शुक्रवार, 25 जून 2021
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
गुरुवार, 24 जून 2021
अमेरिका के फैसले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित
वाशिंगटन डीसी। क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के अमेरिका के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव का कुल 193 सदस्य देशों में से 184 ने समर्थन किया है। वहीं अमेरिका, इजरायल ने इसका विरोध किया है। इसके अलावा ब्राजील, कोलंबिया और यूक्रेन प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए। वहीं चार देशों ने वोट ही नहीं किया। इन देशों में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, म्यांमार, मोलडोवा और सोमालिया शामिल हैं। प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले अमेरिकी राजनयिक रोडनी हंटर ने बाइडेन प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि हमारा मतदान इसके खिलाफ है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका मानता है कि लोकतंत्र और ह्यूमन राइट्स की रक्षा के लिए यह अहम है। क्यूबा को लेकर यह हमारी नीति का प्रमुख आधार रहा है।
अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि क्यूबा पर हमारी ओर से लगाए गए प्रतिबंध जारी रहेंगे। अमेरिका ने क्यूबा पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध हटाने को लेकर पूर्ववर्ती डोनाल्ड प्रशासन के विरोध को बरकरार रखते हुए और 2016 में बराक ओबामा प्रशासन के प्रतिबंध हटाने के सुझाव को मानने से इनकार करते हुए 29वें साल भी क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध जारी रखा है। जिसकी इस प्रस्ताव में घोर निंदा की गई है। क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिगेज ने बाइडेन प्रशासन पर पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की नीतियों के अनुसरण का आरोप लगाया।
कश्मीर को पूर्ण राज्य देने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबंध
8 वर्षीय बच्ची को मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम
कारवार नेवल बेस के 2 दिवसीय दौरे पर पहुंचे राजनाथ
राज्य द्वारा सुझाएं एहतियाती कदमों से आश्वस्त नहीं
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश से कहा कि वह 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए राज्य द्वारा सुझाए एहतियाती कदमों से आश्वस्त नहीं है और जब तक वह इस बात से संतुष्ट नहीं होता कि कोविड-19 के कारण किसी की मौत नहीं होगी। तब तक परीक्षाएं कराने की अनुमति नहीं दी जाएंगी। न्यायालय पीठ ने कहा, ‘‘परीक्षा के दौरान किसी की मौत होने के मामले में मुआवजे के पहलू को हमें देखना होगा। कुछ राज्यों ने कोविड के कारण होने वाली मौत के लिए एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। हम उस पहलू के जरिए भी चीजों को देख सकते हैं।’’
शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाएं न कराने के राज्य सरकारों को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायलाय ने परीक्षाओं के लिए कक्षाओं में 5,19,510 छात्रों को बैठाने की व्यवस्था पर खास चिंता जतायी और कहा कि राज्य सरकार का कहना है कि एक कक्षा में अधिकतम 15 से 18 छात्र होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘अगर आपके आंकड़ों पर चले तो हर कक्षा में 15 छात्रों के लिए आपको 34,644 कमरों की आवश्यकता होगी और अगर हम हर कक्षा में 18 छात्रों को बैठाने की बात करे तो आपको 28,862 कमरों की जरूरत होगी। हमें बताइए आप कहां से ये सभी कमरे लाएंगे।’’ न्यायालय ने नज्की से कहा, ‘‘केवल परीक्षाएं कराने के लिए परीक्षाएं मत कराइए। यह सिर्फ पांच लाख छात्रों के परीक्षाएं देने की बात नहीं है बल्कि इस प्रक्रिया में प्रत्येक कक्षा के लिए 34,000 पर्यवेक्षकों समेत एक लाख से अधिक लोग शामिल होंगे। आपको उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में भी सोचना होगा।’’
न्यायालय ने कहा कि राज्य को कोरोना वायरस की दूसरी लहर के असर को ध्यान में रखना चाहिए कि यह कितनी जल्दी फैली और अगर तीसरी लहर आती है तो वह इससे कैसे उबरेगा। पीठ ने कहा, ‘‘क्या आपके पास किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की योजनाएं हैं? अगर आप तीसरी लहर की चपेट में आ जाते हैं या कोई अवांछित स्थिति पैदा हो जाती है तो आप इससे कैसे निपटेंगे। हमने आपके हलफनामे में ऐसी कोई चीज नहीं देखी। यहां कोई भी कुछ साबित करने के लिए नहीं है। आपको छात्रों तथा शिक्षकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।’’
नज्की ने कहा कि बड़ी दिक्कत यह है कि 10वीं कक्षा के छात्रों को केवल ग्रेड दिए गए और छात्रों के मूल्यांकन का कोई तंत्र नहीं है। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी परेशानी समझते हैं कि ग्रेड्स को अंकों में बदलने या छात्रों का मूल्यांकन करने में दिक्कत होगी। लेकिन हर समस्या के दस समाधान होते हैं। आपको विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए। आप यूजीसी, सीबीएसई, सीआईएससीई या अन्य राज्यों और विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं तथा एक फॉर्मूला निकाल सकते हैं। कई राज्यों को दिक्कतें थीं लेकिन उन्होंने परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया।’’
शीर्ष अदालत ने इस पर भी चिंता जताई कि आंध्र प्रदेश ने परीक्षाओं या नतीजों के लिए कोई समयसीमा नहीं बतायी है और उसने राज्य को यह स्पष्ट करने के लिए कहा ताकि छात्रों के मन में कोई अनिश्चितता की स्थिति न हो। न्यायालय ने कहा, ‘‘आप चीजों को अनिश्चितता में नहीं रख सकते। अगर आप परीक्षा कराना चाहते हैं तो हमें कल तक एक ठोस योजना चाहिए। हम जानना चाहते हैं कि आपका कोविड प्रोटोकॉल प्रबंधन क्या है और आप कैसे इसे लागू करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर अलग है और विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर भी अलग होगी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल में डेल्टा स्वरूप को लेकर सतर्क किया गया है।’’ उच्चतम न्यायालय ने नज्की को पूरी योजना बताते हुए शुक्रवार तक एक हलफनामा दायर करने को कहा और अदालत को यह आश्वस्त करने के लिए कहा कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए उसके पास सभी आवश्यक संसाधन हैं। पीठ ने केरल के हलफनामे पर भी गौर किया जिसमें कहा गया कि उसने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं करा ली है और वह सितंबर में 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी कराएगा।
सोमवार को असम, त्रिपुरा और कर्नाटक सरकारों ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने महामारी के कारण 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। शीर्ष अदालत को 17 जून को बताया गया था कि 28 में से छह राज्यों ने बोर्ड परीक्षाएं करा ली है, 18 राज्यों ने परीक्षाएं रद्द कर दी है लेकिन चार राज्यों (असम, पंजाब, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश) ने अभी तक इन्हें रद्द नहीं किया है।
सरकार पर लोकतंत्र के खिलाफ कार्य करने का आरोप
'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला
'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला इकबाल अंसारी नई दिल्ली। संसद सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर...
-
महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
-
उपचुनाव: 9 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे क...
-
80 वर्षीय बुजुर्ग ने 34 साल की महिला से मैरिज की मनोज सिंह ठाकुर आगर मालवा। अजब मध्य प्रदेश में एक बार फिर से गजब हो गया है। आगर मालवा जिले...