रविवार, 26 सितंबर 2021

सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी फिल्म 'फाइनल ट्रूथ'

कविता गर्ग      
मुंबई। बॉलीवुड के दबंग स्टार सलमान खान और आयुष शर्मा की फिल्म 'अंतिम: द फाइनल ट्रूथ' सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी।
सलमान-आयुष शर्मा की फिल्म 'अंतिम: द फाइनल ट्रूथ' के मेकर्स ने इस फिल्म को सिनेमाघरों में ही रिलीज करने का फैसला किया है। फिल्म के निर्देशक महेश मांजरेकर का मानना है कि फिल्म थिएटर के लिए बनी है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में सिनेमाघर अक्टूबर तक खुल जाएंगे। इसके बाद वे दीवाली तक फिल्म को रिलीज करने का प्लान बना रहे हैं।
गौरतलब है कि 'अंतिम' में सलमान के अलावा आयुष शर्मा भी लीड रोल में हैं। फिल्म में सलमान पुलिस वाले और आयुष गैंगस्टर के किरदार में नजर आने वाले हैं। 'अंतिम' मराठी फिल्म 'मुलशी पैटर्न' की हिन्दी रीमेक है। इसे देशभर में पांच भाषाओं हिन्दी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और उड़िया में रिलीज किया जाएगा। यह फिल्म 'सलमान खान फिल्म्स' द्वारा प्रस्तुत और सलमा खान द्वारा निर्मित है।

आतंकवादी संगठन का असली चेहरा सामने आया

काबुल। अफगानिस्तान में बेहतर और समावेशी शासन देने के तालिबान के कथित दावों के बीच उसकी हरकतों से आतंकवादी संगठन का असली चेहरा सामने आने लगा है और इसी कड़ी में उसने स्थानीय लोगों को चेतावनी देने के लिए अपहरण के चार आरोपियों के शवों को पश्चिमी शहर हेरात के चौराहों पर सार्वजनिक रूप से लटका दिया।
एक कुख्यात तालिबान अधिकारी द्वारा फांसी और अंग भंग करने जैसी सजाएं फिर शुरू किये जाने की चेतावनी के एक दिन बाद संगठन ने इस पर अमल भी कर दिखाया। चारो आरोपियों के शवों को बड़ी क्रूरता से क्रेन के माध्यम से चौराहों पर लटका दिया गया।
एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि ये लोग एक व्यापारी और उसके बेटे का कथित तौर पर अपहरण करने के बाद हुई मुठभेड़ में मारे गये।
स्थानीय मीडिया ने हेरात के डिप्टी गवर्नर मौलवी शायर अहमद इमर के हवाले से कहा कि तालिबान लड़ाकों ने कथित अपहरणकर्ताओं को ढूंढ निकाला और सभी को मार गिराया।
अधिकारी
ने कहा, "हमने अन्य अपहरणकर्ताओं को चेतावनी देने के लिए उनके शवों को हेरात के चौराहों पर लटका दिया।"
गौरतलब है कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम शासन का वादा करता रहा है लेकिन देश भर से मानवाधिकारों के हनन की कई खबरें पहले ही सामने आ चुकी हैं।

सस्ता गल्ला की दुकान का मामला प्रकाश में आया

अकांशु उपाध्याय         
नई दिल्ली। पन्तनगर गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी के कई सरकारी भवनों पर अतिक्रमणकारियों की ओर से वर्षों से कब्जा कर भवनों पर सस्ता गल्ला की दुकान चलने मामला प्रकाश में आया है। मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है। विश्वविद्यालय के मुख्य महाप्रबंधक डीके सिंह ने इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की बात कही है।
आरटीआई में खुलासा हुआ है कि विश्वविद्यालय फार्म कार्यालय के पीछे वर्षों पूर्व पंतनगर यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा हल्दी गन्ना सोसायटी के बगल में गोदामों निर्माण कराया गया था। उसके बाद वर्ष 1992 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फूलबाग की हल्दी मल्टी परपज सरकारी समिति को कुछ भवन किराए पर दिये थे। जब से अब तक भवनों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमाये रखा है। वहीं आज तक अतिक्रमणकारियों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को किराये के नाम पर एक रूपया तक नही दिया, जो अब लगभग 40 लाख रूपये हो गया है। वहीं इन अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसे राज्य सरकार के साथ—साथ यूनिवर्सिटी को भी है प्रतिमाह लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
इधर अवैध कब्जे के संबंध में पूछे जाने पर विश्वविद्यालय के मुख्य महाप्रबंधक डीके सिंह ने बताया कि उन्हें एक आरटीआई मिली है। उन्होंने कहा कि भवन किसने आबंटित किया है, उसकी जांच चल रही है। परिसंपत्ति कार्यालय से इस मामले की जानकारी मांगी गई है। जल्द ही इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में सभी जानकारी मंगाई गई है। इधर आरटीआई कार्यकर्ता राजेश सिंह ने बताया कि पन्तनगर विश्वविद्यालय फार्म के सरकारी भवनों पर स्थानीय व्यक्ति की ओर से वर्षों से अवैध कब्जा किया गया है।
वो उक्त भवनों पर बरसों से सस्ते गल्ले कि दुकान चला रहा है तथा उसके द्वारा अन्य सरकारी भवनों पर भी अवैध कब्जा किया गया है। उन्होंने कहा कि मिली भगत से इतना बड़ा अवैध कब्जा किया गया है तथा सभी भवनों का बिजली-पानी का बिल भी यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दिया जा रहा है। जिसका लाभ उक्त एक व्यक्ति उठा रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त भवनों का किराया अतिक्रमणकारी पर लाखों रुपए हो गया है, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन कार्रवाई के नाम पर अपनी आंखें मूंदे बैठा है। उन्होंने जल्द ही सभी भवनों को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा कर खाली कराये जाने कि मांग की, ताकि जिस उद्देश्य से भवन बनाए गए हैं उसका उपयोग हो सकें।

67वीं परीक्षा 2021 का नोटिफिकेशन जारी किया

अविनाश श्रीवास्तव         
पटना। बिहार लोक सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर बीपीएससी 67वीं परीक्षा 2021 का नोटिफिकेशन जारी किया है। उम्मीदवार 30 सितंबर, 2021 से रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे और 5 नवंबर 2021 को समाप्त होगी। जो उम्मीदवार 67वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे बीपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उम्मीदवार 15 नवंबर 2021 तक आवेदन पत्र को एडिट कर सकते हैं और बदलाव कर सकते हैं। वहीं इस भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से कुल 555 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।
BPSC की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक चयन प्रक्रिया में प्रारंभिक परीक्षा और उसके बाद मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार शामिल होंगे। जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे उन्हें मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। इन सभी परीक्षाओं की तिथियां नियत समय पर जारी की जाएंगी।

आईपीएस के हाथों में होगी 6 जिलों की कमान

अकांशु उपाध्याय      
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में 6 जिलों की कमान महिला आईपीएस के हाथों में होगी। शनिवार को दिल्ली पुलिस में करीब 30 से ज्यादा अधिकारियों का तबादला किया गया। इसमें स्पेशल कमिश्नर से लेकर डीसीपी और एडिशनल डीसीपी रैंक के अधिकारी शामिल थे। जो नया आदेश आया है। उसके मुताबिक दिल्ली में 15 जिलों में से 6 जिलों की कमान महिला अधिकारियों के हाथ में होगी। दरअसल पहले से ही दिल्ली पुलिस के तीन जिलों की कमान महिलाओं के हाथ में थी। शनिवार को जब नई सूची आई तो तीन और जिलों की कमान महिला अधिकारियों को दे दी गई।
जिन तीन नई महिला अधिकारियों को जिले की कमान सौंपी गई है। उसमें सेंट्रल दिल्ली के डीसीपी जसमीत सिंह की जगह आईपीएस श्वेता चौहान को लगाया गया है। जबकि सिक्योरिटी से आईपीएस विनीता मैरिको साउथ जिले की कमान सौंपी गई है। इसके अलावा साउथ ईस्ट जिले से आरपी मीणा की जगह ईशा पांडे को लगाया गया है। वहीं इससे पहले अगर हम बात करें तो नॉर्थ वेस्ट जिले की कमान उषा रंगनानी के हाथ में थी वेस्ट जिले की कमान उर्विजा गोयल संभाल रही थी और ईस्ट दिल्ली जिला प्रियंका कश्यप के पास था।
इसके अलावा सेंट्रल जिले के जसमीत सिंह को डीसीपी स्पेशल सेल लगाया गया है। साउथ जिले के डीसीपी अतुल ठाकुर को डीसीपी हेडक्वॉर्टर-1 और साउथ ईस्ट के डीसीपी आरपी मीणा डीसीपी हेडक्वार्टर होंगे। सिक्योरिटी में तैनात डीसीपी गौरव शर्मा को साउथ वेस्ट की कमान सौंपी गई है। आउटर नॉर्थ डीसीपी राजीव रंजन स्पेशल सेल के डीसीपी होंगे। साउथ वेस्ट के डीसीपी इंगित सिंह को भी डीसीपी स्पेशल से लगाया गया है।
आपको बता दे कि इस समय दिल्ली में स्पेशल सेल में 3 डीसीपी है लेकिन अब इस तबादले के बाद सेल में 6 डीसीपी होंगे। कही ना कही दिल्ली में लगातार बढ़ते क्राइम को देखते हुए ये डिसीजन लिया गया है। क्योंकि दिल्ली ऑर्गेनाइज्ड क्राईम लगातार बढ़ रहा है और ऐसा कहा जा रहा है कि उसी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। सायबर सेल के डीसीपी अन्येश रॉय सीपी सचिवालय में डीसीपी-1 होंगे। उनकी जगह डीसीपी केपीएस मल्होत्रा को साइबर सेल की कमान दी गई है।

मुंबई: 100 मीटर रनिंग और हर्डल में अवार्ड जीता

कविता गर्ग        
मुबंई। डॉटर्स डे के खास मौके पर भास्कर वुमन ने बात की 5 टीवी अभिनेत्रियों से और उनसे जाने वो अनुभव जिनसे उन्हें बेटी होने पर गर्व महसूस होता है।
मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे पैरेंट्स मिले, जिन्होंने मुझे वो सब करने दिया जो मैं चाहती थी। मेरे पैरेंट्स ने मेरे भाई और मुझमें कभी कोई फर्क नहीं किया, बल्कि मुझे भाई से ज्यादा प्यार दिया। 
जब मैं 14 साल की थी तब मैंने भाई से पहले बाइक चलाना सीख लिया था। मैंने 5 साल तक ओडिसी डांस सीखा, स्टेट लेवल पर 100 मीटर रनिंग और हर्डल में अवार्ड जीता। मेरे करियर में मां का बहुत बड़ा योगदान है। मेरी मां विजया पंत तुली माउंटेनियर हैं और उन्होंने मुझे हमेशा ऊंचाई की राह दिखाई। वो मेरी पिलर हैं। मैं स्पोर्ट्स में अच्छी थी इसलिए मां ने मुझे क्रिकेट में करियर बनाने की सलाह दी। मेरा सलेक्शन भी हो गया था, लेकिन डेस्टिनी को शायद कुछ और ही मंजूर था। क्रिकेट की ट्रेनिंग के दौरान मुझे एक ब्यूटी कोंटेस्ट में हिस्सा लेने का मौका मिला और वहीं से मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। मैंने मुंबई आकर एक्टिंग सीखी और फिर पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। एकता कपूर के शो ‘कस्तूरी’ से टीवी इंडस्ट्री में मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई, उसके बाद कुमकुम भाग्य, चंद्रकांता, कयामत की रात, नच बलिए, बिग बॉस 13, वेब सीरीज अवरोध, अक्षय कुमार के साथ बेबी फिल्म एक के बाद एक मौके मिलते गए। इस बीच करियर में कई उतार-चढ़ाव भी आए, लेकिन मां ताकत बनकर हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं और मुझे कभी डगमगाने नहीं दिया। डॉटर्स डे के मौके पर मैं सभी पेरेंट्स से कहना चाहती हूं कि अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाएं, ताकि वो हमेशा स्ट्रांग महसूस करे और अपने परिवार का आधार बने।भाबी जी घर पर हैं’ शो की अंगूरी भाभी उर्फ शुभांगी अत्रे से जब हमने डॉटर्स डे पर बात की, तो उन्होंने इस खास अवसर पर अपनी बात ऐसे रखी, “​​​​​​मेरा जन्म खरगौन, मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ है, जहां उस समय बेटियां होने पर घरवालों के चेहरे पर खुशी कम ही देखने को मिलती है। 
लेकिन जब मेरा जन्म हुआ तो तीसरी बेटी होने पर भी मेरे पापा उतने ही खुश हुए जितना मेरी दो बड़ी बहनों के जन्म पर हुए थे। हम तीनों बहनों की परवरिश प्रिंसेस की तरह हुई है और हमें कभी किसी काम के लिए रोका नहीं गया। मैंने सातवीं क्लास से कथक सीखना शुरू कर दिया था। मुझे याद है, दसवीं क्लास से मैं अपने घर के सारे फ्यूज ठीक करती थी, बाहर से सामान उठाकर लाती थी, वो सारे काम करती थी जो दूसरे घरों के बेटे करते थे। आज मैं जो भी हूं, उसमें मेरे माता-पिता का पूरा योगदान है। मां बनने के बाद मैंने अपनी बेटी को कभी किसी चीज के लिए रोका नहीं। मेरी 16 साल की बेटी आशी के साथ मेरा रिश्ता दोस्त जैसा है, मैं उससे अपनी हर बात शेयर करती हूं। अब तो हम एक-दूसरे के कपड़े भी शेयर करने लगे हैं। उसकी उम्र में मैं टोटल फिल्मी थी, लेकिन वो बहुत पढ़ाकू है, वो एस्ट्रोफिजिसिस्ट बनना चाहती है। मैंने बीएससी और एमबीए की पढ़ाई इंदौर से की है, लेकिन आज मैं ये बात एक्सेप्ट करना चाहती हूं कि फिजिक्स के कई थ्योरम जो मुझे तब समझ नहीं आते थे, अब आशी से डिस्कस करके ज्यादा समझ आते हैं। कई बार मैं सोचती हूं कि काश मेरी फिजिक्स की टीचर आशी जैसी होती। आज का टीचिंग पैटर्न जितना अच्छा है, बच्चे भी उतने ही शार्प हैं। हम दोनों में एक बड़ा फर्क ये भी है कि मुझे कैमरे से जितना प्यार है, आशी उससे उतना ही दूर रहती है। मेरे पास एक-दो ऐड कैंपेन ऐसे भी आए जहां वो चाहते थे कि आशी और मैं साथ रहें, लेकिन आशी को कैमरा बिल्कुल पसंद नहीं, इसलिए मैंने मना कर दिया, उसको फोटो खिंचवाना भी पसंद नहीं। डॉटर्स डे के अवसर मैं सभी पैरेंट्स से ये कहना चाहती हूं कि अपनी बेटियों को पंख फैलाने दीजिए, उन्हें उड़ने दीजिए। प्रकृति ने स्त्री को मां के रूप में बहुत बड़ी ताकत दी है, उसका सम्मान करें और अपने बेटों को सिखाएं कि महिलाओं का सम्मान कैसे करना चाहिए। बेटियों बांधें नहीं, उन्हें अपनी उड़ान भरने दीजिए।”
मां से जितना मैं प्यार करती हूं, उतनी ही तकरार भी, वो मेरी क्रिटिक भी हैं और गाइड भी। ये डॉटर्स डे मेरे लिए बहुत स्पेशल है, क्योंकि अब मैं मां के साथ अपने रिश्ते को अलग नजरिये से देखने लगी हूं, क्योंकि अब मैं भी मां बन गई हूं। बेटी को जन्म देने के बाद मैंने जाना कि मां होना क्या होता है, तब से मां के लिए मेरे मन में रिस्पेक्ट, प्यार और ज्यादा बढ़ गया है। जब से आयशा मेरी जिंदगी में आई है, मां मेरे दिल के और करीब हो गई हैं। मां बनकर लगा जैसे रातोंरात मैं मैच्योर हो गई हूं, अपनी बेटी के लिए जिम्मेदारी का एहसास और बढ़ गया। डॉटर्स डे के मौके पर आज मैं मां से कहना चाहती हूं कि आपने मुझे अच्छा इंसान बनाने के लिए मुझ पर जो पाबंदियां लगाईं, मुझे रोका-टोका, जो तब मुझे अच्छा नहीं लगता था, लेकिन आज एक बेटी की मां बनकर मैं समझ पा रही हूं कि आप सही थीं, आज मैं उन तमाम बहसबाजियों के लिए आपसे माफी मांगती हूं। मां बनकर मैं आपकी तरह सोचने लगी हूं। आज महसूस हो रहा है कि मेरी परवरिश बहुत सही हुई है और मुझे भी अपनी बेटी को ऐसे ही बड़ा करना है। मुझे याद है, जब हम अबू धाबी गए थे और मैंने रोलर कोस्टर पर बैठने से इनकार कर दिया था, लेकिन मां ने साठ की उम्र में भी कहा कि वो तो राइड पर जाएंगी। उन्हें देखकर मुझे प्रेरणा मिली और मैं भी रोलर कोस्टर की राइड के लिए राजी हो गई। मां की यही बातें मुझे मोटिवेट करती हैं और मेरे मन का डर दूर करती हैं। मेरे एक्टिंग करियर में भले ही कस्तूरी, कसौटी जिंदगी की, किस देश में निकला चाँद, लगी तुझसे लगन, दो हंसो का जोड़ा, उतरन, जमाई राजा, कसम तेरी प्यार की, कवच जैसे सीरियल जुड़े हों, लेकिन जिंदगी का पाठ मैंने मां से सीखा है।
घर की बड़ी बेटी होने के नाते जब पापा हर जरूरी फैसले में मेरी राय लेते हैं या मुझसे इमोशनल सपोर्ट चाहते हैं, तो मुझे जिम्मेदारी का एहसास होता है, जो मुझे अपनी राह से भटकने नहीं देता। मुझे और मेरी छोटी बहन आरोही को मम्मी-पापा ने कभी ये एहसास नहीं होने दिया कि बेटी होने के कारण हम कोई काम नहीं कर सकते। जमाई राजा, इश्क में मरजावां, बेगूसराय, थपकी प्यार की, लाल इश्क, मेरी गुड़िया जैसे सीरियल मेरी जिंदगी में इसलिए जुड़े, क्योंकि मेरे पैरेंट्स को मुझ पर भरोसा था कि मैं जो भी करूंगी उसे पूरी शिद्दत से करूंगी। मां के साथ मेरा रिश्ता फ्रेंड की तरह है, हम साथ में रील्स बनाते हैं, शॉपिंग के लिए जाते हैं। पापा मुझे हमेशा ये भरोसा दिलाते हैं कि मैं कोई भी काम कर सकती हूं। जब मैं शिमला में बिताए अपने बचपन के बारे में सोचती हूं, तो लगता है कि हमने अपने पैरेंट्स के साथ जो खूबसूरत वक्त बिताया है, वो हमारी बॉन्डिंग का आधार है और वो मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत यादें हैं।
मां के साथ मेरी एक अलग ही बॉन्डिंग है, वो मेरी मेंटर, गाइड हैं। बचपन से उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं आज अपने सपनों को इसीलिए जी पा रही हूं, क्योंकि मां ने मुझे सपनों का पीछा करना सिखाया। जब कभी मैं निराश हो जाती हूं, तो वो कहती हैं दिलोजान से जो भी काम किया जाए, वो कभी फेल नहीं हो सकता। उनके बिना मैं अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती। आज मैं जो भी हूं उसमें मेरे पैरेंट्स का बहुत बड़ा योगदान है। ये रिश्ते हैं प्यार के, नागिन 2, परदेस में है मेरा दिल, सावधान इंडिया जैसे टीवी सीरियल के अलावा फिल्म तिश्नगी में डेब्यू करते हुए करियर में जब भी उतार-चढ़ाव आए, तब मेरे पैरेंट्स हमेशा मेरे साथ खड़े रहे और यही मेरी असली ताकत है।

जोरदार बारिश होने से क्षेत्र का मौसम सुहाना हुआ

मनोज सिंह ठाकुर      
नीमच। शहर में रविवार को रूक-रूककर बारिश का दौर जारी है। शहर सहित जिलेभर के आसमान में रविवार सुबह से ही बादलों की मौजूदगी दिखाई दी। कुछ देर धूप निकलने के बाद सुबह करीब 11 बजे जोरदार बारिश का क्रम शुरू हुआ जो कुछ देर तक चला। इसके बाद दोपहर करीब 12ः30 बजे बादलों ने फिर से डेरा जमाया और जोरदार बारिश का क्रम शुरू हुआ। जोरदार बारिश होने से क्षेत्र का मौसम सुहाना हो गया। 
गत वर्ष की तुलना में 14 इंच अधिक बारिश रिकॉर्ड- नीमच जिले में चालू वर्षा काल में अब 40 इंच से अधिक बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। जबकि गत वर्ष इस अवधि तक महज 26 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई थी। जिले की औसत बारिश का आंकड़ा 32.5 इंच है। जिले में औसत बारिश से 8.5 इंच अधिक बारिश हो चुकी है। जिले सहित आसपास के क्षेत्रों में हुई झमाझम बारिश से सभी बांध व जलाशय पूर्ण क्षमता से भर चुके हैं। बांध व जलाशयों में पानी की जोरदार आवक होने से किसानों ने भी राहत की सांस ली है। किसानों की मानें तो आगामी सीजन की फसल लेने में पानी का उपयोग किया जाएगा।   
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