गुरुवार, 24 जून 2021

मूल्यांकन एक जैसा रखने का निर्देश देने से इनकार

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में 12वीं के मूल्यांकन का तरीका एक जैसा रखने का निर्देश देने से इनकार किया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हर राज्य का शिक्षा बोर्ड स्वायत्त है। अपने हिसाब से निर्णय ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के रिजल्ट के लिए अंतिम तिथि घोषित करने पर कहा कि यूजीसी से कहा जाएगा कि सभी राज्य बोर्ड को एक कट ऑफ डेट दें। कोर्ट ने 12वीं की परीक्षा जुलाई में आयोजित करने जा रहे आंध्र प्रदेश सरकार से कहा कि परीक्षा न करवाना बेहतर है। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से परीक्षा को लेकर उचित स्कीम के बारे में कल यानी 25 जून तक कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया। 
जस्टिस खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केरल सरकार से भी 25 जून तक 12वीं की परीक्षा को लेकर बताने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वकील महफूज नाजकी ने कहा कि राज्य बोर्ड की 12वीं और 11वीं की परीक्षा को कराने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि 12वीं की राज्य बोर्ड की परीक्षा रद्द नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि जुलाई के अंत में परीक्षा होगी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप जुलाई के अंत में परीक्षा लेंगे तो ये काफी अनिश्चितता हो जाएगी। आप रिजल्ट कब जारी करेंगे। दूसरे कोर्स में दाखिला के लिए आपके रिजल्ट का कोई इंतजार नहीं करेगा। तब नाजकी ने कहा कि हम कोशिश करेंगे की परीक्षा पहले हो। 
कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि आपने कहा है कि एक कमरे में 15 से 18 छात्र होंगे। तो क्या आपने 34,634 कमरों के फार्मूले पर काम किया है। कमरों में हवा आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। किसी भी मौत का जिम्मा सरकार का होगा। कोर्ट ने कहा कि मौत होने पर एक करोड़ रुपये का मुआवजा देना पड़ सकता है। तब नाजकी ने कहा कि हमारे पास कमरे हैं। तब कोर्ट ने इसके संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अन्य बोर्डों ने जमीनी हकीकत को देखते हुए सोच-समझकर फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट भी आ रहा है। इसे लेकर कोई असमंजस नहीं होना चाहिए। यह लोगों के स्वास्थ्य का सवाल है। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से कहा कि आपके पास कोई ठोस प्लान होना चाहिए।

आतंकी संगठनों से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिलें

हरिओम उपाध्याय                   
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामले में रोज नये खुलासे हो रहे हैं। इस प्रकरण की जांच में जुटी एजेंसियों के हाथ धर्मांतरण गिरोह के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। मुख्यमंत्री योगी ने इस मामले में सुरक्षा जांच एजेंसियों से कहा है कि इससे सख्ती से निपटें। यूपी एटीएस ने धर्मांतरण के मामले में खुलासा करते हुए दिल्ली के जामियानगर के मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहागीर आलम कासमी को पकड़ा था। 
जांच एजेंसियों ने जब दोनों से पूछताछ की तो इन्होंने अपने मंसूबे जाहिर किए। दोनों ने बताया कि वह लोग मूक-बधिर बच्चों और मजबूर महिलाओं को पैसों का लालच देकर धर्मांतरण कराते हैं। उमर गौतम ने यह भी स्वीकारा है कि उसने एक हजार लोगों का धर्मांतरण कराया है। इसमें नोएडा सेक्टर-117 स्थित डेफ सोसाइटी में मूक-बधिर बच्चे भी शामिल हैं। इसके बाद उन्हें ही अपना हथियार बनाकर भारत समेत कई देशों में आतंक फैलाने की साजिश रचते हैं। ये बच्चे इसलिए भी इनके काम आते हैं कि ना तो ये बोल पाते हैं और न ही सुन पाते हैं। 
ये आरोपित खासतौर से चैरिटेबल ट्रस्ट पर चलने वाले संस्थान के छात्र-छात्राओं को ही अपना निशाना बनाते थे। जांच एजेंसियों की तहकीकात में धर्म परिवर्तन के अलावा इनके टेरर फंडिंग के भी प्रमाण मिले हैं। धर्मांतरण गिरोह के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के साक्ष्य भी मिला है। इन्हें धर्मांतरण की आड़ में देश में आतंकी साजिश रचने के लिए विदेशों से पैसा भेजा जाता था। साथ ही साथ धर्मांतरित मूक बधिर बच्चों का जेहादी गतिविधियों मेइस्तेमाल किए जाने के भी सुराग मिले है। 
उमर देश के 24 राज्यों में करा चुका धर्मांतरण 
मामले की जांच कर रही एजेंसियों के हाथ धर्मांतरण और टेरर फंडिंग के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। ये गिरोह आतंकी गतिविधियों से भी जुड़ा हुआ है। धर्मांतरण का मास्टरमाइंड उमर गौतम देश के 24 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में धर्मांतरण करा चुका है। वह 18 बार इंग्लैंड, चार बार अमेरिका, अफ्रीका, सिंगापुर, पौलेंड समेत कई देशों की यात्रा पर जा चुका है। वह कहा करता था कि लोगों को इस्लाम कबूल करने से अल्लाह का काम हो रहा है। उसने हिंदू ही नहीं ईसाई, जैन और सिख परिवारों के बच्चों का भी बड़ी संख्या में धर्मांतरण कराया है। 
उमर गौतम ने दिल्ली के बाटला हाऊस को अपनी गतिविधि का मुख्य केंद्र बनाया था। धर्म परिवर्तन के मामले की जांच कर सुरक्षा एजेंसियों को कई अहम जानकारियां मिली है। धर्मांतरण के लिए अरब देश व विदेशों से फंडिंग की जा रही है। इसमें पाकिस्तान का भी नाम सामने आया है। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियां देश भर में संदिग्धों के बैंक खाते खंगालने में जुट गईं हैं और 100 से अधिक बैंक खाते रडार पर लिए गए हैं। हालांकि यह गोपनीय जांच है, इसके चलते जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
उमर के नाम अरबों की संपत्ति सूत्रों के मुताबिक, धर्मांतरण के मामले में पकड़े गए मौलाना उमर गौतम की कई जगहों पर अरबों की संपत्ति होने का पता चला है। अकेले गाजियाबाद में उसकी काफी अचल संपत्ति है। फतेहपुर के रहने वालों का कहना है कि उमर गौतम जब भी गांव आता था तो अंदौली का एक व्यक्ति हमेशा उसके साथ रहता था। इस व्यक्ति का बहुआ रोड पर एफसीआई गोदाम के पास ट्रैक्टर ट्राली बनाने का कारखाना है। 
मोहम्मद उमर जब भी जनपद आया, तो इसी शख्स ने उसकी सारी व्यवस्था दोखी।  
धर्मांतरण गिरोह के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाण मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच एजेंसियों को इस केस की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने एजेंसियों को निर्देश दिया है कि देश की सुरक्षा और आस्था के खिलाफ साजिश करने वालों से सख्ती से निपटें। मुख्यमंत्री स्वयं धर्मांतरण प्रकरण की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल माना

आदर्श श्रीवास्तव           
लखीमपुर खीरी। बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार पका हुआ बेल मधुर, रुचिकर, पाचक तथा शीतल फल है। यह बेहद पौष्टिक और पेट की कई बीमारियों की अचूक औषधि भी है। इसका गूदा खुशबूदार और पौष्टिकता से भरपूर होता है। इसके पेड़ दुधवा नेशनल पार्क में बहुतायत में पाये जाते हैं। आयुर्वेद में बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार कच्चा बेलफल रुखा, पाचक, गर्म, वात-कफ, शूलनाशक व आंतों के रोगों में उपयोगी होता है। ताजे फल का सेवन किया जा सकता है और इसके गूदे से बीज हटाकर, सुखाकर, उसका चूर्ण बनाकर भी सेवन किया जा सकता है।
आयुर्वेद के जानकार बताते हैं कि उदर विकारों में बेल का फल रामबाण औषधि है। वैसे भी अधिकांश रोगों की जड़ उदर विकार ही है। बेल के फल के नियमित सेवन से कब्ज जड़ से समाप्त हो जाता है। कब्ज के रोगियों को इसके शर्बत का नियमित सेवन करना चाहिए। बेल का पका हुआ फल उदर की स्वच्छता के अलावा आँतों को साफ कर उन्हें ताकत देता है।
मधुमेह रोगियों के लिए बेलफल बहुत लाभदायक है। बेल की पत्तियों को पीसकर उसके रस का दिन में दो बार सेवन करने से डायबिटीज की बीमारी में काफी राहत मिलती है। रक्त अल्पता में पके हुए सूखे बेल की गिरी का चूर्ण बनाकर गर्म दूध में मिश्री के साथ एक चम्मच पाउडर प्रतिदिन देने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होता है।
प्रायः देखा गया है कि गर्मियों में अतिसार की वजह से पतले दस्त आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में कच्चे बेल को आग में भून कर उसका गूदा, रोगी को खिलाने से फौरन लाभ मिलता है। गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलवों में भली प्रकार मलें। इसके अलावा सिर, हाथ, छाती पर भी इसकी मालिश करें। मिश्री डालकर बेल का शर्बत पिलाने से भी तुरंत राहत मिलती है। इन्हीं सब गुणों को लेकर बेल को पूजनीय कहा गया है।बेल के 100 ग्राम गूदे में नमी 61.5 प्रतिशत, वसा 3 प्रतिशत, प्रोटीन 1.8 प्रतिशत, फाइबर 2.9 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 31.8 प्रतिशत, कैल्शियम 85 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 50 मिलीग्राम, आयरन 2.6 मिलीग्राम, विटामिन सी 2 मिलीग्राम हैं। इनके अतिरिक्त बेल में 137 कैलोरी ऊर्जा तथा कुछ मात्रा में विटामिन बी भी पाया जाता है।

सैकड़ों केंद्र आधे कर्मचारियों से चला रहे हैं काम, पद

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। लंबे अरसे से नियुक्तियां न होने के कारण देश भर में फैले दूरदर्शन और आकाशवाणी के सैकड़ों केंद्र आधे कर्मचारियों से काम चला रहे हैं। इस समय दूरदर्शन में 10,247 जबकि आकाशवाणी में 12,086 पद रिक्त हैं। दूरदर्शन में ग्रुप ए के 1,116 पदों के मुकाबले केवल 494 कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है, जबकि 622 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार बी ग्रुप में 4,183 कर्मचारियों की जगह 2,112 कर्मचारी काम कर रहे हैं। 
यानी 2071 कर्मचारियों की कमी है। यही हाल ग्रुप सी का है जिसमें 16,401 स्वीकृत पदों में से 7,554 पद खाली होने से मात्र 11,453 कर्मचारियों पर सारे काम का बोझ है। इस तरह बेरोजगारी के इस दौर में दूरदर्शन में 21,700 कर्मचारियों का काम 11,451 कर्मचारियों को करना पड़ रहा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार 2002-03 से 2008-09 के बीच दूरदर्शन के 2,038 पदों को समाप्त कर चुकी है।यही हाल ग्रुप सी का है जिसमें 16,401 स्वीकृत पदों में से 7,554 पद खाली होने से मात्र 11,453 कर्मचारियों पर सारे काम का बोझ है। इस तरह बेरोजगारी के इस दौर में दूरदर्शन में 21,700 कर्मचारियों का काम 11,451 कर्मचारियों को करना पड़ रहा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार 2002-03 से 2008-09 के बीच दूरदर्शन के 2,038 पदों को समाप्त कर चुकी है। जहां तक आकाशवाणी का प्रश्न है तो यहां 26,129 स्वीकृत पदों के एवज में सिर्फ 14,043 लोग नौकरी पर हैं। इनमें ग्रुप ए के 2,002 पदों के एवज में 800 कर्मचारी काम कर रहे हैं जबकि 1,202 की जगह खाली पड़ी है। ग्रुप बी में 4,928 पद रिक्त होने से 12,056 कर्मचारियों का बोझ 7128 मुलाजिमों पर है। जबकि ग्रुप सी में 26,129 मंजूर पदों के बजाय महज 14,043 का स्टाफ काम कर रहा है। ग्रुप सी में 12,086 पद नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी में कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर सरकार कई बार सर्वे करवा चुकी है। इस संबन्ध में दो समितियों का गठन भी किया जा चुका है। पहली समिति 2014 में सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में बनी बनाई गई थी। उसकी सिफारिशों को स्वीकार भी कर लिया गया था। लेकिन थोड़ी-बहुत खानापूरी के अलावा कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसी अर्न्स्ट एंड यंग को स्टाफ की आवश्यकता का नए सिरे से अध्ययन करने को कहा गया। इसकी रिपोर्ट भी पिछले साल सितंबर में मंजूर की जा चुकी है। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी वास्तविक प्रगति का इंतजार है। दूरदर्शन और आकाशवाणी में रिक्तियों के मसले को संसदीय समिति भी सरकार के समक्ष उठा चुकी है। लेकिन इस बात का कोई स्पष्ट जवाब उसे भी नहीं मिला है कि आखिर इस समस्या का समाधान कैसे और कब तक होगा। देश में अभी दूरदर्शन के किसान चैनल समेत 36 सेटेलाइट चैनल काम कर रहे हैं जिनमें 7 राष्ट्रीय, 1 अंतरराष्ट्रीय तथा 28 क्षेत्रीय चैनल हैं। जबकि सरकार जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख जैसे संवेदनशील इलाकों समेत सभी दूरदर्शन केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार एवं आधुनिकीकरण करने में जुटी है। इसी प्रकार आकाशवाणी के 485 केंद्र हैं, जिनके जरिये 22 भाषाओं तथा 181 बोलियों के साथ 506 एफएम चैनलों तथा 129 मीडियम वेव चैनलों का प्रसारण किया जा रहा है।

बरेली और बदायूं जिले में चुनाव नहीं लड़ेगी बसपा

संदीप मिश्र                
बरेली। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गयी हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने साफ कर दिया है कि वह बरेली मंडल के बरेली और बदायूं जिले में चुनाव नहीं लड़ेगी। लेकिन पीलीभीत और शाहजहांपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव मजबूती से लड़ा जाएगा। बसपा के इस निर्णय के बाद बरेली और बदायूं जनपद में कुर्सी की लड़ाई सिर्फ भाजपा और सपा के बीच रह गयी है। जिला पंचायत सदस्य पद के नतीजों में बसपा को मनमाफिक परिणाम नहीं मिले। बसपा का दावा है कि बरेली में छह, बदायूं में छह, पीलीभीत में छह और शाहजहांपुर में उनके नौ सदस्य जीते हैं। 
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बसपा ने पीलीभीत और शाहजहांपुर जनपद में प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन जिलाध्यक्षों और पार्टी के बड़े नेताओं को प्रदेश नेतृत्व से संकेत मिल गया है। बसपा के मंडल स्तर के एक पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी एक खास रणनीति के तहत काम कर रही है। इसी वजह से दोनों जिलों से उम्मीदवार घोषित नहीं किए गए हैं। बसपा ने समर्थन को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं की है। इससे पार्टी नेता ही नहीं, जीते हुए सदस्य भी असमंजस में है। जिलाध्यक्ष बसपा, बरेली डा. जयपाल सिंह ने बताया कि बरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पार्टी नहीं लड़ेगी। 25 जून को मंडल इकाई की बैठक है, जिसमें मंडल के मुख्य जोन प्रभारी भी मौजूद रहेंगे। बैठक में चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति बताई जाएगी। 
जिलाध्यक्ष बसपा, पीलीभीत चंद्रशेखर आजाद ने बताया कि भाजपा-सपा को टक्कर देने की योजना है। जिले में कुल 34 जिला पंचायत सदस्य हैं। इसमें छह सदस्य पार्टी के टिकट पर जीते हैं। चार अन्य सदस्य समर्थन दे चुके हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी मैदान में उतारने को लेकर हाईकमान के आदेश का इंतजार है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-313 (साल-02)
2. शुक्रवार, जून 25, 2021
3. शक-1984,अषाढ़, शुक्ल-पक्ष, तिथि-प्रतिपदा, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 05:42, सूर्यास्त 07:16।
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै., अधिकतम-39+ डी.सै.।
बरसात की संभावना
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.-20110
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संपर्क सूत्र :- +919350302745  
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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-374, (वर्ष-11) पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254 2. शुक्रवार, दिसंबर 27, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, त...