कविता गर्ग
मुबंई। डॉटर्स डे के खास मौके पर भास्कर वुमन ने बात की 5 टीवी अभिनेत्रियों से और उनसे जाने वो अनुभव जिनसे उन्हें बेटी होने पर गर्व महसूस होता है।
मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे पैरेंट्स मिले, जिन्होंने मुझे वो सब करने दिया जो मैं चाहती थी। मेरे पैरेंट्स ने मेरे भाई और मुझमें कभी कोई फर्क नहीं किया, बल्कि मुझे भाई से ज्यादा प्यार दिया।
जब मैं 14 साल की थी तब मैंने भाई से पहले बाइक चलाना सीख लिया था। मैंने 5 साल तक ओडिसी डांस सीखा, स्टेट लेवल पर 100 मीटर रनिंग और हर्डल में अवार्ड जीता। मेरे करियर में मां का बहुत बड़ा योगदान है। मेरी मां विजया पंत तुली माउंटेनियर हैं और उन्होंने मुझे हमेशा ऊंचाई की राह दिखाई। वो मेरी पिलर हैं। मैं स्पोर्ट्स में अच्छी थी इसलिए मां ने मुझे क्रिकेट में करियर बनाने की सलाह दी। मेरा सलेक्शन भी हो गया था, लेकिन डेस्टिनी को शायद कुछ और ही मंजूर था। क्रिकेट की ट्रेनिंग के दौरान मुझे एक ब्यूटी कोंटेस्ट में हिस्सा लेने का मौका मिला और वहीं से मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। मैंने मुंबई आकर एक्टिंग सीखी और फिर पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। एकता कपूर के शो ‘कस्तूरी’ से टीवी इंडस्ट्री में मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई, उसके बाद कुमकुम भाग्य, चंद्रकांता, कयामत की रात, नच बलिए, बिग बॉस 13, वेब सीरीज अवरोध, अक्षय कुमार के साथ बेबी फिल्म एक के बाद एक मौके मिलते गए। इस बीच करियर में कई उतार-चढ़ाव भी आए, लेकिन मां ताकत बनकर हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं और मुझे कभी डगमगाने नहीं दिया। डॉटर्स डे के मौके पर मैं सभी पेरेंट्स से कहना चाहती हूं कि अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाएं, ताकि वो हमेशा स्ट्रांग महसूस करे और अपने परिवार का आधार बने।भाबी जी घर पर हैं’ शो की अंगूरी भाभी उर्फ शुभांगी अत्रे से जब हमने डॉटर्स डे पर बात की, तो उन्होंने इस खास अवसर पर अपनी बात ऐसे रखी, “मेरा जन्म खरगौन, मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ है, जहां उस समय बेटियां होने पर घरवालों के चेहरे पर खुशी कम ही देखने को मिलती है।
लेकिन जब मेरा जन्म हुआ तो तीसरी बेटी होने पर भी मेरे पापा उतने ही खुश हुए जितना मेरी दो बड़ी बहनों के जन्म पर हुए थे। हम तीनों बहनों की परवरिश प्रिंसेस की तरह हुई है और हमें कभी किसी काम के लिए रोका नहीं गया। मैंने सातवीं क्लास से कथक सीखना शुरू कर दिया था। मुझे याद है, दसवीं क्लास से मैं अपने घर के सारे फ्यूज ठीक करती थी, बाहर से सामान उठाकर लाती थी, वो सारे काम करती थी जो दूसरे घरों के बेटे करते थे। आज मैं जो भी हूं, उसमें मेरे माता-पिता का पूरा योगदान है। मां बनने के बाद मैंने अपनी बेटी को कभी किसी चीज के लिए रोका नहीं। मेरी 16 साल की बेटी आशी के साथ मेरा रिश्ता दोस्त जैसा है, मैं उससे अपनी हर बात शेयर करती हूं। अब तो हम एक-दूसरे के कपड़े भी शेयर करने लगे हैं। उसकी उम्र में मैं टोटल फिल्मी थी, लेकिन वो बहुत पढ़ाकू है, वो एस्ट्रोफिजिसिस्ट बनना चाहती है। मैंने बीएससी और एमबीए की पढ़ाई इंदौर से की है, लेकिन आज मैं ये बात एक्सेप्ट करना चाहती हूं कि फिजिक्स के कई थ्योरम जो मुझे तब समझ नहीं आते थे, अब आशी से डिस्कस करके ज्यादा समझ आते हैं। कई बार मैं सोचती हूं कि काश मेरी फिजिक्स की टीचर आशी जैसी होती। आज का टीचिंग पैटर्न जितना अच्छा है, बच्चे भी उतने ही शार्प हैं। हम दोनों में एक बड़ा फर्क ये भी है कि मुझे कैमरे से जितना प्यार है, आशी उससे उतना ही दूर रहती है। मेरे पास एक-दो ऐड कैंपेन ऐसे भी आए जहां वो चाहते थे कि आशी और मैं साथ रहें, लेकिन आशी को कैमरा बिल्कुल पसंद नहीं, इसलिए मैंने मना कर दिया, उसको फोटो खिंचवाना भी पसंद नहीं। डॉटर्स डे के अवसर मैं सभी पैरेंट्स से ये कहना चाहती हूं कि अपनी बेटियों को पंख फैलाने दीजिए, उन्हें उड़ने दीजिए। प्रकृति ने स्त्री को मां के रूप में बहुत बड़ी ताकत दी है, उसका सम्मान करें और अपने बेटों को सिखाएं कि महिलाओं का सम्मान कैसे करना चाहिए। बेटियों बांधें नहीं, उन्हें अपनी उड़ान भरने दीजिए।”
मां से जितना मैं प्यार करती हूं, उतनी ही तकरार भी, वो मेरी क्रिटिक भी हैं और गाइड भी। ये डॉटर्स डे मेरे लिए बहुत स्पेशल है, क्योंकि अब मैं मां के साथ अपने रिश्ते को अलग नजरिये से देखने लगी हूं, क्योंकि अब मैं भी मां बन गई हूं। बेटी को जन्म देने के बाद मैंने जाना कि मां होना क्या होता है, तब से मां के लिए मेरे मन में रिस्पेक्ट, प्यार और ज्यादा बढ़ गया है। जब से आयशा मेरी जिंदगी में आई है, मां मेरे दिल के और करीब हो गई हैं। मां बनकर लगा जैसे रातोंरात मैं मैच्योर हो गई हूं, अपनी बेटी के लिए जिम्मेदारी का एहसास और बढ़ गया। डॉटर्स डे के मौके पर आज मैं मां से कहना चाहती हूं कि आपने मुझे अच्छा इंसान बनाने के लिए मुझ पर जो पाबंदियां लगाईं, मुझे रोका-टोका, जो तब मुझे अच्छा नहीं लगता था, लेकिन आज एक बेटी की मां बनकर मैं समझ पा रही हूं कि आप सही थीं, आज मैं उन तमाम बहसबाजियों के लिए आपसे माफी मांगती हूं। मां बनकर मैं आपकी तरह सोचने लगी हूं। आज महसूस हो रहा है कि मेरी परवरिश बहुत सही हुई है और मुझे भी अपनी बेटी को ऐसे ही बड़ा करना है। मुझे याद है, जब हम अबू धाबी गए थे और मैंने रोलर कोस्टर पर बैठने से इनकार कर दिया था, लेकिन मां ने साठ की उम्र में भी कहा कि वो तो राइड पर जाएंगी। उन्हें देखकर मुझे प्रेरणा मिली और मैं भी रोलर कोस्टर की राइड के लिए राजी हो गई। मां की यही बातें मुझे मोटिवेट करती हैं और मेरे मन का डर दूर करती हैं। मेरे एक्टिंग करियर में भले ही कस्तूरी, कसौटी जिंदगी की, किस देश में निकला चाँद, लगी तुझसे लगन, दो हंसो का जोड़ा, उतरन, जमाई राजा, कसम तेरी प्यार की, कवच जैसे सीरियल जुड़े हों, लेकिन जिंदगी का पाठ मैंने मां से सीखा है।
घर की बड़ी बेटी होने के नाते जब पापा हर जरूरी फैसले में मेरी राय लेते हैं या मुझसे इमोशनल सपोर्ट चाहते हैं, तो मुझे जिम्मेदारी का एहसास होता है, जो मुझे अपनी राह से भटकने नहीं देता। मुझे और मेरी छोटी बहन आरोही को मम्मी-पापा ने कभी ये एहसास नहीं होने दिया कि बेटी होने के कारण हम कोई काम नहीं कर सकते। जमाई राजा, इश्क में मरजावां, बेगूसराय, थपकी प्यार की, लाल इश्क, मेरी गुड़िया जैसे सीरियल मेरी जिंदगी में इसलिए जुड़े, क्योंकि मेरे पैरेंट्स को मुझ पर भरोसा था कि मैं जो भी करूंगी उसे पूरी शिद्दत से करूंगी। मां के साथ मेरा रिश्ता फ्रेंड की तरह है, हम साथ में रील्स बनाते हैं, शॉपिंग के लिए जाते हैं। पापा मुझे हमेशा ये भरोसा दिलाते हैं कि मैं कोई भी काम कर सकती हूं। जब मैं शिमला में बिताए अपने बचपन के बारे में सोचती हूं, तो लगता है कि हमने अपने पैरेंट्स के साथ जो खूबसूरत वक्त बिताया है, वो हमारी बॉन्डिंग का आधार है और वो मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत यादें हैं।
मां के साथ मेरी एक अलग ही बॉन्डिंग है, वो मेरी मेंटर, गाइड हैं। बचपन से उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं आज अपने सपनों को इसीलिए जी पा रही हूं, क्योंकि मां ने मुझे सपनों का पीछा करना सिखाया। जब कभी मैं निराश हो जाती हूं, तो वो कहती हैं दिलोजान से जो भी काम किया जाए, वो कभी फेल नहीं हो सकता। उनके बिना मैं अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती। आज मैं जो भी हूं उसमें मेरे पैरेंट्स का बहुत बड़ा योगदान है। ये रिश्ते हैं प्यार के, नागिन 2, परदेस में है मेरा दिल, सावधान इंडिया जैसे टीवी सीरियल के अलावा फिल्म तिश्नगी में डेब्यू करते हुए करियर में जब भी उतार-चढ़ाव आए, तब मेरे पैरेंट्स हमेशा मेरे साथ खड़े रहे और यही मेरी असली ताकत है।