बुधवार, 15 सितंबर 2021

सिद्धार्थ ने फिल्म मिशन मजनू की शूटिंग पूरी की

कविता गर्ग         

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने फिल्म मिशन मजनू की शूटिंग पूरी कर ली है। सिद्धार्थ मल्होत्रा ने आरएसवीपी और गिल्टी बाय एसोसिएशन मीडिया की आने वाली जासूसी थ्रिलर फिल्म मिशन मजनू की शूटिंग पूरी कर ली है। सिद्धार्थ मल्होत्रा इस फिल्म में ​​​एक रॉ एजेंट की भूमिका निभाएंगे, जो पाकिस्तानी धरती पर भारत के गुप्त ऑपरेशन का नेतृत्व करते हैं।

फिल्म निर्माता अमर बुटाला ने कहा, "इस चुनौतीपूर्ण समय में शूटिंग करने के बावजूद, हमें बेहद खुशी है कि हमने सिद्धार्थ के हिस्से की शूटिंग अपने निर्धारित समय में पूरी की है। सिड के साथ काम करके बेहद खुशी हुई है और उन्होंने इस फिल्म को अपने तरीके से बेहद खास बना दिया है।"

गौरतलब है कि रॉनी स्क्रूवाला, अमर बुटाला और गरिमा मेहता (गिल्टी बाय एसोसिएशन मीडिया) द्वारा निर्मित फिल्म मिशन मजनू को, परवेज़ शेख, असीम अरोरा, और सुमित बठेजा ने लिखा है। शांतनु बागची निर्देशित इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा और रश्मिका मंदाना ,शारिब हाशमी और कुमुद मिश्रा नजर आएंगे।

यूके: पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश की चेतावनी जारी की

पंकज कपूर     
देहरादून। मौसम विभाग ने 15 सितंबर को कुमाऊं मंडल के अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश की चेतावनी जारी की है। जिसमें नैनीताल, बागेश्वर व पिथौरागढ़ ,बागेश्वर जनपदों में कहीं कहीं तीव्र बौछार व भारी बारिश हो सकती है। 16 को पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले में कहीं कहीं तीव्र बौछार, भारी बारिश हो सकती है। 17 सितंबर को कुमाऊं एवं गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है। जिनमें पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में कहीं-कहीं तीव्र बौछार व भारी बारिश का येलो अलर्ट रहेगा।

गांव सादी खुर्द का नाम बदलकर शाचीपुरम को मंजूरी

हरिओम उपाध्याय       
लखनऊ। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास जौनपुर जिले में गांव सादी खुर्द का नाम बदलकर शाचीपुरम करने को मंजूरी दे दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्नाव के पास सादा परगना हसनगंज का नाम दामोदर नगर और मुरादाबाद के पास ग्राम सरकड़ा खास का नाम बदलकर सारका बिश्नोई करने के यूपी सरकार के दो और प्रस्ताव विचाराधीन हैं।

नाम बदलने का इस साल मार्च-अप्रैल में प्रस्ताव दिया गया था। 2022 के चुनावों से पहले, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और अधिक नाम बदलने का अनुरोध केंद्र से कर सकती है। यूपी सरकार के विचाराधीन प्रस्तावों में फिरोजाबाद जिले का नाम चंद्र नगर, संभल का नाम पृथ्वीराज नगर या कल्कि नगर, देवबंद का नाम देववरंद और सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर रखना है। यूपी सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि प्रस्ताव को पहले राज्य सरकार द्वारा जांचा जाएगा और फिर अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र को सिफारिश की जाएगी।

यूपी के अलावा, गृह मंत्रालय ने सतारा में न्हवी बीके का नाम बदलकर जयपुर करने के महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है। "इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण (जीएसआई), डाक विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की फील्ड इकाइयों से रिपोर्ट मांगने के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया गया था।"

मंत्रालय ने पहले ब्रिटिश युग के रेलवे स्टेशन रॉबर्ट्सगैंग का नाम सोनभद्र, मथुरा के पास फराह टाउन रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद शहर को प्रयागराज और प्रतिष्ठित मुगलसराय जंक्शन का नाम भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) के नाम पर रखने को मंजूरी दी थी।

राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया

पंकज कपूर      
देहरादून। उत्तराखंड के नवनियुक्त राज्यपाल के शपथ ग्रहण को लेकर बुधवार को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। जहाँ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह ने राज्यपाल पद की शपथ ली। उच्च न्यायालय नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ने नवनियुक्त राज्यपाल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कई कैबिनेट मंत्री समेत शासन के आला अधिकारी और सेना से जुड़े तमाम अधिकारी भी मौजूद रहे।
आपको बता दें कि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया है। उन्हें चीन मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है और करीब चार दशकों तक सैन्य सेवा के बाद फरवरी 2016 में सेवा निर्मित हुए गुरमीत सिंह ने बुधवार को राज्यपाल पद की शपथ ली। राज्य गठन के बाद बतौर 8वे राज्यपाल के रूप में गुरमीत सिंह ने शपथ ली।

बढ़ती हुई धार्मिक कट्टरता के प्रति चिंता जाहिर की

अकांशु उपाध्याय          
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने समाज में बढ़ती हुई धार्मिक कट्टरता के प्रति जो चिंता जाहिर की है।  वो एक तरह से तमाम राजनीतिक दलों के लिए ये संदेश है कि वे देश की राजनीति को किस तरफ ले जा रहे हैं। लिहाज़ा ये नसीहत देने के लिए उन्हें स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक व सबसे चर्चित भाषण का सहारा लेना पड़ा।
आमतौर पर न्यायाधीश अपने कोर्टरूम से बाहर सार्वजनिक रूप से अपने विचार व्यक्त करने से बचते हैं लेकिन चीफ जस्टिस रमन्ना की तारीफ इसलिये की जानी चाहिए कि उन्होंने समाज के ऐसे ज्वलंत मुद्दे पर मुखरता से अपनी बात कही है जो सांप्रदायिकता एक सभ्य समाज के लिए आज नासूर बनती जा रही है।
दरअसल,रमन्ना ने रविवार को हैदराबाद के विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन एक्सीलेंस के 22वें स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए ये चिंता जाहिर की है। महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद के 128 साल पहले शिकागो की धर्म-संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब आज धार्मिक कट्टरवाद उफान पर है। स्वामी विवेकानंद के पुनरुत्थानशील भारत के सपने को सामान्य भलाई और सहिष्णुता के सिद्धांतों तथा धर्म को अंधविश्वासों व कट्टरता से ऊपर रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
दर्शन का विज्ञान कहता है कि एक महान दार्शनिक भले ही एक अच्छा भविष्यवक्ता न हो लेकिन वह आने वाले समय में होने वाली बड़ी घटनाओं का अहसास पहले ही कर लेता है।  विवेकानंद की गिनती भी संसार के ऐसे महान दार्शनिकों में होती है जिन्हें 54 वर्ष पहले यानी 1893 में ही ये आभास हो गया था कि एक दिन धर्म व साम्प्रदायिकता के आधार पर भारत का भी विभाजन हो सकता है। साथ ही उनके विदा होने के बाद 1947 में वही हुआ भी। शायद इसीलिये धर्म संसद में दिए गए अपने भाषण में उन्होंने भविष्य के ऐसे खतरों का उल्लेख किया था।
प्रधान न्यायाधीश ने अपने भाषण में कहा कि “उस समय विवेकानंद ने अपने संबोधन में समाज में निरर्थक सांप्रदायिक मतभेदों से देश व सभ्यता को होने वाले खतरे का विश्लेषण किया था। साथ ही भारत के समतावादी संविधान के निर्माण का कारण बने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए सांप्रदायिक संघर्ष से बहुत पहले ही उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की ऐसी वकालत की थी मानो उन्हें आने वाले समय का पूर्वाभास हो चुका था। विवेकानंद द्वारा की गई धर्म की व्याख्या का जिक्र करते हुए रमन्ना ने कहा- विवेकानंद का दृढ़ विश्वास था कि धर्म का असली सार भलाई और सहिष्णुता में है। धर्म को अंधविश्वास और कट्टरता से ऊपर होना चाहिए। सामान्य भलाई और सहिष्णुता के सिद्धांतों के माध्यम से दोबारा उठ खड़े होने वाले भारत के निर्माण का सपना पूरा करना है तो हमें आज के युवाओं के अंदर स्वामी जी के आदर्शों को स्थापित करने का काम करना चाहिए।
अमेरिका के शिकागो में दिए गए विवेकानंद के उस भाषण ने ही सम्पूर्ण विश्व को भारत के वेद दर्शन को समझने की लालसा पैदा की थी और उस एक भाषण ने ही दुनिया के धार्मिक नक्शे पर भारत की अमित छाप छोड़ी। वेदांत के संबंध में विवेकानंद के अद्भुत ज्ञान-भंडार का उल्लेख करते हुए रमन्ना ने कहा, “स्वामी विवेकानंद के संबोधन ने पूरे विश्व का ध्यान पुरातन भारत के वेदों के दर्शन की तरफ आकर्षित किया था।
उन्होंने व्यावहारिक वेदांत को लोकप्रिय बनाया, क्योंकि यह सभी के लिए प्रेम, करुणा और समान सम्मान का उपदेश देता है। रमन्ना ने ये भी कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं और सिद्धांत आने वाले सभी काल के लिए बेहद प्रासंगिक हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि धार्मिक कट्टरता को बढ़ाने वाली ताकतें क्या चीफ जस्टिस की बातों से ले पायेंगी कोई नसीहत।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-396 (साल-02)
2. ब्रहस्पतिवार, सितंबर 16, 2021
3. शक-1984,सावन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-दसमीं, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 05:44, सूर्यास्त 07:10।
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै., अधिकतम-35+ डी.सै.। बरसात की संभावना बनी रहेंगी।
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
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