बुधवार, 23 जून 2021

फेसबुक-व्हाट्सएप की ओर से दायर याचिका खारिज

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने नई प्राईवेसी पॉलिसी के बारे में कुछ सूचनाओं की मांग करने के लिए जारी प्रतिस्पर्द्धा आयोग की नोटिस के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सएप की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी है। पिछले 21 जून को जस्टिस अजय जयराम भांभानी की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
व्हाट्सएप और फेसबुक की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से प्रतिस्पर्द्धा आयोग के पिछले 4 जून के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि मामले की सुनवाई की अगली तिथि तक प्रतिस्पर्द्धा आयोग को व्हाट्सएप और फेसबुक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे। उन्होंने कहा था कि नई प्राईवेसी पॉलिसी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। 
ऐसे में प्रतिस्पर्द्धा आयोग को इंतजार करना चाहिए था। हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्सएप की 2021 की प्राईवेसी पॉलिसी 2016 की प्राईवेसी पॉलिसी की तरह ही है। व्हाट्सएप ने केवल प्राईवेसी पॉलिसी में अपडेट किया है।
सुनवाई के दौरान प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से पेश एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि नोटिस उस जांच से जुड़ा है जिसपर हाईकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाया है। उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग के महानिदेशक को रिपोर्ट भेजे जाने तक व्हाट्सएप और फेसबुक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। तब कोर्ट ने पूछा था कि नोटिस भेजने की इतनी जल्दबाजी क्या थी। तब अमन लेखी ने कहा था कि इसमें लंबी जांच प्रक्रिया होती है इसलिए नोटिस भेजा गया है। इसमें निजता का कोई मामला नहीं है ये प्रतिस्पर्द्धा का मामला है। इसके व्यावसायिक आयाम हैं। बता दें कि व्हाट्सएप और फेसबुक ने प्रतिस्पर्द्धा आयोग के जांच के आदेश के खिलाफ सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है। 
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
पिछले 22 अप्रैल को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दिया था। इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है। सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राईवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी युजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है। इस पॉलिसी से व्यावसायिक सेवाओं का बेहतर उपयोग करने की सुविधा है। व्हाट्सएप की व्यावसायिक सेवा अलग है जो फेसबुक से लिंक की गई है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप किसी युजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है। नई प्राईवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है। उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है। उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्सएप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।

46 प्राचार्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा: शिक्षा

मनोज सिंह ठाकुर               
छतरपुर। 15 जून से प्रारंभ हुए विद्यार्थियों के प्रवेश में लापरवाही बरतने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 46 प्राचार्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। जिससे इनके विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित की जा सके।जिला शिक्षा अधिकारी एसके शर्मा ने बताया कि जिले के सभी 211 प्राचार्यों को विभिन्न पत्रों के माध्यम से निर्देशित किया गया था कि वे अपने विद्यालय में विद्यार्थियों के प्रवेश संबंधी जानकारी की प्रविष्टि प्रतिदिन विमर्श पोर्टल पर करें। कई बार निर्देश देने के बावजूद भी इन प्राचार्यों द्वारा प्रवेश संबंधी जानकारी को विमर्श पोर्टल पर अपलोड नहीं की जा रहा है। 
जिस कारण प्रदेश स्तर पर जिले की छवि पर विपरीत असर पड़ा है साथ ही वरिष्ठ कार्यालय द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त की गई है। श्री शर्मा ने मंगलवार को 46 प्राचार्यों को नोटिस जारी कर 2 दिवस में जवाब तलब किया है। इनमें शासकीय हाईस्कूल पनवारी, बंधाचंदौली, खरदूती, लिधौरा, पड़रिया (बकस्वांहा), निवार, मझगुवांघाटी, शाहगढ, भरतौली, गोपालपुरा, बरहा, खेरा, कंदेला, टहनगा, मुड़ेरी, बंजारी, रगौली, पुरा, ज्योराहा, बालक गढ़ीमलहरा, मनकारी, नुना, सिंगरौ, खर्रोही, तिलौंहा, गोमाकलां, माधवपुर, कदारी, हायर सेकेडरी कन्या बक्स्वाहा, दरगुवां, कन्या बिजावर, किशनगढ़, पिपट पनागर, सटई, लखनगुवां, बृजपुरा, पनौठा, उत्कृष्ट लवकुशनगर, बालक चंदला, कन्या गढ़ीमलहरा, उत्कृष्ट नौगांव, झींझन, कन्या हरपालपुर, सूरजपुरा, झमटुली और बसारी शामिल हैं। 
डीईओ ने प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की जानकारी की प्रविष्टि विमर्श पोर्टल पर प्रतिदिन शाम 5 बजे तक अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए हैं। जारी नोटिस में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि समय सीमा में स्पष्टीकरण न देने या संतोषप्रद जवाब प्राप्त नहीं होने की स्थिति में संबंधित प्राचार्य के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी।

यूके: 7 एसआई इंस्पेक्टर के पद पर पदोनन्नत कियें

पंकज कपूर                   
देहरादून। पुलिस विभाग में 7 एसआई इंस्पेक्टर के पद पर पदोनन्नत किये गये हैं। पदोनन्नति का लाभ लेने वाले उप निरीक्षक वर्तमान में विभिन्न जनपदों में तैनात हैं। ज्ञात रहे कि गत 21 जून को हुई विभागीय चयन कमेटी में लिए गए फैसले के बाद सात पुलिस सब इंसेक्टर के निरीक्षक पद पर प्रोन्नत किये गए। पदोन्नति के बाबत हाईकोर्ट उच्च न्यायालय में राज जुयाल बनाम उत्तराखण्ड सरकार की दायर याचिका में दिए गए निर्णय के आलोक में चयन कमेटी की बैठक की गई थी।विभागीय चयन समिति द्वारा की गई संस्तुति के आधार पर निम्नलिखित उप निरीक्षक नागरिक पुलिस को तत्काल प्रभाव से निरीक्षक नागरिक पुलिस के पद पर पदोन्नति प्रदान किये जाने के आदेश पारित किये गये हैं।

सरकार के स्वास्थ्य सचिव को कड़ी फटकार: एचसी

पंकज कपूर            
नैनीताल। कोरोना करीब डेढ़ साल से लोगों की जान ले रहा है। वायरस का नया म्यूटेंट डेल्टा प्लस भी देश में दस्तक दे चुका। जिसके कारण संभावित तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। मगर सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं है कि अभी तक मुकम्मल नहीं हो सकी हैं। बुधवार को हाई कोर्ट ने इसी मुद्दे पर सरकार के स्वास्थ्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा डेल्टा वैरिएंट एक महीने में पूरे देश में फैल गया था और डेल्टा प्लस वैरिएंट को तीन महीने भी नहीं लगेंगे? फिर भी हमारे बच्चों को बचाने के लिए आप लोग क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा आप सोच रहे हैं कि डेल्टा प्लस वैरियंट कहेगा कि चलिए पहले सरकार तैयारी कर पूरी ले, फिर वह अटैक करेगा।
कोरोना को लेकर दाखिल की गईं अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव के तीसरी लहर को लेकर बच्चों के लिए तीन महीने तक विटामिन सी और जिंक आदि की दवाएं देने की दलील पर तीखी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बच्चोें को ये दवा कब खरीद कर देंगे? जब तीसरी लहर आ जाएगी, तब दवाएं खरीदने की प्रकिया पूरी करेंगे। जिस जीओ को अगले हफ्ते या 30 जून तक जारी करने की बात कह रहे है।
 वह जीओ कल क्यों नहीं जारी हो सकता या आज शाम पांच बजे तक जारी क्यों नहीं हो सकता? हाई कोर्ट ने कहा कि जब महामारी में वॉर फूटिंग पर काम करने की ज़रूरत है, तब आप लोग ब्यूरोक्रेटिक बाधा पैदा कर काम को बोझिल कर देरी कर रहे हैं।
कोरोना पर उत्तराखंड सरकार के इंतजामों से हाई कोर्ट सख्त नाराज, यहां तक कह डाला। हाई कोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं। बताइये 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे? कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में आपने माना है कि रुद्रप्रयाग में 11 वेंटिलेटर हैं, जिसमें नौ ख़राब हैं। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोर्ट ने सिर्फ़ ज़िला अस्पतालों की डिेटेल मांगी थी, हमारे पास मेडिकल कॉलेजों व निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर-आईसीयू के और इंतज़ाम हैं। इस पर कोर्ट ने कहा आपको जानकारी देने से किसने रोका है? हाईकोर्ट ने कहा कि क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे आंखों के सामने मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी? 
बच्चों के लिए कितने वार्ड बनाए हैं आपने अब तक? स्वास्थ्य सचिव ने कहा अगली सुनवाई के दौरान बता पाएंगे कि कितने वार्ड तैयार हो पाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में ट्रीटमेंट देंगे जो मॉडरेट और माइल्ड केस होंगे, उन्हीं को ज़िला अस्पतालों में उपचार के लिए रखेंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि टाइमफ्रेम के साथ तैयारियों का स्तर बताइए। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में डेल्टा प्लस वैरियंट केस आ चुके, आपकी तैयारियां कहां पहुंची? आप तैयारियों को लेकर समय बताएं कि कब तक क्या करेंगे? आपके पास पांच मेडिकल कॉलेज हैं तो बाक़ी जिलों के बच्चों का क्या होगा?
उदाहरण के लिए बताइए बागेश्वर और पिथौरागढ़ के बच्चों के लिए क्या करेंगे? चीफ़ जस्टिस ने कहा कि मान लीजिए मैं पैरेंट हूं और बागेश्वर में रहता हूं, रात्रि को अपने बच्चे को लेकर कहां पहाड़ों में भागूंगा ? स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोरोना हार्ट अटैक जैसी बीमारी नहीं। पहले बुखार होगा, दूसरे सिम्पटम आएंगे, फिर ज़िला अस्पताल से लेकर सुशील तिवारी हॉस्पिटल कर लाया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने एफिडेविट का पेज 41 पढ़ने को कहकर बच्चों को होने वाली सिवियरिटी पढ़ लेने को कहा। चीफ़ जस्टिस ने कहा मान लीजिए मेरे बच्चे को एक्यूट रेसपेरिटरी डिजिज है और चमोली में रहता हूं। 
बताइये कहां लेकर जाऊंगा। कोर्ट ने कहा आपका पर्याप्त एंलेंस का दावा झूठा है। दिल्ली-फ़रीदाबाद में एंबुलेंस नहीं मिली और आप कहते हैं आपके पास उत्तराखंड में पर्याप्त एम्बुलेंस हैं।

परीक्षा का परिणाम जारी करने की तैयारी: सरकार

पंकज कपूर          

देहरादून। सरकार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम जारी करने की तैयारी कर रही है। मगर इसमें तमात दिक्कतें आ रही है। उत्तराखंड बोर्ड की ओर से रिजल्ट का जो मसौदा तैयार किया गया है। उसके अनुसार 10वीं और 12वीं में हुए आंतरिक परीक्षा के अंक भी जोडे़ जाने हैं। मगर प्रदेश में कई विद्यालय ऐसे हैं। जिन्होंने 10वीं व 12वीं की कक्षाओं में मासिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन कराया ही नहीं। ऐसे में इन विद्यालयों के छात्रों का परिणाम कैसे तैयार होगा, इसे लेकर अधिकारी पशोपेश में हैं। अब इस लेकर बरती गई लापरवाही प्रधानाचार्यों और शिक्षाधिकारियों को भारी पड़ेगी। 

बोर्ड रिजल्ट तैयार करने में यह चूक शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को सख्त नागवार गुजरी है। ऐसे विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के साथ ही संबंधित खंड शिक्षाधिकारियों और मुख्य शिक्षाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने बीते शैक्षिक सत्र 2020-21 में 10वीं व 12वीं की कक्षाओं के संचालन की अनुमति दी थी। बीते नवंबर से मार्च माह यानी पांच महीनों के दौरान सरकारी, अनुदानप्राप्त अशासकीय और उत्तराखंड बोर्ड से मान्यताप्राप्त निजी माध्यमिक विद्यालयों को बोर्ड परीक्षार्थियों की पढ़ाई के लिए खोला गया था। शासन काफी पहले ही मासिक परीक्षा लेने के आदेश जारी कर चुका था। इसके बावजूद विद्यालयों के स्तर पर छात्र-छात्राओं के लिए मासिक परीक्षा समेत अन्य आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था नहीं की गई।

सीबीएसई समेत अन्य राज्यों में प्री-बोर्ड एवं अन्य तरीके से हुए आंतरिक मूल्यांकन को 10वीं व 12वीं के रिजल्ट के लिए ज्यादा तवज्जो दी गई है। उत्तराखंड में विद्यालयों के स्तर पर बरती गई लापरवाही के चलते आंतरिक मूल्यांकन के अंकों को रिजल्ट में ज्यादा महत्व नहीं देने के लिए कदम उठाने की नौबत आई। मंगलवार को विभागीय समीक्षा के दौरान सामने आने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय खफा हो गए। उन्होंने इस लापरवाही को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए।

सीसीआई के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार किया

अकांशु उपाध्याय                      
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सएप की नई निजता नीति की जांच के सिलसिले में फेसबुक और मैसेजिंग ऐप से कुछ सूचना मांगने वाले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि जांच में और कदम उठाने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली एक अर्जी पहले ही दायर की जा चुकी है। 
जिसमें सीसीआई के महानिदेशक को नोटिस जारी किया गया। इस पर खंडपीठ ने छह मई को कोई अंतरिम राहत नहीं दी और इस पर सुनवाई के लिए नौ जुलाई की तारीख तय की थी।पीठ ने 21 जून को दिए आदेश में कहा, ‘‘हमने यह भी पाया कि पहले दायर अर्जी और मौजूदा अर्जी में एक जैसी बातें कही गयी है। पहले की वजहों के चलते हम इस वक्त आठ जून के नोटिस पर रोक लगाना उचित नहीं समझते।’’ इस आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध करायी गयी।यह मामला एकल पीठ के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सएप की अपीलों से संबंधित है। 
एकल पीठ ने व्हाट्सएप की नयी निजता नीति की जांच का सीसीआई द्वारा आदेश देने के खिलाफ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इससे पहले अपीलों पर नोटिस जारी किया था और केंद्र से जवाब देने को कहा था।

अपरहण: 'निर्णायक सबूत' के बारे में जानकारी नहीं

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। एंटीगुआ एवं बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा है कि वह हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के अपरहण के संबंध में “कोई निर्णायक सबूत मिलने” के बारे में अवगत नहीं हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से यह जानकारी है कि चोकसी का अपहरण किया गया था और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अपनी जांच में संभवत: ऐसे लोगों का पता लगाया है। जिनके पास इस संबंध में जानकारी हो सकती है।
चोकसी सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक से लगभग 13,500 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में भारत में वांछित है। वह 2018 से एंटीगुआ एवं बारबुडा में नागरिक के तौर पर रह रहा है और वहां से 23 मई को रहस्यमय तरीके से लापता हो गया। ब्राउन अपने देश की संसद में विपक्षी सांसद के सवालों का जवाब दे रहे थे जिन्होंने उनसे पूछा कि क्या स्कॉटलैंड यार्ड या किसी अन्य जांच एजेंसी को इस बारे में कोई सबूत मिला है कि चोकसी को ‘‘अनैच्छिक तरीकों’’ से डोमिनिका ले जाया गया था।
मीडिया संस्थान ‘एंटीगुआ न्यूज रूम’ द्वारा साझा की गई संसदीय कार्यवाही की क्लिप के अनुसार, ब्राउन ने कहा, ‘‘अध्यक्ष महोदय, मुझे सबूतों की जानकारी नहीं है। लेकिन पब्लिक डोमेन में यह जानकारी है कि मेहुल चोकसी का अपहरण किया गया था। मुझे पता है कि यहां कानून प्रवर्तन ने जांच की है और उन्होंने संभवत: ऐसे लोगों का पता लगाया है, जिनके पास इस संबंध में जानकारी हो सकती है, लेकिन जहां तक ​​साक्ष्य की बात है तो मुझे यह जानकारी नहीं है कि ऐसा कोई निर्णायक सबूत है या नहीं। 
यह पूछे जाने पर कि क्या स्कॉटलैंड यार्ड या किसी अन्य एजेंसी ने चोकसी के कथित अपहरण के बारे में उनकी सरकार से संपर्क किया है, तो उन्होंने ना में जवाब दिया। चोकसी को डोमिनिका में अवैध प्रवेश करने पर पकड़ा गया था। उसके वकीलों ने आरोप लगाया है कि एंटीगुआई और भारतीय जैसे दिखने वाले पुलिसकर्मियों ने उनके मुवक्किल का अपहरण कर लिया तथा उसे नौका के जरिए डोमिनिका पहुंचा दिया। चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी पर कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ कथित तौर पर 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। नीरव मोदी अभी लंदन की एक जेल में बंद है। दोनों के खिलाफ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर रहा है।

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब  रामबाबू केसरवानी  कौशाम्बी। नगर पंचायत पूरब पश्चिम शरीरा में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन में भक्तो...