बुधवार, 30 जून 2021

लाखों भिखार्यो के लिए केंद्रीय कानून बनेगा: पीएम

अकांशु उपाध्याय               
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “न्यू इंडिया” में बदनुमा दाग लगा रहे लाखों भिखार्यो के लिए एक केंद्रीय कानून बनने जा रहा है। जिसके तहत भिखारियों को गिरफ्तार नहीं बल्कि उन्हें पुनर्वास किया जाएगा। पुनर्वास व सुधार का राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार हो गया है जिसे अमल में लाने के लिए विधेयक बनाया गया है।अभी मुंबई भिक्षा वृति विरोधी कानून के तहत देश के कई राज्यों में भीखारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई होती है। मगर दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से यह कार्य बंद है। इससे पहले दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में पुलिस भिखारियों को गिरफ्तार करती थी। 
मगर अब केंद्र सरकार कि कुछ एजेंसियों ने मिलकर भिखारी सुधार एवं पुनर्वास विधेयक बनाया है जिसके तहत भिखारियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं बल्कि पुनर्वास व सुधार की योजनाएं लागू होंगी।यह विधेयक संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहा है और जल्दी ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। फिलहाल सभी राज्यों से राय मांगी गई है। कुछ राज्यों ने अपनी रिपोर्ट भेज दी है। ज्यादातर राज्यों ने भिखारियों को सुधार गृह में भेजने और उन्हें स्वावलंबी बनाने का मशविरा दिया है। दरअसल आजादी के बाद सरकारी विकास के चाहे जो भी दावे होते रहे हो लेकिन देश की राजधानी दिल्ली सहित लगभग सभी बड़े शहरों में प्रमुख चौराहों, धार्मिक स्थलों अस्पताल रेल बस परिसरों पर भीख मांगते बच्चे, महिलाएं व युवा देश को कलंकित कर रहे है। ज्यादातर राज्यों ने बॉम्बे भिक्षावृत्ति विरोधी कानून को लागू किया हुआ है। जिसमें पुलिस को अधिकार है कि वह किसी भी समय बिना वारंट किसी भी अधिकारी को गिरफ्तार कर सकती है। 
मगर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए केंद्र एवं दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया था और पुनर्वास की ठोस योजना बनाने के लिए कहा था। कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर भिक्षावृत्ति के खिलाफ काम करना शुरू भी किया है जिसमें बिहार सबसे आगे है। वहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना सहित कई बड़े शहरों को भिक्षुक मुक्त बनाने का अभियान छेड़ा है।जबकि राजस्थान में भिखारी सुधार एवं पुनर्वास कानून लागू है और पुलिस ने इस कानून के तहत जब सर्वे किया तो वहां पढ़े लिखे लोग भी भीख मांग रहे हैं। भिखारियों के पुनर्वास की पहल तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी सहित कुछ अधिवक्ताओं ने की थी जिसके तहत एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग उठी थी। जिसके तहत भिखारियों को जेल में बंद करने के बजाए उनके पुनर्वास व सुधार का रास्ता निकाला जाए।
हालांकि भिक्षावृत्ति में कुछ बड़े शहरों में संगठित गिरोह भी काम कर रहे हैं। जिन्हें भिक्षा माफिया भी कहा जाता है। 
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस गिरोह के विरुद्ध राज्यों की पुलिस को भी लिखा था क्योंकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में प्रतिवर्ष लगभग 50 हजार बच्चे लापता होते हैं इनमें सिर्फ आधे बच्चे ही मिलते हैं बाकी को भिक्षा वृति व अपराध में धकेल दिया जाता हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भिखारियों की संख्या पौने चार लाख के आसपास थी जो अब दुगनी बताई जा रही है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जब तक एक केंद्रीय कानून नहीं बनेगा तब तक भिखारियों की समस्या का समाधान निकालना मुश्किल है। क्योंकि समय-समय पर इनके विरुद्ध अभियान चलाया जाता है जिसकी जानकारी होते ही भिखारी शहर छोड़कर दूसरे राज्य में पलायन कर जाते हैं। यदि कानून बन गया तो सबसे पहले बड़े शहरों को भिखारी मुक्त बनाया जायेगा और बच्चों को शिक्षा, महिलाओं एवं युवाओं को स्वावलंबी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस विधेयक को लेकर केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत भी कई बैठकें कर चुके हैं।

रेलवे ने 4 'महत्वपूर्ण' परियोजनाओं को पूरा किया

अकांशु उपाध्याय                                  
नई दिल्ली। कोविड की चुनौतियों के बावजूद पिछले एक वर्ष में रेलवे ने विद्युतीकरण व सिग्नलिंग से संबंधित 29 ‘अति महत्वपूर्ण’ तथा 4 ‘महत्वपूर्ण परियोजनाओं समेत कुल 33 अहम परियोजनाओं को पूरा किया है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे अगले कुछ वर्षों में 1,15,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मिशन मोड़ में काम कर रही है। यातायात घनत्व, ढोई जाने वाली सामग्री के प्रकार तथा रणनीतिक महत्व के आधार पर तत्काल आवश्यक परियोजनाओं को ‘अति महत्वपूर्ण’ श्रेणी में रखा गया है। 
जबकि जो परियोजनाएं अगले चरण में पूरी होनी हैं, उन्हें ‘महत्वपूर्ण’ माना गया है। ये सभी परियोजनाएं विद्युतीकरण तथा सिग्नलिंग कार्य से संबंधित हैं। केंद्र सरकार के वित्तपोषण तथा निरंतर निगरानी के जरिये इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का लक्ष्य है, ताकि निवेश का लाभ उठाया जा सके। इन सभी परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।लगभग 39,663 करोड़ रुपये लागत एवं 3,750 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं मल्टी-ट्रैकिंग यानी दोहरी/तिहरी/चौथी लाइन वाले व्यस्त मार्गों पर हैं। इनमें 11,588 करोड़ रुपये की लागत तथा 1,044 किलोमीटर लंबाई वाली 29 ‘अति महत्वपूर्ण’ रेल परियोजनाओं को कोविड के दौरान पूरा कर दिया गया है। 
जबकि 27 परियोजनाएं दिसंबर,2021 तक पूरी हो जाएंगी। शेष 2 रेल परियोजनाओं के मार्च 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर रेलवे इन घने, संतृप्त व व्यस्त मार्गों पर सुरक्षा के साथ तेज गति से अधिक यातायात संचालन में सक्षम होगा। कुल 75,736 करोड़ रुपये की लागत तथा 6,913 किलोमीटर समग्र लंबाई वाली 68 परियोजनाओं की पहचान महत्वपूर्ण परियोजनाओं के तौर पर की गई है। इनमें 1,408 करोड़ रुपये की लागत तथा 108 किलोमीटर लंबाई वाली 4 परियोजनाएं अब तक पूरी की जा चुकी हैं। 
जबकि शेष परियोजनाओं को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर 21 मार्च तक 37,734 रुपये खर्च किए गए हैं। इस वर्ष इन परियोजनाओं के लिए 14,466 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया है।कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान रेलवे ने दोहरीकरण, तिहरीकरण व चौहरीकरण की कुल 1614 किलोमीटर लंबी परियोजनाओं को पूरा कर यातायात चालू कर दिया हैं। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 133 किलोमीटर लंबी दोहरीकरण और तिहरीकरण परियोजनाएं चालू की गई हैं। 
इनमें उत्तराखंड, असम, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की कुछ प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर और रुड़की होते हुए हरिद्वार तक इस खंड का पूरा मार्ग चालू होने के बाद इस वर्ष जनवरी से डबल लाइन में तब्दील हो गया है। इससे इस व्यस्त मार्ग पर समयबद्धता में सुधार होगा। उपरोक्त अति महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यात्री और माल ढुलाई की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित होगी। इसके अलावा ट्रेनों की गति बढाने तथा नई रेल सेवा शुरू करने में मदद मिलेगी। सुरक्षा में वृद्धि के लिए अधिक लाइन क्षमता उपलब्ध होने से इन व्यस्त मार्गों के रखरखाव के लिए अधिक समय उपलब्ध होगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे नेटवर्क का अधिकांश यातायात स्वर्णिम चतुर्भुज, उच्च घनत्व नेटवर्क मार्गों और अत्यधिक प्रयुक्त रेल मार्गों पर चलता है। इन रेल मार्गों की लंबाई कुल रेलमार्ग का 51 प्रतिशत है। लेकिन इन पर 96 प्रतिशत यातायात संचालित होता है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-319 (साल-02)
2. ब्रहस्पतिवार, जुलाई 1, 2021
3. शक-1984,अषाढ़, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 05:42, सूर्यास्त 07:16।
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै., अधिकतम-42+ डी.सै.।
बरसात की संभावना
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
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मंगलवार, 29 जून 2021

हैरतअंगेज: पूर्व राष्ट्रपति को 15 माह की सजा सुनाईं

प्रिटोरिया। क्या किसी पूर्व राष्ट्पति को भी आज तक कोई सजा हुयी हो, हममें से शायद ही किसी ने इस तरह की सजा की बात सुनी हों ? लेकिन, यह अनोखा मामला सच हुआ है और वह भी भारत में नही, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में। यहां के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा को अदालत की अवमानना मामलें मे 15 माह की सजा सुनाई गयी है। पूर्व राष्ट्रपति को सजा इसलिए सुनाई गयी, कि उन्होनें विगत वर्ष नवम्बर माह में स्टेट कैप्चर मे जाचं आयोग के समक्ष सुनवाई का बहिष्कार करने तथा इसमें शामिल होने से मना कर दिया था। हैरानी की बता तो यह है कि जैकब जुमा ने बार बार यह बात भी कही किवे जाचं आयोग को सहयोग करने के बजाये जेल जाना पंसद करेगे। 

खास बात तो यह है कि अदालत के अनुसार यह सजा किसी भी तरह से निलबिंत ही नही की जा सकती। देश के विभिन्न संस्थानों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों की जाचं कर रहे आयोग ने यह सिफारिश की थी कि पूर्व राष्ट्पति को दो वर्ष की सजा सुनाई जाये।मंगलवार को सुनाईं गई इस सजा में साविंधानिक अदालत के न्यायमूर्ति सिसी खाम्पेपे ने यह भी कहा कि जैकब जुमा के इस मामले पर दिये गये बयान विचित्र और बर्दाश्त करने योग्य नही हेै। जिस व्यकित ने एक बार नही, बल्कि दो-दो बार देश के कानून और सविधान के पालन की शपथ ली हो वह उनका इस तरह उल्लंधन और उपेक्षा करे। इसे समाप्त करने का प्रयास करे उसे कडा संदेश दिये जाने की आवश्यकता है।

गुजरात में सेल्फी लेने को अपराध घोषित किया, उद्देश्य

अहमदाबाद। गुजरात के डांग जिले में सेल्फी लेने के चक्कर में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से सेल्फी लेने को अपराध घोषित कर दिया गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। दक्षिण गुजरात में स्थित डांग पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय स्थान है। विशेष रूप से मॉनसून के समय यहां के सपुतारा हिल स्टेशन और झरने को देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में गिरावट के चलते लोग बारिश के मौसम में फिर से घूमने आने लगे हैं। जिले के अतिरिक्त कलेक्टर टी डी डामोर ने बताया कि अगर डांग में लोगों को सेल्फी लेते देखा गया तो उनके खिलाफ आपराधिक प्रावधानों में कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारी ने कहा कि डांग में इस प्रकार के प्रतिबंध पिछले दो तीन सालों से थे और अब एक नई अधिसूचना जारी कर इनकी अवधि को विस्तार दे दिया गया है। डामोर ने कहा, “दुर्घटनाओं में कुछ लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो गए हैं। इसे रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है।” उन्होंने कहा, “खासकर युवा लोग अच्छी सेल्फी लेने के चक्कर में किसी भी हद तक चले जाते हैं और दुर्घटना हो जाती है। लोगों के खाई में गिरने और पानी में बहने की बहुत सी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कुछ मामलों में लोग मर भी गए हैं और बहुत से लोग घायल हुए हैं।” अधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन ने विभिन्न पर्यटन स्थलों पर होर्डिंग लगा दी हैं। जिन पर सेल्फी लेने के प्रति चेतावनी दी गई है।

यूपी: 24 घंटे में 18 और नए संक्रमितों की मौंत हुईं

हरिओम उपाध्याय           

खनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मंगलवार को 18 और लोगों की मौत हो गई। वहीं, 174 नये मरीज मिले। मंगलवार को जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 18 और संक्रमितों की मौत हो गई। जबकि 174 नये मामले आए। प्रदेश में अभी तक 22,577 संक्रमित अपनी जान गंवा चुके हैं। आधिकारिक बयान के अनुसार पिछले 24 घंटे में 254 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट गए हैं तथा अब तक कुल 16,80,428 मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। वर्तमान में प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मरीजों के स्वस्थ होने की दर 98.5 प्रतिशत है।

अपर मुख्‍य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य में इस समय 2,946 संक्रमित मरीज हैं। जिनमें 1,810 पृथकवास में शेष सरकारी और निजी अस्पतालों में अपना उपचार करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में राज्‍य में 2.37 लाख से ज्यादा नमूनों का परीक्षण किया गया और अब तक कुल 5.75 करोड़ से ज्यादा नमूनों के परीक्षण किये जा चुके हैं। सहगल ने कहा कि राज्य में 24 घंटे में 174 नये मरीज मिले लेकिन जांच में कोई कमी नहीं की गई है।

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ  गणेश साहू  कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को जिल...