गुरुवार, 29 जुलाई 2021

पुलिस समेत ईडी की टीम द्वारा लोगों से पूछताछ की

हरिओम उपाध्याय       
बरेली। 3 साल से फरार चल रहे आरोपी की तलाश कर रही है। लखनऊ की ईडी टीम बरेली पहुंची। बुधवार सुबह पुलिस लाइन से टीम लेकर ईडी बन्नू बाल नगर कॉलोनी पहुंची।
पुलिस टीम समेत ईडी की टीम द्वारा यहां लोगों से पूछताछ की गई। सूत्रों के मुताबिक दोपहर तक आरोपी ईडी की गिरफ्त में नहीं आ सका है।

केरल: 6 सदस्यों की टीम को भेजेगा स्वास्थ्य मंत्रालय

तिरुवनंतपुरम। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए केरल में छह सदस्यों की एक टीम को भेजेगा। जहां राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के दैनिक मामले अब भी बहुत ज्यादा आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक एस के सिंह की अगुवाई में टीम शुक्रवार को केरल पहुंचेगी और उन कुछ जिलों का दौरा करेगी जहां संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सामने आ रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा किकेंद्र सरकार एनसीडीसी निदेशक की अगुवाई में छह सदस्यीय टीम को केरल भेज रही है। केरल में कोविड के मामले अब भी बहुत ज्यादा सामने आने के कारण टीम कोविड प्रबंधन में राज्य के जारी प्रयासों में मदद करेगी।
मंत्रालय के बयान में बताया गया कि टीम राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ करीब से काम करेगी, जमीनी स्थिति का जायजा लेगी और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी जन स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की अनुशंसा करेगी। मौजूदा अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक केरल में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 1.54 लाख है जो देश में उपचाराधीन मामलों का 37.1 प्रतिशत है।
बयान के मुताबिक, राज्य में संक्रमण के दैनिक मामले औसतन 17,443 से अधिक हैं। राज्य में संक्रमण दर भी सबसे ज्यादा 12.93 प्रतिशत है और साप्ताहिक दर 11.97 प्रतिशत है। छह जिलों में संक्रमण की साप्ताहिक दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है।

संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग

मिनाक्षी लोढी        
कोलकाता। शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पेगासस जासूस कांड की पड़ताल के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले की बृहस्पतिवार को सराहना की और कहा कि बनर्जी ने जो किया वह दरअसल केन्द्र सरकार को करना चाहिए था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में जासूसी कांड की विस्तृत जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग पर ध्यान नहीं देने पर केन्द्र की आलोचना की।
मराठी समाचार पत्र में कहा गया, यह काफी रहस्यपूर्ण बात है कि दो केन्द्रीय मंत्रियों, कुछ सांसदों, उच्चतम न्यायालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा पत्रकारों की कथित फोन टैपिंग के मामले को केन्द्र उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा, जितना यह वास्तव में है। बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार ने इज़राइल के स्पाईवेयर पेगासस से राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया है।सामना के सम्पादकीय में ममता बनर्जी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा गया, ”देश के लोग ‘पेगासस’ को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर की एक और संबद्ध शाखा के रूप में देखेंगे। बनर्जी का कदम साहसिक है। उन्होंने एक न्यायिक आयोग का गठन किया और जासूसी मामले की जांच शुरू की। उन्होंने वह किया जो केन्द्र को करना चाहिए था।”
इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों के नागरिकों के अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए और बनर्जी ने इस संबंध में ”सभी को जागरूक” करने का काम किया है। सम्पादकीय में कहा गया कि जासूसी कांड के लिए जांच आयोग का गठन कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केन्द्र को एक झटका दिया है। शिवसेना ने उल्लेख किया कि फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांस में वरिष्ठ अधिकारियों की ‘पेगासस’ द्वारा जासूसी के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने पूछा, ” अगर फ्रांस कर सकता है, जो भारत सरकार क्यों नहीं?”

ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था, ” हमें उम्मीद थी कि केन्द्र हैकिंग मामले में एक जांच आयोग का गठन करेगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा। लेकिन केन्द्र सरकार बेकार बैठी है… इसलिए हमने इस मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग बनाने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह कुछ मीडिया संगठनों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की कथित निगरानी की गयी। इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्रियों प्रह्लाद पटेल तथा अश्विनी वैष्णव और 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा अनेक कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे। सरकार हालांकि इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है।

लॉकडाउन खुलने के बाद से कर्ज की मांग बढ़ी: यूपी

हरिओम उपाध्याय           
लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर के बाद इस साल में जून में लॉकडाउन खुलने के बाद से छोटे व मझोले उद्योगों में कर्ज की मांग बढ़ी है। कोरोना लहर के चलते मांग में कमी का सामना कर रहे इन उद्योगों की हालात में अब काफी सुधार दिखायी दे रहा है। वित्तीय वर्ष 2021 में छोटे व मझोले उद्यमों को 9.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए गए हैं जो कि बीते साल दिए गए 6.8 लाख कऱोड़ रुपये से कहीं ज्यादा है।भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और ट्रांस यूनियन सिबिल की ओर से छोटे व मझोले उद्योगों के हाल पर जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाओं इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गांरटी स्कीम (ईसीएलजीएस) और आत्मनिर्भर भारत के चलते छोटे व मझोले उद्यमों को लाभ हुआ है। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे मव मझोले उद्योगों को मिलने वाले कर्ज में सालाना बढ़त 6.6 फीसदी की रही है।इसके मुताबिक महामारी के पहले व दूसरे दौर में लाकडाउन खत्म होने के बाद कर्ज की मांग में खासी बढ़त देखी गयी है। हालांकि कोरोना की पहली लहर के दौरान वाणिज्यिक कर्ज के लिए की जाने वाली पूंछताछ में 76 फीसदी तक की गिरावट देखी गयी थी पर बाद में ईसीएलजीएस व आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के चलते इसमें वृद्धि हुयी और अब यह कोरोना लहर के पहले के स्तर पर आ चुकी है।

रिपोर्ट के बारे में बोलते हुए सिडबी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिवसुब्राम्ण्यन रामन ने कहा कि एमएसएमई को कर्ज के आंकड़े ईसीएलजीएस की सफलता के चलते हैं। इस योजना के चलते ही इस क्षेत्र को साल दर साल वितरित होने वाले कर्ज में 40 फीसदी की बढ़त देखने को मिली और इसका नजीजा एमएसएमई सेक्टर में सुधार के तौर पर दिखा। इस दौरान बैंकों से कर्ज लेने वाले नए उद्यमियों की तादाद में भी सुधार दिखा है। उन्होंने कहा कि हाल में सरकार की ओर स्वास्थ्य, ट्रेवल और पर्यटन के क्षेत्र में घोषित राहत के कदमों का असर एमएसएमई क्षेत्र में देखने को मिलेगा।

ट्रांस यूनियन सिबिल के प्रबंध निदेशक (एमडी) व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में बढ़ी कर्ज की मांग को वित्तीय संस्थाओं को पूरा सहारा मिला है। जिन्होंने ईसीएलजीएस जैसी योजनाओं का सफलता पूर्वक क्रियान्वन किया है।

हत्या के मामलें से संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि धनबाद में एक न्यायिक अधिकारी की हत्या से जुड़े मामले का झारखंड के मुख्य न्यायाधीश संज्ञान ले चुके हैं और मामले में संबंधित अधिकारी को पेश होने का निर्देश दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यह बात कही उस समय की जब उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इस घटना का उल्लेख किया और कहा कहा कि यह न्यायपालिका पर ”निर्लज्ज हमला” है। 
विकास सिंह ने कहा कि मामले में जांच सीबीआई को दी जानी चाहिए क्योंकि एक गैंगस्टर को जमानत नहीं देने पर न्यायिक अधिकारी की हत्या न्यायिक व्यवस्था पर हमला है। प्रधान न्यायाधीश ने विकास सिंह से कहा, ”हमें घटना के बारे में पता है और एससीबए के प्रयासों की हम सराहना करते हैं। मैंने झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बात की है। उन्होंने मामले का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा है। वहां मामला चल रहा है। इसे वहीं रहने दीजिए।” पीठ ने कहा कि फिलहाल मामले में शीर्ष अदालत का हस्तक्षेप जरूरी नहीं है। क्योंकि उच्च न्यायालय मामले का पहले ही संज्ञान ले चुका है। झारखंड के धनबाद जिले में बुधवार की सुबह एक वाहन से टक्कर लगने के बाद न्यायिक अधिकारी की मौत हो गई थी। यह जानकारी पुलिस ने दी।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-अष्टम उतम आनंद बुधवार की सुबह घूमने निकले थे तभी सदर थानांतर्गत जिला अदालत के निकट रणधीर वर्मा चौक पर यह घटना हुई।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार ने बताया कि सुबह करीब पांच बजे एक वाहन ने पीछे से उन्हें टक्कर मारी और फरार हो गया। इस अधिकारी ने बताया था कि खून से लथपथ न्यायाधीश को एक आटो रिक्शा चालक ने देखा और वह उन्हें निर्मल महतो मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल ले गया जहां उनका निधन हो गया।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करने से पहले सिंह ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया था। विकास सिंह ने मामले को ”स्तब्धकारी” बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय को मामले का संज्ञान लेना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सिंह से कहा कि मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख करें।

डेल्टा स्वरूप: घर से निकलने की अनुमति नहीं होगीं

मनीला। फिलिपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने आगाह किया कि कोविड-19 रोधी टीका लगाने से मना करने वाले नागरिकों को कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक ‘डेल्टा’ स्वरूप से बचाए रखने के मद्देनजर घर से निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दुतेर्ते ने बुधवार रात कहा कि इस पाबंदी को अनिवार्य बनाने के लिए कोई कानून नहीं है। 
लेकिन वह देश में संक्रमण फैलाने वाले लोगों को व्यवस्था के दायरे में रखने के लिए मुकदमों का सामना करने को तैयार हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि वे लोग जो टीके नहीं लगवाना चाहते मुझे उनकी परवाह है। लेकिन ऐसे वे कभी भी खुद को खतरे में डाल सकते हैं। फिलिपींस हालांकि टीकों की कमी का सामना कर रहा है। देश में करीब 70 लाख लोगों का पूर्ण टीकाकरण हुआ है और 1.1 करोड़ से अधिक लोगों को पहली खुराक दी जा चुकी है।

परिजनों को 5-5 लाख रुपये की सहायता, घोषणा की

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना में मारे गये लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के तहत 12,700 रुपये भी दिए जाएंगे।किश्तवाड़ के उपायुक्त एसडीआरएफ के तहत मकान, बर्तन, कपड़े, घरेलू सामान, मवेशी, पशुशाला, कृषि भूमि की हानि आदि के लिए राहत राशि प्रदान करेंगे।उपराज्यपाल ने कहा, "जम्मू-कश्मीर सरकार प्रभावित परिवारों की सहायता और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी। ऐसे कठिन समय में, उन लोगों की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है जो दुर्भाग्य से इन प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए हैं।"
गौरतलब है कि किश्तवाड़ जिले में बुधवार को बादल फटने से अचानक आयी बाढ़ और भारी बारिश से सात लोगों की मौत हो गयी और 17 अन्य घायल हो गये।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...