सोमवार, 5 जुलाई 2021

अरब सागर में चीन को मछली पकड़ने का अधिकार

नई दिल्ली/ इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के पास अरब सागर में चीन को मछली पकड़ने का अधिकार दिया है। इसके बाद अब बलूच तट पर समुद्र सैकड़ों चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं से भरा हुआ है। पाकिस्तान ने ग्वादर में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों को लाइसेंस दे दिया है। जिससे अब स्थानीय मछुआरों में आक्रोश पैदा हो गया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने बताया कि सैकड़ों मछुआरों, राजनीतिक एक्टिविस्ट और नागरिक समाज के सदस्यों ने ग्वादर में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों को मछली पकड़ने का अधिकार देने के लिए संघीय सरकार के खिलाफ एक विरोध रैली का मंचन किया। 
नेशनल पार्टी और बलूच छात्र संगठन ने विरोध का आह्वान किया था। सरकार के इस कदम के खिलाफ ग्वादर प्रेस क्लब के सामने रैली और धरना प्रदर्शन किए गए। इस कदम से बलूच के मछुआरे अपने आप को दोगुना ठगा हुआ महसूस कर रहे है। उन्हें पहले सुरक्षा चिंताओं के कारण चीन द्वारा संचालित ग्वादर बंदरगाह के लिए उनकी भूमि से विस्थापित किया गया था। चीन के अरबों डॉलर के निवेश के बावजूद, स्थानीय लोग वंचित महसूस कर रहे हैं। अब, विशाल मछली पकड़ने वाले चीनी जहाजों के आने से वे पूरी तरह से कुचले हुए या दबाए हुए महसूस कर रहे हैं। 
उनकी चिंता इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि चीनी जहाज कोई साधारण नौकाएं नहीं हैं। ये इस तरह की फैक्ट्री शिप हैं। चूंकि चीनी जहाजों ने अपने बड़े पैमाने पर संचालन शुरू कर दिया है, न केवल बलूचिस्तान में बल्कि पाकिस्तान के लगभग 1,000 किलोमीटर के तट पर मछुआरे अब अपनी आजीविका के लिए परेशान है।चीनियों ने पाकिस्तानी समुद्र तट को तहस-नहस कर दिया है।
पिछले साल मछली पकड़ने वाले चीनी जहाजों को कराची बंदरगाह पर देखा गया था, जिससे सिंध में मछुआरों में डर फैल गया था।
मछली पकड़ने वाले ये बड़े और भारी भरकम जहाज समुद्र में बड़े क्षेत्र में काफी बड़े जाल फैंकते हैं। ये जहाज संकरे जालों से सुसज्जित हैं। जो न केवल मछली पकड़ते हैं। बल्कि समुद्र में मौजूद विभिन्न प्रकार के अंडों को भी नष्ट कर देते है। यह समुद्र तल में भारी हलचल पैदा करते हैं। जिससे समुद्री खाद्य श्रृंखला भी नष्ट हो जाती है।  पाकिस्तानी मछुआरा समुदाय चिंतित है। क्योंकि प्रत्येक चीनी पोत एक पाकिस्तानी नाव की तुलना में दस गुना अधिक मछली पकड़ सकता है। चिंता की बात यह है कि चीनी जहाजों के प्रवेश से बलूच और सिंधी मछुआरों के बीच बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी।
पाकिस्तानी मछुआरों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि गहरे समुद्र में मछली पकड़ना न केवल बड़े पैमाने पर की जाती है, बल्कि यह विनाशकारी भी है।

पाकिस्तान ने अपना विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) चीनी मछली पकड़ने वाली कंपनियों के लिए खोल दिया है। फिशरमेन को-ऑपरेटिव सोसाइटी (एफसीएस) के चेयरमैन अब्दुल बेर ने अरब न्यूज को बताया कि चीन पाकिस्तानी मछली पकड़ने के उद्योग को अपग्रेड करने और उसके निर्यात को बढ़ाने में मदद करेगा। 
बेर ने कहा, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए चीनी जहाज लाना सरकार की गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की नीति के अनुरूप है और इसका उद्देश्य स्थानीय मछुआरों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा मछली पकड़ने का उन्नयन और आधुनिकीकरण करना है। 
आठ जून को विश्व महासागर दिवस से ठीक पहले मई 2020 में ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ओडीआई) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का डिस्टेंट वाटर फिशिंग (डीडब्ल्यूएफ) बेड़ा पहले की तुलना में पांच से आठ गुना बड़ा हो चुका है। ओडीआई ने लगभग 17,000 जहाजों के बेड़े का अनुमान लगाया है। 
ओडीआई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन के डीडब्ल्यूएफ बेड़े का स्वामित्व और परिचालन नियंत्रण जटिल और अपारदर्शी दोनों है। ओडीआई के 6,122 जहाजों के एक उप-नमूने के विश्लेषण में पाया गया कि केवल आठ कंपनियां 50 से अधिक जहाजों के स्वामित्व या संचालन करती हैं। जटिल कंपनी संरचनाएं और पारदर्शिता की कमी निगरानी और नियामक प्रयासों में बाधा डालती है।  इससे कदाचार के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना मुश्किल हो जाता है।
चीनी मछली पकड़ने वाली कंपनियों के लिए अपना ईईजेड खोलकर, पाकिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में 62 अरब डॉलर के विशाल निवेश के लिए कम्युनिस्ट देश के पक्ष में तो हो सकता है। लेकिन ऐसा करके पाकिस्तान का इस्लामी गणराज्य अपने ही लोगों - सिंधियों और बलूचिस्तान के लोगों के लिए काफी गलत कर रहा है, जो पहले से ही स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।

अनियमितताओं के संबंध में नया मामला दर्ज किया

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कथित अनियमितताओं के संबंध में एक नया मामला दर्ज किया है। उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान परियोजना संचालित हुई थी। राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सोमवार को कई राज्यों में करीब 43 जगहों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि सुबह शुरू हुआ तलाशी अभियान अभी चल रहा है और आज जारी रह सकता है।
अधिकारियों के मुताबिक, प्राथमिकी में करीब 180 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है जिनमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश सरकार के अभियंता तथा अन्य अधिकारी शामिल हैं। सीबीआई ने उक्त परियोजना के सिलसिले में यह दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जिनमें अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी और मायावती की अगुवाई में बहुजन समाज पार्टी के साथ ही कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को राज्य की सत्ता से हटाने की कोशिश करेंगे।

ताजा बयानों के परिप्रेक्ष्य में भागवत को सलाह दी

मनोज सिंह ठाकुर                
भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के ताजा बयानों के परिप्रेक्ष्य में आज ट्वीट के जरिए उन्हें सलाह दी हैं। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए मोहन भागवत के हिंदू मुस्लिम एकता और भारतीयों के डीएनए के संबंध में आए ताजा बयानों के परिप्रेक्ष्य में लिखा है ‘मोहन भागवत, यह विचार क्या ?आप अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल कार्यकर्ताओं को भी देंगे।
क्या यह शिक्षा आप मोदी शाह जी व भाजपा मुख्यमंत्री को भी देंगे ?’ कांग्रेस नेता ने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है, ‘यदि आप अपने व्यक्त किए गए विचारों के प्रति ईमानदार हैं, तो भाजपा में वे सब नेता जिन्होंने निर्दोष मुसलमानों को प्रताड़ित किया है। उन्हें उनके पदों से तत्काल हटाने का निर्देश दें। शुरूआत नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ से करें।
दिग्विजय सिंह ने साथ में यह भी लिखा है कि उन्हें मालूम है कि मोहन भागवत ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर है। दिग्विजय सिंह के मुताबिक मोहन भागवत ने सही कहा है कि पहले हम सब भारतीय हैं। लेकिन पहले यह उन्हें अपने शिष्यों को समझाना होगा। मोहन भागवत का ताजा बयान आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हिंदू मुस्लिम अलग नहीं हैं और सभी भारतीयों का डीएनए एक है।

पीएम के नाम से विधानसभा चुनाव लड़ेगी 'भाजपा'

पंकज कपूर                           
देहरादून। आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड भाजपा अब चेहरा विहीन हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से अब भाजपा विधानसभा चुनाव लड़ेगी।क्या पांच साल पहले का पीएम का प्रलोभन और डबल इंजन की बात जनता भूल गई होगी ?
उत्तराखण्ड में नए मुख्यमंत्री बनने के बाद से साफ हो गया कि भाजपा के पास अब चुनावी चेहरा नही रह गया। ज़ाहिर सी बात है, जब दो बार के विधायक को मुख्यमंत्री की कमान दी गई और उनसे वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार किया गया है। यह यही साबित करता है कि अब भाजपा के पास प्रदेश में नेतृत्व क्षमता वाले नेता नही रहे।
उत्तराखण्ड में नए मुख्यमंत्री बनने के बाद से साफ हो गया कि भाजपा के पास अब चुनावी चेहरा नही रह गया। ज़ाहिर सी बात है जब दो बार के विधायक को मुख्यमंत्री की कमान दी गई और उनसे वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार किया गया है। यह यही साबित करता है कि अब भाजपा के पास प्रदेश में नेतृत्व क्षमता वाले नेता नही रहे। कुमाऊँ के मैदानी क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने का निर्णय इसलिए भी जोड़ा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में किसानों को साधने का प्रयास किया जा रहा है। जिस जिले से मुख्यमंत्री आते है वह किसान बाहुल्य क्षेत्र है। किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश में भाजपा के विरोध में काम कर रही है। उत्तराखण्ड में आगमी विधानसभा चुनाव में भाजपा को खासतौर पर तराई के किसानों का विरोध झेलना पड़ेगा।
त्रिवेन्द्र रावत, तीरथ रावत के बाद अब पुष्कर धामी को चार साल में मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। हाईकमान ने प्रदेश में भाजपा के हालातों को देखते हुए युवा कार्ड खेलने का भी प्रयास किया गया है, युवा मुख्यमंत्री बनाने से प्रदेश के यूथ को अपने पक्ष में करने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने पहली कैबिनेट में ही युवाओं के लिए नौकरी बम जो फोड़ा है, वह कितना असरदार होगा वह आने वाला समय ही बताएगा। ज़ाहिर-सी बात है, जब दिल्ली हाईकमान का प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर प्रयोग जारी है। इस दशा में विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर भाजपा लड़ेगी यह तय करना बहुत ही मुश्किल है। जब प्रदेश भाजपा में चेहरा ही नही होगा तो मोदी के चेहरे पर ही जनता से वोट मांगने का काम किया जाएगा। साथ ही जनता को भी याद रखना होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी द्वारा किये गए वादों का क्या हुआ ?

महादेवी घाट पर गंगा में नहाते समय 2 दोस्त डूबे, मौंत

हरिओम उपाध्याय              
कन्नौज। महादेवी घाट पर गंगा में नहाते समय दो दोस्त गहरे पानी में जाने से डूब गए। गोताखोरों ने एक युवक को बचा लिया। जबकि उसके साथी की डूबकर मौत हो गई। युवक को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सोमवार सुबह ठठिया थाना क्षेत्र के ग्राम चौहानपुरवा निवासी गोलू उर्फ प्रिंस व गुड्डू महादेवी घाट पर गंगा स्नान करने आए थे। नहाते समय दोनों अचानक गहराई में चले गए, जिससे डूबने लगे। घाट पर मौजूद अन्य लोगों ने शोर मचाया तो गोताखोरों ने छलांग लगा दी। 
गोताखोरों ने गुड्डू को सुरक्षित निकाल लिया। इसके बाद गोलू की तलाश शुरू की गई। कुछ देर बाद उसे भी गंगा नदी से बाहर निकाला गया। दोनों को जिला अस्पताल लाया गया। 
जहां चिकित्सकों ने गोलू को मृत घोषित कर दिया। गुड्डू काे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे की जानकारी पाकर स्वजन भी अस्पताल पंहुच गए, गोलू का शव देखकर कोहराम मच गया। महादेवी घाट चौकी प्रभारी जसवंत सिंह ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

धार्मिक स्थल विभिन्न शर्तों के साथ खोलने की अनुमति

बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने कोविड-19 के मद्देनजर लगी पाबंदियों में ‘अनलॉक 3.0’ के तहत ढील देते हुए सोमवार से रेस्तरां, मॉल निजी कार्यालय तथा धार्मिक स्थल विभिन्न शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दे दी है। मेट्रो और बस जैसे सार्वजनिक वाहन भी अपनी बैठने की क्षमता के साथ चलेंगे। ये सेवाएं रात नौ बजे तक ही उपलब्ध रहेंगी। क्योंकि सरकार ने रात नौ बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है।
धार्मिक स्थल को केवल दर्शन के लिए खोले जाने के बाद कम संख्या में श्रद्धालु आज नजर आए। लेकिन सभी कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते दिखे। राज्य के बाकी स्थानों से भी ऐसी ही खबरें मिल रही हैं। कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के आज से पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति के मद्देनजर बेंगलुरु और अन्य शहरों में कई जगह सुबह सड़कों पर जाम लग गया। बैंगलोर महानगर परिवहन निगम ने कहा कि सभी एहतियाती नियमों का पालन करते हुए बस सेवाएं सुबह पांच बजे से रात नौ बजे तक चलेंगी
शहर और उपनगर इलाके में अभी 4500 बसें चलेंगी। यात्रियों की संख्या देखते हुए बस सेवाएं बढ़ाई जाएंगी। इस दौरान अधिकारी यह सुनिश्चित करते दिखे कि बस में भीड़ ना हो और कोई यात्री खड़े होकर यात्रा ना करे। बेंगलुरु मेट्रो सेवा ने कहा कि मेट्रो सोमवार से शुक्रवार सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक, भीड़भाड़ वाले समय से लेकर सामान्य समय में पांच से 15 मिनट के अंतर पर चलेगी। शनिवार और रविवार को छुट्टी होने के कारण स्थिति को देखते हुए सेवाएं बढ़ाईं और कम की जाएंगी।
शहर में रेस्तरां और होटल में भी लोग नजर आए। सोमवार से राज्य में ‘बार’ खुल गए हैं, लेकिन ‘पब’ बंद अभी हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को कहा था कि नए दिशा-निर्देश पांच जुलाई सुबह छह बजे से 19 जुलाई सुबह छह बजे तक लागू रहेंगे। बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने कहा था कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने के लिए मार्शल और पुलिस कर्मियों के 54 दलों की तैनाती की गई है।
पंत ने ट्वीट किया, ” मैं सभी से अपनी सुरक्षा के लिए कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने का आग्रह करता हूं। याद रखें, मामले कम हुए हैं, लेकिन संक्रमण अब भी आसपास है।” नए दिशा-निर्देशों के तहत, थिएटर, सिनेमा और पब बंद रहेंगे जबकि प्रशिक्षण के उद्देश्य से स्वीमिंग पूल खोले जाएंगे।

प्राथमिकियां दर्ज किएं जाने पर जवाब तलब किया

अकांशु उपाध्याय              

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की गई धारा 66ए के तहत प्राथमिकियां दर्ज किए जाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से सोमवार को जवाब तलब किया। शीर्ष अदालत ने श्रेया सिंघल मामले में फैसला सुनाते हुए संबंधित कानून की धारा 66ए को 2015 में ही निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद इस धारा के तहत प्राथमिकियां दर्ज की जा रही हैं। न्यायमूर्ति आर एफ रोहिंगटन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा। न्यायालय ने उक्त कानून की निरस्त धारा के तहत पुलिस द्वारा प्राथमिकियां दर्ज किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया।

न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, “आश्चर्य है। श्रेया सिंघल मामले में शीर्ष अदालत ने 2015 में फैसला दे दिया था। जो हो रहा है वह खतरनाक है।” सुनवाई जैसे ही शुरू हुई, पीयूसीएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दलील दी कि सम्बन्धित प्रावधान के निरस्त किए जाने के बाद भी देश भर में हजारों की संख्या में प्राथमिकियां दर्ज की जा रही हैं। न्यायालय ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करके दो सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।


'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी

'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात...