काबूल/ बीजिंग। की मदद से तालिबान अफगानिस्तान के आर्थिक संकट से निपटने की कोशिश करेगा। यह बात तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कही। उन्होंने इटली के एक न्यूजपेपर से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और देश पर कब्जे के बाद तालिबान मुख्य रूप से चीन से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहेगा।
जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, तालिबान चीन की मदद से अफगानिस्तान के आर्थिक संकट से निकलने की कोशिश करेगा। तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है।
अफगानिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद भी रोक दी है। ऐसे में अब तालिबान को चीन का ही सहारा नजर आ रहा है। जबीउल्लाह ने कहा, चीन हमारा सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है और हमारे लिए एक मौलिक और असाधारण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है। इतना ही नहीं चीन अफगानिस्तान में निवेश और पुनर्निर्माण के लिए तैयार है।
जबीउल्लाह ने कहा, न्यू सिल्क रोड जो एक बुनियादी ढांचा पहल है, इसके जरिए चीन व्यापार मार्ग खोलकर अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाना चाहता है। इसे तालिबान द्वारा प्राथमिकता में रखा गया है। उन्होंने कहा, देश में कॉपर की खदानें हैं, जो चीन की मदद से दोबारा आधुनिकीकरण के बाद संचालित हो सकती हैं। चीन दुनिया भर के बाजारों के लिए हमारा पास है।
मुजाहिद ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में महिलाओं को यूनिवर्सिटी में पढ़ने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं नर्स के रूप में, पुलिस में या मंत्रालयों में सहायक के रूप में काम करने में सक्षम होंगी। लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि महिलाओं को कैबिनेट में जगह मिलेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
यूएस एशिया प्रोग्राम के जर्मन मार्शल फंड के सीनियर ट्रान्साटलांटिक फेलो एंड्रयू स्मॉल ने कहा कि अफगानिस्तान में चीन की भागीदारी राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करेगी। उन्होंने अलजजीरा से बातचीत में कहा, चीन बड़े पैमाने पर मदद नहीं करता। यह शर्तों के आधार पर सहायता प्रदान करेगा। चीन मानवीय सहायता तो प्रदान कर सकता है, लेकिन नई सरकार को आर्थिक संकट से उबारने वाला नहीं है।