मंगलवार, 27 जुलाई 2021

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.35 पर पहुंचा भारत

कविता गर्ग            
मुंबई। घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुख के चलते भारतीय रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सात पैसे बढ़कर 74.35 पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रुपया एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है और फिलहाल निवेशकों को बुधवार को आने वाले अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले का इंतजार है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में घरेलू इकाई डॉलर के मुकाबले 74.36 पर खुली और बढ़त के साथ 74.35 पर पहुंच गई, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले सात पैसे की बढ़त दर्शाता है। रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.42 पर बंद हुआ था।
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत गिरकर 92.60 पर था। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.48 प्रतिशत बढ़कर 74.86 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।

इशिगुरो को पुरस्कार के लिए चौथी बार नामित किया

लंदन। नोबेल पुरस्कार विजेता काजुओ इशिगुरो और पुलित्जर पुरस्कार विजेता रिचर्ड पॉवर्स प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार की दौड़ में 11 और लेखकों के साथ शामिल हैं। 2017 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीत चुके ब्रिटेन के इशिगुरो प्रेम एवं मानवता पर आधारित उपन्यास ‘क्लारा एंड द सन” के लिए 50,000 पाउंड के बुकर पुरस्कार के लिए मंगलवार को घोषित दावेदारों की लंबी सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे। इशिगुरो को इस पुरस्कार के लिए चौथी बार नामित किया गया है। उन्हें इससे पहले ‘द रीमेन्स ऑफ दि डे’ के लिए 1989 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अमेरिकी लेखक पॉवर्स को ‘बिविल्डर्मेंट’ के लिए नामित किया गया है। 
पॉवर्स ने 2019 में ‘द ओवरस्टोरी’ के लिए पुलित्जर पुरस्कार जीता था और इस पुस्तक ने बुकर पुरस्कार के अंतिम दावेदारों में भी जगह बनाई थी।
इस साल की सूची में दक्षिण अफ्रीका के डैमोन गैलगट का उपन्यास ‘द प्रॉमिस’, ब्रितानी लेखक संजीव सहोता का ‘चाइना रूम’ और कनाडाई लेखक मैरी लॉसन का ‘ए टाउन कॉल्ड सोलेस’ जगह मिली है। बुकर पुरस्कार की शुरुआत 1969 में की गई थी। इनके अलावा अमेरिकी पैट्रीशिया लॉकवुड को ‘नो वन इज टॉकिंग अबाउट दिस’ और उनके हमवतन नाथन हैरिस को ‘द स्वीटनेस ऑफ वॉटर’ के लिए सूची में जगह मिली है।
सूची में अमेरिकी लेखक मैगी शिपस्टेड की ‘ग्रेट सर्कल’, ब्रितानी उपन्यासकार फ्रांसिस स्पफर्ड की ‘लाइट परपेचुअल’, ब्रितानी/सोमालियाई लेखक नादिफा मोहम्मद की ‘द फॉर्च्यून मेन’, ब्रितानी/कनाडाई लेखक रशेल कस्क की ‘सेकंड प्लेस’, दक्षिण अफ्रीकी उपन्यासकार कारेन जेनिंग्स की ‘एन आइलैंड’ और श्रीलंकाई लेखक अनुक अरुदप्रगसम की’ए पैसेज नॉर्थ’ भी शामिल है। सूची में अंतिम छह में जगह बनाने वाली किताबों की घोषणा 14 सितंबर को की जाएगी और विजेता को तीन नवंबर को लंदन में एक समारोह के दौरान पुरस्कृत किया जाएगा।

संयुक्त रूप से ड्रोन उत्पादन के फैसले का विरोध

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में एक हिंदू संगठन ने रूस, पाकिस्तान और तुर्की द्वारा संयुक्त रूप से ड्रोन उत्पादन के फैसले का विरोध किया है और मामले की जांच की अमेरिकी सांसदों की मांग का समर्थन किया है। पिछले हफ्ते, डेविड सिसिलिन और गस बिलिरकिस समेत सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मांग की थी कि कॉकेशिया, दक्षिण एशिया, पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र और दुनिया भर के अन्य क्षेत्रों में अंकारा के ड्रोन कार्यक्रमों की अस्थिरकारी भूमिका की आधिकारिक जांच के लंबित रहने तक तुर्की को अमेरिकी ड्रोन प्रौद्योगिकी का निर्यात लाइसेंस निलंबित कर दिया जाए।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने सोमवार को एक बयान में कांग्रेस सदस्यों की जांच की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि तुर्की-पाकिस्तान-रूस द्वारा संयुक्त रूप से लड़ाकू मानव रहित वाहन (यूएवी) उत्पादन करने से दुनिया भर के लोकतंत्रों को चिंतित होना चाहिए और 26-27 जून को कश्मीर में हुए ड्रोन हमलों को उन चुनौतियों की याद दिलानी चाहिए जिनका सामना अमेरिका का सहयोगी भारत करता है।एचएएफ के सार्वजनिक नीति के निदेशक तनियल कौशाकजियान ने कहा, “उत्तर अफ्रीका, पश्चिम एशिया, दक्षिण कॉकेशिया और दक्षिण एशिया तक तुर्की की तेजी से अस्थिर करने वाली भूमिका अमेरिका, हमारे हितों और हमारे सहयोगियों और भारत जैसे रणनीतिक भागीदारों के लिए एक स्पष्ट और प्रत्यक्ष खतरा है।”
उन्होंने कहा कि तुर्की के लड़ाकू यूएवी के साथ-साथ कश्मीर में मौजूदा जिहादी ताकतें भारत के लिए एक वास्तविक खतरा बन सकती हैं। पिछले हफ्ते, अमेरिकी सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने कहा था, ” तुर्की ने पोलैंड और पाकिस्तान को ड्रोन बेचने के लिए समझौते किए हैं और रूस और पाकिस्तान के साथ सशस्त्र यूएवी और ड्रोन विरोधी रक्षा प्रणालियों के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा कर रहा है।

वर्षगांठ के मौके पर महोत्सव कार्यक्रम रहना चाहिए

अकांशु उपाध्याय                 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मनाया जाने वाला अमृत महोत्सव केवल एक सरकारी कार्यक्रम बनकर नहीं रहना चाहिए। बल्कि इसे जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने के लिए जन सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी सांसदों से अपील की, कि वे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो-दो कार्यकर्ताओं की टोली तैयार करें। जो 75 गांवों का दौरा करे और वहां 75 दिन बिताए तथा जनता के बीच डिजिटल साक्षरता को लेकर जागरूकता अभियान चलाए।

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने पार्टी सांसदों से कहा कि वे संसद में विपक्षी दलों के रवैये के बारे में जनता को अवगत कराएं और उन्हें बताएं कि सरकार सभी मुद्दों पर बहस के लिए तैयार है किंतु विपक्षी दल इससे भाग रहे हैं और हंगामा कर रहे हैं। बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”आजादी का अमृत महोत्सव केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह जन आंदोलन के रूप में होना चाहिए जन भागीदारी के साथ हमें आगे बढ़ना है।” मेघवाल के मुताबिक प्रधानमंत्री ने सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्रों में जोर-शोर से आजादी का ”अमृत महोत्सव” मनाने को कहा और सुझाव दिया कि वे हर विधानसभा क्षेत्र में दो-दो कार्यकर्ताओं की टोली तैयार करें जो 75 गांवों का दौरा करे और वहां 75 दिन रूके। केंद्रीय मंत्री के अनुसार मोदी ने कहा, ”यह टोली जनता के बीच जाकर डिजिटल साक्षरता के बारे जागरूकता फैलाए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। सांसद इस कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व करें।”

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सांसदों को उनके क्षेत्रों में स्थानीय खेलों की प्रतियोगिता कराने, स्वचछता संबंधी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने सहित कार्यक्रमों के आयोजन का सुझाव दिया। मेघवाल के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आजादी के लिए कई लोगों ने अपनी कुर्बानी दी लेकिन ”हमें जनता को समझाना है कि क्या हम देश के लिए जी सकते हैं। यही भावना लेकर जनता के बीच बढ़ना है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद के दोनों सदनों में अब तक हुए काम काज का ब्योरा दिया। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि वह जब जनता के बीच जाएं तो संसद में विपक्षी दलों के रवैये का भी उल्लेख करें।

2 बजे तक के लिए स्थगित की गई सदन की बैठक

अकांशु उपाध्याय            

नई दिल्ली। राज्यसभा में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध मंगलवार को भी जारी रहा और अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की बैठक एक बार के स्थनग के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगाामा जारी रहा और नारेबाजी के बीच ही उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कुछ पूरक सवालों के जवाब भी दिए। हालांकि हंगामे के कारण उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी। 

इसके बाद भी सदन में हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने 12 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। हंगामे के कारण उच्च सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। इससे पहले सुबह बैठक शुरू होने पर सदन ने अपने पूर्व सदस्य वसीम अहमद, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ और जाम्बिया के प्रथम राष्‍ट्रपति तथा संस्‍थापक डॉक्‍टर केनेथ कोंडा को श्रद्धांजलि दी। आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल के तहत भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी का नाम पुकारा और उनसे उनका मुद्दा उठाने के लिए कहा।

सीएम योगी के अत्याचार से लोगों में भारी गुस्सा

हरिओम उपाध्याय           

बलिया। आम आदमी पार्टी के उत्‍तर प्रदेश मामलों के प्रभारी और राज्यसभा सदस्‍य संजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अत्याचार से अति पिछड़े वर्ग के लोगों में भारी गुस्सा है। आप सांसद संजय सिंह ने सोमवार को बलिया जिले के नगरा में पार्टी द्वारा आयोजित ‘पिछड़ा वर्ग हिस्सेदारी रैली’ को संबोधित करते हुए कहा कि ”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अत्याचार से अति पिछड़े वर्ग के लोगों में भारी गुस्सा है।” उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं दे कर संविधान का अपमान किया है।

9 लाख की राशि बारिश के पानी में बर्बाद न हो जाएं

कविता गर्ग          

मुंबई। महाराष्ट्र के चिपलुन कस्बे में पिछले सप्ताह भारी बारिश के बीच एक राज्य परिवहन बस डिपो के प्रबंधक बेहद साहस दिखाते हुए डूबी बस के छत पर करीब नौ घंटे तक बैठे रहे। ताकि दैनिक राजस्व की जमा की गई नौ लाख रुपए की राशि बारिश के पानी में बर्बाद न हो जाए। डिपो प्रबंधक रंजीत राजे-शिर्के के इस कदम की उनके सहकर्मी और अन्य लोग प्रशंसा कर रहे हैं। पिछले बृहस्पतिवार को कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले के चिपलुन कस्बे में भारी बारिश से बाढ़ आ गई थी। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) डिपो में जलस्तर बढ़ने लगा था और इसके परिसर में खड़ी बसें डूबने लगी थीं।

खतरनाक मौसम के बीच साहस दिखाते हुए राजे-शिर्के डूबी हुई एक बस के छत पर चढ़ गए और नकदी को क्षति से बचाने के लिए करीब नौ घंटे तक वहां बैठे रहे। बाद में पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना को याद करते हुए राजे-शिर्के ने मंगलवार को बताया कि भारी बारिश के बाद कार्यालय में जलस्तर को बढ़ता देख डिपो के वॉचमैन ने उन्हें तड़के साढ़े तीन बजे कॉल किया।

अधिकारी ने बताया, ” जब मैं वहां करीब तीन बजकर 45 मिनट पर पहुंचा तो कार्यालय में गर्दन भर पानी भर चुका था। मैंने फिर भी अंदर जाने का निर्णय लिया और वहां जमा दैनिक राजस्व की नौ लाख रुपए की राशि को निकाल लिया।” वह डिपो से बाहर नहीं निकल सके क्योंकि चारों तरफ भयानक बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। अधिकारी ने बताया, ”नकदी को क्षति पहुंचाने से बचाने के लिए इसे मैंने प्लास्टिक के थैले में रख लिया। इसके बाद मैं और मेरे एक सहकर्मी करीब छह बजे डूबी हुई एक बस की छत पर चढ़ गए।” उन्होंने बताया कि पांच अन्य कर्मी भी अन्य बसों की छतों पर चढ़े हुए थे। पानी के दबाव की वजह से बसें हिल रही थीं और गिरने का डर था, लेकिन वे सभी धैर्य के साथ बस पर बैठे रहे। प्रबंधक ने बताया, ” हम लोग भारी बारिश के बीच बस पर बैठे रहे और फिर अपराह्न तीन बजे पुलिस की एक टीम ने हमें वहां से निकाला।”

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...