछले साल इसी महीने में 3,750 इकाइयां बेची थीं।
आयशर मोटर्स समूह की कंपनी वीई कमर्शियल व्हीकल्स लिमिटेड (वीईसीवी) ने बताया कि उसकी कुल बिक्री अक्टूबर 2021 में 38.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 5,805 इकाई हो गई। आयशर मोटर्स और वोल्वो के बीच इस संयुक्त उद्यम कंपनी ने पिछले साल इसी महीने में 4,200 इकाइयों की बिक्री की थी।
1.30 लाख करोड़ रुपयें महंगा हुआ 'जीएसटी'
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अक्टूबर में बढ़कर 1.30 लाख करोड़ रुपये महंगा हो गया। जो लगातार चौथे महीने एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर है और त्योहारी सत्र की तेजी को दर्शाता है। जीएसटी के एक जुलाई 2017 को लागू होने के बाद, यह दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने जीएसटी संग्रह अक्टूबर 2020 की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक था।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”अक्टूबर 2021 में सकल जीएसटी राजस्व 1,30,127 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 23,861 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 30,421 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 67,361 करोड़ रुपये (माल के आयात पर जमा 32,998 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 8,484 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्रित 699 करोड़ रुपये सहित) है।”
सीजीएसटी का अर्थ केंद्रीय वस्तु और सेवा कर, एसजीएसटी (राज्य वस्तु और सेवा कर) और आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु और सेवा कर) है। बयान में कहा गया कि जीएसटी संग्रह के आंकड़े आर्थिक सुधार के रुझानों से मेल खाते हैं और यह दूसरी लहर के बाद से हर महीने जनरेट होने वाले ई-वे बिलों के रुझानों से भी स्पष्ट है। मंत्रालय ने कहा कि यदि अर्धचालकों की आपूर्ति में बाधा से ऑटो तथा अन्य उत्पादों की बिक्री प्रभावित नहीं होती, तो राजस्व संग्रह और भी अधिक होता।
बंगाल: पटाखों पर रोक का आदेश निरस्त किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में पटाखों पर पूरी तरह रोक का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने पूरे देश में ग्रीन पटाखों को अनुमति दी है। इससे अलग इतना सख्त आदेश देने के लिए हाई कोर्ट के पास कोई बड़ी वजह होनी चाहिए थी, जो कि दिखाई नहीं पड़ रही है।
29 अक्टूबर को कलकत्ता हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता रोशनी अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में हर तरह के पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने कहा था कि सड़कों पर बिक रहे और इस्तेमाल किए जा रहे हैं पटाखों में प्रतिबंधित सामग्री का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, यह पता लगा पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। इसलिए हर तरह के पटाखों पर लगाना ही बेहतर है।
इसका विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल के पटाखा कारोबारियों की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि वह कोर्ट के पुराने आदेशों के मुताबिक सिर्फ ग्रीन पटाखे की बिक्री कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने पूरी रोक लगा कर इस व्यापार से जुड़े 7 लाख लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा कर दिया है।
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने भी याचिकाकर्ताओं की दलील का समर्थन किया। ग्रोवर ने कहा, “हाई कोर्ट का यह मान लेना कि राज्य सरकार का प्रशासनिक अमला प्रतिबंधित पटाखों की पहचान और उनकी रोकथाम में सक्षम नहीं, पूरी तरह गलत है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस पहलू पर हमसे सवाल भी नहीं किया। फिर भी हाई कोर्ट ने यह खुद ही मान लिया कि प्रतिबंधित पटाखों की पहचान संभव नहीं है।”
ग्रोवर ने कहा कि सभी पटाखों में क्यूआर कोड होता है, जिसके माध्यम से प्रशासन के लोग तुरंत उसकी पहचान कर सकते हैं। पिछले 3 सालों में राज्य की पुलिस ने प्रतिबंधित पटाखा बेचने वाले कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए और उन्हें गिरफ्तार भी किया है।
दिवाली की छुट्टी के दौरान सुनवाई के लिए विशेष रूप से बैठी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और अजय रस्तोगी की बेंच ने राज्य सरकार की दलीलों को नोट किया। जजों ने कहा कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कई आदेश जारी किए जा चुके हैं। कुछ आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पारित किए हैं। उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है। ऐसे में इन आदेशों से अलग इतना सख्त आदेश देने से पहले हाई कोर्ट को सभी पहलुओं को विस्तार है देखना चाहिए था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह पूछा तक नहीं कि वह प्रतिबंधित पटाखों की रोकथाम कर सकती है या नहीं। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया।
जजों ने इस बात पर हैरानी जताई है हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जिन व्यावहारिक पहलुओं की बात की है, आखिर वह कौन से पहलू हैं, जिन्हें न तो याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में रखा, न ही जिन पर राज्य सरकार से सवाल पूछे गए। हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली रोशनी अली के वकील रचित लखमनी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में दिवाली के बाद से भाई दूज, काली पूजा, छठ आदि त्योहारों के चलते करीब 1 महीने तक उत्सव का माहौल रहता है। इस दौरान प्रदूषण बहुत बढ़ सकता है।
जजों ने उन्हें रोकते हुए कहा, “यह पुराने आदेश में साफ किया जा चुका है कि अगर प्रदूषण का स्तर अधिक बढ़ जाए, तो प्रशासन की बिक्री पर रोक लगा सकता है। त्यौहार से पहले ही रोक लगा देना सही नहीं।” राज्य में पटाखों की बिक्री पर रोक का समर्थन कर रहे वकील ने कहा कि अगर पटाखे चलाने की अनुमति दी गई तो लोग उन्हें हॉस्पिटल के बाहर चलाएंगे। तय समय सीमा के परे भी चलाएंगे।
इस पर जजों ने कहा, “यह सब पहलू भी हमारे पुराने आदेशों में देखे जा चुके हैं। आप बहुत ज्यादा कल्पना कर रहे हैं। समाज में कुछ लोग गलती करेंगे, इसकी आशंका जताते हुए पटाखों पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती है।” जजों ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता के पास कुछ और जानकारी या आकंड़े आते हैं, तो वह दोबारा हाई कोर्ट जा सकता है। पर हाई कोर्ट सभी पक्षों को विस्तार से सुने बिना कोई आदेश न दे।