काबुल। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उपजे घटनाक्रम के बीच गुरुवार को सभी विपक्षी दलों के संसदीय नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति की जानकारी दी। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर आयोजित की गई थी। विपक्षी दलों के नेताओं को अफगानिस्तान के मसले पर विश्वास में लेने के लिए सरकार ने सभी पहलुओं के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी दी।
संसदीय शोध में आयोजित इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मेघवाल भी मौजूद थे।अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रूद्रेंद्र टंडन तथा विदेश सचिव हर्ष शृंगला ने भी बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, जनता दल (एस) के एचडी देवे गौड़ा, एआई एम आई एम के असदुद्दीन ओवैसी, बहुजन समाज पार्टी के रितेश पांडे, लोकजनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस, राष्ट्रीय जनता दल के प्रेमचंद गुप्ता ,कांग्रेस के मलिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम, आरएसपी के एनके प्रेम चंद्रन, तेदपा के जयदेव गल्ला, बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य , जेडीयू के ललन सिंह, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय तथा शुभेंदु शेखर रॉय, अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन और द्रमुक के तिरुचि शिवा प्रमुख हैं।
यह बैठक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उपजी चिंताओं और इस घटनाक्रम के भारत पर पड़ने वाले असर से संबंधित जानकारी विपक्षी नेताओं के साथ साझा करने के लिए बुलाई गई थी। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विदेश मंत्री विपक्षी दलों के संसदीय नेताओं को अफगानिस्तान के घटनाक्रम के बारे में आज जानकारी दी। सभी दलों के संसदीय नेताओं को ई मेल भेजकर इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया था।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से घटनाक्रम तेजी से बदला है और भारत पिछले कुछ दिनों से अपने राजनयिकों सहित वहां फंसे नागरिकों को निकाल रहा है। विपक्ष ने सरकार से इस बारे में स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की है। भारत अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों सहित करीब 600 से भी अधिक लोगों को वापस ला चुका है।