रविवार, 18 जुलाई 2021

विश्व में संक्रमित संख्या-18.99 करोड़ से अधिक हुईं

वाशिंगटन डीसी। विश्वभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18.99 करोड़ से अधिक हो गई है और अब तक इसके कारण 40.82 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केंद्र (सीएसएसई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 192 देशों एवं क्षेत्रों में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18 करोड़ 99 लाख 98 हजार 957 हो गयी है जबकि 40 लाख 82 हजार 349 लोग इस महमारी से जान गंवा चुके हैं। विश्व में महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना वायरस की रफ्तार फिर से तेज हो गई है। यहां संक्रमितों की संख्या 3.40 करोड़ से अधिक हो गयी है और 6.08 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है।

दुनिया में कोरोना संक्रमितों के मामले में भारत दूसरे और मृतकों के मामले में तीसरे स्थान पर है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 41,157 नये मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर तीन करोड़ 11 लाख छह हजार 065 हो गया है। इस दौरान 42 हजार चार मरीजों के स्वस्थ होने के बाद इस महामारी को मात देने वालों की कुल संख्या बढ़कर तीन करोड़ दो लाख 69 हजार 796 हो गयी है। सक्रिय मामले 1365 घटकर चार लाख 22 हजार 660 हो गये हैं। इसी अवधि में 518 मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा बढ़कर चार लाख 13 हजार 609 हो गया है। देश में सक्रिय मामलों की दर घटकर 1.36 फीसदी, रिकवरी दर बढ़कर 97.31 फीसदी और मृत्यु दर 1.33 फीसदी  के मामले में अब तीसरे स्थान पर है, जहां कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और अभी तक इससे 1.93 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं जबकि 5.41 लाख से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है। ब्राजील कोरोना से हुई मौतों के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है।

संक्रमण के मामले में फ्रांस चौथे स्थान पर है जहां कोरोना वायरस से अब तक 59.17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं जबकि 1.11 लाख से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है। रूस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 58.60 लाख से अधिक हो गई है और इसके संक्रमण से 1.45 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 55.22 लाख से अधिक हो गयी है और 50,488 मरीजों की मौत हो चुकी है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस फिर पांव पसार रहा है, यहां प्रभावितों की कुल संख्या 54.07 लाख से अधिक हो गयी है और 1,28,960 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों के मामले में ब्रिटेन पांचवें स्थान पर है। अर्जेंटीना में संक्रमितों की संख्या बढ़कर करीब 47.49 लाख हो गयी है तथा मृतकों की संख्या 1,01,434 हो गई है। कोलंबिया में कोरोना वायरस से 46.21 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 1,15,831 लोगों ने जान गंवाई है। इटली में कोरोना प्रभावितों की संख्या 42.84 लाख से अधिक हो गयी है और 1,27,864 मरीजों की जान जा चुकी है।

स्पेन में इस महामारी से 41 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 81,096 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में वायरस की चपेट में आने वालों की संख्या 37.51 लाख से अधिक हो गई है और 91,369 लोगों की मौत हो चुकरान ने संक्रमण के मामले में पोलैंड को पीछे छोड़ दिया है और वहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 35.01 लाख से ज्यादा हो गयी है तथा मृतकों का आंकड़ा 86,966 तक पहुंच गया है। पोलैंड में कोरोना वायरस से 28.32 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और इस महामारी से 75,212 लोग जान गंवा चुके हैं।

इंडोनेशिया कोरोना मामले में मैक्सिको से आगे निकल गया है। इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण के मामले 28.32 लाख के पार पहुंच गये हैं जबकि 72,489 लोगों की मौत हो चुकी है। मैक्सिको में कोरोना से 26.54 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और यह देश मृतकों के मामले विश्व में चौथे स्थान पर है जहां अभी तक इस वायरस के संक्रमण से 2,36,240 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यूक्रेन में संक्रमितों की संख्या 23.17 लाख से अधिक है और 55,151 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस बीच दक्षिण अफ्रीका ने पेरू को पीछे छोड़ दिया है। दक्षिण अफ्रीका में संक्रमितों की संख्या 22.83 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 66,676 लोगों की मौत हो चुकी है।

पेरु में कोरोना संक्रमितों की संख्या 20.92 लाख से अधिक हो गयी है, जबकि 1,95,047 लोगों की जान जा चुकी है। नीदरलैंड में कोरोना से अब तक 18.16 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और यहां इस महामारी से 18,060 लोग जान गंवा चुके हैं। चेक गणराज्य में कोरोना से अब तक 16.70 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं और यहां इस महामारी से 30,336 लोग जान गंवा चुके हैं। महामारी के उद्गम स्थल वाले देश चीन में 1,04,257 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4,848 लोगों की मौत हो चुकी है।पड़ोसी देश बंगलादेश कोरोना संक्रमितों के मामले में पाकिस्तान से आगे निकल चुका है। बंगलादेश में कोरोना वायरस से करीब 10.92 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और 17,669 मरीजों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तान में अब तक कोरोना से 9.89 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और 22,781 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी कोरोना वायरस संक्रमण से स्थिति खराब है। 

दशहरी की तीन गुना अधिक कीमत चुकाने को तैयार

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। फलों का राजा आम की मल्लिका किस्म की लोकप्रियता न केवल उत्तर प्रदेश में बढ़ी है। बल्कि इसका आकर्षक फल चौसा को टक्कर दे रहा हैं। हैरानी की बात यह है कि मल्लिका के प्रशंसक दशहरी की तीन गुना अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं। 
लखनऊ में आम की पसंद चौसा और लखनऊ सफेदा हैं, लेकिन इस वर्ष गोमती नगर में आप फलों की दुकानों में मुस्कुराते हुए मल्लिका के फल भी खरीद सकते हैं। इस तथ्य के बावजूद कि लखनऊ में केंद्रीय आम अनुसंधान केंद्र (अब केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान) ने 1975 में मल्लिका के पौधों को लखनऊ में लगाया पर विगत कई दशकों तक इस किस्म के फल बाजार में उपलब्ध नहीं थे।
इसका मुख्य कारण मलिहाबाद में आम के बागों और आसपास के क्षेत्रों में मल्लिका के कम संख्या में पौधे पाए जाते हैं। बागवानो ने धीरे-धीरे महसूस किया कि मल्लिका स्वाद, रूप और खाने के गुणों के मामले में एक उत्कृष्ट किस्म है।
चूंकि अधिकांश लोग इस किस्म के फलों की उच्च गुणवत्ता से अनजान थे, इसलिए नई किस्म होने के कारण बाज़ार में कम मात्रा में उपलब्ध थे। कई दशकों तक केवल कुछ बागवान या आम के कुछ विशेष प्रेमी इस विशेष किस्म का मजा लेते रहे। यह बाज़ार में देर से आने वाली किस्म है और देश के अधिकांश आम उगाने वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली साबित हुई है।
यह कर्नाटक और तमिलनाडु में व्यवसायिक तौर पर उगाई जा रही है क्योंकि बेंगलुरु के बाजार में फल बहुत अच्छी कीमत पर बेचे जाते हैं। संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार दक्षिण भारतीय आम नीलम मल्लिका की माता है और पिता दशहरी। फल का आकार माता-पिता दोनों से ही काफी बड़ा होता है, कुछ फलों का वजन 700 ग्राम से अधिक हो जाता है।
पहले फल तोड़ने पर पकने के बाद भी फलों में खटास रहती है लेकिन जब उन्हें सही अवस्था में तोड़ा जाए तो मिठास और खटास का अद्भुत संतुलन मिलता है। विशेष स्वाद के अतिरिक्त फल का गूदा सख्त होता है इसलिए स्वाद और बेहतरीन हो जाता है|

फल नारंगी पीले रंग का होता है, जिसमें आकर्षक गहरे नारंगी रंग का गूदा और एक बहुत पतली गुठली होती है। फल में भरपूर गूदा होने के कारण ग्राहक को पैसे की अच्छी कीमत मिल जाती है। गोमती नगर के एक वेंडर के मुताबिक, मल्लिका के बारे में जानने वाले लोग इस विशेष किस्म के फल की मांग करते हैं। मल्लिका के फल का मजा लेने के बाद लोग इस किस्म के दीवाने हो जाते हैं।

किस्म प्रेमी एक किलो के लिए सौ रुपये तक देने को तैयार हैं, जबकि विक्रेता को देश के अन्य शहरों में इस किस्म के बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कई जगह विक्रेता चौसा और कुछ अन्य किस्मों की आड़ में मल्लिका को बेचकर लोगों को गुमराह करते हैं। आम की एक किस्म को लोकप्रिय होने में कई दशक लग जाते हैं।
उदाहरण के लिए, मल्लिका के मामले में, लोगों को इसकी उत्कृष्ट फल गुणवत्ता के बारे में जानने में लगभग 40 साल लग गए। मल्लिका के पौधों की विभिन्न आम उत्पादक क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है और तो और जापानियों को भी यह किस्म बहुत पसंद आ रही है।
एक अच्छी तरह से पका हुआ मल्लिका फल अल्फांसो, दशहरी और चौसा जैसी शीर्ष किस्मों में से किसी को भी मात दे सकता है। हालांकि, पेड़ से फल को उचित समय पर चुनना महत्वपूर्ण है; अन्यथा, किस्म के असली स्वाद का आनंद नहीं लिया जा सकता है।विभिन्न किस्मों की मांग बढ़ने से शहर में आम विक्रेताओं की बेचने की शैली भी बदल रही हैं। वे चौसा, लखनऊ सफेदा के अतिरिक्त कई अन्य किस्मों को एक ही समय में बेचते हैं। कुछ साल पहले, आम के मौसम के अंत मे केवल चौसा और लखनऊ सफेदा के ही फल मिलते थे।

17 विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान कई विधेयकों को पारित कराने के एजेंडे के साथ सदन में जाएगी। वहीं, विपक्ष भी कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। सरकार ने इस सत्र के दौरान 17 विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया है। 
इनमें से तीन विधेयक हाल में जारी अध्यादेशों के स्थान पर लाए जाएंगे क्योंकि नियम है कि संसद सत्र शुरू होने के बाद अध्यादेश के स्थान पर विधेयक को 42 दिनों या छह सप्ताह में पारित करना होता है, अन्यथा वे निष्प्रभावी हो जाते हैं। इनमें से एक अध्यादेश 30 जून को जारी किया गया था जिसके जरिये रक्षा सेवाओं में किसी के विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल होने पर रोक लगाई गई है।
आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 आयुध फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के प्रमुख संघों द्वारा जुलाई के अंत में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी देने की पृष्ठभूमि में लाया गया है। संबंधित संघ ओएफबी के निगमीकरण के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। लोकसभा द्वारा 12 जुलाई को जारी बुलेटिन के मुताबिक अध्यादेश का स्थान लेने के लिए आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को सूचीबद्ध किया गया है।वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग-2021 अन्य विधेयक है। 
जो अध्यादेश की जगह लाया जाएगा। वहीं, विपक्ष कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की कथित कमी और राज्यों को टीके के वितरण के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।
विपक्ष पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर भी सरकार से जवाब मांगेगा। संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलेगा। बुलेटिन में सूचीबद्ध वित्तीय विषयों में वर्ष 2021-22 के लिए अनपूरक मांग और अनुदान पर चर्चा शामिल है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को संसद सदस्यों से अपील की कि महामारी के बीच वे लोगों के साथ खड़े हों और सदन में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर।


बाढ़ में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 156 हुईं

बर्लिन। जर्मनी में मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 156 हो गई है। स्थानिय अखबार ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। अखबार ने कोब्लेंज़ पुलिस विभाग के हवाले से बताया कि बाढ़ से 12 और लोगों की मौत हुई है। रविवार सुबह तक दक्षिण-पश्चिमी जर्मन के राइनलैंड-पैलेटिनेट प्रांत में 110 लोगों की मौत हुई है। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया प्रांत में शनिवार शाम तक मरने वालों की संख्या 45 थी, जबकि बेर्चटेस्गेडेन के बवेरियन क्षेत्र में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है।
कोब्लेंज़ पुलिस विभाग की तरफ से रविवार को दी गई जानकारी के अनुसार, अकेले अहरवीलर जिले में 110 से अधिक लोगों की मौत हुई हैं और 670 अन्य घायल हुए हैं। भारी बारिश और बाढ़ के कारण शनिवार की रात जर्मनी के बवेरिया के बेर्चटेस्गडेनर लैंड जिले में आपातकाल घोषित किया गया।
जर्मनी के सैक्सन स्विटजरलैंड में भी शनिवार देर रात बाढ़ की सूचना मिली और इस क्षेत्र में बाढ़ और भूस्खलन के बीच ड्रेसडेन-प्राग मार्ग पर रविवार दोपहर तक रेल सेवा को रोक दिया गया है।

डेढ़ वर्षों में हमने परिस्थितियों का सामना किया: पीएम

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की कोटा निवासी और भारतीय सेना से बतौर मेजर सेवानिवृत्त हुईं प्रमिला सिंह को उनके दयाभाव और सेवाकार्य के लिए सराहना की है। दरअसल कोरोना में लॉकडाउन के दौरान जहां लोग अपने-अपने घरों में राशन पानी की व्यवस्था में जुटे थे, उसी समय मेजर प्रमिला सिंह ने अपने पिता श्यामवीर सिंह के साथ मिलकर बेसहारा जानवरों की सुध ली, उनका दु:ख-दर्द समझा और उनकी मदद के लिए आगे आईं।
मेजर प्रमिला और उनके पिताजी ने अपनी जमा पूंजी से सड़कों पर आवारा घूम रहे जानवरों के चारे और उपचार की व्यवस्था की। प्रधानमंत्री ने पत्र भेजकर मेजर प्रमिला की तारीफ करते हुए उनके प्रयास को समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया है। प्रधानमंत्री ने पत्र में लिखा है, ‘पिछले लगभग डेढ़ वर्षों में हमने अभूतपूर्व परिस्थितियों का सामना मजबूती से किया है। यह एक ऐसा ऐतिहासिक कालखंड है जिसे लोग जीवन भर नहीं भूल सकेंगे।
यह न केवल इंसानों के लिए बल्कि मानव के सान्निध्य में रहने वाले अनेक जीवों के लिए भी कठिन दौर है। ऐसे में आपका बेसहारा जानवरों के दु:ख-दर्द व जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना व उनके कल्याण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर पूरे सामर्थ्य से कार्य करना सराहनीय हैं।’
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस मुश्किल समय में कई ऐसी मिसालें देखने को मिली हैं जिन्होंने हमें मानवता पर गर्व करने का अवसर दिया है।  मोदी ने उम्मीद जताई कि मेजर प्रमिला और उनके पिताजी इसी तरह अपनी पहल से समाज में जागरुकता फैलाते हुए अपने कार्यों से लोगों को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे। इससे पहले मेजर प्रमिला सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताया था कि जानवरों की देखभाल करने का जो काम उन्होंने लॉकडाउन के समय शुरू किया था वह आज तक जारी है। उन्होंने पत्र में असहाय जानवरों की पीड़ा व्यक्त करते हुए समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को इनकी मदद के लिए आगे आने की अपील की है।

विदेश: कीमती धातुओं की तेजी से चमक बढ़ीं, रिकॉर्ड

कविता गर्ग                         
मुंबई। विदेशों में कीमती धातुओं में तेजी से पिछले सप्ताह घरेलू स्तर पर भी इनकी चमक बढ़ गई। एमसीएक्स वायदा बाजार में सोने की कीमत सप्ताह के दौरान 377 रुपये चढ़कर सप्ताहांत पर 48,192 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुँच गई।
सोना मिनी भी 360 रुपये की साप्ताहिक मजबूती के साथ अंतिम कारोबारी दिवस पर 48,178 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ। कारोबारियों का कहना है कि वैवाहिक माँग अभी मजबूत बनी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सोने में में तेजी रही है। इससे सोना महँगा हो गया। वैश्वि​क स्तर पर बीते सप्ताह सोना हाजिर 21 डॉलर चमककर 1,822.24 डॉलर प्रति औंस पर पहुँच गया। अगस्त का अमेरिकी सोना वायदा भी 20.20 डॉलर की बढ़त के साथ शुक्रवार को 1,831.40 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।
घरेलू स्तर पर चाँदी समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 975 रुपये चढकर सप्ताहांत पर 69211 रुपये प्रति किलोग्राम बिकी। चाँदी मिनी की कीमत 999 रुपये बढ़कर 69,400 रुपये प्रति किलोग्राम रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी हाजिर 0.02 डॉलर की साप्ताहिक बढ़त के साथ 26.15 डॉलर प्रति औंस पर पहुँच गई।

चीन में मंकी बी वायरस से मौत का पहला मामला

बीजिंग। चीन की वुहान प्रयोगशाला के कुछ वैज्ञानिकों की जब रहस्यमयी कोरोना वायरस से मौत हुई थी तो चीन ने विश्व संगठनों से इसे काफी समय तक दबाए रखा था और आज वही वायरस पूरे विश्व को लील रहा है। लेकिन अब एक और पशु चिकित्सक की रहस्यमयी मंकी बी वायरस से माैत के मामले को दाे माह तक दबा कर रखा गया है।
चीन में मंकी बी वायरस संक्रमण से मौत का यह पहला मामला है। चीनी समाचार पत्र ‘द ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार चीनी संस्थान “प्लेटफार्म ऑफ चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन” के जर्नल ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि 53 वर्षीय यह पशु चिकित्सक बंदरों पर शोध कार्य कर रहा था और मार्च में उसने दो बंदरों के शवों का परीक्षण किया था।
इसके एक माह बाद उसे जी मिचलाने और उल्टियों की शिकायत हुई और उसने कईं अस्पतालों में अपना उपचार कराया लेकिन 27 मई को आखिरकार उसकी मौत हो गई थी। शोधकर्ताओं ने उसकी रीढ़ के हड्डी से निकाले गए तरल पदार्थ में मंकी बी वायरस की पुष्टि की है। उसके नजदीकी संपर्क में आए लोगों में हालांकि अभी तक कोई लक्षण नहीं मिले हैं। इस विषाणु को बंदरों की मकॉक जीनस से 1932 में आइसोलेट किया गया था और यह अल्फाहरपीज वायरस के नाम से जाना गया था।
यह वायरस प्रत्यक्ष संपर्क और शारीरिक द्रव्यों से फैल सकता है और इसकी मृत्यु दर 70 से 80 प्रतिशत है। इस जर्नल में कहा गया है कि मंकी बी वायरस लोगों के लिए एक गभीर खतरा हो सकता है और बंदरों में होने वाले किसी भी तरह के अप्रत्याशित बदलावों, उनके व्यवहार में परिवर्तन पर निगरानी जरूरी है।
गौरतलब है कि अमेरिका के टेक्सास शहर में 18 वर्षों के बाद मंकी बी वायरस का पहला मामला सामने आया है और उसने हाल ही में नाइजीरिया से अमेरिका की यात्रा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्तमान में इस संक्रमण की कोई दवा नहीं है और जो दवाएं चेचक में दी जाती हैं। वहीं इसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
संक्रमण के बाद सात से 13 दिनों में इसके लक्षण उभर कर सामने आते हैं और इनमें बुखार, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा अधिक कमजोरी प्रमुख हैं। इसमें शरीर की लसीका ग्रंथियों (लिम्फ नोडृस) में सूजन आम लक्षण है।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...