झारखंड के सीएम का रायपुर में जोरदार स्वागत
शमशेर खान रायपुर। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राजधानी रायपुर पहुंचने पर स्वामी विवेकानंद विमानतल पर आत्मीय स्वागत किया गया। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, उद्योग मंत्री कवासी लखमा और छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन ने उनकी अगुवानी की। उल्लेखनीय है कि झारखंड के मुख्यमंत्री राजधानी रायपुर के सांइस कालेज मैदान में आज से आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव-छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे।
आंदोलन में शामिल 3 महिला किसानों को कुचला
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। सुबह-सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां एक तेज रफ्तार ट्रक ने किसान आंदोलन में शामिल तीन महिला किसानों को कुचल दिया। इस घटना में दो बुजुर्ग महिलाओं की मौके पर मौत हो गई। वहीं एक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जबकि तीन गंभीर रूप से जख्मी हो गयी है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार ये हादसा सुबह साढ़े 6 बजे के आसपास झज्जर रोड पर हुआ। बताया जा रहा है कि हादसे का शिकार हुई ये बुजुर्ग महिलाएं डिवाइडर पर बैठी हुई थीं तभी एक तेज रफ्तार उनके ऊपर आकर चढ़ गया। इससे दो महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। हादसे में जान गंवाने वालीं तीनों महिलाएं पंजाब के मानसा जिले की रहने वाली थी। बताया जा रहा है कि ये महिलाएं आंदोलन में शामिल होने के बाद घर जाने के लिए ऑटो के इंतजार में डिवाइडर पर बैठी हुई थीं तभी झज्जर रोड पर फ्लाइओवर के नीचे तेज रफ्तार ट्रक ने उन्हें रौंद दिया। घटना के बाद चारों तरफ चीख पुकार मच गयी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर 2020 से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। हादसे का शिकार हुईं महिलाएं भी इसी आंदोलन जुड़ी थीं। ये महिलाएं रोटेशन के तहत अपने घर जाने वाली थीं, लेकिन उससे पहले ही तीन की मौत हो गई। इस हादसे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक जताया है। कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा, "भारत माता, देश की अन्नदाता को कुचला गया है, ये क्रूरता और नफ़रत हमारे देश को खोखला कर रही है, मेरी शोक संवेदनाएं हैं।'
डेढ़ माह के निचले स्तर तक पहुंचा शेयर बाजार
मनोज सिंह ठाकुर मुंबई। विदेशी बाजारों के 1.23 प्रतिशत तक टूटने के दबाव के साथ ही स्थानीय स्तर पर जबरदस्त मुनाफावसली और महीने के अंत में वायदा एवं विकल्प सौदे का निपटान होने से आज शेयर बाजार डेढ़ माह के निचले स्तर तक लुढ़क गया। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1158.63 अंक का गोता लगाकर लगभग डेढ़ माह के निचले स्तर 60 हजार अंक के नीचे 59,984.7016 अंक पर आ गया। इससे पहले 16 सितंबर को यह पहली बार 59 हजार अंक के पार 59141.16 अंक पर पहुंचा था।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 353.70 अंक टूटकर 18 हजार अंक के नीचे 17,857.25 अंक पर रहा। विश्लेषकों ने कहा कि पिछले कई सप्ताह से शेयर बाजार में ऊंचे भाव पर पांच से सात फीसदी तक का करेक्शन होने की आशंका जताई जा रही थी।इसी कड़ी में आज बाजार लगभग दो प्रतिशत तक लुढ़क गया। हालांकि महीने के अंतिम गुरुवार को वायदा एवं विकल्प सौदे का निपटान होने का असर भी बाजार पर देखा जा रहा है। साथ ही विदेशी बाजारों की गिरावट का दबाव भी बाजार पर बना है। दिग्गज कंपनियों की तरह छोटी और मझौली कंपनियों में भी मुनाफावसूली हुई।
इस दौरान बीएसई का मिडकैप 354.27 अंक गिरकर 25,236.28 अंक और स्मॉलकैप 444.48 अंक टूटकर 28,089.97 अंक पर रहा। बीएसई में कुल 3405 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। इनमें से 2295 लुढ़क गये जबकि 985 में तेजी रही वहीं 125 के भाव स्थिर रहे। इसी तरह एनएसई में 44 कंपनियों के शेयर भाव गिर गये जबकि केवल छह चढ़ने में कामयाब रहे।बीएसई में कैपिटल गुड्स की 0.02 प्रतिशत की बढ़त को छोड़कर शेष सभी समूह मुनाफावसूली का शिकार हुए। इस दौरान रियल्टी ने सबसे अधिक 3.75 प्रतिशत का नुकसान उठाया।
इसी तरह बैंकिंग 3.36, टेक 1.68, पावर 2.80, तेल एवं गैस 2.58, धातु 2.51, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 2.19, ऑटो 1.03, यूटिलिटीज 2.68, दूरसंचार 2.07, आईटी 1.56, इंडस्ट्रियल्स 1.73, हेल्थकेयर 1.62, वित्त 2.50, एफएमसीजी 1.90, ऊर्जा 1.72, बेसिक मैटेरियल्स 1.59 और सीडीजीएस के शेयर 1.02 प्रतिशत उतर गये। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में गिरावट का रुख रहा। ब्रिटेन का एफटीएसई 0.22 प्रतिशत, जर्मनी का डैक्स 0.04 प्रतिशत, जापान का निक्केई 0.96 प्रतिशत, हांगकांग का हैंगसैंग 0.28 और चीन का शंघाई कंपोजिट 1.23 प्रतिशत कमजोर रहा।
पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 23 दिसंबर की तिथि तय की। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि उसने इस संबंध में नई याचिका दायर की है, क्योंकि उसके प्रतिवेदन पर आयोग का पहले दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं था। याचिकाकर्ता ने पहले भी याचिका दायर की थी।अदालत ने तब आयोग को निर्देश दिया था कि वह इस याचिका को प्रतिवेदन समझकर इस पर फैसला करे। इसी के साथ अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया था। कमल हासन के राजनीतिक दल ‘मक्कल निधि मय्यम’ (एमएनएम) के संस्थापक सदस्यों में शामिल एवं वकील सी राजशेखरन ने यह याचिका दायर की है। राजशेखरन ने दावा किया कि राजनीतिक दलों के आंतरिक चुनावों में नियामक के तौर पर आयोग की निगरानी का अभाव है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आयोग ने 1996 में सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ-साथ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को एक पत्र जारी करके कहा था कि वे अपने संगठनात्मक चुनावों से संबंधित विभिन्न प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं। आयोग ने उनसे आंतरिक चुनावों से संबंधित अपने-अपने संविधानों का ईमानदारी से पालन करने का आह्वान किया था।याचिका में कहा गया है कि अन्य निजी संगठनों/संस्थानों के विपरीत राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और इसका काफी असर देश के शासन पर पड़ता है, क्योंकि जब ये राजनीतिक दल सत्ता में आते हैं, तो उनमें पादर्शिता और आंतरिक लोकतंत्र का अभाव उनके गैर लोकतांत्रिक शासन मॉडल में भी प्रतिबिंबित होता है।
आड़ में अधिकारों के उल्लंघन की इजाजत नहीं
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस धारणा को दूर किया कि पटाखों पर उसके द्वारा रोक लगाना किसी समुदाय या किसी समूह विशेष के खिलाफ है। न्यायालय ने कहा कि आनंद की आड़ में वह नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन की इजाजत नहीं दे सकता है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने स्पष्ट किया कि वे चाहते हैं कि न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जाए। पीठ ने कहा, ”आनंद करने की आड़ में आप (पटाखा उत्पादक) नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। हम किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं हैं। हम कड़ा संदेश देना चाहते हैं कि हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां पर हैं।”न्यायालय ने कहा कि पटाखों पर रोक का पहले का आदेश व्यापक रूप से कारण बताने के बाद दिया गया था। पीठ ने कहा, ”रोक सभी पटाखों पर नहीं लगाई गई है। यह व्यापक जनहित में है। एक विशेष तरह की धारणा बनाई जा रही है। इसे इस तरह से नहीं दिखाया जाना चाहिए कि यह रोक किसी विशेष उद्देश्य के लिए लगाई गई है। पिछली बार हमने कहा था कि हम किसी के आनंद के आड़े नहीं आ रहे लेकिन हम लोगों के मौलिक अधिकारों के रास्ते में भी नहीं आ सकते।”
न्यायालय ने कहा कि उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है। पीठ ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं। पीठ ने कहा, ”हम संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां पर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं।हमने पटाखों पर सौ प्रतिशत रोक नहीं लगाई है। हर कोई जानता है कि दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है (पटाखों से होने वाले प्रदूषण के कारण)।” न्यायालय ने छह (पटाखा) निर्माताओं से कारण बताने को कहा था कि उन्हें शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने पर दंडित क्यों नहीं किया जाए।
इससे पहले, न्यायालय ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी ही कर सकते हैं और केवल हरित पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर पूरी तरह रोक है। न्यायालय ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए देशभर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया था।